sarfaraz's story: Village to IAS in Hindi Short Stories by iqbaal books and stories PDF | सरफराज की कहानी: गाँव से IAS तक

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सरफराज की कहानी: गाँव से IAS तक

सरफराज एक छोटे से गाँव का लड़का था। उसका गाँव हरे-भरे खेतों और संकरी गलियों से घिरा हुआ था। सुबह-सुबह सूरज की पहली किरणें खेतों पर पड़तीं, और सरफराज अपने पिता के साथ खेतों में काम में हाथ बँटाता। बचपन से ही वह अलग था—उसकी आँखों में एक चमक थी, जैसे वह केवल अपने गाँव की सीमाओं तक ही नहीं, बल्कि दुनिया के हर कोने तक पहुँचने का सपना देखता हो।

सरफराज के परिवार के पास ज्यादा संसाधन नहीं थे। उसके पिता छोटे किसान थे और मां घर संभालती। पढ़ाई के लिए सिर्फ सरकारी स्कूल था, जहाँ किताबें और शिक्षण की सुविधा सीमित थी। फिर भी सरफराज पढ़ाई में बहुत होशियार था। वह हमेशा अपने सपनों के बारे में सोचता। उसका सपना था—IAS अधिकारी बनकर अपने गाँव और देश की सेवा करना। गाँव के लोग अक्सर कहते, “IAS बनना आसान नहीं है, बेटा। बड़ी मेहनत लगेगी।” लेकिन सरफराज के लिए यह चेतावनी नहीं, बल्कि चुनौती थी।


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पहला प्रयास और असफलता

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सरफराज ने पहली बार UPSC की परीक्षा दी। उसने दिन-रात मेहनत की थी, लेकिन परिणाम उसके अनुसार नहीं आया। असफलता ने उसे थोड़ी हताश जरूर किया, पर वह टूट नहीं। वह अपने कमरे में बैठा और सोचने लगा—“मैं कहाँ गलती कर गया? मैंने जो पढ़ाई की, क्या मैं सही दिशा में नहीं था?”

सरफराज ने अपनी कमजोरियों को पहचानना शुरू किया। उसने नोट्स बनाए, पुराने प्रश्नपत्र हल किए और हर विषय में सुधार करने की योजना बनाई। गाँव के पुस्तकालय में समय बिताना और इंटरनेट से ज्ञान जुटाना उसकी दिनचर्या बन गई।


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दूसरी कोशिश: रणनीति और मेहनत

सरफराज ने अपने तैयारी की रणनीति पूरी तरह बदल दी। उसने विषयवार समय तालिका बनाई। कठिन विषयों के लिए अतिरिक्त समय रखा और कमजोरियों को सुधारने पर जोर दिया। केवल पढ़ाई ही नहीं, उसने अपने मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास पर भी ध्यान दिया। सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, ध्यान करना और समय पर सोना उसकी आदत बन गई।

सरफराज की मेहनत केवल किताबों तक सीमित नहीं थी। वह गाँव में घूमते हुए लोगों की समस्याओं को समझता, सरकारी योजनाओं और समाजिक बदलावों के बारे में जानकारी जुटाता। उसका मानना था कि IAS बनने के लिए केवल ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक समझ और समाज के प्रति संवेदनशीलता भी जरूरी है।


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परिवार और दोस्तों का सहारा

सरफराज के परिवार और दोस्तों ने उसे निरंतर प्रोत्साहित किया। उसके पिता कहते, “बेटा, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। अगर तू अपने सपनों पर विश्वास रखेगा, तो दुनिया भी तुझे मान लेगी।” उसकी मां रातों-रात उसके लिए भोजन तैयार करती और उसकी चिंता करती। दोस्तों के साथ चर्चा, सवाल-जवाब, और समूह अध्ययन उसकी तैयारी को और मजबूत बनाते।


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प्रारंभिक सफलता: प्रीलिम्स और मेंस

दूसरी बार परीक्षा में सरफराज का आत्मविश्वास स्पष्ट था। पहले प्रीलिम्स में ही उसने शानदार प्रदर्शन किया। उसके अंक पिछले प्रयास की तुलना में कहीं बेहतर थे। प्रीलिम्स पास होते ही उसका उत्साह और बढ़ गया। मेंस की तैयारी में उसने हर विषय को विस्तार से पढ़ा, पुराने पेपर हल किए, और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया।


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इंटरव्यू और अंतिम सफलता

जब इंटरव्यू का समय आया, सरफराज ने आत्मविश्वास और विनम्रता से जजों को प्रभावित किया। वह अपने गाँव और देश के प्रति अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर पाया। उसकी ईमानदारी और गंभीरता ने इंटरव्यू बोर्ड को बहुत प्रभावित किया।

आखिरकार, परिणाम आया और सरफराज का नाम IAS की मेरिट लिस्ट में था। गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। वही लड़का, जो कभी खेतों में मेहनत करता था, अब देश की सेवा करने वाला IAS अधिकारी बन चुका था।


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गाँव के लिए उसकी सेवा

सरफराज ने कभी अपने गाँव की जड़ों को नहीं छोड़ा। उसने अपने गाँव में स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी विकास की योजनाओं को लागू किया। उसने हर बच्चे को शिक्षा का महत्व समझाया और उन्हें सपने देखने के लिए प्रेरित किया। सरफराज हमेशा कहता, “यदि आपके पास आत्मविश्वास, मेहनत और धैर्य है, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।”


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सीख और प्रेरणा

सरफराज की कहानी यह सिखाती है कि मुश्किलें, असफलताएं और संसाधनों की कमी कभी भी सपनों को रोक नहीं सकती। मेहनत, धैर्य, योजना और आत्मविश्वास के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। वह गाँव का छोटा लड़का, जिसने कभी दूर के सपने देखे, आज देश के लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुका था।