यह सिर्फ़ एक प्रेम-कहानी नहीं, बल्कि भरोसे के टूटने, दोस्ती के बिकने और इंसानी चालों के खेल का रहस्यमय सफ़र है।
पुस्तक का सारांश
यह कहानी एक ऐसे नायक की है जिसने जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही अतीत के धोखों से जूझकर खुद को संभालना सीखा है।
वह अपने सपनों की ओर बढ़ रहा है, लेकिन नियति उसके सामने एक नया मायाजाल बुन देती है।
इस मायाजाल की केंद्रबिंदु है नायिका—जो ऊपर से भोली-भाली और मासूम लगती है, लेकिन भीतर इतनी चतुर और रहस्यमयी है कि उसके असली चेहरे को समझ पाना चाणक्य तक के लिए कठिन हो। नायक, जो अभी भी भावनाओं में सीधा और सच्चा है, दोस्ती को कृष्ण-अर्जुन और कृष्ण-सुदामा जैसी पवित्रता मानता है, और नायिका पर अपना संपूर्ण विश्वास और समर्पण अर्पित कर देता है।
दोस्ती धीरे-धीरे गहराई पकड़ती है, और अनजाने में प्रेम में बदल जाती है। कहानी तब मोड़ लेती है, जब नायक अपनी मासूमियत में उसे अपने उस मित्र से मिलवाता है, जो हाल ही में एक रिश्ते के टूटने से घायल है। वही मित्र, मौके का फायदा उठाकर नायिका को जाल मे फ़साना शुरू करता है और अपने ही दोस्त को विलयन बनाना । और फिर शुरू होता है खेल—एक ऐसा खेल, जहाँ सच और झूठ की लकीरें धुंधली हो जाती हैं।
धीरे-धीरे नायक को सच्चाई का पता चलता है: नायिका के जीवन में पहले से ही कोई और था लेकिन वह फिर भी नागिन की भाती लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है । वह जान पाता है कि उसकी मौजूदगी तो सिर्फ़ दूसरों की चालों को आसान बनाने वाला मोहरा भर थी। लेकिन सच जानने के बाद भी वह नायक दोस्ती पर भरोसा करता है क्योंकि उसने जिंदगी में पहली बार किसी पर इतना भरोसा किया था, उसे हर तरफ़ से दोषी ठहराया जाता है—दोस्तों की नज़र में, समाज की नज़र में और शायद खुद उसकी अपनी नज़र में भी।
अब सवाल यह है—जब हर दरवाज़ा बंद हो जाए, जब रिश्तों का नकाब उतरकर चेहरों की असलियत सामने आ जाए, तो इंसान किस रास्ते का चुनाव करता है?
नायक भी अंततः एक ऐसा फैसला करता है, जो न सिर्फ़ उसकी ज़िंदगी बदल देगा बल्कि पाठकों के दिल में भी एक झटका छोड़ जाएगा।
प्रमुख पात्र
अर्जुन (नायक) – भावनाओं में सच्चा, सपनों को पाने के लिए संघर्षरत।
स्मिता (नायिका) – बाहर से मासूम, भीतर रहस्यमयी और चतुर।
राकेश (नायक का मित्र) – हाल ही में प्रेमीका द्वारा त्यागा हुआ, परंतु चालाक।
विक्रम (नायिका का तथाकथित भाई/दोस्त/ प्रेमी) –344
गीता और प्रीति (राकेश की सहेलियाँ) – कहानी में भावनात्मक उतार-चढ़ाव लाने वाली सहायक पात्र।
मिस मेघा (गुरु/मार्गदर्शिका) – अर्जुन को सही रास्ता दिखाने वाली प्रकाशस्तंभ।
अध्यायों का खाका (Index/Contents)
1. प्रस्तावना – टूटा हुआ अतीत, नए सपनों की शुरुआत
2.पहली मुलाक़ात – मासूम चेहरा, गहरी पहेली
3.दोस्ती की नींव – विश्वास की डोर
4.प्रेम की आहट – अनजाने एहसास
5.नए पात्र की एंट्री – घायल मित्र राकेश
6.मायाजाल – दोस्ती, छल और आकर्षण
7.पर्दे के पीछे का सच – विक्रम की परछाई
8.धोखे का खुलासा – अर्जुन की आँखें खुलीं
9.दोषारोपण – समाज, मित्र और आत्मसंघर्ष
10.मार्गदर्शिका की सीख – अंधकार में प्रकाश
11.अंतिम निर्णय – एक रास्ता जो सब बदल देगा
12.उपसंहार – प्रेम, धोखा और आत्मबल का संदेश