Who is Buddha? in Hindi Fiction Stories by Yash Singh books and stories PDF | बुद्ध कौन

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बुद्ध कौन

 दुर्भाग्य है मेरे देश का जो बुद्ध को ना जान सका। हमने राम को जाना,हमने कृष्ण को जाना हमने नानक को जाना हमने मोहम्मद तक को जाना लेकिन जब बारी आयी बुद्ध को जानने की तो हम चूक गए। बुद्ध बड़े ही कड़वे लगे हमे।जो सत्य था बुद्ध ने वो वैसा का वैसा ही बोल दिया। जिस देश मैं बुद्ध को पूजा जाना था वहां उसका तिरस्कार हुआ लोगों ने पत्थर मारे। पश्चिम में जाकर उन्हें शरण लेनी पढ़ी।ये हमारा दुर्भाग्य ही तो है हम ने कंकड़ पत्थर को सम्भालने के चक्कर में हीरे को खो दिया।बुद्ध के जीवन से जुड़ा एक किस्सा याद आता है मुझे 
एक बार  गौतम बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ एक गाँव में गए। वहां सभी लोगों ने उनका आदर सत्कार किया और उनके खाने पीने की उचित व्यवस्था की जैसे ही साँझ हुई सभी लोग गौतम बुद्ध को घेरकर बैठ गए और उनके प्रवचन बड़े ही ध्यान से सुनने लगे । तभी उनमें से एक व्यक्ती खड़ा हुआ और बुद्ध को अपशब्द कहने लगा उसके तिरस्कार पर बुद्ध मुस्कुराए । उनको मुस्कराता हुआ देख उनके एक शिष्य ने पूछा,वो व्यक्ती तो आपको अपशब्द कह रहा है और आप मुस्करा रहे हैं । तब भगवान बुद्ध बोले जब हम कुम्हार के पास घड़ा लेने जाते हैं तो उसकी खूब परख करते हैं । जब एक दो रुपए की चीज को हम इतना परख कर लेते हैं तो किसी को गुरु बनाने से पहले क्यों ना परखें । बस वही परख वो आदमी कर रहा है मुझे अपशब्द कहकर । तो ऐसे थे गौतम बुद्ध जो किसी के तिरस्कार पर भी मुस्कुराते थे।ऐसे व्यक्ती से भला किसी को क्या दुश्मनी हो सकती है मुझे तो समझ नहीं आता।जरूर किसी के धर्म की दुकान बंद हो रही होगी।मैंने लोगों को देखा है भगवत गीता पर राजनीति करते हुए,मैंने लोगों को देखा है कुरान पर राजनीति करते हुए।धर्म और राजनीति का साथ शुरू से है। धर्म तो एक पुष्प की तरह है जहाँ भी खिलेगा खुशबू ही देगा।लेकिन लोगों ने धर्म को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ लिया है।
बुद्ध के जीवन से जुड़ा एक और किस्सा बताता हूँ 
एक बार बुद्ध के पास एक युवक आया और बोला तथागत मैं सफल होना चाहता हूँ ।मैंने अथक प्रयास किए सफल होने के लेकिन मैं सफल नहीं हो पाता सफ़लता मुझसे दूर भागती है। आखिर सफल होने का क्या राज है आप ही कुछ बताए। बुद्ध मुस्कुराए और बोले मैं तुम्हें सफल होने के तीन सूत्र बताता हूँ। नम्बर एक है अनुशासन। अनुशासन सफलता की सीढ़ी का पहला पायदान है जिस पर चढ़कर तुम सफलता का बिगुल बजाते हो। नम्बर दो, निरंतरता ।अपने लक्ष्य को पाने का निरंतर प्रयास करो। तभी तुम उसे पा सकोगे। नम्बर तीन, त्याग। सफ़लता त्याग मांगती है। सफ़लता हमेशा अकेले में ही गले लगाती है जबकि असफ़लता सबके सामने थप्पड़ मार जाती है।तो ये थे बुद्ध द्वारा दिए गए सफ़लता के सूत्र जिन्ह पर चलकर कोई भी साधारण सा व्यक्ती भी सफ़लता प्राप्त कर सकता है।आपने मेरी बाते बड़े ही ध्यान से सुनी मैं आशा करता हूँ कि आपको अच्छी लगी होगी।