कामिनी भाग 3
आकाश अपने मन में कई सवाल और कई ख्याल लेकर चला आता है और उन आभूषणों को अपने एक जाने पहचाने जोहरी-मित्र की दुकान पर ले आता है उसका मित्र आभुषणों को देखकर कहता है - "यह आभूषण अनमोल है, तुमने सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में सुना होगा यह आभूषण उसी काल के है, देखो! "इनके डिजाइन इन पर चिन्हित चिन्ह , और इन पर जो लिपि अंकित है वह सिंधु घाटी सभ्यता की है यह आभूषण लगभग 5000 या 6000 वर्ष पुराने हैं, दुनिया के बड़े-बड़े रिसर्चर, वैज्ञानिक, इतिहासकार तुम्हें इन आभूषणों की मुंह मांगी कीमत दे सकते हैं"।
"मुझे केवल 5 करोड़ रुपए चाहिए"। आकाश ने कहा
"अरे, बस 5 करोड़, इनके तो तुम्हें 50 करोड़ भी मिल सकते हैं"जोहरी ने उत्साह से कहा
"मुझे केवल पाच करोड़ चाहिए और वह भी जल्दी से जल्दी"। आकाश ने स्पष्ट भाव से कहा
"ठीक है, मुझे कल तक का समय दो मैं इंतजाम करता हूं"। जोहरी ने कहा
फिर आकाश अपने घर आता है और आकर अपनी मां के पैर छूता है
"आ गया बेटा तू, कैसा रहा तेरा अमेरिका का सफर"। मां ने कहा
"बहुत अच्छा रहा मां, आपके आशीर्वाद से 5 करोड़ का फायदा हुआ है, अब हम इस किराए के मकान को छोड़कर अपना खुद का नया मकान लेंगे, बहन रानी की शादी इतनी धूमधाम से करेंगे कि पूरा शहर याद रखेगा, और भाई मोहित का एडमिशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कराएंगे"। आकाश ने खुशी से कहा
"बेटा हमारी कितनी परवाह करता है तू, सौरभ के चले जाने के बाद तूने, दोस्त होकर भी उसकी सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली, हमने तो तुझे बचपन में थोड़ा सा सहारा दिया था, उसके बदले तूने बेटे से भी बढ़कर इस घर की हर जिम्मेदारी को निभाया है अब अपने बारे में भी कुछ सोच"। मां ने कहा
"आपने, मुझ बेसहारा, अनाथ को अपने बेटे की तरह प्यार दिया, मुझे, यहां रानी जैसी बहन मिली, सौरभ और मोहित जैसा भाई मिला, आप सब ने मुझ अनाथ को परिवार का प्यार दिया, उसके बदले में कुछ नहीं दे सकता, बस इस घर की थोड़ी सी जिम्मेदारी उठा कर खुश हो जाता हूं और मुझे खुशी मिलती है अब मुझे असली खुशी तो उसी दिन मिलेगी जिस दिन मैं अपने भाई सौरभ को यहां पर लेकर आऊंगा"आकाश मैं दृढ़ता से कहां
" 2 साल बीत गए हैं, उसे गए, आज तक कोई खबर नहीं आई, पता नहीं, अब तक जिंदा होगा भी या नहीं "।मां ने रोते हुए कहा
"मेरा दिल कहता है वह जिंदा है और मैं उसे जल्दी भू
ढुंढ लाऊंगा"। आकाश ने मां के आंसू पोछते हुए कहा
फिर आकाश अपने गुरु के पास आता है इस वक्त गुरुदेव एक पेड़ के नीचे ध्यान में मग्न है वह बिना कुछ कहे चुपचाप उनको हृदय में प्रणाम कर सामने बैठ जाता है कुछ देर बाद गुरुदेव ध्यान तोड़ते हैं और देखते हैं आकाश उनके सामने हाथ जोड़े प्रार्थना भाव से बैठा है
"मिल आए तुम, कामीनी से"। गुरुदेव ने पूछा
"जी गुरुदेव"।
"तुम मेरे पहले शिष्य हो जो वापस आ पाए हो, क्योंकि जो भी 20 वर्षीय युवक कामिनी के पास जाता है, वह उसे अपना गुलाम बना लेती है, फिर वह कभी लौट कर नहीं आ पाता, और अपना सब कुछ हार जाता है"। गुरुदेव ने कहा
"पर मैं उससे अपना सब कुछ हार कर नहीं उसे पूछना कर आया हूं"। आकाश ने आभूषण बाहर निकाल कर कहा
गुरुदेव आभूषणों को गौर से देखने के बाद कहते हैं
" पर यह आभूषण कामिनी के नहीं रात्रि के हैं"।
"क,,,क,,क,, क्या यहां आभूषण रात्रि के हैं आप रात्रि को कैसे जानते हो? आकाश भटकते हुए आश्चर्य भाव से पूछता है
"इन आभूषणों पर हड़प्पा लिपि में लिखा है, रात्रि के कंगन, रात्रि का करदोना, रात्रि के पायल, सभी आभूषणों पर रात्रि का नाम लिखा है, कौन है यहां रात्रि? क्या तुम उस से मिले हो? गुरुदेव ने प्रश्न किया
फिर आकाश सब कुछ विस्तार से बताता है और पूछता है - अब बताओ गुरुदेव, मेरा दोस्त आकाश कहां है, क्योंकि आपने शर्त रखी थी कि अगर मैं कामिनी से मिलकर वापस आ गया तो आप मुझे मेरे दोस्त के बारे में बताएंगे,"। आकाश ने जिज्ञासु भाव से प्रश्न किया
"तुम्हारे धैर्य, संयम, साहस और अनासक्त भाव अतुलनीय है इसीलिए मैं तुम पर प्रसन्न हूं अब मैं तुम्हें बताता हूं और तुम्हारी सारी जिज्ञासा समाप्त करता हुं, लगभग 2 वर्ष पहले मैं हिमालय से अपनी साधना कर आ रहा था, उसी ट्रेन में तुम्हारा दोस्त और उसके 3 साथी भी थे, जो अपनी जवानी की उर्जा को शराब के घुंटों और सिगरेट के धुएं में उड़ा रहे थे, वह चारों अपनी जवानी के नशे में इतने चूर थी कि उन्हें सही गलत तक का होश नहीं था, उनकी बदतमीजी, बेशर्मी, बेहुदगी से उस वक्त ट्रेन में मौजूद, आसपास के सभी लोग परेशान थे, तभी हमारी ट्रेन एक स्टेशन पर रूकती है और तुम्हारा दोस्त सौरभ भी नीचे उतर जाता है,
एक महिला तुम्हारे दोस्त से कहती है - "ओ, परदेसी बाबू, वापस ट्रेन में आ जाओ, इस गांव में एक चुड़ैल रहती है जो 20 साल के लड़के का दिल निकाल कर खा जाती है।
उस महिला की बात सुनकर तुम्हारा दोस्त कहता है -"ओह रियली"! "आ जाओ मेरे दोस्तों, आज हम इस गांव की चुड़ैल के साथ रासलीला मनाएंगे और फुल इंजॉय करेंगे,
फिर वह तीन युवक भी ट्रेन से उतर जाते हैं और गांव की तरफ बढ़ने लगते हैं उन चारों को उतरते ही काले बादल काल की तरह पूरे गांव पर छा जाते हैं, तेज बारिश होने लगती है और बिजली कड़कड़ाती लगती है तभी ट्रेन में बैठा एक वृद्ध यात्री कहता है -"यह चारों नवयुवक अपनी मृत्यु ओर जा रहे हैं, इस गांव में एक पिशाचीनी रहती है, वह इनके दिल निकाल कर खाया जाएगी, कोई रोको इन्हें"।
वृद्ध यात्री का यह वाक्य सुनकर मेरी नजर, अपने कमंडल पर पड़ती है और अचानक मेरे कमंडल का जल खून में बदल जाता है और मुझे भली-भांति यह ज्ञात हो जाता है कि इस गांव में जरूर कोई बुरी शक्ति है इसीलिए मैं भी उस स्टेशन पर उतर जाता हूं और कोए का रूप धारण करके वायु मार्ग से तुम्हारी दोस्त और उसके मनचले साथियों का पीछा करता हूं।
जैसे ही वह चारों गांव के नजदीक पहुंचते हैं, अचानक काले बादल छट जाते हैं और मौसम साफ हो जाता है, फिर उन चारों को नदी के घाट पर चार अति सुंदर युवतीया स्नान करती दिखाई देती है यह देख इन चारों की आंखों मैं कामुकता का नशा भड़क उठता है, फिर यह चारों अपने बैग में रखी शराब की बोतलों को गट गट पी जाते हैं वरुण सुंदर युवतियों की ओर बढ़ते हैं, जैसे भूखे भेड़िए अमृत शवों को देखकर उन पर टूट पड़ते हैं ,ठीक उसी प्रकार यह चारों उन सुंदर युवतियों का शिकार करने की अभिलाषा से उनकी ओर बढ़ते हैं पर वह चारों अर्ध नग्न सुंदरिया इनको अपनी ओर आता देख जरा भी भयभीत नहीं होती बल्कि वह अपनी सुंदर मुस्कान से मानो इनको अपनी और आमंत्रित कर रही हो,
उनमें से एक युवती इन चारों से मुखातिब होकर कहती है -"अगर तुम्हारा सच्चा दिल हो, तो ही हमारे पास आना, हम झूठे दिलवालों की कद्र नहीं करती है"
उन चारों अति सुंदर युवतियों के गोरे बदन पर काले वस्त्र लिपटे थे, इस कारण उनका गोरा रंग ऐसे चमक रहा था जैसे अंधेरे में कोई दीपक चमकता है, उनके उभरे हुए स्तन, कसा हुआ संतुलित बदन, देखकर यह चारों अपना होश खो बैठते हैं और चारों पानी में एक साथ कुद जाते हैं, तभी एक युवती साहस के साथ कहती है - " ओ परदेसी बाबू"! "तुम्हारे शहर की लड़कियां होगी ऐसी वैसी, हम गांव की लड़कियां शादी के बाद ही मिलन करती हैं, अगर हमसे मिलन करना चाहते हो तो पहले हम से शादी करनी होगी"।
पर नशे में धुत यह चारों उनकी एक नहीं मानते और जिसके हाथ जो युवती लगती है, उसके साथ बेशर्म हरकत करने लगते हैं, अपनी लाज को बचाने के लिए वह चारों युवतीया जोर-जोर से सहायता की पुकार करने लगती है पर वहां मानो उन चारों की पुकार किसी को सुनाई नहीं दे रही थी, फिर यह चारों जोर जबरदस्ती से उन अति सुंदर कोमल युवतियों को घसीटते हुए नदी से बाहर ले आते हैं और जोर, जबरदस्ती करने लगते हैं, तभी अचानक उन चारों युवतियों के स्वर बदल जाते हैं और वह उन चारों से प्रेम पूर्वक निवेदन करते हुए करती है।
"हमारे गांव की यह परंपरा है कि जो युवक हमें नदी से जबरदस्ती बाहर निकाल कर लाता है, हम उससे मिलन करती हैं, इसीलिए हम, तुमसे मिलन करने की इच्छुक हैं,। "चलो गांव के खंडहरों में चलते हैं वहां कोई भी आता जाता नहीं है, वहां हमें मिलन करने में कोई परेशानी नहीं होगी"।
फिर वह चारों युवक उन चारों सुंदरियों को अपने हाथों में उठाकर खंडहरों में ले आते हैं और उन युवतियों के बदन पर जो थोड़े से कपड़े शेष थे, उन्हें निकाल फेकते हैं ,उन अति सुंदर स्त्रियों को निर्वस्त्र देख इन चारों के मुंह से लार टपकने लगती है जैसे नरम हड्डी को देखकर कुत्ते की लार टपकती है यह चारों युवक युवतीया जिस्मानी संबंधों की सारी हदें पार कर देते हैं और अपनी वासना को पूर्णतया शांत करते हैं।
मिलन हो जाने के बाद चारों युवतीया उन चारों युवकों से विवाह की इच्छा प्रकट करती हैपर उनका प्रस्ताव सुनकर वह चारों युग जोर जोर से हंसने लगते हैं और एक स्वर में अलग-अलग स्थानों पर एक साथ कहते हैं।
"गांव की बेवकूफ, लड़कियों हमारे लिए किसी से भी मिलन करना एक साधारण बात है पर सच कहूं तो तुमने जो नशा है, मजा है, वह शहर की लड़कियों में नहीं है जिंदगी भर याद रहेगा आज का दिन,। युवक ने कपड़े पहनते हुए कहा
"अगर जिंदगी रहेगी तो जिंदगी भर याद रखोगे आज का दिन"। युवतियों ने कहा
"चारों को मारकर यहीं दफना देंगे किसी को पता भी नहीं चलेगा, अगर जान प्यारी है तो चुपचाप रहना, ऑल द बेस्ट, बाय, कभी मन किया तो फिर आएंगे। युवकों ने कहा
तभी चारों युवकों के कानों में उन युवतियों के हंसने की आवाज सुनाई देती है और जैसे ही यह चारों युवक पलट कर देखते हैं तो उनके होश उड़ जाते हैं, क्योंकि उन चारों युवतियों के मुंह से सिंह जैसे बड़े-बड़े नुकीले दांत उभर आए हैं, उन युवतियों ने पिशाचीनीयों का रूप धारण कर लिया है उनका यह भयानक रूप देखकर चारों का पसीना छूट जाता है तभी वह युवतीया अलग-अलग स्थानों पर एक साथ, एक ही समय में, उन चारों से एक ही बात कहती है "शहर के भेड़ियों, तुम्हें क्या लगता है, तुमने हमारा शिकार किया है, अरे शिकार तो हम करती है, तुम जैसे बेवकूफो का और उनका ताजा दिल निकाल कर खाती है"। उन चारों पिशाचीनीयो ने भयानक डरावनी आवाज में कहा
उन सुंदर युवतियों का यह भयानक रूप देखकर, सब के गले सूख जाते हैं, भय के कारण वह भागना तो दूर हिल तक नहीं पाते हैं पर सौरभ अपनी डरी, सहमी आवाज में केवल इतना कह पाता है कि - " मुझे माफ कर दो, मेरी एक बहन है, छोटा भाई है, विधवा मां है, मुझ पर मेरे घर की जिम्मेदारी है"। इसीलिए वह पिशाचीनी उन तीनों युवकों के दिल निकाल कर खा जाती है पर वह सौरभ को माफ कर देती है और उसे हमेशा के लिए अपना गुलाम बना लेती है,मैंने उन चारों को बचाने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग किया था पर मेरी कोई भी शक्ति उस वक्त प्रकट ही नहीं हो पाई, जैसे वह घटना कोई विधि का विधान है, फिर मैंने भी उसे नियति मानकर स्वीकार कर लिया और सबसे खास बात, वह पिशाचीनी और कोई नहीं कामिनी है जिससे तुम मिल कर आए हो। गुरुदेव ने विस्तार से बताया
यह सुनते ही आकाश का होश उड़ जाता है उसके चेहरे पर पसीना आ जाता है उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है क्योंकि जिससे उसने सच्चा प्रेम किया वही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन निकली।
"क्या आकाश कामिनी की सच्चाई जानकर उससे मिलने फिर लाल टेकरा गांव जाएगा"?
क्या आकाश अपने दोस्त स्वरूप को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालेगा
"आखिर क्या राज है कामिनी का, जो वह सच्चे दिल वालों को सब कुछ देती है और झूठे दिल वालों के दिल निकाल कर खा जाती है"?
"आखिर क्या रहस्य है सिंधु घाटी सभ्यता और लाल टेकरा गांव का"?
"कौन है,? "यह गुरुदेव"! जो भूत, भविष्य, वर्तमान काल के इतने बड़े ज्ञाता हैं"?
इन सभी रहस्य को जानने के लिए पढ़ते रहिए
"कामिनी एक अजीब दास्तान"।