Luck Ka Khel: The Unlucky Millionaire - Part 1 in Hindi Horror Stories by Arkan books and stories PDF | Luck Ka Khel: The Unlucky Millionaire - Part 1

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Luck Ka Khel: The Unlucky Millionaire - Part 1

अध्याय 1: एक आम आदमी की सुबह
सुबह के सात बजे थे। अलार्म की चीख ने जय मेहता की नींद तोड़ दी। आँखें मलते हुए वह उठा, और हमेशा की तरह, पहले बाथरूम में जाने से पहले उसने अपनी जेब टटोली। "बीस रुपये..." उसने बुदबुदाते हुए कहा। "लगता है आज का दिन भी कल जैसा ही होगा।" यह बीस रुपये उसकी दिनभर की कमाई थी, जो उसने कल शाम एक ग्राहक को चाय पिलाने के बदले में कमाए थे।
जय की उम्र बाईस साल थी। वह एक छोटे से शहर से मुंबई आया था, बड़े सपने लेकर। लेकिन मुंबई ने उसे सिर्फ़ छोटे-मोटे काम दिए थे। कभी वह किसी दुकान पर सामान पहुँचाता, तो कभी किसी होटल में बर्तन धोता। फिलहाल, वह एक छोटी सी चाय की दुकान पर काम कर रहा था। उसका काम सिर्फ़ चाय बनाना और ग्राहकों को देना नहीं था, बल्कि वह दुकान की साफ़-सफ़ाई भी करता था। उसकी कमाई इतनी कम थी कि वह सिर्फ़ अपने लिए दो वक्त की रोटी और एक छोटी सी झुग्गी का किराया दे पाता था।
जय की दिनचर्या हमेशा एक जैसी थी। सुबह जल्दी उठकर, वह झुग्गी के बाहर रखे पानी से मुँह धोता और फिर सीधा चाय की दुकान की तरफ भागता। आज भी वह यही कर रहा था। लेकिन आज की सुबह थोड़ी अलग थी। उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह अपनी प्रेमिका, प्रिया, से मिलने वाला था। प्रिया, जो उसके जीवन की इकलौती उम्मीद थी।
रास्ते में चलते हुए, जय अपने सपनों में खो गया। उसने और प्रिया ने मिलकर कई सपने देखे थे। एक बड़ा घर, एक छोटी सी गाड़ी और एक अच्छी नौकरी। ये सपने उसे हमेशा मुस्कुराने पर मजबूर कर देते थे। "बस, आज प्रिया से बात करूँगा," उसने खुद से कहा। "उसे बताऊंगा कि मैंने एक नई नौकरी के लिए आवेदन किया है।"
लेकिन जय के पैरों में आज थोड़ी सुस्ती थी। वह जानता था कि प्रिया के माता-पिता उनकी शादी के लिए कभी राज़ी नहीं होंगे। "एक चायवाले से अपनी बेटी की शादी कौन करवाएगा?" यह सवाल उसके दिमाग में हमेशा घूमता रहता था।
चाय की दुकान पर पहुँचकर, जय ने जल्दी से दुकान खोली और चाय बनाना शुरू कर दिया। सुबह-सुबह कुछ ग्राहक आए, और जय ने उन्हें मुस्कुराते हुए चाय दी। लेकिन उसका दिमाग आज काम में नहीं लग रहा था। वह प्रिया से मिलने की बेचैनी में था।
दोपहर का समय हुआ। जय ने दुकान के मालिक से छुट्टी ली और प्रिया से मिलने के लिए निकल पड़ा। रास्ते में उसने एक लाल गुलाब खरीदा। "यह गुलाब मेरी ज़िंदगी में रंग भर देगा," उसने सोचा।
जब वह प्रिया के घर पहुँचा, तो वह चौंक गया। प्रिया अपने घर के बाहर खड़ी थी, लेकिन उसके साथ कोई और भी था। एक लंबा, सांवला लड़का, जिसकी गाड़ी बिल्कुल नई थी। वह लड़का जय को देखते ही मुँह मोड़ लेता है, लेकिन जय को कुछ समझ में नहीं आया। वह प्रिया के पास गया और उसने गुलाब का फूल उसे दिया।
"प्रिया," जय ने धीरे से कहा, "मैं तुमसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहता हूँ।"
प्रिया ने जय को एक सूखी मुस्कान दी। "जय, मुझे तुमसे भी कुछ ज़रूरी बात करनी है।"
प्रिया के चेहरे पर एक अजीब सी गंभीरता थी, जो जय को डरा रही थी। उसकी आँखें लाल थीं, जैसे वह बहुत रोई हो। जय का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।
"प्रिया, क्या हुआ?" जय ने पूछा।
प्रिया ने अपने होंठ भींचे और फिर धीरे से कहना शुरू किया। "जय, हमारे रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है। मेरे माता-पिता ने मेरी शादी तय कर दी है।"
जय को लगा जैसे किसी ने उसके सर पर हथौड़ा मार दिया हो। "क्या... क्या कह रही हो तुम?" उसकी आवाज़ लड़खड़ाने लगी।
"हाँ," प्रिया ने कहा। "और वह मेरा मंगेतर है।" प्रिया ने उस लंबे लड़के की तरफ़ इशारा किया। "उसके पास अपना घर है, गाड़ी है, और एक अच्छी नौकरी है। तुम... तुम मुझे कुछ नहीं दे सकते।"
यह सुनकर, जय के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह उस गुलाब के फूल को देखता रहा, जो अब बेजान सा लग रहा था। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
प्रिया ने कहा, "यह सब तुम्हारे लिए ठीक है, लेकिन मेरे लिए नहीं। मैं और ग़रीबी में नहीं जी सकती।"
जय ने सिर्फ़ एक बात कही, "क्या हमारा प्यार इतना कमज़ोर था कि पैसों के आगे हार मान गया?"
प्रिया ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने बस अपनी आँखें झुका लीं।
जय का दिल टूट गया। वह बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया। वह अपनी बाइक पर बैठकर तेज़ी से घर की तरफ़ भागा, लेकिन आज उसकी बाइक भी उसकी तरह ही धीमी और थकी हुई थी। उसकी आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे और वह खुद से ही सवाल पूछ रहा था, "क्या मैं सच में इतना अनलकी हूँ?"
आपको क्या लगता है? क्या प्रिया ने जय के साथ जो किया वह सही था? और अब इस धोखे के बाद जय क्या करेगा?