Black Love - 2 in Hindi Horror Stories by BleedingTypewriter books and stories PDF | Black Love - 2

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Black Love - 2

घर का माहौल अब और भी भारी हो चुका था।  
लिविंग रूम में, अर्जुन, अमन और रि‍या—तीनों एक-दूसरे के क़रीब बैठे थे, लेकिन तीनों के चेहरों पर अलग-अलग किस्म का डर साफ़ नज़र आ रहा था।  
रि‍या की आंखें सूज चुकी थीं, आँसू उसके गालों पर बहते-बहते सूख चुके थे।  
  
अर्जुन के हाथ में मोबाइल था। काँपते हाथों से उसने कॉल रिसीव किया।  
जैसे ही दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, तीनों एक साथ बोल पड़े—  
रि‍या (रोते हुए) – "बाबा... हमें बचाइए, प्लीज़!"  
अमन – "बाबा जी! यहां जल्दी आइए...!"  
अर्जुन – "बाबा जी, एक आत्मा रि‍या को मारना चाहती है।"  
  
फोन के दूसरी तरफ़ से, गहरी, धीमी और स्थिर आवाज़ आई—  
बाबा – "तुम सब शांत हो जाओ। मुझे सब पता है... वहां क्या चल रहा है। तुम्हारे घर की हवाओं ने मुझे सब बताया है।"  
  
अर्जुन ने घबराहट में पूछा—  
अर्जुन – "तो... आप आ रहे हैं ना?"  
  
बाबा – "नहीं... हम अभी नहीं आ सकते। हम बहुत दूर हैं। हमें आने में सुबह हो जाएगी। और वो आत्मा... बारह बजे का इंतज़ार कर रही है। बारह बजते ही जो वो करने आई है, वही करेगी।"  
  
रि‍या की सांसें तेज़ हो गईं—  
रि‍या – "बाबा... वो मुझे लेने आई है... मैं क्या करूँ?"  
  
बाबा – "हाँ... वो तुम्हें लेने आई है। तुम्हें ज़रूर जानती होगी... किसी चीज़ से, किसी रिश्ते से जुड़ी होगी। लेकिन याद रखो—बारह बजे के बाद वो तुम्हें मार देगी।"  
  
अमन ने बीच में पूछा—  
अमन – "तो हम क्या करें, बाबा जी? कोई रास्ता बताइए!"  
  
अर्जुन ने दृढ़ आवाज़ में कहा—  
अर्जुन – "मैं रि‍या को कुछ नहीं होने दूँगा। आप जो कहेंगे, मैं करूँगा। अपनी जान भी दे दूँगा, लेकिन रि‍या को बचा लूँगा।"  
  
बाबा की आवाज़ में एक तात्कालिकता थी—  
बाबा – "कुछ समय पहले मैंने रि‍या को एक पवित्र जल (Holy Water) की बोतल दी थी... ताकि घर में कोई नकारात्मक शक्ति न आ सके। उस जल से कमरे में एक गोला बना लेना। उस गोले के अंदर आत्मा नहीं आ सकती। और याद रखना—तुम लोग बारह बजे से पहले उस गोले से बाहर मत निकलना... ख़ासकर रि‍या। इस आत्मा को मारा नहीं जा सकता। तुम्हें बस सुबह तक बचकर रहना है। मैं सुबह तक पहुँच जाऊँगा... लेकिन ध्यान रहे—वो बारह बजे से पहले हर कोशिश करेगी... रि‍या को अपने साथ ले जाने की।"  
  
अगले ही पल... लाइन कट गई।  
  
अर्जुन ने फौरन रि‍या से पूछा—  
अर्जुन – "Holy Water कहाँ है?"  
  
रि‍या ने हड़बड़ाकर कहा—  
रि‍या – "वो... स्टोर रूम में है... घर के सबसे कोने वाले कमरे में।"  
  
अमन ने हैरानी से कहा—  
अमन – "इतनी ज़रूरी चीज़ तुमने स्टोर रूम में रखी हुई है?"  
  
रि‍या – "शांत..." (आवाज़ काँप रही थी)  
  
अर्जुन ने घड़ी की तरफ़ देखा—  
अर्जुन – "हमें अभी जाना होगा... इससे पहले कि परछाईं फिर वापस आ जाए। अभी 11 बजे हैं... हमारे पास सिर्फ एक घंटा है।"  
  
रि‍या ने धीरे से कहा—  
रि‍या – "हम सब साथ चलेंगे।"  
  
अमन ने हामी भरी—  
अमन – "हाँ... वही Holy Water से गोला बना लेंगे और बैठ जाएंगे... सुबह तक बाबा भी आ जाएंगे।"  
  
अर्जुन ने सिर हिलाया—  
अर्जुन – "ठीक है... चलो।"  
  
  
---  
  
स्टोर रूम की ओर  
  
कॉरिडोर की लाइट बार-बार जल और बुझ रही थी, जैसे किसी अदृश्य हाथ से नियंत्रित हो रही हो।  
स्टोर रूम का दरवाज़ा आधा खुला था, लेकिन उसके अंदर का अंधेरा... बाकी घर से भी गहरा लग रहा था।  
  
अमन ने धीमी आवाज़ में कहा—  
अमन – "कहीं ऐसा तो नहीं... परछाईं यहीं हो? ये जगह... इसकी खास जगह लग रही है।"  
  
अर्जुन ने उसे शांत कराया—  
अर्जुन – "अमन... चुप रहो, रि‍या डर रही है।"  
  
अमन ने बिना और बोले हामी भर दी।  
  
अर्जुन आगे-आगे था, रि‍या उसका हाथ पकड़े हुए पीछे चल रही थी। अमन सबसे पीछे... लेकिन उसके कदम सावधान और धीमे थे।  
  
जैसे ही वे स्टोर रूम के पास पहुँचे—  
अंधेरे में... दो लाल, जलते हुए आँखें चमकने लगीं।  
  
रि‍या की चीख फूट पड़ी—  
रि‍या – "वो... देखो!"  
  
अर्जुन ने उसे अपने पीछे कर दिया—  
अर्जुन – "डरो मत!"  
  
परछाईं अब उसके सामने थी।  
अंधेरे से निकली... ठंडी हवा के साथ, उसकी नज़रें सीधे अर्जुन की आँखों में गड़ी थीं।  
  
रि‍या ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं।  
अर्जुन बिना पलक झपकाए, उस नज़र को झेल रहा था।  
  
अचानक... परछाईं मुस्कुराई।  
लेकिन उसका अगला कदम किसी ने सोचा भी नहीं था—  
  
वो तेज़ी से अमन की तरफ़ बढ़ी।  
एक पल में, अमन का पैर ज़मीन से उखड़ गया।  
वो हवा में उठा और चीखता हुआ दूर... अंधेरे में खिंचने लगा।  
  
अमन (चिल्लाते हुए) – "छोड़ो मुझे! अर्जुन... बचाओ!"  
  
अर्जुन दौड़ा—लेकिन अमन और परछाईं, दोनों... उसी क्षण हवा में घुल गए।  
  
पीछे से रि‍या की कांपती आवाज़ आई—  
रि‍या – "अर्जुन... मुझे छोड़ के मत जाओ!"  
  
       अर्जुन ने रिया के काँपते हुए हाथ को कसकर पकड़ रखा था।
उसकी आँखों में डर साफ़ झलक रहा था, लेकिन आवाज़ में दृढ़ता थी।
अर्जुन (तेज़ साँसों के बीच)
“हमें अमन को ढूँढना होगा… वो परछाई उसे कुछ कर न दे!”
रिया ने उसकी ओर सिर झटकते हुए देखा, आँखें आँसुओं से भरी हुईं।
“नहीं… हम अभी वहाँ नहीं जा सकते। देखो… परछाई उसे स्टोर रूम से ले गई है… अभी वो वहाँ नहीं है।
हमें पहले जल्दी से ‘होली वॉटर’ लेना होगा… फिर हम अमन को बचाएँगे।“
अर्जुन ने अपने भीतर का डर और गुस्सा निगला।
“ठीक है… जल्दी करो!”
दोनों भारी क़दमों से स्टोर रूम में दाख़िल हुए।
कमरा स्याह अँधेरे में डूबा हुआ था।
रिया ने घबराते हुए दीवार टटोली, फिर स्विच दबाया।
क्लिक…
लाइट टिमटिमाई, फिर धीरे-धीरे जल उठी।
पीले बल्ब की रोशनी में पुराने डिब्बे, टूटे फर्नीचर और धूल से भरे बक्से सामने आ गए।
अर्जुन और रिया ने नज़रें दौड़ाईं—उन्हें उस एक छोटी, पारदर्शी बोतल की तलाश थी जिसमें बाबा का दिया हुआ पवित्र जल था।
---
उधर, दूसरी तरफ…
अमन को परछाई ने लगभग घसीटते हुए छत वाले कमरे में फेंक दिया।
वो ज़मीन पर बुरी तरह गिरा, उसके नाक से गरम खून की एक पतली धार बहने लगी।
पीठ और कंधों के पीछे की त्वचा जगह-जगह से छिल चुकी थी।
दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था कि मानो सीने से बाहर निकल जाएगा।
वो दर्द से कराहते हुए उठने की कोशिश करता है।
“को… कौन… हो तुम? ये सब… क्यों कर रहे हो?”
अंधेरे में वही ठंडी, भारी आवाज़ गूँजी—जिसमें न इंसानी गर्माहट थी, न रहम।
धीरे-धीरे, काली धुँध से बनी आकृति उसके सामने उभर आई।
उसकी लाल आँखें सीधे अमन की आत्मा में झाँक रही थीं।
परछाई (गहरी, मर्दाना और ज़हरीली आवाज़ में)
“कैसा है, अमन? मुझे पहचानता है… या भूल गया?
क्योंकि… मैंने तो तुझे कभी नहीं भुलाया।“
अमन ने पसीना पोंछते हुए सिर उठाया।
“तुम… मुझे जानते हो? कौन हो तुम?
और रिया के पीछे क्यों पड़े हो?”
परछाई एक क़दम आगे बढ़ा, उसकी छाया अमन के चेहरे पर पड़ गई।
“सवाल बहुत कर रहा है तू… जवाब भी मिलेंगे।
लेकिन उससे पहले… तुझे एहसास कराना होगा कि तू किससे उलझ गया है।
बीच में टाँग अड़ाई, तो… अगला पल तेरा आख़िरी होगा।“
अमन की साँसें तेज़ हो गईं।
“तुम… मुझे कैसे जानते हो? क्या… हम पहले मिले हैं?”
परछाई के होंठों पर एक ठंडी, खौफ़नाक मुस्कान आई।
“जल्दी ही सब जान जाएगा… लेकिन उसके बाद तुझे जीने का वक़्त नहीं बचेगा।“
ये कहकर वो धुएँ की तरह हवा में घुल गया।
अमन थका हुआ, चोटों से कराहता, कमरे के कोने में घुटनों के बल गिर पड़ा।
उसकी पलकों पर बोझ था, लेकिन मन में डर की चुभन नींद को कोसों दूर रख रही थी।
रिया के काँपते हुए हाथों ने धीरे से एक धूल जमे लकड़ी के बक्से को खिसकाया।
पुराने लोहे के किनारों से घुर्र जैसी आवाज़ निकली, और जैसे ही बक्सा एक ओर सरका, उसके नीचे धूल से सना एक काँच का बोतल चमक उठा।
रिया की साँस अटक गई।
“अर्जुन… देखो!” उसकी आवाज़ फुसफुसाहट और राहत, दोनों का मेल थी। “ये रहा… होली वॉटर!”
अर्जुन ने पलभर भी बर्बाद नहीं किया। झुककर बोतल उठाई, उसकी उंगलियाँ उसे ऐसे पकड़ रही थीं जैसे यह किसी चाबी की तरह जान बचाने का एकमात्र जरिया हो।
“अच्छा है… अब यहाँ रुकने का टाइम नहीं। चलो!” उसने तेज़, निर्णायक लहजे में कहा। “हमें अमन को ढूँढना है।“
रिया ने जल्दी से सिर हिलाया और दोनों तेज़ क़दमों से स्टोर रूम से निकल आए।
---
दालान में आते ही अर्जुन की आवाज़ गूँज उठी—
“अमन! कहाँ हो तुम? सुन सकते हो हमें?”
उसकी पुकार वीरान घर की ठंडी, गीली दीवारों से टकराकर लौटी।
कोई जवाब नहीं।
बस ऊपर कहीं लकड़ी के चरमराने की हल्की आवाज़… जैसे कोई धीरे-धीरे चल रहा हो।
दोनों ड्रॉइंग रूम तक पहुँचे। रिया की आँखें बेचैनी से चारों तरफ़ दौड़ रही थीं, जैसे परछाइयों में किसी को तलाश रही हों।
“नीचे के सारे कमरे देख लिए,” रिया ने धीमे, काँपते स्वर में कहा। “वो छत वाले कमरे में ही होगा… पक्का।“
अर्जुन ने बिना पलक झपकाए उसकी तरफ़ देखा।
“चलो।“ उसकी आवाज़ में कोई सवाल नहीं, बस आदेश था।
रिया ने अचानक उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी हथेली ठंडी थी और उंगलियाँ थोड़ी-सी काँप रही थीं।
“अर्जुन… 12 बजने में बस 15 मिनट बचे हैं।“ उसकी आँखें डर से फैली हुई थीं। “वो मुझे ले जाएगी… मुझे सच में बहुत डर लग रहा है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि… परछाई ने अमन को पहले ही—“ वह वाक्य अधूरा छोड़ देती है। “शायद… हमें यहीं रुकना चाहिए।
हम होली वॉटर से यहाँ एक सेफ़ लाइन बना लें।“
अर्जुन का चेहरा जैसे पत्थर बन गया।
“नहीं,” उसने सख़्त स्वर में कहा, “अमन मरा नहीं है।“
वो एक क्षण रुका, जैसे सोच रहा हो, फिर गहरी साँस लेकर बोला, “लेकिन… तुम सही हो, बस 15 मिनट हैं।“
उसने बोतल खोली, और बहुत सावधानी से पानी को फ़र्श पर गोल आकार में गिराने लगा।
हर बूँद गिरते ही हल्की-सी ठंडी भाप उठ रही थी—मानो अदृश्य हथियार किसी अदृश्य दुश्मन से टकरा रहा हो।
उसने रिया को उस घेरे के अंदर खड़ा किया।
“लाइन से बाहर मत आना,” अर्जुन की आवाज़ अब और धीमी लेकिन और भारी हो गई थी। “वो परछाई तेरे पीछे है। मैं… अमन को लेकर आता हूँ।“
रिया ने झट से उसकी कलाई पकड़ ली।
“नहीं! अर्जुन… तुम यहीं रहो!”
अर्जुन ने उसकी ओर देखा—आँखों में नमी थी, पर उसमें एक अटूट वादा भी था।
उसने बिना कुछ कहे अपना हाथ छुड़ाया, और सीढ़ियों की ओर बढ़ गया।
उसके जूतों की ठक-ठक सीढ़ियों पर ऊपर जाती रही… और फिर धीरे-धीरे छत की ख़ामोशी में गुम हो गई।
ड्रॉइंग रूम
रिया अकेली बैठी थी। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था, और दिमाग़ में बस एक ही सवाल घूम रहा था—
क्या अमन ठीक होगा? कहीं अर्जुन को भी वो परछाई कुछ न कर दे…
उसकी नज़रें चारों ओर घूम रही थीं। हर परछाई उसे किसी डरावनी शक्ल में बदलती दिख रही थी। घर की ख़ामोशी में उसकी साँसों की आवाज़ भी उसे भारी लगने लगी थी।
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छत का कमरा
अर्जुन, होली वॉटर की बोतल को दोनों हाथों में कसकर पकड़े, आवाज़ लगाता हुआ आगे बढ़ा—
“अमन! क्या तुम यहाँ हो?”
कमरे के कोने से एक धीमी, टूटी-सी आवाज़ आई—
“अर्जुन… मैं यहाँ हूँ…”
अर्जुन तुरंत कमरे में दाख़िल हुआ।
“अमन! तुम ठीक हो?”
अमन की साँसें भारी थीं, पर वो मुस्कुराने की कोशिश कर रहा था।
“हाँ… ज़िंदा हूँ। बस… मरते-मरते बचा हूँ। तुम्हें पता है, वो परछाई मुझे जानती है।“
अर्जुन ने हैरानी से पूछा—
“क्या? लेकिन वो तुम्हें कैसे जान सकती है?”
अमन ने सिर हिलाया—
“मुझे नहीं पता… पर कुछ तो है, जो वो छुपा रही है।“
अर्जुन ने समय देखते हुए कहा—
“ठीक है, पहले नीचे चलते हैं। रिया अकेली है… और 12 बजने ही वाले हैं।“
“क्या तुम चल सकते हो?” अर्जुन ने पूछा।
“हाँ… बस थोड़ा सहारा चाहिए,” अमन ने जवाब दिया।
अर्जुन ने उसे कंधे का सहारा दिया, और दोनों धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतरने लगे।
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ड्रॉइंग रूम
रिया अचानक चौंक उठी। कहीं से एक तेज़, चीख़ जैसी आवाज़ आई—
“रिया! मुझे बचाओ… जल्दी आओ!”
रिया झटके से खड़ी हो गई।
“अर्जुन! तुम ठीक हो?… मैं आ रही हूँ!”
उसने नीचे नज़र डाली, होली वॉटर की लाइन उसके पैरों के चारों ओर चमक रही थी। उसने एक पल को रुकने की कोशिश की, लेकिन तभी एक और ज़ोरदार चीख़ कमरे में गूंज उठी—
“रिया! तुम्हारी वजह से ये सब हो रहा है!”
रिया की आँखों में डर भर गया।
“नहीं, अर्जुन!… मैं आ रही हूँ!”
उसने होली वॉटर की सीमा लांघ दी और सीढ़ियों की ओर बढ़ी।
तभी अर्जुन और अमन ने उसे देखा।
“रिया! क्या हुआ?… जल्दी होली वॉटर के घेरे में वापस जाओ!” अर्जुन चिल्लाया।
रिया ने मुड़कर देखा, लेकिन तभी किसी अदृश्य ताकत ने उसे पीछे से ज़ोर से धक्का दिया।
वो घसीटती हुई ज़मीन पर गिरी—सीधे होली वॉटर से बहुत दूर।
“रिया!” अर्जुन चीख पड़ा।
अमन ने हड़बड़ी में कहा—
“अर्जुन! रिया को बचाओ!”
ड्रॉइंग रूम – मौत से पहले की आखिरी जंग
कमरे में धुएँ जैसी ठंडी परछाइयाँ लिपटी हुई थीं।
पीली-सी रोशनी झूलते बल्ब से टूट-टूटकर फर्श पर गिर रही थी।
बाहर तूफ़ान था—लेकिन कमरे के अंदर, तूफ़ान और भी भयानक था।
अर्जुन, पागलों की तरह रिया की तरफ़ भागा।
उसके पैरों की रफ्तार में डर से ज़्यादा एक अजीब-सी बेताबी थी—
जैसे देर हुई तो… वो हमेशा के लिए उसे खो देगा।
लेकिन तभी—
एक काले धुएँ की लहर उसके सामने आकर खड़ी हो गई।
वो परछाई थी।
उसकी आवाज़ बर्फ़ से भी ठंडी और ज़हर से भी गहरी—
“अभी वक़्त नहीं आया है…”
अर्जुन ने जैसे अपने सीने में उमड़ते ग़ुस्से को शब्दों में उंडेल दिया—
“छोड़ दे रिया को! उसने तेरा क्या बिगाड़ा है?”
एक झटके में हवा का तेज़ थपेड़ा अर्जुन को पीछे धकेल देता है।
उसकी पीठ दीवार से टकराती है, लेकिन…
उसकी नज़रें परछाई से हटती नहीं।
वो फिर से आगे बढ़ता है।
परछाई गुर्राई—
“दूर हट… वरना मार दूँगा!”
उसकी आँखें ऐसे जल रही थीं जैसे अंधेरे में आग के दो गोल टुकड़े हों।
पीछे से अमन की आवाज़ टूटी—
“अर्जुन! ये हमें नहीं मारेगा… कुछ है जो इसे रोक रहा है। ये सिर्फ़ रिया के लिए आया है।“
परछाई ने गरजकर कहा—
“ऐसा कुछ नहीं है… मैं तुझे भी मार सकता हूँ!”
अर्जुन ने उसकी आँखों में गहराई तक झाँका, और धीमे लेकिन यकीन के साथ बोला—
“नहीं… तेरे पास बहुत मौके थे मुझे मारने के। सीढ़ियों से गिरते वक़्त तूने मुझे बचाया… अमन को भी नहीं मारा। तू बस रिया के पीछे है। और अब… 12 बजने वाले हैं—तेरा पहला निशाना रिया ही होगी, है न?”
परछाई ने ऐसा ठहाका लगाया कि कमरे की हवा काँप उठी।
“समय आने वाला है! मेरा प्यार हमेशा के लिए मेरा हो जाएगा… कोई नहीं रोक सकता… कोई नहीं!”
अर्जुन ने झटके से रिया की ओर दौड़ लगा दी।
उसके पीछे परछाई—
और दूर, अमन सब कुछ देख रहा था, जैसे उसकी साँसें सीने में अटक गई हों।
अर्जुन ने रिया को अपनी बाहों में खींचकर पीछे कर लिया।
रिया का चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था, आँखों में आँसू, होंठ काँपते हुए—
“अर्जुन… ये सब क्यों हो रहा है?”
अमन चीख पड़ा—
“छोड़ दो उन्हें!”
परछाई की हँसी अब मौत की गिनती जैसी लग रही थी।
कमरे में घड़ी की टिक-टिक…
टिक… टिक… टिक…
12 बजने में कुछ ही सेकंड थे।
तभी—
अर्जुन के गले में कुछ चमक उठा।
रिया ने हैरानी और डर से पूछा—
“ये… ये क्या चमक रहा है?”
अर्जुन ने गले में हाथ डालकर पेंडेंट निकाला।
एक चाँदी का पेंडेंट… जिस पर बड़ा सा A खुदा था।
रोशनी उसमें अजीब-सी झिलमिलाहट भर रही थी।
अमन के चेहरे का रंग उड़ गया।
उसकी आँखों में एक पल में पहचान, और फिर सदमा—
जैसे उसके दिमाग़ में सारे टुकड़े एक साथ जुड़ गए हों।
परछाई अब बिलकुल पास थी—
इतनी पास कि उसकी साँस की ठंडक अर्जुन की त्वचा को जला रही थी।
अर्जुन ने रिया को ढकते हुए, होली वॉटर की पूरी बोतल रिया पर उँड़ेल दी—
“तुम्हें कुछ नहीं होगा!”
लेकिन अमन की आवाज़ गूंज उठी—
“अर्जुन! वो रिया को नहीं… तुम्हें लेने आया है!”
रिया का दिल जैसे एक पल को धड़कना भूल गया।
उसकी नज़र अर्जुन के चेहरे से हटकर… परछाई पर अटक गई।
परछाई अर्जुन के कान के पास झुककर फुसफुसाई—
“तुम्हें मुझसे कोई दूर नहीं कर पाएगा… चलो मेरे साथ।“
और अगले ही पल—
एक तेज़, चमकता वार।
अर्जुन का गला चीर दिया गया।
गर्म खून रिया के चेहरे, बालों और हाथों पर बिखर गया।
अर्जुन की आँखों से रोशनी बुझने लगी।
परछाई उसी पल गायब हो गई—
बस हवा में उसकी ठंडी, लंबी हँसी गूंजती रही।
“नहीं… अर्जुन!”
रिया ज़मीन पर बैठ गई, उसे अपनी गोद में खींच लिया।
उसके हाथ अर्जुन के खून से लाल थे, लेकिन वो बार-बार उसके चेहरे को छू रही थी—
जैसे स्पर्श से उसे रोक सके…
जैसे साँसों को वापस बुला सके।
अर्जुन की साँसें टूटी-टूटी थीं।
उसकी आँखें रिया पर टिककर कह रही थीं— “मैंने वादा निभा दिया…”,
लेकिन होंठों से आवाज़ नहीं निकल रही थी।
अमन घुटनों के बल गिर पड़ा।
उसकी आँखों से आँसू बहते हुए शब्द बने—
“नहीं… वो रोहन था! उसी ने अर्जुन को मार दिया!”
रिया ने आँसुओं के बीच सिर हिलाया—
लेकिन उसकी नज़रें अर्जुन से नहीं हट रही थीं।
कमरे में अब बस तीन आवाज़ें थीं—
घड़ी की टिक-टिक, रिया की टूटी सिसकियाँ, और अर्जुन की आखिरी साँस।
थोड़ी देर बाद
हॉस्पिटल – मौत की गंध
सफेद रोशनी से भरे हॉस्पिटल के कॉरिडोर में अफरा-तफरी मची थी। डॉक्टर और नर्सें तेजी से ICU की ओर भाग रही थीं।
“पेशेंट की हालत बहुत गंभीर है, जल्दी…!” एक डॉक्टर की तेज़ आवाज़ गूँजी।
रिया वहीं कुर्सी पर बैठी थी—उसकी आँखों में सिर्फ़ शून्य था। उसके कपड़े और हाथ अब भी अर्जुन के खून से सने हुए थे। हर साँस के साथ उसे वो पल याद आ रहा था, जब अर्जुन उसकी गोद में था… और उसकी नब्ज़ धीमी हो रही थी।
ICU के पारदर्शी शीशे से, मशीनों की बीप-बीप और अर्जुन के शरीर पर लगी ऑक्सीजन मास्क की झलक उसे बार-बार अंदर तक हिला रही थी।
तभी पीछे से किसी के कदमों की आहट आई। अमन धीरे-धीरे उसके पास आया—उसका चेहरा उतना ही थका और घायल था, लेकिन आँखों में एक अलग-सी बेचैनी थी।
“रिया… मुझे तुमसे कुछ बहुत ज़रूरी बात करनी है।“
रिया ने बिना उसकी तरफ़ देखे, धीमे स्वर में कहा—
“अमन… अर्जुन ठीक हो जाएगा न?”
अमन कुछ पल चुप रहा, उसकी नज़रें ICU के दरवाज़े पर टिकी रहीं, जैसे सही शब्द ढूँढ रहा हो। फिर उसने गहरी साँस ली—
“रिया… जो मैंने देखा… वो सब तुम्हें अब जानना होगा। ये परछाई… ये रोहन… और अर्जुन… इन तीनों के बीच का सच।“
रिया ने पहली बार उसकी तरफ देखा—उसकी आँखों में डर, दर्द और एक जलता हुआ सवाल था।
अमन आगे झुककर फुसफुसाया—
“ये सब तुम्हारे सोच से कहीं ज़्यादा पुराना और खतरनाक है… और शायद अर्जुन को बचाने के लिए हमें… उसी अंधेरे में जाना पड़ेगा, जहाँ से ये परछाई आई है।“
अमन की आँखें किसी अंधेरे, बंद खिड़की जैसी थीं—जिसमें सालों पुराना सच कैद था।
उसने गहरी, भारी साँस ली और धीरे-से कहा,
“रिया… तुम्हें एक बात बतानी है… और ये तुम्हें हिला देगी।“
उसकी आवाज़ में ऐसा वज़न था, जैसे हर शब्द किसी पत्थर की तरह गिर रहा हो।
“वो परछाई… तुम्हारे पीछे नहीं थी, रिया। वो तुम्हारे पति के पीछे थी… और उसका नाम है—रोहन।“
रिया की भौंहें सिकुड़ गईं।
“रोहन? कौन रोहन?”
अमन ने एक पल के लिए नज़र झुका ली।
और जैसे ही उसकी पलकें झुकीं, कमरे में मौजूद हवा भारी होने लगी।
मानो किसी ने अदृश्य परदा खींच दिया हो—
दुनिया धुंधली पड़ने लगी।
सारी आवाज़ें, सारी रोशनी… कहीं दूर जाने लगीं।
---
Flashback: कॉलेज के दिन
दोपहर का वक्त था।
कॉलेज का कैंपस हँसी और शोर से भरा हुआ था—
लेकिन भीड़ के बीच रोहन बिल्कुल अकेला चल रहा था।
उसके कंधे झुके हुए थे, जैसे सालों का बोझ उठा रहा हो।
उसकी आँखों में वो डर था, जो सिर्फ़ बार-बार चोट खाने वाले जानते हैं।
सीढ़ियों के पास अर्जुन के तीन दोस्त खड़े थे—
शिकार ढूँढते शिकारी की तरह।
“ओए, रोहन!”
उनमें से एक ने पुकारा, होंठों पर ताना लिए।
रोहन ने पलटकर देखा भी नहीं।
“अरे सुन… सुना है तुझे हमारे hero अर्जुन में बहुत interest है?”
पीछे से ठहाका फूटा।
दूसरे लड़के ने आगे बढ़कर उसके हाथ से किताबें खींच लीं।
पन्ने ज़मीन पर बिखर गए—
जैसे उसके सपने किसी ने फाड़कर हवा में उछाल दिए हों।
उन पन्नों के बीच एक पेंटल लुढ़ककर नीचे गिरा—
उस पर एक मोटा, लाल A का निशान था।
अमन ने झुककर पेंटल उठाया और मुस्कराते हुए बोला,
“ये A… मतलब अर्जुन, है ना? अर्जुन के लिए रखा है क्या?”
रोहन ने घबराकर हाथ बढ़ाया,
“वो… वापस दो—“
लेकिन अमन ने पीछे खींच लिया।
“पहले एक सेल्फ़ी ले अर्जुन की पेंटल के साथ… फिर मानेंगे तू सच्चा मर्द है!”
बाकी सब हँस पड़े—
वो हँसी, जो सीधे दिल को चीर देती है।
रोहन ने काँपते हाथों से अपनी किताबें समेटीं,
पेंटल अमन के हाथ से छुआ, लेकिन कुछ कहे बिना चल पड़ा।
पीछे से तानों की बारिश होती रही—
“छक्का!”
“लवर बॉय!”
ये ज़हर हर दिन, हर क्लास, हर गली में टपकता रहा।
---
कुछ हफ़्ते बाद
बारिश की रात थी।
हॉस्टल का कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था।
रोहन मेज़ पर बैठा था—
सामने एक पुराना फ़्रेम रखा था, जिसमें अर्जुन और उसके दोस्तों की ग्रुप फोटो थी।
उसकी उंगलियाँ फोटो में अर्जुन के चेहरे पर ठहर गईं।
आँसू धीरे-धीरे टपकते रहे।
“तुम नहीं जानते… लेकिन तुम मेरी पूरी दुनिया थे,”
वो फुसफुसाया।
टेबल पर रखी रस्सी उसकी नज़रों में चमक रही थी—
एक ठंडी, सख़्त, और स्थायी राहत की तरह।
बिजली की एक तेज़ चमक ने कमरे को पल भर के लिए उजाला दिया।
रोहन ने धीरे-धीरे रस्सी उठाई…
और पंखे पर बाँधनी शुरू कर दी।
आखिरी बार उसने अर्जुन की फोटो को देखा।
आँखों में एक अधूरी मुस्कान आई—
और अगले ही पल, कमरा सन्नाटे में डूब गया।
बारिश की आवाज़ अब और भारी हो चुकी थी।
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Present
अमन की आवाज़ फिर कमरे में लौट आई—
“वो… उस रात चला गया। लेकिन अर्जुन को कभी नहीं भुला।“
कमरे में गहरी खामोशी छा गई।
रिया ने अनजाने में अर्जुन का हाथ कसकर पकड़ लिया।
लेकिन खिड़की के बाहर…
एक काली परछाई, जैसे हल्की-सी हँ
हॉस्पिटल का सन्नाटा
ICU के बाहर बैठी रिया की आँखें लाल और सूजी हुई थीं। हर बीतते सेकंड के साथ उसका दिल तेज़ धड़क रहा था। तभी ICU का दरवाज़ा खुला और एक डॉक्टर बाहर आया। उसके चेहरे पर गंभीरता साफ़ झलक रही थी।
“पेशेंट का कोई रिश्तेदार यहाँ है?” डॉक्टर की आवाज़ शांत थी, लेकिन शब्दों में एक बोझ था।
रिया तुरंत खड़ी हुई—
“हाँ… मैं हूँ। मैं उसकी… मैं अर्जुन की…” उसकी आवाज़ काँप गई।
“वो ठीक है न, डॉक्टर?”
डॉक्टर ने एक पल के लिए उसकी आँखों में देखा, फिर धीमी, लेकिन भारी आवाज़ में कहा—
“देखिए… अर्जुन का बहुत ज़्यादा खून बह चुका है। अगर वो सुबह तक होश में नहीं आया… तो हो सकता है वो कोमा में चला जाए।“
जैसे ही ये शब्द रिया के कानों में पड़े, उसके पैरों से ज़मीन खिसकने लगी। उसने ICU के शीशे से अंदर झाँका। मशीनों की लगातार बीप-बीप की आवाज़ और वेंटिलेटर से उठती हवा की लय, कमरे के भीतर की ठंडी सफेदी को और भयावह बना रही थी।
डॉक्टर चुपचाप वहाँ से चला गया, लेकिन रिया का दिल वहीं जम गया था। वो धीरे-धीरे ICU के अंदर गई।
अर्जुन वहाँ लेटा था—सफेद चादर के नीचे उसका शरीर बिल्कुल स्थिर, चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क, हाथों में सुई और खून चढ़ाने वाली पाइप लगी हुई थी। उसका चेहरा पीला पड़ चुका था, जैसे सारा जीवन रंग छीन लिया गया हो।
रिया ने उसके पास जाकर धीरे से उसके ठंडे हाथ को पकड़ा और फुसफुसाई—
“मैं… मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी, अर्जुन।“
उसकी आँखों से आँसू गिरकर अर्जुन की हथेली पर पड़े, लेकिन वो अब भी मौन था… सिर्फ मशीनों की आवाज़ गूँज रही थी, जैसे समय खुद रुक गया हो।
हॉस्पिटल – अंधकार और आशीर्वाद
ICU के बाहर हल्की हल्की आवाज़ें गूँज रही थीं, जैसे कोई धीरे-धीरे कदम रख रहा हो। रिया ने पलटकर देखा—कुछ लोग धीरे-धीरे कमरे की ओर बढ़ रहे थे। उनकी उपस्थिति इतनी शांत और ताकतवर थी कि वातावरण में एक अजीब सन्नाटा और श्रद्धा दोनों फैल गई।
आराम से चल रहे लोग पाँच पंडित थे। उनके हाथ और गले में माला, माथे पर लाल टीका, कपड़े पवित्र और शुद्ध। सबसे आगे एक बड़ा पंडित था, जिसके पीछे चार अन्य पंडित खड़े थे, हाथों में एक जादुई झूला लिए।
रिया डर और आश्चर्य से बोली—
“बाबा… नहीं… ये कैसे…”
बड़ा पंडित शांत और गंभीर स्वर में बोला—
“वो सुबह तक आ जाएंगे। बाबा ने हमें तुम्हारी मदद के लिए भेजा है। समय पर नहीं पहुँच पाए, पर अभी देर नहीं हुई। बताओ, क्या हुआ?”
रिया की आँखों में आँसू थे।
“डॉक्टर ने कहा अर्जुन अगर सुबह तक होश में नहीं आया… तो शायद वो उठ ही नहीं पाएगा। सब मेरी वजह से हुआ…”
पंडित बिना एक शब्द कहे कमरे की ओर बढ़े। रिया और चारों पंडित उसके पीछे चले। ICU में मौजूद नर्स चौंकी—
“आप यहाँ नहीं आ सकते! बाहर जाइए!”
रिया ने हाथ जोड़कर कहा—
“सांत हो जाइए। बाबा जी को देखना ही है। अर्जुन को बचाइए, आप ही कुछ कर सकते हैं।“
बड़ा पंडित ने अपने चारों पंडितों को इशारा किया। चारों पंडित बिस्तर के चारों कोनों पर लग गए और एक-दूसरे का हाथ पकड़ा।
बड़ा पंडित झूले से सफेद पाउडर निकाला और धीरे-धीरे अर्जुन के ऊपर फेंक दिया।
अचानक, अर्जुन के शरीर से काला धुआँ उठने लगा और पूरे कमरे में फैल गया। सब कुछ काला और भयावह हो गया। नर्स चीख उठी—
“ये क्या हो रहा है?!” और घबरा कर बाहर भाग गई।
कुछ ही देर में, पंडित कमरे के बाहर आए। रिया ने अंदर झाँककर देखा—अर्जुन का शरीर हल्का सफेद, और होंठ और आँखें काले। जैसे हर चीज़ बदल गई हो।
डर और आश्चर्य के मिश्रण में रिया ने पंडित से पूछा—
“ये सब क्या हुआ? अर्जुन को क्या हो गया? इतना काला धुआँ कहाँ से आया और उसका शरीर सफेद कैसे हो गया?”
पंडित ने शांत और गंभीर स्वर में जवाब दिया—
“वो लड़ रहा है। उस आत्मा ने उसे पूरी तरह से नहीं मारा, क्योंकि उसके हाथ पर होली वॉटर था। शायद उसका गला काटने के बाद जो पानी गिरा, उसने आत्मा को रोक दिया। अब आत्मा धीरे-धीरे अर्जुन की आत्मा को मारने की कोशिश कर रही है।“
रिया ने आँखों में
रिया ने आँखों में आँसू लिए कहा—
“हाँ… अर्जुन ने मेरे ऊपर होली वॉटर डाल दिया था। जब आत्मा ने उसका गला काटा, वो पानी मेरे ऊपर गिरा… और मैंने उसका हाथ थामा। इसलिए शायद अब उसे मार नहीं पा रही। क्या हम उसे बचा सकते हैं? कृपया बताइए!”

पंडित ने सिर हिलाया—
“हाँ… एक रास्ता है। पर इसमें मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। डरना नहीं है।“

रिया ने अपने भीतर एक ठान ली। उसके दिल में डर और हिम्मत का मिश्रण था।
“अब मैं खुद को बचाने में नहीं लगूँगी। अब कोई भी मुझे अर्जुन से अलग नहीं कर सकता—ना इंसान, ना परछाई, इस बार मौत भी नहीं।“

उसने गहरी साँस ली, आँखें भर आईं लेकिन दिल में एक लौ सी जल रही थी।

Dear Reader,
अगर Black Love ने आपका दिल तेज़ धड़का दिया, आपकी साँसें थमा दीं और आपको रिया, अर्जुन और अमन की रहस्यमय दुनिया में खींच लिया… तो एक छोटा-सा साथ दीजिए।
Matrubharti पर अपनी रेटिंग और रिव्यू देकर बताइए कि आपको यह कहानी कैसी लगी — आपकी राय न सिर्फ मुझे प्रेरित करेगी, बल्कि Black Love – Part 3 को और भी रोमांचक बनाने में मदद करेगी।

याद रखिए… कहानी यहाँ खत्म नहीं होती।
Part 2 में सच्चाई और भी गहरी होगी, और परछाई का इंतज़ार… और भी खतरनाक।
क्या आप तैयार हैं अगली रात का सामना करने के लिए?

आपके साथ,
—  Pooja kumari