रात के 1:45 बजे, अनील अपनी night duty पर आया।
आज उसका पहला दिन था, और उसे platform नंबर 3 की निगरानी करनी थी।
लेकिन गलती से वह platform 6 पर चला गया।
प्लेटफॉर्म खाली और silent था। कुछ दिन पहले यहीं train accident हुआ था, इसलिए यह जगह सुनसान लग रही थी।
अनील ने टॉर्च जलाई और platform का routine check शुरू किया।
जैसे ही उसने कदम रखा, दूर से हल्की phone ringing सुनाई दी।
“कौन होगा?” उसने मन ही मन सोचा।
Phone वहीं खाली coach में बज रहा था।
कोच पूरी तरह खाली था, लेकिन phone ringing और तेज़ होती गई।
अनील धीरे-धीरे पास गया।
हवा ठंडी और heavy महसूस हुई।
जैसे ही उसने phone उठाया, उसे shadow की हल्की हलचल दिखाई दी।
Shadow साफ़ नहीं थी, बस टॉर्च की रोशनी में एक movement, human-like shape का hint।
Camera या CCTV में कुछ नहीं दिख रहा था — platform खाली record होता रहा।
अनील ने अपने आप से कहा:
“ये hallucination नहीं है… कुछ है, जो मुझे देख रहा है।”
जैसे ही उसने कदम आगे बढ़ाया, phone अचानक vibrate हुआ और text blink करने लगा:
"देखो… अब तुम्हें पता चलेगा…"
हवा में हलकी whispering sound, metallic tapping जैसी आवाज़।
Objects जैसे newspaper, seat tilt, हलके से move होने लगे।
अनील की heartbeat तेज़ हो गई।
वह महसूस कर रहा था कि कुछ entity उसके आसपास है, invisible पर strongly present।
जैसे ही अनील phone को पास खींचता है, shadow धीरे-धीरे closer move होती दिखी — लेकिन camera में कोई trace नहीं।
Platform silent, लेकिन अनील की आँखों के सामने presence undeniable।
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फोन हाथ में लेकर अनिल ने टॉर्च की रोशनी फिर आगे फेंकी।
प्लेटफ़ॉर्म के दूर कोने में हल्का-सा धुंआ तैरता हुआ आ रहा था…
उस धुंए में एक मानव-सी आकृति — लंबी, पतली, एकदम स्थिर खड़ी।
अनिल ने धीरे से आवाज़ लगाई,
“कौन है वहाँ?”
कोई जवाब नहीं।
लेकिन उस आकृति का सिर धीरे-धीरे एक तरफ झुका…
और उसकी नज़र सीधे अनिल की आँखों में जा टिकी।
उस पल, अनिल समझ गया — ये इंसान नहीं है।
अचानक CCTV रूम से वायरलेस पर आवाज़ आई:
"Anil, platform clear है, वहाँ कोई नहीं है।"
अनिल की आँखें अभी भी उसी आकृति पर जमी थीं।
उसके सामने साफ़-साफ़ कोई खड़ा था, लेकिन कैमरे की फ़ीड पर प्लेटफ़ॉर्म बिल्कुल खाली था।
वो आकृति धीरे से अपना हाथ उठाती है… और इशारा करती है — जैसे किसी को बुला रही हो।
अनिल के पूरे शरीर में ठंडक दौड़ गई।
अचानक फोन में हल्की-सी स्टैटिक आवाज़ आई और स्क्रीन पर मैसेज चमका:
"पीछे मत देखो…"
पीछे से धातु पर घिसटने जैसी आवाज़ आई।
अनिल ने धीरे से सिर घुमाया…
टॉर्च की रोशनी टिमटिमाई, और पास की सीट पर एक सफ़ेद हाथ टिके होने का हल्का-सा दर्शन हुआ — और फिर गायब।
अनिल घबराकर पीछे हटने लगा।
उसकी तेज़ सांसों की आवाज़ प्लेटफ़ॉर्म की ख़ामोशी में गूंज रही थी।
अचानक, वो साया हिला… और धीरे-धीरे कोच के अंदर चला गया।
टॉर्च की रोशनी अंधेरे को चीरती रही, लेकिन कोच खाली था।
वायरलेस पर फिर आवाज़ आई:
"Anil? तुम्हारी सांसें बहुत तेज़ हो रही हैं, सब ठीक है?"
अनिल जवाब देने ही वाला था कि फोन फिर वाइब्रेट हुआ।
इस बार स्क्रीन पर नया संदेश था:
"तुम यहाँ अकेले नहीं हो…"
कोच की खिड़की से अनिल को एक पल के लिए एक चेहरा नज़र आया — बिल्कुल सफ़ेद, आँखों में काली गहराई।
पलक झपकते ही गायब।
कैमरे पर अब भी सिर्फ़ खाली कोच दिख रहा था।
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अनिल की उंगलियाँ फोन को कसकर पकड़े हुए थीं।
स्क्रीन अब ब्लैंक थी, लेकिन उसे महसूस हो रहा था — कोई पीछे खड़ा है।
उसने हिम्मत जुटाकर टॉर्च पीछे घुमाई…
कुछ नहीं।
बस ठंडी हवा का झोंका, और दूर कहीं किसी चीज़ के गिरने की आवाज़।
अनिल ने गहरी सांस ली और वापस कोच की तरफ़ देखा।
लेकिन अब… कोच का दरवाज़ा अपने आप खुला था।
धीरे-धीरे, चरमराहट के साथ।
वो अंदर झाँकने के लिए बढ़ा।
पैर कोच के फर्श पर रखते ही उसकी रीड की हड्डी में ठंड उतर गई।
हर सीट खाली… लेकिन महसूस हो रहा था कि कोई उसे घूर रहा है।
अचानक, उसकी टॉर्च अपने आप बंद हो गई।
पूरे कोच में घना अंधेरा।
अनिल ने तुरंत फोन की फ्लैशलाइट ऑन की… और तभी उसने देखा —
एक आकृति आख़िरी सीट पर बैठी थी।
सफ़ेद चेहरा, काले गहरे गड्ढे जैसी आँखें, और हल्की-सी मुस्कान।
लेकिन जैसे ही उसने पलक झपकाई… वो सीट खाली।
अनिल का दिल तेज़ धड़कने लगा।
वो पीछे हटने ही वाला था कि उसके कंधे पर किसी ने जोर से थपकी दी।
वो चीखते हुए पलटा… वहाँ कोई नहीं।
फोन फिर वाइब्रेट हुआ —
"तुमने मुझे देख लिया… अब मैं भी तुम्हें देखूँगा।"
उसी समय कोच का दरवाज़ा जोर से बंद हो गया, और लाइट्स टिमटिमाने लगीं।
एक-एक करके लाइट्स बुझने लगीं… और आख़िरी जलती हुई लाइट के नीचे, अनिल ने देखा —
वो साया अब खड़ा था, सिर थोड़ा तिरछा, जैसे किसी बच्चे का खेल हो।
लाइट बुझते ही, उसके कान में एक फुसफुसाहट आई:
"भाग नहीं पाओगे…"
वायरलेस पर तेज़ आवाज़ —
"Anil! तुम्हारे पीछे कौन है? कैमरे में सिर्फ़ तुम हो, लेकिन… तुम्हारी परछाईं… वो तुम्हारे साथ क्यों हिल रही है?"
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कोच का दरवाज़ा अचानक खुला, जैसे किसी ने ज़ोर से धक्का मारा हो।
अनिल ने बिना सोचे-समझे बाहर छलांग लगाई और प्लेटफ़ॉर्म पर आ गया।
उसका दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था कि उसे खुद अपनी सांस सुनाई दे रही थी।
लेकिन प्लेटफ़ॉर्म अब वैसा नहीं लग रहा था…
चारों तरफ़ अंधेरा, सिर्फ़ छत पर लगी लाइट्स टिमटिमा रही थीं।
दूर से ट्रेन के इंजन जैसी धीमी गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी, जबकि इस समय कोई ट्रेन आने वाली नहीं थी।
वो तेज़ क़दमों से स्टेशन के निकास की तरफ़ बढ़ने लगा।
तभी…
पीछे से वो ठंडी फुसफुसाहट:
"अनिल… रुक जाओ…"
उसने पीछे मुड़कर देखा —
कोच के दरवाज़े पर वही आकृति खड़ी थी।
अब उसकी गर्दन एक अजीब कोण पर झुकी हुई थी, और उसके होंठ हिल रहे थे… लेकिन आवाज़ पूरे प्लेटफ़ॉर्म में गूंज रही थी।
अनिल ने दौड़ना शुरू किया।
लेकिन हर कदम के साथ, प्लेटफ़ॉर्म जैसे लंबा होता जा रहा था।
दूर का निकास पास ही नहीं आ रहा था।
अचानक, दाईं तरफ़ के शीशे में उसने देखा —
उसका अपना प्रतिबिंब… लेकिन उसमें वो साया उसके साथ खड़ा था, मुस्कुराता हुआ।
उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर।
वो घबरा कर शीशा तोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन कांच जैसे लोहे की तरह सख़्त है।
तभी एक ज़ोर का धक्का उसकी पीठ पर लगता है —
वो गिरते-गिरते प्लेटफ़ॉर्म के किनारे तक पहुँच जाता है, पटरियों के ऊपर झुककर।
नीचे अंधेरे में कुछ हलचल हुई…
और दो चमकती आँखें ऊपर देख रही थीं।
जैसे कोई वहाँ, अंधेरे में, उसका इंतज़ार कर रहा हो।
वायरलेस पर घबराई हुई आवाज़ आई:
"Anil! प्लेटफ़ॉर्म पर अकेले मत रहो… जल्दी यहाँ आओ… वो चीज़… ये कोई इंसान नहीं है!"
अनिल ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैरों को किसी ने पीछे से पकड़ लिया।
वो पलट कर देखता है —
दो काले, हड्डी जैसे हाथ, जो पटरियों से बाहर निकलकर उसके पैरों को खींच रहे थे।
जैसे ही वो हाथ उसे नीचे खींचने वाले थे, प्लेटफ़ॉर्म की सारी लाइट्स एक साथ बुझ गईं… और बस उसकी चीख सुनाई दी।
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अचानक, प्लेटफ़ॉर्म की सारी लाइट्स फिर से जल उठीं।
लेकिन… अनिल वहाँ नहीं था।
बस उसके जूते पटरियों के किनारे पड़े थे।
स्टेशन कंट्रोल रूम में बैठे सुरक्षाकर्मी घबराकर एक-दूसरे को देखने लगे।
मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने तुरंत CCTV फुटेज रिवाइंड किया।
फुटेज में साफ़ दिख रहा था —
अनिल प्लेटफ़ॉर्म पर दौड़ रहा है… अकेला।
कोई साया, कोई आकृति… कुछ नहीं।
लेकिन अजीब बात ये थी कि उसकी परछाईं कई बार उससे अलग दिशा में हिल रही थी, जैसे किसी और के इशारे पर।
फिर वो फुटेज जिसमें अनिल प्लेटफ़ॉर्म किनारे गिरते-गिरते बचता है —
वीडियो में साफ़ दिखता है कि वो खुद ही जैसे कूदने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन अचानक रुक जाता है।
किसी अदृश्य ताक़त का कोई सबूत नहीं।
लेकिन सबसे डरावना हिस्सा…
आखिरी 10 सेकंड का फुटेज।
फुटेज में अनिल प्लेटफ़ॉर्म के बीच में खड़ा है, सीधा कैमरे की तरफ़ देख रहा है।
उसके होंठ हिल रहे हैं —
ऑडियो में बहुत धीमी, गहरी आवाज़ आती है:
"अब तुम बारी है…"
और फिर… वो धीरे-धीरे पीछे की ओर चलता है,
अचानक, प्लेटफ़ॉर्म की आखिरी लाइट के नीचे —
वो सफ़ेद चेहरा कैमरे में एक पल के लिए झलकता है।
आँखें सीधी कैमरे में, जैसे देखने वाले को पहचान रहा हो।
अगले फ्रेम में — लाइट बुझ जाती है।
वीडियो खत्म।
उस रात के बाद, अनिल कभी वापस नहीं आया।
और प्लेटफ़ॉर्म नंबर 6… आज भी बंद है।
कहा जाता है, अगर रात 2 बजे वहाँ खड़े रहो… तो फोन पर एक अनजान कॉल आती है,
और स्क्रीन पर सिर्फ़ दो शब्द लिखे होते हैं —
"पीछे मत देखो…"
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@smriti shastri