some heartache in Hindi Short Stories by Mahira Khan books and stories PDF | कुछ दिल के दर्द

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कुछ दिल के दर्द




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कहानी का नाम: कुछ कहानियां अनकही होती हैं
लेखक: Writer Queen


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मैं और यश… बचपन में हमारी एक ऐसी डोर बंध गई थी जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था। कहते हैं कि मेरी और उसकी मंगनी तब ही हो गई थी जब मैं पैदा हुई थी और वो सिर्फ एक साल का था। लेकिन ये बात सिर्फ घर के बड़े जानते थे, मैं तो बस यही समझती रही कि वो मेरा भाई जैसा है, मेरा कज़िन।

ज़िन्दगी यूँ ही बीतती रही, और पंद्रह साल की उम्र में मैं पहली बार उससे ठीक से मिली। घर में सब लोग इकट्ठा थे, जैसे किसी कॉन्फ्रेंस में हों। हम सब हंस-बोल रहे थे, तभी उसकी बहन, अदीबा ने मजाक में कहा —
“यश को तो बचपन से एक लड़की पसंद है, और उनकी भी मंगनी हो चुकी है।”

मैंने मुस्कुरा कर मजाक में जवाब दिया —
“अरे, मेरी भी मंगनी हो चुकी है, लेकिन पता नहीं किससे। दो महीने बाद शादी भी है, और दूल्हे का नाम तक नहीं पता!”

सारे लोग हंस पड़े। लेकिन उस हंसी के पीछे मेरे दिल में कहीं एक हल्की सी टीस उठी। क्या यश सच में किसी और को चाहता है?

दिन बीतते गए। मैं और यश बातें तो करते, लेकिन वो कभी मुझे उस नज़र से नहीं देखता था, जिस नज़र से मैं उसे देखती थी। मेरे लिए वो सिर्फ मेरा कज़िन नहीं था, बल्कि मेरी पहली मोहब्बत था… और शायद आखिरी भी।

फिर ज़िंदगी ने एक मोड़ लिया। यश का बिज़नेस दिल्ली में सेट हो गया और वो वहीं शिफ्ट हो गया। मैं यहाँ लखनऊ में रही, और पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों में लग गई। कभी-कभी फोन पर बात हो जाती, लेकिन वो भी बस औपचारिक। उसके दिल की दूरी, मीलों की दूरी से भी ज्यादा थी।

साल गुजरते गए, लेकिन मेरा दिल अब भी उसी के लिए धड़कता था। कई बार लगा कि ये एकतरफा मोहब्बत है, और मुझे आगे बढ़ जाना चाहिए… लेकिन कैसे? वो मेरे ख्वाबों, मेरी दुआओं, मेरे हर ख्याल में बसा था।

फिर एक दिन, महिर भाई की शादी थी, और यश भी सालों बाद घर आया। मैंने जब उसे देखा, दिल रुक सा गया — वही मुस्कान, वही आंखें… लेकिन अब उसमें एक परिपक्वता थी। उसने मुझे देखा, और शायद पहली बार, उसकी आंखों में मैंने वो चमक देखी जो सिर्फ मेरे लिए थी।

शादी के बाद की रात, छत पर ठंडी हवा चल रही थी। मैं अकेली खड़ी थी, तभी यश आकर मेरे पास खड़ा हो गया। कुछ पल चुप्पी रही, फिर उसने धीमे से कहा —
“तुम जानती हो, मैं किसी और को पसंद करता था… बचपन से। और मंगनी भी उसी से हुई थी।”

मेरा दिल फिर से टूटने ही वाला था, लेकिन तभी उसने आगे कहा —
“वो… तुम थीं।”

मैंने उसकी ओर देखा, और मेरी आंखों में आंसू आ गए। उसने मेरा हाथ थामा —
“मुझे वक्त लगा समझने में, लेकिन अब मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”

उस रात, मेरी सालों की एकतरफा मोहब्बत को आखिरकार मंज़िल मिल गई। हमारी शादी बड़े धूमधाम से हुई, और आज भी, जब मैं उसकी आंखों में देखती हूं, तो मुझे याद आता है —
कुछ कहानियां सच में अनकही रह जाती हैं… लेकिन जब वक्त आता है, वो सबसे खूबसूरत तरीके से पूरी होती हैं।




Waise agar hmari mohabbat sachi hoto koi hmain unse juda nhi kr saktaa