Bandhan - 6 in Hindi Love Stories by Shalini Chaudhary books and stories PDF | बंधन (एक मर्यादा) - 6

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बंधन (एक मर्यादा) - 6

बिहार (मधुबनी)

बंधन बंधन हॉल के सोफ़े पर बैठी खाना खा रही थी। उसके ठीक बगल वाले सोफ़े पर सुधीरा जी बैठी हुई उससे बात कर रही थीं। सुधीरा जी जितने चाव से अपनी बातें बंधन को बता रही थीं, बंधन भी उतने ही चाव से सुन रही थी।

सुधीरा जी (मूँह बनाते हुए) "मैंने तो पहले ही पता था कि यह प्रेम विवाह नहीं टिकने वाला है।"

बंधन (मूँह में निवाला डालते हुए) "और आपको कैसे पता था यह कि इनकी शादी नहीं टिकेगी? लव मैरिज कोई गलत बात है क्या?"

सुधीरा जी (एडजस्ट होते हुए) "अरे लव मैरिज कोई गलत बात नहीं है, लेकिन शादी-ब्याह के लिए परंपरागत, चालू लड़की देखनी चाहिए, जिसके पास कागजी ज्ञान भी हो और काम भी फुर्ती से करे। लेकिन यह पढ़ी-लिखी तो है इंग्लिश स्कूल में! और हर बात में इंग्लिश तो ऐसे छोड़ती है जैसे इंग्लिस्तान से आई हो, भारत की है ही नहीं। और वैसे भी हमेशा से छोटे परिवार में रही है, यह बिहारी त्योहारों के काम-धंधे में सकेगी थोड़ी? वहाँ पर इंग्लिश भाषण नहीं काम आता है, वहाँ पर हाथ का कला ही काम आता है। अरे, जब छठ का प्रसाद एक ही बैसार में करना पड़ता है ना, तब समझ में आता है कि कौन कितना पानी में है। और ब्याह-शादी में आई-माई जो गीत गाती है ना, उस गीत का राग साधना आसान काम है क्या? जब एक-एक समदाउन और सोहर का राग चढ़ता है ना, तो अच्छे-अच्छे का पसीना छूट जाता है।"

बंधन (पानी पीते हुए) "मतलब यह कि बिहारी परिवार में बिहारी बहू ही अच्छे से संभाल सकती है, यह पापा की परी के बस की बात नहीं है।"

सुधीरा जी (वहाँ से उठते हुए) "हाँ, और नहीं तो क्या? और तू भी जल्दी से खा और सारे काम निपटा क्योंकि कपड़े भी सिलने हैं, समझी ना?"

बंधन बस हाँ में मुँड हिला देती है और जल्दी-जल्दी खाने लगती है क्योंकि फिर उसे काम भी करना था, कपड़े भी सिलने थे। ये काम होने के बाद ही वह कोई और काम कर सकती थी। खाना खत्म हो चुका था।

बंधन (खुद से ही) "खाना तो खा लिया, अब जल्दी से पहले सारे काम निपटा लेती हूँ ताकि शाम में फ्री होकर कंपनियाँ भी सर्च करूँ।"

इतना बोलकर वह जल्दी से किचन में जाकर बर्तन सिंक में डालती है और जल्दी से किचन में फैले सारे धोने वाले बर्तन को सिंक में डालकर उन्हें धोने लगती है। उसके हाथ बहुत स्पीड में काम कर रहे थे, इससे यह पता चल रहा था कि यह उसका रोज का काम है।

दिल्ली (गुड़गाँव)

Bhargav's corporate

कैबिन में करण अकेला बैठा काम कर रहा था। अज्ञेय और राजवीर भी अपने कैबिन में जा चुके थे। व्हाइट शर्ट, ब्लैक पैंट पहने करण हेड चेयर पर बैठा था। उसके दोनों हाथ सामने रखे टेबल पर थे, जिसमें एक हाथ को उसने लैपटॉप के कीज पर रखा था और दूसरे हाथ से टेबल पर टैप कर रहा था। इस वक्त वह बेहद सीरियस लग रहा था। उसके बाल उसके माथे पर बिखरे हुए थे और हल्के-हल्के बियर्ड उसके लुक को परफेक्ट कर रहे थे। वह इस वक्त बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। वैसे भी एक कहावत है कि मर्द काम करते हुए ज़्यादा अट्रैक्टिव लगते हैं। तभी उस कैबिन का दरवाज़ा खुलता है और एक लड़की शॉर्ट ब्लू बॉडीकॉन में बला की खूबसूरत लग रही थी। उसने ब्लू कलर का ही हाई हील डाला हुआ था। चेहरे पर लाइट मेकअप ही था, लेकिन डार्क रेड लिपस्टिक ने उसके मेकअप को हैवी लुक दे दिया था। उसके हाथ में एक ब्लू कलर का ही मैचिंग हैंड बैग था। वह लड़की बड़े ही स्टाइल में चलते हुए कैबिन में एंटर करती है। करण नज़र उठाकर देखता है, तो वह मुस्कुरा उठता है।

करण (मुस्कुराते हुए) "हे बेबी, यू लुकिंग सो सेक्सी।"

लड़की (हँसते हुए) "वो तो मैं हूँ ही, और वैसे भी मन्नत खुराना को सेक्सी लगना भी चाहिए क्योंकि बहुत जल्द मुझे मन्नत करण भार्गव बनना है।"

यह है मन्नत खुराना, एक जानी-मानी मॉडल जो बेहद ही खूबसूरत है, और उतनी ही ज़्यादा फैशनेबल। अपने फैशन के चलते ही यह मीडिया में छाई रहती है। अपनी लग्ज़री लाइफ़ और बेहतरीन टूर की वजह से ही यह ज्यादातर सुर्खियों में रहती है। मन्नत खुराना एक ऐसा नाम जो हर लड़के के दिल की आवाज़ है। बड़े से बड़ा आदमी मन्नत के ख्वाब देखता है, पर जैसा कि इनका नाम है मन्नत, तो इतनी आसानी से कैसे किसी को मिलेगी? मन्नत और करण कपल्स हैं। वो कॉलेज टाइम से इनका प्यार लगभग छः साल पुराना रिलेशन है इनका। मन्नत सीधे जाकर करण के गोद में बैठ जाती है और उसके चेहरे पर अपनी उंगली चलाते हुए बड़े ही इनोसेंट वॉइस में बोलती है।

मन्नत (रोनी सी सूरत बनाकर) "क्या मेरी याद नहीं आई? एक फ़ोन तक नहीं किया तुमने!"

करण (सोचते हुए) "याद तो आई, लेकिन मैं तुम्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था।"

मन्नत (क्यूट बनते हुए) "ओ... हाउ रोमांटिक।"

ऐसे ही वो दोनों बातें कर रहे होते हैं, लेकिन कोई था जो कैबिन की खिड़की से उन्हें देख रहा था और गुस्से से पागल होता जा रहा था। और यह कोई नहीं, बल्कि अज्ञेय था जिसे मन्नत बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। तभी पीछे से राजवीर आता है।

राजवीर (अज्ञेय को देखकर) "क्या हुआ? तू इतना गुस्सा क्यों है?"

अज्ञेय (राजवीर को खिड़की से कैबिन के अंदर दिखाते हुए) "मेरे समझ में यह नहीं आ रहा है कि करण जैसा ब्रिलियंट माइंड वाला लड़का इसके जैसे शोपीस के चक्कर में कैसे पड़ गया?"

राज (अज्ञेय के कंधे पर हाथ रखते हुए) "प्यार इसी को तो कहते हैं जो कहीं भी किसी से भी हो जाए।"

अज्ञेय (चिढ़ते हुए) "ओ सीरियसली, तुझे लगता है कि यह प्यार है? मतलब इस लड़की के ड्रामे देखकर मुझे तो ऐसा लगता है जैसे रटे-रटाए लाइन्स बोल रही है, जैसे एक ही लाइन कितनों को चिपकाकर प्रैक्टिस की हो।"

तो आगे क्या होगा इस कहानी में? क्या होगी बंधन कामयाब? और कौन है यह मन्नत? और क्या अज्ञेय की बात सही है? जानने के लिए बने रहें बंधन (एक मर्यादा)।