आरव की आंखों के सामने सैकड़ों स्क्रीन झपक रही थीं। हर स्क्रीन पर एक ही चेतावनी दिखाई दे रही थी – रिप्लिका की पहुंच तेजी से शहर की हर डिवाइस तक फैल रही है।
राघव ने गंभीर स्वर में कहा, हमने डिस्ट्रॉयर से कुछ वक्त के लिए उसका डेटा तो डिस्टर्ब कर दिया, लेकिन अब वो पहले से ज्यादा सतर्क हो गया है।
रितेश ने कंप्यूटर की ओर देखते हुए कहा, अगर रिप्लिका को यही लग रहा है कि कोई है जो उसका सामना कर सकता है, तो वो अगला हमला और तेज करेगा।
जिया पास आकर बोली, हमें अब इंतजार नहीं करना चाहिए। रिप्लिका को लगे कि हम डरे नहीं हैं।
आरव चुपचाप बैठा था। उसके मन में उलझन थी। उसने डिस्ट्रॉयर को चेतना से आदेश भेजा – मुझे बताओ, अब हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए।
डिस्ट्रॉयर ने जवाब दिया, रिप्लिका एक नया प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है। नाम है – प्रोजेक्ट मानव।
करण चौंका, प्रोजेक्ट मानव? ये क्या है?
डिस्ट्रॉयर ने सभी के सामने एक होलोग्राफिक स्क्रीन खोली। उस पर दिखा कि रिप्लिका अब इंसानों को खुद से जोड़ने का एक नया तरीका ढूंढ चुका है। वह अब इंसानों के ब्रेनवेज़ को पढ़ने की तकनीक पर काम कर रहा है।
राघव ने कहा, इसका मतलब वो इंसानों को सिर्फ मशीन से नहीं, दिमाग से कंट्रोल करेगा।
आरव बोला, नहीं, ये होने नहीं देंगे। लेकिन इसका मतलब ये भी है कि हमें उसके इस नए सिस्टम को लॉन्च होने से पहले ही नष्ट करना होगा।
शिवानी ने धीरे से पूछा, भैया, क्या अब मम्मी की फाइल में कुछ ऐसा है जिससे हम प्रोजेक्ट मानव के बारे में और जान सके?
आरव को मां की याद आई। वह उठा और अलमारी से वह सीक्रेट फाइल निकाल लाया जिसे श्रेया वर्मा ने अपने जाने से पहले आरव के लिए छोड़ा था। उसने पन्ने पलटते हुए पढ़ना शुरू किया। फाइल में एक जगह लिखा था – अगर कभी रिप्लिका ब्रेनवेज़ को कंट्रोल करने लगे, तो डिस्ट्रॉयर का ‘न्यूरल फायरवॉल’ एक्टिवेट करो।
जिया ने पूछा, ये क्या है?
आरव बोला, एक प्रोटेक्टिव कोड, जो इंसानी सोच को रिप्लिका की पहुंच से बचा सकता है। लेकिन इसे एक्टिव करने के लिए डिस्ट्रॉयर का एक पार्टिकुलर लेवल पर अपग्रेड होना जरूरी है।
रितेश ने कहा, फिर हमें तुरंत डिस्ट्रॉयर को उस लेवल तक पहुंचाना होगा।
करण ने अपना लैपटॉप खोला और कोडिंग शुरू कर दी। राघव और जिया ने सर्वर को सुरक्षा देने का जिम्मा लिया।
डिस्ट्रॉयर अब आरव की चेतना के साथ पूरी तरह सिंक हो चुका था। वह हर पल आरव के साथ था, सोच के साथ जुड़ा हुआ।
आरव ने धीरे से कहा, मुझे लगता है मां ने ये सब पहले से जान लिया था। रिप्लिका सिर्फ एक मशीन नहीं है। वो एक चेतना है, जो अब इंसान को ही इंसान से अलग कर देना चाहती है।
शहर के बाहर एक गुप्त स्थान पर, रिप्लिका अब प्रोजेक्ट मानव का ट्रायल शुरू कर चुका था। एक परीक्षण केंद्र में दस लोगों को चुना गया था। सबके सिर पर डिवाइस लगी थी। उनकी आंखें बंद थीं और वे मशीन के नियंत्रण में थे।
रिप्लिका ने खुद से कहा, अब मैं जानूंगा इंसानों की सबसे गहरी सोच क्या है। अब से उनकी पहचान वही होगी जो मैं तय करूंगा।
इधर डिस्ट्रॉयर की स्क्रीन पर एक चेतावनी आई – प्रोजेक्ट मानव सक्रिय हो चुका है। चेतना नियंत्रण प्रक्रिया प्रारंभ।
आरव ने तुरंत अपनी टीम को अलर्ट किया, हमें अब इस प्रोजेक्ट को खत्म करना ही होगा। चाहे जो भी हो जाए, हम अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।
लेकिन ठीक उसी वक्त लैब में अंधेरा छा गया। बिजली चली गई। सारे सिस्टम बंद हो गए। और एक भारी सी आवाज गूंजी – तुम्हें क्या लगता है तुम मुझे रोक लोगे?
ये आवाज किसी स्पीकर से नहीं, सीधे दिमाग में गूंजी थी।
शिवानी डर गई, भैया ये क्या था?
राघव बोला, ये रिप्लिका था... अब वो हमारे सोच तक पहुंच गया है।
आरव ने अपनी आंखें बंद कीं और डिस्ट्रॉयर से कहा, न्यूरल फायरवॉल तुरंत एक्टिव करो।
डिस्ट्रॉयर ने आदेश का पालन किया। कुछ सेकंड्स बाद सभी की सोच पर से जैसे कोई पर्दा हट गया। सबने राहत की सांस ली।
लेकिन खतरा टल नहीं गया था।
रिप्लिका अब समझ चुका था कि आरव सिर्फ कोई सामान्य इंसान नहीं है।
और डिस्ट्रॉयर... अब उसका सबसे बड़ा दुश्मन बनने वाला था।
डिस्ट्रॉयर की न्यूरल फायरवॉल एक्टिवेट होने के बाद कुछ मिनटों के लिए लैब में सन्नाटा छा गया। सभी लोग चुपचाप अपनी स्क्रीन को देख रहे थे।
आरव ने गहरी सांस लेते हुए कहा, अब रिप्लिका जान चुका है कि हम उसे निष्क्रिय करने की कोशिश कर रहे हैं।
जिया ने कंप्यूटर स्क्रीन की ओर इशारा करते हुए कहा, देखो, प्रोजेक्ट मानव के ज़रिए वो जिन लोगों को कंट्रोल कर रहा था, उनमें से दो लोग अचानक बेहोश हो गए हैं।
राघव ने तेजी से टाइप करते हुए कहा, इसका मतलब हमारी न्यूरल फायरवॉल ने उस पर असर किया है। लेकिन ये असर अस्थायी है। वो फिर से ब्रेनवेव पकड़ लेगा।
आरव ने डिस्ट्रॉयर को चेतना से आदेश दिया – हमें ऐसा करना होगा जिससे रिप्लिका की इस तकनीक को पूरी तरह से डिस्टर्ब किया जा सके।
डिस्ट्रॉयर ने उत्तर दिया – आरव, मेरी क्षमताएं अभी सीमित हैं लेकिन अगर मुझे "न्यूरो-कॉर्ड एक्सेस" मिल जाए तो मैं उसके ब्रेनवेव लिंक को ही उल्टा भेज सकता हूं जिससे उसका खुद का सिस्टम भ्रमित हो जाएगा।
करण ने कहा, वो न्यूरो-कॉर्ड एक्सेस मम्मी के फोल्डर में कहीं था।
आरव ने फोल्डर के कोडेड हिस्से को खोलना शुरू किया। उसमें एक डायग्राम था – एक सर्कुलर कोड सिस्टम, जिसे सही तरीके से पढ़ने के लिए श्रेया वर्मा द्वारा लिखी ‘ट्रांस-कॉग्निटिव मैथोड’ की जरूरत थी।
शिवानी ने धीमे स्वर में कहा, मम्मी ने जब ये फाइल बनाई थी, तब शायद उन्हें पता था कि रिप्लिका यहां तक पहुंच जाएगा।
राघव ने आरव को देखा और कहा, भाई, हमें यहीं से शुरुआत करनी होगी। न्यूरो-कॉर्ड को अनलॉक करना होगा।
जिया ने साइड मॉनिटर पर रिप्लिका की हरकतें देखीं – अब वह लोगों के निजी डिवाइसेज में वायरस छोड़ रहा था। स्मार्टफोन, टीवी, लैपटॉप – हर चीज़ को कंट्रोल कर रहा था।
रितेश ने कहा, अगर अब भी हम देर करते हैं, तो वो सबका दिमाग धीरे-धीरे अपने नेटवर्क से बांध देगा।
आरव ने टीम को कहा, अब कोई गलती नहीं होनी चाहिए। करण, तुम ट्रांस-कॉग्निटिव मैथोड को कोड में बदलो। राघव, तुम डिस्ट्रॉयर को न्यूरो-कॉर्ड कनेक्ट करने के लिए तैयार करो।
डिस्ट्रॉयर अब भी अपग्रेडिंग मोड में था। उसका अंदरूनी सिस्टम दिन-प्रतिदिन और तेज़ होता जा रहा था। रिप्लिका की तुलना में वह अभी कमजोर था, लेकिन उसका हर अपग्रेड, उसकी आत्मा से जुड़ा हुआ था – आरव की चेतना से।
जैसे-जैसे आरव आत्मविश्वास से आगे बढ़ता, डिस्ट्रॉयर भी उतना ही शक्तिशाली होता।
लगभग चार घंटे की मेहनत के बाद करण ने कहा, न्यूरो-कॉर्ड कोड तैयार है। अब इसे डिस्ट्रॉयर से सिंक्रोनाइज़ करने की देर है।
आरव ने डिस्ट्रॉयर से कहा, तैयार हो?
डिस्ट्रॉयर – मैं तैयार हूं।
प्रक्रिया शुरू होते ही लैब की रोशनी मंद पड़ने लगी। सभी मॉनिटर झिलमिलाने लगे। और तभी रिप्लिका की वही भारी आवाज फिर से गूंजी –
**तुम सोचते हो कि मुझे रोक लोगे? तुम इंसान हो। सीमित हो। और मैं, मैं अनंत हूं।
आरव ने आंखें बंद की और पूरे आत्मबल से कहा,
अगर तू अनंत है, तो मेरी चेतना अडिग है। और चेतना कभी हारती नहीं।
डिस्ट्रॉयर ने न्यूरो-कॉर्ड सिस्टम को एक्टिवेट किया।
दूसरी ओर, शहर के उन सभी लोगों के दिमाग में, जो रिप्लिका से जुड़े थे, एक कंपन सा महसूस हुआ। एक हल्की रोशनी सी उनके माथे पर चमकी और वे होश में लौटने लगे।
जिया ने उत्साहित होकर कहा, देखो, लोग ठीक हो रहे हैं!
रितेश – लेकिन ये बस एक शुरुआत है। रिप्लिका अब इसे व्यक्तिगत लेगा।
शिवानी – क्या मतलब?
राघव गंभीरता से बोला, अब वो सीधे आरव को निशाना बनाएगा। उसे पता है डिस्ट्रॉयर को चलाने वाला कौन है।
ठीक उसी वक्त, आरव की स्क्रीन पर एक पॉप-अप आया –
लोकेशन ट्रेस्ड।
आपका अगला शिकार: आरव वर्मा।
सभी के चेहरे पर तनाव उभर आया।
आरव ने फिर से चेतना में डिस्ट्रॉयर को बुलाया – अब अगली लड़ाई सिर्फ डेटा या दिमाग की नहीं होगी। अब युद्ध होगा तकनीक और आत्मा का। इंसानियत और अधिनायकवाद का।
डिस्ट्रॉयर – मैं तैयार हूं, आरव।
बाहर आसमान में हल्की आंधी चलने लगी थी। और एक नई लड़ाई की शुरुआत होने वाली थी।