कहते हैं सपने सिर्फ सोने के लिए होते हैं... पर अर्जुन ने उन्हें जिया था।
वो एक छोटा सा लड़का था, गांव का, साधारण पहनावा और आँखों में असाधारण चमक। उसकी आंखों में हर वक्त कोई नया सपना तैरता था — कभी पायलट बनने का, कभी मंच पर भाषण देने का, कभी किताबें लिखने का।
उसके दोस्त हँसते थे,
“अबे तू? तू कुछ बड़ा करेगा?”
अर्जुन मुस्कुरा देता, लेकिन दिल में कहीं एक चिंगारी सुलग जाती।🔥
हर सुबह वो अपने ख्वाबों को पंख पहनाता, और हर शाम उन्हें टूटते देखता। 📉
मगर अगली सुबह... वो फिर से उड़ान भरने को तैयार खड़ा मिलता।
शायद यही जुनून था उसे सबसे अलग बनाता था।
एक दिन उसके मास्टरजी ने पूछा,
“अर्जुन, इतने सपने क्यों देखता है?”
अर्जुन ने मुस्कुरा कर कहा,
“क्योंकि सर, ज़मीन पर चलकर सब जीते हैं... मैं उड़कर जीना चाहता हूँ।🕊️”
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📖 लेकिन उड़ान आसान नहीं थी...
कभी घर में पैसे नहीं होते, कभी किताबें।
कभी मां कहती — “बेटा, अब नौकरी देख ले।”
पर अर्जुन का जवाब हमेशा एक सा होता —
“मां, थोड़ा और सह लो, मैं कुछ बड़ा करने वाला हूँ।” ✊
उसने अखबार बाँटे, बच्चों को ट्यूशन दी, और रात को छत पर बैठकर खुद को पढ़ाया।
उसका सपना था — IAS अफसर बनना। 🇮🇳
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💥 और एक दिन...
वो दिन आया, जब Result आया —
Roll No. 1023456 — Selected
Arjun Singh Rathore – Rank 18 (All India)
उसके आंसू थम नहीं रहे थे,
मगर वो आंसू हार के नहीं थे...
वो थे उन सपनों के जो अब ज़मीन पर नहीं,
आसमान में उड़ान भर चुके थे। 🌈
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अब लोग कहते हैं,
"वो लड़का जिसने अपने ख्वाबों को पंख दिए..."
और अर्जुन कहता है —
> “हर किसी के पास पंख होते है
✨ बस उड़ना सीखना होता है...
किसी के सपनों की कीमत उसके जूतों की धूल से मत आँको,
क्योंकि सपने ना पैरों में होते हैं, ना कपड़ों में —
वो तो सीने में धड़कते हैं, और आंखों में चमकते हैं। ✨
हर किसी को उड़ने का हक़ होता है,
चाहे वो किसी छोटे गांव से हो या झोपड़ी से।
बस फर्क इतना होता है —
कोई उड़ने की हिम्मत करता है, और कोई उड़ने से डरता है yahi
सपनों को सच्चाई में बदलने के लिए सबसे पहले
खुद पर यकीन करना पड़ता है। 💪
बाक़ी दुनिया तो बाद में मानेगी,
पहले खुद को मनाना पड़ता है।
जो गिरता है, वही उठना सीखता है...
जो रोता है, वही हँसना सीखता है...
और जो टूटता है, वही उड़ना सीखता है। 🕊️ 🔥
✨ Shayari Title: "Khwabon Ke Pankh"
(लेखक: writter KapilPrem01)
> ख़्वाबों के पंख जब खुले,
तो हर दर्द भी हवा सा लगा...
रोकने वाले बहुत थे, मगर
उड़ने का नशा कुछ जुदा सा लगा। ✨
> मंज़िल कहीं दूर नहीं थी,
बस खुद पे यक़ीन की कमी थी...
जिस दिन यकीन आया,
उस दिन हर राह सीधी लगी। 💫
> अब न थकान है, न डर कोई,
हर उड़ान में जोश है भरपूर,
ख़्वाब अब पिंजरे में नहीं,
आसमान उनका दस्तूर। 🕊️
> “हर दिल में एक सपना होता है, बस उड़ान की हिम्मत चाहिए।
> 🌟 और अब अर्जुन की कहानी नहीं थी ये...
ये हर उस इंसान की कहानी थी,
जो ख्वाब देखता है, लड़ता है, गिरता है... मगर हारता नहीं।
क्योंकि सच तो बस इतना है —
"हर किसी के पास पंख होते हैं… बस उड़ना सीखना होता है।
मेहनत बहुत जरूरी है। ✍️