Where Does Fat Go in Hindi Health by S Sinha books and stories PDF | वजन घटाने पर फैट कहाँ जाता है !

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वजन घटाने पर फैट कहाँ जाता है !


                                                       वजन घटाने पर फैट कहाँ जाता है !


आजकल दुनिया भर में मोटापा  ( ओबेसिटी ) एक समस्या है   . मोटापा एक अहम हेल्थ इशू है  .  मोटापे के चलते अनेक रोगों की संभावना बढ़ जाती है -  दो प्रमुख रोग हृदय रोग और  टाइप 2 डायबिटीज .  इनके अतिरिक्त अन्य रोगों की आशंका भी रहती  है - मुस्कुलोस्केलेटल ( musculoskeletal = हड्डी , मासपेशियां , जोड़ों , लिगमेंट , गति संबंधित ) , कुछ कैंसर , पाचन संबंधित रोग , स्लीप एपनिया और  कुछ मनोवैज्ञानिक समस्या  .  


मोटापा आखिर क्यों - सरल शब्दों में कहा जाय तो जब शरीर को जरूरत से खाद्य के रूप में ज्यादा एनर्जी यानि कैलोरी मिलती है तब वजन बढ़ता है और फैट ( वसा या चर्बी ) के रूप में जमा हो जाता है  . इसे  बॉडी मॉस इंडेक्स ( BMI ) में नापते हैं , 30 से ज्यादा BMI ओबेसिटी होता है  . शरीर को अपनी नित्य क्रिया के लिए  एनर्जी की जरूरत होती है पर जब हम इससे ज्यादा एनर्जी ( कैलोरी ) खाद्य रूप में लेते हैं तब यह फैट के रूप में जमा हो जाता है  . इसके अलावा भी मोटापे के अन्य कारण हो सकते हैं - जिनेटिक , पर्यावरण (  Environmental - असंतुलित भोजन , निष्क्रियता  ) लाइफ स्टाइल ( अनहेल्दी फ़ूड , अल्पनिद्रा , स्ट्रेस आदि )  ,  स्वास्थ्य समस्या ( थाइरोइड , कुछ दवाओं का असर ) या अन्य कारण  सामाजिक , सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक पहलू   . 


फैट क्या है - फैट एक टिश्यू है जिसे  एडिपॉज  ( adipose ) कहते हैं  . यह फैट सेल  (  adipocytes )से बना होता है जो  ट्राइग्लिसराइड के रूप में एनर्जी स्टोर करता है  . यह सेल बड़े स्ट्रक्चर का हिस्सा है जिसमें ब्लड नलिका , नर्व और अन्य टिश्यूज होते हैं  . एडिपॉज एनर्जी स्टोरेज , अंगों  ( organ ) के कुशन ( ऑर्गन को चोट लगने से बचाने  ) और इन्सुलेशन ( ठंड या गर्मी में बॉडी टेम्परेचर मेंटेन करने  ) के काम आता है  . हमारे शरीर का नेचुरल डिज़ाइन ही ऐसा है कि वह एक्स्ट्रा एनर्जी स्टोर कर सके  . हमारे लिवर और मस्ल में एनर्जी  कार्ब्स और फैट सेल्स के रूप में स्टोर रहता है  . हमें अपने बायोलॉजिकल कार्य ( हार्ट को पंप के लिए , लंग्स को सांस लेने के लिए ,  ब्रेन को अपनी नॉर्मल  क्रिया के लिए )  , फिजिकल या शारीरिक कार्य ( कोई भी कार्य जैसे मामूली उठना बैठना ) ,  शरीर के पाचन तंत्र की क्रिया आदि  के लिए फैट काम में आता है  . 


हम जो भी खाते हैं वह पाचन तंत्र द्वारा एनर्जी में बदल जाता है और कैलोरी के रूप में रहता है  . यही कैलोरी हमें काम करने की ऊर्जा देता है  . ऊर्जा या एनर्जी ( कैलोरी ) जब शरीर की जरूरत से ज्यादा होता है तब यह फैट के रूप में स्टोर रहता है  . जब हम ज्यादा कैलोरी लेते हैं तब एक्स्ट्रा एनर्जी लिवर में ट्राइग्लीसिराइड के रूप में स्टोर होता है  .  यहाँ यह समझना भी जरूरी है कि जब कभी हम जरूरत से कम कैलोरी या एनर्जी लेते हैं तब यही स्टोर्ड एनर्जी हमें शरीर की क्रिया के लिए एनर्जी देता है  . 


  मोटापा कम करना -  जब बॉडी फैट या मोटापा ज्यादा हो जाता है तो अक्सर हम इसे कम करना चाहते हैं  मोटापे को कम करने के लिए हम  वजन घटाना  ( weight loss ) चाहते हैं  . इसके लिए हम तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं - डाइटिंग , वर्कआउट  , व्यायाम , जिम जाना आदि . 


मोटापा कम करने के लिए अक्सर लोग अपनी सुविधा के अनुसार अलग अलग उपाय अपनाते हैं  . कुछ लोग इस में सफल होते हैं तो कुछ  किसी कारणवश असफल भी होते हैं  . पर क्या आप जानते हैं कि वजन घटाने पर हमारा बॉडी फैट कहाँ जाता है ? जब  फैट एक स्टोर्ड एनर्जी  है और विज्ञानं के अनुसार एनर्जी का ह्रास नहीं होता है बल्कि वह एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाता है फिर हमारे फैट कहाँ जाता  है  ? 
दरअसल जब हम वजन कम करने के लिए कैलोरी जलाते हैं तब यह एकदम से लापता नहीं हो जाता है  . आमतौर पर बॉडी का फैट कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में बदल कर हमारे शरीर से बाहर निकलता है  . वास्तव में फैट का जलना एक रासायनिक क्रिया है जिसके फलस्वरूप बाई प्रोडक्ट कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं  . 


फैट इन रूपों में निकलता है  -


सांस - अक्सर जब हम कोई भी व्यायाम या वर्क आउट करते हैं तब हमारे सांस की गति तेज हो जाती है  . वर्क आउट के दौरान फैट जलने से ज्यादा कार्बन  डाइऑक्साइड प्रतिफल ( by product ) के रूप में बनता है  . इसे शरीर से बाहर निकालने की क्रिया में हमारी सांस तेज हो जाती है  . कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में फेफड़ों को ज्यादा काम करना पड़ता है  . 


मूत्र - फैट जलने का दूसरा प्रतिफल पानी या जल होता है  . वजन घटाने के क्रम  में ज्यादा मूत्र शरीर से बाहर निकलता है  . 


पसीना - फैट जलने से शरीर से पानी पसीने के रूप में भी बाहर निकल जाता है  . जब भी हम कोई व्यायाम या किसी कारण फिजिकली ज्यादा एक्टिव होते हैं तब शरीर से पसीना निकलने लगता है  . 


ध्यान देने की बात है कि यह आवश्यक नहीं  किसी खास अंग को टारगेट कर उसका फैट हम जला सकें  . 

यहाँ जिनेटिक और लाइफ स्टाइल पहलू की अहम भूमिका होती है  .  


बॉटम लाइन - वजन घटाने के क्रम में फैट सेल्स साइज में सिकुड़ कर छोटे हो जाते हैं क्योंकि फैट के वस्तु ( ingredients ) स्टोर्ड एनर्जी रिलीज करते हैं  हालांकि उनकी संख्या वही रहती है  . फैट जलाने के समय यह  प्रतिफल के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बन कर शरीर से बाहर निकल जाता है  . 

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