२०० साल पुरानी बात है।ये हवेली राजा रजवाड़ी की शान हुवा करती थी। राजा की जान हुवा करती थी। यहां के लोग बहुत ही खुशी से अपना जीवन गुजार रहे थे और खुशी खुशी गांव में रह रहे थे।
परिचय
राजा: सम्राट सिंह
रानी १: मीना बाई
रानी २: मुमताज बाई
सम्राट सिंह नाम का राजा इस हवेली पे राज करता था।राजा बहुत ही सच्चा और अच्छा इंसान था। राजा ने अपना पूरा जीवन ईमानदार और प्रजा की सेवा में निकाल दिया था।
राजा की दो रानी थी। मीना बाई ओर मुमताज बाई दोनो ही बहुत अच्छे से मिल जुल कर रहती थी। बहुत ही बड़ा परिवार था राजा का दोनो रानी भी बहुत ही खुश मिजाज और ईमानदार थी।
राजा प्रजा के लिए भगवान समान थे। वह प्रजा के लिए कितना कुछ करते थे।राजा धर्म में भी बहुत मानते थे।दोनो रानी भी जैसा राजा कहते थे वैसा ही करती थी और वैसे ही रहती थी।हवेली बहुत ही सुंदर और बड़ी थी। हवेली हमेशा सजी रहती थी। मानो वहा हर दिन त्योहार जैसा था।
२०० से ज्यादा नोकर और उनसे ज्यादा नोकरानिया ।जो बहुत ही सुखी और आदर्श घरों से थे। राजा उनका भी बहुत ख्याल रखते थे ।वो प्रजा और हवेली में रह रहे सारे नौकर नौकरानी को अपने परिवार का हिस्सा समझते थे।राजा को किसी बात की कमी नही थी धन दौलत महल सब था।
कमी थी तो बस एक राजा का कोई वारिश नही था।दोनो रानी के एक भी बचे नही थे। रानियों को भी ये बात बहुत ही परेशान करती रहती थी। हम दो रानियां होके भी राजा को एक वारिश नही दे पाई। मगर राजा ने कभी ये बात को लेकर रानियों को भला भूरा नही कहा न ही कभी सुनाया।
राजा अपनी पहेली रानी से बहुत प्यार करते थे।लेकिन संतान सुख न होने के कारण राजा के परिवार ने राजा की दूसरी सादी करवा दी। राजा दूसरी सादी नही करना चाहते थे।लेकिन परिवार के सामने वह बहुत लाचार थे वो अपने माता पिता का बहुत सम्मान करते थे वो उसकी बात टालना नही सकते थे।
राजा की बड़ी धूम धाम से दूसरी सादी करवा दी दी। वह रानी भी बहुत खूबसूरत और होशियार थी।राजा अपनी पहली रानी से ही प्यार करते थे।और रानी भी बहुत समझदार थी वह राजा से दूर नही होना चाहती थी।
राजा के परिवार वालों ने काफी जिद की पहली रानी को महल से निकाल ने की लेकिन राजा टस से मस न हुए उन्होंने ने भी साफ साफ कह दिया की रानी कही नही जायेगी यही रहेगी इस महल में मेरे साथ।
राजा की बात सुनकर परिवार वालो ने बहुत कुछ समझाया लेकिन राजा समझे नहीं। वह रानी को बहुत प्यार करते थे ।
वह रानी मुमताज बाई को भी बहुत खुस रखते थे।किसी बात की कमी नही आने देते थे। वैसे ही दिन रात बीतते गए।राजा की सादी को १०/१२ साल होने को आए लेकिन वारिश का न तो निशान न नाम राजा को ये बात मन ही मन परेशान कर रही थी। प्रजा के सामने कितना भी मुस्कुराते अकेले में बहुत ही दुखी थे।
एक दिन वहा दूसरे राज्य ने हमला किया । राजा के माता पिता और कही सारी सेना उसमे शाहिद हो गए लड़ाई में राजा भी बहुत उम्र लायक हो गए थे।हवेली भी थोड़ी तहस नहस हो गई थी।राजा ने फिर सामने से वार नही किया दोबारा न ही कोई सेना बनाई।
राजा की उम्र निकलती जा रही थी।रानी की भी उम्र निकलती जा रही थी।
एक दिन......... क्या हुवा वो हम आगे के भाग मैं देखेंगे