शशि ड्रीम फाउंडेशन: सपनों की नई सुबह
जहाँ अंधेरे हों गहरे, और उम्मीदें हों थमी,
 वहाँ एक दीप जले, शशि ड्रीम फाउंडेशन की कलम से लिखी कहानी।
 ना धन, ना दौलत, ना ऊँचे भवनों की बात,
 यहाँ बात होती है हर बच्चे की, जो सीखना चाहता है कुछ खास।
झोपड़ियों में जो रहते हैं, सड़कों पर जो चलते हैं,
 उनकी आँखों में भी सपने होते हैं, जो अक्सर बिखरते हैं।
 शशि ड्रीम ने उन्हें थामा, नये सपनों को दिखाया,
 कलम, किताबें, हौसला और शिक्षा का उजाला पहुँचाया।
हर बच्चा है अनमोल यहाँ, चाहे वो किसी जाति का हो,
 ना भेदभाव, ना दूरी, सिर्फ प्रेम और सीखने की ललक हो।
 बस्तियों में खुलते हैं पाठशालाएँ, शोर नहीं, अब पढ़ाई होती है,
 जहाँ कल तक खामोशी थी, वहाँ अब मुस्कुराहटें खिलती हैं।
छोटे-छोटे हाथों में जब स्लेट और पेन आते हैं,
 तो लगता है जैसे सपने खुद चलकर पास आते हैं।
 गणित की गिनती, हिंदी की कविता, विज्ञान की रोशनी,
 हर विषय में ढूंढते हैं बच्चे अब अपनी पहचान की कहानी।
लड़कियाँ जो पहले घर की चारदीवारी में कैद थीं,
 आज मंच पर भाषण देती हैं, आत्मविश्वास में जैसे सैंकड़ों दीवारें तोड़ती हैं।
 सेनेटरी पैड, स्वास्थ्य शिक्षा, आत्मरक्षा की क्लास,
 बेटियाँ भी कहती हैं – “अब हम भी बनेंगी इतिहास।”
टीचर नहीं सिर्फ शिक्षक होते हैं यहाँ,
 वे साथी भी होते हैं, मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत भी।
 शब्दों से नहीं, दिल से पढ़ाते हैं,
 हर बच्चे को अपने जैसे अपनाते हैं।
यह सिर्फ स्कूल नहीं, एक परिवार है,
 जहाँ हर बच्चा विशेष है, और हर सपना साकार है।
 पढ़ाई के साथ मिलती है नैतिक शिक्षा,
 सम्मान, सहयोग और आत्मबल की दीक्षा।
माता-पिता भी अब समझते हैं,
 बच्चों को मजदूरी नहीं, शिक्षा की ज़रूरत है।
 अब माँ कहती है – “मेरी बेटी भी पढ़ेगी”,
 पिता कहते हैं – “मेरा बेटा अफसर बनेगा।”
हर परीक्षा को पार कर, हर रुकावट को पार कर,
 ये बच्चे बढ़ते हैं आगे, जीवन को सवार कर।
 शशि ड्रीम फाउंडेशन का है सपना यही,
 हर बच्चा पढ़े, बढ़े और उड़ान भरे सही।
सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं यह सोच,
 यह तो है समाज में बदलाव की पहली किरण, पहली खोज।
 हर गाँव, हर शहर में फैल रहा है यह उजाला,
 जहाँ बच्चों को मिल रहा है शिक्षा का प्याला।
कंप्यूटर, विज्ञान, खेल और कला,
 हर क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं बच्चे यहां से चला।
 डिजिटल दुनिया की तैयारी भी साथ में होती है,
 तकनीकी ज्ञान के संग आत्मनिर्भरता की ज्योति जलती है।
अब वो बच्चा जो कल तक सड़क किनारे बैठा था,
 आज मंच पर कविता सुनाता है, सवाल करता है, समझ पाता है।
 वो लड़की जो कभी किताब नहीं देख पाई,
 आज कक्षा की लीडर है, और हर सवाल की जानकारी लाई।
ये है शशि ड्रीम फाउंडेशन का प्रभाव,
 जो बना रहा है समाज को शिक्षित और मजबूत आधार।
 यहाँ शिक्षा सिर्फ पढ़ाई नहीं,
 यहाँ शिक्षा है – परिवर्तन की परिभाषा सही।
तो आइए, बनें हम भी इस बदलाव का हिस्सा,
 क्योंकि एक बच्चे की मुस्कान है – पूरे देश की सफलता का किस्सा।
 जहाँ शिक्षा हो सबकी हक़दारी,
 वहीं से शुरू होती है असली आज़ादी की तैयारी।