Lal darwaje ki rehsemiy Yatra - 3-4 in Hindi Travel stories by kajal Thakur books and stories PDF | लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा - 3-4

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लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा - 3-4

 कहानी वहीं से जारी है जहाँ रहस्य और डर ने करवट ली थी…🌑 लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा – भाग 3

"रवि और छुपा दरवाज़ा"

रवि की नींद तेज़ खड़खड़ाहट से खुली। हवेली की छत से पानी टपक रहा था और बाहर तेज़ बारिश हो रही थी।वो सपना फिर से आया था — लाल दरवाज़ा, अजीब सी आवाजें, और वही फुसफुसाहट –"तुम ही हो जिसे सच्चाई तक पहुँचना है…"

रवि अब इस हवेली के रहस्य से दूर नहीं भाग सकता था। पिछले दो दिन से वो यहां था, दादी के पास। और हर रात वो लाल दरवाज़ा उसके ख्वाबों में आ रहा था।

सुबह होते ही उसने दादी से पूछा,"दादी, हवेली के पीछे कोई पुराना दरवाज़ा है क्या?"

दादी का चेहरा सख्त हो गया।"जो चीज़ें दफन हो चुकी हों, उन्हें कुरेदना अच्छा नहीं होता रवि…""लेकिन अगर वो दबी चीज़ किसी सच्चाई को छुपा रही हो तो?" रवि ने धीमे मगर पक्के स्वर में कहा।

दादी ने गहरी सांस ली और बोलीं,"पीछे एक सूखा कुआँ है… सालों पहले बंद कर दिया गया था। लोग कहते हैं वहाँ कुछ बुरा है।"

रवि ने बिना कुछ कहे बाहर की ओर कदम बढ़ा दिए।

हवेली के पीछे, झाड़ियों और पेड़ों से घिरे उस जगह पर रवि पहुँचा। मिट्टी की गंध हवा में घुली थी।एक पुरानी लकड़ी की अंगूठी ज़मीन में दबी दिखाई दी।उसने हाथ से मिट्टी हटाई और अंगूठी को खींचा —कट्ट्ट्ट… एक छुपा हुआ दरवाज़ा खुल गया।

अंदर अंधेरा था, लेकिन जैसे ही रवि ने कदम नीचे रखा — दीवारों पर खुदे चित्र जल उठे।जैसे किसी ने उसकी मौजूदगी को पहचान लिया हो।

नीचे उतरते ही, उसे दो रास्ते मिले —एक अंधेरे में जा रहा था, दूसरा मंद रोशनी की ओर।

तभी फिर से वही आवाज़ गूंजी —"रवि… वक़्त आ गया है… या तो सच जान लो… या खो जाओ उन परछाइयों में…"

रवि की सांसें तेज़ हो गईं, लेकिन उसका दिल शांत था।उसने रोशनी वाले रास्ते की ओर कदम बढ़ाए।

रास्ता संकरा था, मगर हर कदम के साथ कुछ पुराने शब्द दीवारों पर चमकने लगे —

"जिसने लाल दरवाज़े की तीसरी दस्तक सुन ली, वह अब वापस नहीं जा सकता।"

रवि रुक गया।"तीसरी दस्तक?"क्या ये उसी के लिए थी?

तभी दीवार की दूसरी तरफ़ से किसी के रोने की आवाज़ आई — एक लड़की की।"कौन है वहाँ?" रवि ने पुकारा।

कोई जवाब नहीं आया… मगर एक परछाई धीरे-धीरे रवि की ओर बढ़ने लगी…

क्या रवि अकेला है इस रहस्यमयी दुनिया में?या कोई और भी है जो सच की खोज में फंसा है?क्या अगला दरवाज़ा उसकी ज़िन्दगी को हमेशा के लिए बदल देगा?


🌑 लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा – भाग 4

"साए की पुकार"

रवि जैसे ही उस रोशनी वाले रास्ते में आगे बढ़ा, दीवारों पर चमकते शब्द अपने आप बदलने लगे।

"जो सच्चाई चाहता है, वो अपने अतीत से भी टकराएगा..."

उसके कदम अब धीमे हो गए थे। कुछ तो था जो उसे पीछे खींच रहा था —पर दिल कह रहा था, "बस एक और दरवाज़ा… और रहस्य खुल जाएगा।"

तभी एक कोना आया, जहाँ एक टूटा हुआ शीशा दीवार में जड़ा था।रवि ने उसमें देखा… और चौंक गया।

शीशे में उसकी परछाईं नहीं थी।बल्कि एक लड़की खड़ी थी — लंबी चोटी, पुराने ज़माने के कपड़े, और गहरे उदास चेहरे के साथ।

"क… कौन हो तुम?" रवि ने हिम्मत करके पूछा।

लड़की की आवाज़ गूंजती हुई आई —"मैं वही हूँ, जिसकी कहानी अधूरी है… जिसे इस लाल दरवाज़े ने बंद कर दिया था…"

रवि पीछे हटने ही वाला था कि एक हवा का झोंका आया और दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।वो अब अंदर फँस चुका था।

उसके हाथ में अब भी वो पुरानी अंगूठी थी जो उसने बाहर से उठाई थी। जैसे ही उसने अंगूठी को ज़मीन पर फेंका —दीवार पर एक छुपा द्वार खुल गया।

इस बार, कमरा पूरा काले धुएं से भरा था। बीच में एक लकड़ी की पुरानी मेज़ थी जिस पर एक कागज़ पड़ा था।रवि ने उसे उठाया और पढ़ना शुरू किया —

“रवि… तुम अब सिर्फ़ खोजने वाले नहीं रहे… अब तुम उस कहानी का हिस्सा हो जो अधूरी रह गई थी…”

“अगर अगली रात तक तुमने सच्चाई ना जानी, तो तुम भी इसी हवेली का साया बन जाओगे…”

रवि की आँखें फैल गईं।वो सिर्फ़ रहस्य को नहीं, अब खुद को भी बचा रहा था।

पीछे से वो लड़की फिर प्रकट हुई। इस बार उसकी आँखों में आँसू थे।"मुझे बाहर निकालो रवि… मेरी आत्मा अब भी इस दरवाज़े में क़ैद है… और सिर्फ़ तुम…"

उससे आगे वो कुछ नहीं कह पाई — क्योंकि अचानक पूरी हवेली हिल उठी…

ज़मीन दरकने लगी, और दीवारों से चीख़ें आने लगीं…

रवि ने लड़की की ओर देखा —"तुम्हें बाहर निकालूँगा… लेकिन पहले मुझे जानना होगा कि ये सब शुरू कहाँ से हुआ…"

क्या रवि जान पाएगा कि ये आत्मा कौन है?क्या लाल दरवाज़े के पीछे कोई पुराना अपराध छुपा है?और क्या वो समय रहते सब कुछ ठीक कर पाएगा?

…जारी है… (भाग 5 जल्द आएगा)

Kajal Thakur 😊