Teri Sanso ke Sahare Meri Jindagi - 2 in Hindi Love Stories by Gautam Suthar books and stories PDF | तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी - 2

Featured Books
Categories
Share

तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी - 2

"तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी"

(भाग 2: तन्हाई, तड़प और साँसों का फिर से मिलन)

समंदर का किनारा अब भी वही था, रेत वही थी, लहरें भी वहीं थीं,

पर अब वहाँ वो मुस्कान नहीं थी, जो आयान की दुनिया को रौशन करती थी।

अनाया चली गई थी।मजबूरी थी, माँ बीमार थीं और परिवार की ज़िम्मेदारी का बोझ उसे खींच कर ले गया।

जाते वक़्त उसने कहा था —

"ये कुछ दिन की बात है आयान... मैं जल्दी लौट आऊँगी। मेरी साँसे तुम्हारे पास ही छोड़ कर जा रही हूँ।"

आयान ने सिर हिलाया था, पर उसका दिल जानता था —

जिसके बिना साँसे आती तो हैं, मगर लगता है जैसे जी नहीं रहे।

दिन बीतते गए, और उन साँसों की गूँज भी अब हल्की पड़ने लगी थी l

तड़पती रातें, अधूरी ख्वाहिशें

आयान अब भी रोज़ समंदर किनारे बैठता।

कभी रेत पर अनाया का नाम लिखता, तो कभी उसकी मुस्कान को याद करता।

पर लहरें बार-बार आकर उसका लिखा मिटा देतीं — जैसे किस्मत उसे भुला देने को कह रही हो।

रातों में जब नींद नहीं आती, वो अपनी डायरी में बस लिखता:

> "तेरे बिना ये रातें भी ठंडी हो गई हैं,

और मेरी साँसें भी बेमकसद।"

हर रात उसकी तड़प बढ़ती जाती।

कभी फोन मिलाता, कभी मैसेज करता, पर अनाया जैसे दुनिया से गायब हो गई थी।

शक, डर, दर्द... सबने मिलकर आयान को तोड़ना शुरू कर दिया था।

"क्या वो लौटेगी? या मेरी कल्पनाओं में ही हमेशा के लिए गुम हो गई?"

साँसों की पुकार

एक रात बारिश बहुत तेज़ हुई।

आयान भीगते-भीगते समंदर किनारे जा बैठा।

उसके लफ्ज़ भी भीग रहे थे —

"अगर मेरी साँसों में वाकई तुम्हारी खुशबू है अनाया, तो लौट आओ। वरना मैं खुद को भी खो बैठूँगा।"

उस पल, हवा ने जैसे कुछ कहा — वो महक जो सिर्फ अनाया की साँसों में थी, उसने आयान को छू लिया।

आयान ने आँखें बंद कर लीं...

"मैं पागल हो रहा हूँ या तुम सच में लौटने वाली हो?"

फिर वही मुलाकात

सुबह हुई।दरवाज़े पर दस्तक हुई।

आयान ने दरवाज़ा खोला... सामने अनाया थी। भीगी हुई, थकी हुई, पर मुस्कुराती हुई।

"मुझे तुम्हारी साँसों ने खींच लिया आयान। मैं दूर थी, पर हर पल तुम्हारी आवाज़ मेरे दिल में गूंजती रही। मैं चाहकर भी तुमसे दूर नहीं रह पाई।"

आयान ने उसे जकड़ लिया।

उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े —

"तुम्हें क्या पता, तुम्हारे बिना मैं जी नहीं रहा था... बस साँसे ले रहा था।"

अनाया ने उसके दिल पर हाथ रखा —

"अब मैं वापस हूँ। अब तुम्हारी हर साँस में, हर धड़कन में, मैं हमेशा रहूँगी।"

फिर से ज़िंदगी

उस दिन से दोनों ने तय कर लिया —

अब चाहे कैसी भी मजबूरी आए,

उनकी साँसे अब कभी जुदा नहीं होंगी।

समंदर फिर से गुनगुनाने लगा था।

बिजली चमकने लगी और बारिश होने लगी l

रेत फिर से उनका नाम लिखने लगी थी।

और आयान की कल्पनाओं ने फिर रंग पकड़ लिए थे —

क्योंकि अब उसकी साँसें अधूरी नहीं थीं।

> "तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी..."

अब सिर्फ एक इज़हार नहीं, बल्कि एक वादा बन चुका था।

___

★𝑮𝒂𝒖𝒕𝒂𝒎 𝑺𝒖𝒕𝒉𝒂𝒓. -

अगर तुम चाहो, तो मैं आगे का हिस्सा लिख सकता हूँ —

जहाँ दोनों का रिश्ता और गहरा हो, या फिर उनका Imagination Studio खुल जाए, जो उनकी प्रेम कहानी का गवाह बने।

बताओ... अगला पार्ट कैसा हो? ❤️✨