सिचुएशन को संभालना होगा आदित्य.....
अब आगे...........
विवेक के किस करने के बाद डर जाता है कहीं अदिति फिर से बेहोश न हो जाए लेकिन तभी उसकी नज़र साइड में पड़े लाकेट के दो टूकडों पर जाती है जिसे देखकर वो हैरान रह जाता है ...... उसमें से निकल रही काले धूंए को देखकर कुछ अजीब सा लगता है इसलिए अदिति की नजरों से बचते हुए जल्दी से उसे अपनी पॉकेट में रख लेता है......
विवेक अदिति को अपने से दूर करता है.... उसके डर को एक रिलेक्स मिलता है की अदिति उसके किस करने से अब की बार बेहोश नहीं हुई थी लेकिन उसके देखकर लग रहा था जैसे वो किसी सदमे में पहुंच चुकी है....
विवेक उसके गालों को हल्के से थपकाते हुए कहता है...."अदिति... अदिति...." उसके कुछ न बोलने से विवेक घबरा जाता है इसलिए उसे पकड़कर झंझोरता है लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता.....
तभी उसे नीचे हाॅल से आवाजें आने लगती है जिन्हें सुनकर विवेक कहता है....." भाई आप गये... ओह नो अब वो अदिति से मिलने जरूर आएंगे.....और इसे पता नहीं कौनसा सदमा लगा गया...."
विवेक अदिति के चेहरे पर पानी की छिंटे मारता है जिससे उसका ध्यान टूट जाता है और फिर वो वापस होश में आ जाती है.....
विवेक उसके होश में आने से खुश होकर उसे कसकर गले लगा लेता है .....
" विवेक मैं ठीक हूं,,, मुझे सांस तो लेने दो...." विवेक उससे दूर होकर उसके चेहरे को थामते हुए कहता है...." तुम सच में ठीक हो...?..."
" हां विवेक...."
तभी दरवाजे पर नाॅक करने की आवाज आती है जिससे विवेक दरवाजा खोल देता है......
सामने आदित्य,इशान, मालती जी और सुविता जी थे......सुविता जी आगे आते हुए कहती हैं....." अदिति कैसी है...?..."
" बड़ी मां आप खुद मिल लो..."
आदित्य अदिति को होश में देखकर खुश हो जाता है और अदिति भी जल्दी से भाई कहकर उसके गले लग जाती है उसके कसकर पकड़ने से ऐसा लग रहा था जैसे वो कितने दिनों बाद अपने भाई से मिल रही हो....
अदिति आदित्य के गले लगकर फिर से सिसकारियां भरने लगती है और रोते हुए कहती हैं......" भैय्या एम सॉरी.... मुझे आपकी बात माननी चाहिए थी....."
अदिति कौन सी बात मानने के लिए कह रही रही थी यह जानने के लिए आदित्य उसे खुद से अलग करके उसके आंसूओं को पोंछने हुए कहता है....." अदि कौन सी बात...?..."
अदिति कहती हैं....." पहले ये तो बताओ आप कहां थे इतनी देर से..?.. और मैं यहां कब आ गई..?..."
विवेक उसके सवालो का जबाव देता है...." अदिति तुम्हें मैं यहां लाया हूं....."
अदिति तुरंत पूछती है....." लेकिन विवेक तुम तो मुझे रोज वैली में आपने फार्म हाउस में ले जाने वाले थे...."
अदिति की बात सुनकर मानो सबको शाॅक लगा था सब एक दूसरे को देखते हुए समझने की कोशिश करते हैं आखिर अदिति को बस इतना ही याद है.....
विवेक कुछ कहता उससे पहले ही मालती जी अदिति को समझाती है....." बेटा हम तो तेरे बर्थडे पार्टी पर वहां लेकर गए थे और उस बात को तो एक हफ्ता सा हो गया...."
अदिति मालती जी की बात सुनकर उलझन भरी नजरों से कभी विवेक को देखती कभी मालती जी को कभी आदित्य को......
मालती जी आगे कहती हैं...." बेटा तू सबकुछ भूल गई क्या..?... तेरा भाई भी तो आज ही हाॅस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ है..."
हाॅस्पिटल की बात सुनकर अदिति नजरें अचंभे से भर जाती है और तुरंत आदित्य को पकड़कर कहती हैं...." भैय्या... क्या हुआ...?....आप आज हाॅस्पिटल से डिस्चार्ज हुए हो.... भैय्या प्लीज़ बताओ न क्या हुआ था आपको....?... मुझे बहुत घबराहट हो रही है...."
विवेक गुस्से में अपनी मां से कहता है....." मां आप शांत नहीं रह सकती थी , ,। आपको बोला था मैंने अदिति से कुछ मत पूछना...."
अदिति सबकुछ याद करने की कोशिश करने लगती है लेकिन अफसोस सिर्फ तक्ष के डर के अलावा उसे कुछ नहीं दिखाई देता जिससे अदिति लम्बी लम्बी सांसें लेने लगती है,, आदित्य उसे सभांलते हुए कहता है......" अदि रिलेक्स,,, कुछ नहीं हुआ मुझे मैं बिल्कुल ठीक हूं ,,देख तेरे सामने हूं न ... विवेक पानी देना...."
विवेक जल्दी से पानी अदिति को पिलाता है लेकिन अदिति एक घूंट पीकर उसे दूर कर देती है और आदित्य से चिपककर गहरी सांसें लेते हुए कहती हैं...." भैय्या सब मेरी ग़लती है,,, मैंने उस तक्ष को उस पिंजरे से बाहर निकाला था... भैय्या वो इंसान नहीं एक ... पिशाच है..." इतना कहकर अदिति बेहोश हो जाती है.....
आदित्य उसे उठाने की कोशिश करता है लेकिन सब बेकार हो जाती है..... आदित्य के चेहरे पर अपनी बहन के लिए परेशानी और चिंता साफ दिख रही थी, उसकी आंखों में आज पहली बार आंसू छलके थे....
इशान उसे समझाते हुए कहता है....." आदित्य तू ऐसे कमजोर नहीं पड़ सकता.... तुझे अदिति को इन सबसे बाहर लाना है । अपने आप को मजबूत कर अगर तू ही टूट जाएगा तो इसे कौन संभालेगा.... अभी तुम्हारी जंग खत्म नहीं हुई है बल्कि शुरू हुई है.... मैं ये तो नहीं जानता ये सब हो क्या रहा है लेकिन इतना तो समझता हूं अब इस सिचुएशन का तुझे डट कर मुकाबला करना होगा...."
विवेक भी इशान की बातों पर सहमति जताते हुए कहता है..." भाई आप चिंता मत करो, आप अकेले नहीं हो मैं भी आपके साथ हूं और मैं वादा करता हूं अदिति को कुछ नहीं होने दूंगा बस आप अदिति के लिए शांत हो जाइए..."
आदित्य दोनों की बात सुनकर अपने को संभालते हुए कहता है....." मैं आदि को कुछ नहीं होने दूंगा। । उसने मेरी मासूम सी बहन को अपने जाल में फंसाया है लेकिन वो ये भूल गया उसका भाई अभी ज़िंदा है.... मैं पैहरगढ़ जाऊंगा अब मां ही हमें उस पिशाच को खत्म करने का रास्ता बताएंगी....."
विवेक उससे पूछता है...." भाई पैहरगढ क्यूं जाओगे... इससे बचने का रास्ता हमें अघोरी बाबा बता देंगे उन्होंने वैसे भी मुझे एक काम सौंपा था जिसे जल्द से जल्द पूरा करना होगा तभी हम इस सिचुएशन से निकल सकते हैं....."
विवेक अपने काम को अंजाम देने के बारे में सोच ही रहा था तभी उसका फोन रिंग होता है जिससे सुनकर विवेक कहता है....." क्या...?.... मैं बस अभी पहुंचता हूं...."
.................... To be continued..............
विवेक कहां जाने की बात कह रहा है...?..
जानेंगे अगले भाग में......