एपिसोड 7: गाँव का मेला और छुपा हुआ तोहफा
गाँव में हर साल लगने वाला मेला इस बार कुछ खास था।
स्कूल में घोषणा हुई
"जो छात्र अपनी कला या क्राफ्ट प्रदर्शनी में प्रस्तुत करेगा, उसे इनाम मिलेगा!"
सीमा और निर्मल दोनों उत्साहित थे।
सीमा ने घर आकर माँ से कहा,
"इस बार मैं अपने पेंटिंग्स मेले में लगाऊंगी।"
निर्मल ने पेड़ की लकड़ियों से कुछ बनाना शुरू किया
एक छोटा सा लकड़ी का घर जिसमें उसकी यादें थीं।
एक अनदेखा तोहफा
मेले का दिन आ गया।
चारों तरफ रौनक थी। झूले, गोलगप्पे, बांसुरी वाले, रंग-बिरंगे झंडे और बच्चों की हँसी।
सीमा की पेंटिंग्स सबको बहुत पसंद आईं —
खासतौर पर एक पेंटिंग — जिसमें एक लड़की और लड़का आम के पेड़ के नीचे बैठे थे।
निर्मल की कला प्रदर्शनी में एक छोटा सा घर था, और उसके अंदर एक चिट्ठी रखी थी।
उसने उस चिट्ठी पर लिखा था:
जिस घर में दोस्ती हो,
वहाँ प्यार खुद चलकर आता है।
सीमा ये छोटा सा घर,
हमारी यादों के लिए… तुम्हारे लिए।"
सीमा ने जब वो चिट्ठी पढ़ी उसकी आँखें नम हो गईं।
शाम को झूले के पास
सीमा झूले के पास बैठी थी चुपचाप।
निर्मल आया और बोला,
"झूलोगी?"
सीमा बोली, "इस बार नहीं।
तू झूल, मैं धक्का दूँगी।"
निर्मल ने मुस्कराते हुए कहा,
"हम दोनों एक-दूसरे को उड़ान दे सकते हैं यही तो बचपन की ताकत है।"
एपिसोड का अंत
वो झूला धीरे-धीरे आसमान की ओर बढ़ रहा था —
जैसे उनका रिश्ता — धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।
क्या सीमा और निर्मल की दोस्ती अब एक नई दिशा में बढ़ रही है?
क्या मेले की उस चिट्ठी में "कुछ और" भी छुपा था?
,8,एपिसोड 8: पहला झगड़ा — और एक अधूरी माफ़ी
मेला बीत गया, और उसके बाद की सुबह कुछ बदली-बदली सी थी।
सीमा स्कूल पहुँची तो निर्मल को क्लास में एक नई लड़की के साथ हँसते देखा।
उसका नाम था "नेहा" गाँव में नई आई थी, बहुत ही चंचल और सुंदर।
सीमा को कुछ अजीब-सा लगा।
"वो हँसी... जो कल तक सिर्फ मेरे लिए थी, आज किसी और के लिए?"
मन की अनकही बात
खेल के समय सीमा अकेले झूले पर बैठी रही।
निर्मल ने आकर पूछा,
"तू ठीक है न? आज कुछ बोली नहीं…"
सीमा ने आँखों में थोड़ा गुस्सा और थोड़ा दर्द लिए कहा:
"तेरे पास अब वक़्त कहाँ मेरे लिए?"
निर्मल चौंका।
"क्या हुआ? नेहा से बात करने का मतलब ये नहीं कि मैं तुझे भूल गया…"
सीमा ने रूठकर मुँह फेर लिया।
वो शाम — जब पहली बार चुप्पी भारी लगी
उस दिन के बाद दोनों ने बात नहीं की।
दोस्ती में पहली बार चुप्पी आई थी।
सीमा को नींद नहीं आई।
वो सोचती रही
"मैंने ज़्यादा तो नहीं कह दिया?"
निर्मल भी उदास था।
उसने अपनी डायरी में लिखा:
"सीमा की चुप्पी मुझे चोट देती है।
क्या बचपन की इस प्यारी सी दोस्ती को इतना छोटा सा कारण तोड़ सकता है?"
एक अधूरी माफ़ी
अगले दिन सीमा ने एक चिट्ठी लिखी —
पर आधे में ही रुक गई:
"प्रिय निर्मल,
मुझे शायद ग़लतफ़हमी हो गई थी।
तेरी हँसी किसी और के लिए देखकर…
शायद मैं…"
वो चिट्ठी अधूरी रह गई।
सीमा ने उसे अपने बैग में रख लिया — देने की हिम्मत नहीं हुई।
एपिसोड का अंत
स्कूल की घंटी बजी।
नेहा और निर्मल एक साथ निकले, लेकिन निर्मल की नज़र बार-बार सीमा पर ही थी।
सीमा ने अपनी अधूरी माफ़ी दिल में रख ली।
पर क्या निर्मल उसे समझ पाएगा?
Thanks