My Contract Wife - 4 in Hindi Love Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | My Contract Wife - 4

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My Contract Wife - 4


💍 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में – एक रोमांटिक-ड्रामा

प्रस्तावना:

प्यार वो एहसास है जो अक्सर बिना बुलाए चला आता है।
पर जब वही प्यार एक काग़ज़ी समझौते से शुरू हो… तो क्या वो सच्चा प्यार बन सकता है?


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कहानी की शुरुआत

अर्जुन मेहरा, 30 साल का एक सफल बिजनेसमैन, दिल्ली की बड़ी कंपनी का सीईओ। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था — पैसा, पावर, प्रतिष्ठा… बस एक चीज़ की कमी थी – प्यार।
प्यार शब्द से उसे चिढ़ थी। उसे लगता था प्यार सिर्फ एक इमोशनल जाल है, जिसमें फँसकर लोग अपने करियर और पहचान को बर्बाद कर देते हैं।

पर उसकी माँ, सुनीता मेहरा — जो कैंसर से जूझ रही थीं — बस एक ही ख्वाहिश लेकर जी रही थीं:
“मेरे बेटे की शादी हो जाए… बस फिर मैं चैन से मर सकूंगी।”

माँ के आँसू देखकर पत्थर दिल अर्जुन भी पिघल गया। लेकिन वो दिल से शादी नहीं करना चाहता था। तभी उसने फैसला लिया —

> "अगर एक कांट्रैक्ट मैरिज हो जाए… एक साल के लिए… ताकि माँ को लग जाए कि मैं खुश हूँ…"




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दूसरी ओर

अनन्या सिंह — 24 साल की एक होनहार लड़की, जिसने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की थी। पर किस्मत ने धोखा दिया। उसके पिता का बिजनेस डूब गया। घर बिक गया। लोन और कर्ज़दारों की धमकी उसके दिन-रात खराब कर रहे थे।

उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी। और तभी उसकी मुलाकात हुई अर्जुन से — एक जान-पहचान वाले वकील के ज़रिए।

जब अर्जुन ने कांट्रैक्ट का प्रस्ताव दिया —

> "मुझसे शादी करो, एक साल के लिए। बदले में हर महीने 2 लाख मिलेंगे। माँ को लगेगा कि मेरी शादी हो गई है। एक साल बाद हम डाइवोर्स ले लेंगे।"



अनन्या पहले तो हैरान हुई, पर हालात ने उसे हाँ करने पर मजबूर कर दिया।


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शादी: एक नाटक की शुरुआत

शादी सादगी से हुई। सिर्फ माँ के सामने एक ‘खुशहाल कपल’ का नाटक करना था।
अर्जुन और अनन्या एक ही बंगले में रहने लगे, पर अलग-अलग कमरों में।
माँ की आँखों में खुशी लौट आई। लेकिन असली संघर्ष अब शुरू हुआ।

अनन्या की हँसी, अर्जुन को परेशान करने लगी… और फिर लुभाने भी।

अर्जुन की चुप्पी, अनन्या को खलने लगी… फिर उसे समझने का मन करने लगा।


धीरे-धीरे, अनन्या अर्जुन के दिल की दीवारों में सेंध लगाने लगी।
वो जान गई थी — अर्जुन जितना सख्त दिखता है, अंदर से उतना ही टूटा हुआ है।


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भावनाओं का बदलता मौसम

6 महीने बीते।
माँ अब पहले से बेहतर थीं।
अर्जुन ऑफिस के काम में कम और अनन्या की आदतों में ज़्यादा खो गया था।
वो जानता था कि ये सब अस्थाई है… पर दिल को कौन समझाए?

एक रात जब बिजली चली गई, तो दोनों बालकनी में बैठे चाँद की रोशनी में बातें करने लगे।
अनन्या ने कहा —

> “पता है अर्जुन, बचपन में मैं सोचा करती थी कि मेरी शादी किसी राजकुमार से होगी… मगर अब लगता है वो राजकुमार, सूट में बैठा, कानूनी कागज़ पर साइन करवा रहा है।”



अर्जुन मुस्कराया, पर दिल रो पड़ा।


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टूटता अनुबंध, जुड़ते दिल

जब 11वाँ महीना आया, अनन्या की आँखों में डर दिखने लगा।
वो नहीं चाहती थी कि ये रिश्ता खत्म हो।
पर शर्तें तो पहले से तय थीं।

एक दिन अनन्या ने देखा — अर्जुन चुपचाप अपने कमरे में रो रहा था।
वो पास आई और बोली —

> “क्या हुआ?”



अर्जुन ने पहली बार खुलकर कहा —

> “मैंने इस कांट्रैक्ट से खुद को बचाना चाहा था… पर तुमने मेरी दीवारें गिरा दीं।
अब अगर तुम चली गईं… तो मैं फिर वही बन जाऊंगा जो पहले था — एक खाली खोल।”




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कहानी का मोड़

अब एक नया डर दोनों के दिल में था —
क्या दूसरा भी वही महसूस करता है? या यह एकतरफा है?

फिर आया साल का आखिरी दिन।
डायवोर्स के पेपर तैयार थे। वकील बुलाया गया।

अनन्या ने काँपते हाथों से पेपर उठाए… साइन करने ही वाली थी, कि अर्जुन ने पेपर खींच लिए।

> “नहीं चाहिए ये साइन।
अब मैं तुम्हें कांट्रैक्ट वाइफ नहीं, मेरी ज़िंदगी की वाइफ बनाना चाहता हूँ।”



अनन्या की आँखें भर आईं।

> “तो फिर बोलो अर्जुन…
क्या अब ये रिश्ता बिना पैसे के भी चलेगा?”



> “अब ये रिश्ता सिर्फ दिल से चलेगा…
कागज़ों से नहीं।”




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एपिलॉग: एक नई शुरुआत

अर्जुन और अनन्या ने दोबारा शादी की —
इस बार बिना कांट्रैक्ट, बिना शर्त।

अब उनका रिश्ता एक मिसाल बन चुका था।
दो लोग जो एक सौदे के तहत मिले,
प्यार की सबसे खूबसूरत मिसाल बन गए।


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🌟 सीख:

रिश्ते अगर दिल से निभाए जाएँ, तो कागज़ों की कोई औकात नहीं होती।