कियारा, कियारा कहां हो ? अभी के अभी नीचे आओ। तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है क्या ?उस महल जैसी हवेली के बीच यह आवाज ऐसी गूंज रहे थे कि मानो वह आवाज किसी हवेली में नहीं बल्कि किसी पहाड़ों के बीच गूंज रही हो जो कि वापस भी गूंज कर आ रही हो।।
वही यह तेज और गुर्राहट भरी आवाज सुनकर बिस्तर पर सो रही कियारा अचानक से उठकर बैठ गई और उसका पूरा शरीर कांप रहा था, और उसकी आंखें पूरी तरीके से लाल हो रही थी! उसे लगा कि मानो वह कोई सपना देख रही हो लेकिन फिर अचानक से ही नीचे से तेज से उसका नाम पुकारा गया और इस बार तो उसकी आंखें चौक कर बड़ी हो गई और वह झट से बिस्तर से नीचे भागी।। हालांकि अपने कमरे से बाहर आते हुए उसका पैर पूरा कांप रहा था और अंदर ही अंदर ना जाने कितने ही सारे विचार उसके मन में चल रहे थे ।।डरते हुए उसने ऊपर से नीचे की तरफ देखा तो नीचे ही हाल में कोई उस तरफ अपने चेहरे को किए हुए खड़ा था।। सामने ही एक औरत भी खड़े हुई थी।। हालांकि उसका भी चेहरा कियारा से दूसरे तरफ ही था जिसकी वजह से वह इन दोनों का चेहरा को नहीं देख पा रही थी।।। लेकिन वह जानती थी कि इस तरह उसे कौन बुला रहा है।।।अपने दोनों हाथों को बांधे हुए कियारा किसी तरह से डरते सहमते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी।। एक-एक सीढ़ी से नीचे उतरते हुए उसका पूरा हाथ पैर कांप रहा था और उसका दिल बिल्कुल बैठा जा रहा था ।।लगभग यह उसके लिए कोई नई बात नहीं थी ।।हफ्ते में कुछ दिन तो उसे ऐसे ही उठना पड़ता था।। उसे भी नहीं पता होता था कि उसने गलत क्या किया है ?लेकिन जहां सबको आदत हो जाने चाहिए वहां कियारा को अभी तक आदत नहीं हुई थी और इस एक आवाज से ही वह पूरी तरीके से हमेशा चौक जाती थी।।
हाल में आकर वह खड़ी हो गई और धीरे से बोली....जी...जी.. भैया...!
उसकी आवाज लड़खड़ाने लगी थी और शब्द अटकने लगे थे।।
उसकी आवाज सुनते ही सामने से वह औरत और आदमी दोनों ही पीछे की तरफ पलट गए ।।।कियारा ने हल्के से नजर उठाकर अपने भाई की तरफ देखा और फिर झट से अपनी नजरों को नीचे कर लिया।।।।।। सामने राजपूत इंडस्ट्री का मालिक उसका भाई विहान राजपूत और उसके बगल में ही अनन्या राजपूत उनकी वाइफ खड़ी थी जो की बेहद ही नफरत भरी नजर के साथ कियारा की तरफ देख रही थी।। लेकिन कियारा तो बस डरी सहमी सी एक मासूम गुड़िया की तरह खड़ी थी।। ऐसा लग रहा था कि उसके सामने दो शेर हो और वह एकदम मासूम से चुहिया हो जो पूरी तरह से डरी और सहमी हुई थी।।।।। विहान एक कदम आगे बढ़ा और इसी के साथ कियारा के शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ पड़ी और उसने अपने हाथों को और कसके एक दूसरे में समेट लिया।विहान आकर उसके पास खड़ा हो गया और उसके बाजू को कसकर पकड़ लिया।।।