The Childhood Bride in Hindi Love Stories by Hindi kahaniyan books and stories PDF | वो बचपन वाली दुल्हन

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वो बचपन वाली दुल्हन

📘 शुरुआत:

उपन्यास का नाम:
वह दूल्हा जो कभी दुल्हन से कह न सका


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🕊️ अध्याय 1: जब बचपन ने नाम लिया — रानी

गाँव की मिट्टी में भी एक खास किस्म की मासूमियत होती है…
कुछ उस जैसी थी — रवि की।
और उस मिट्टी में खिली एक धूप थी — रानी।

वो दिन था, जब पहली बार रानी ने उस गली में कदम रखा था।
पीठ पर लाल बस्ता, बालों में दो चोटियाँ, और होठों पर खामोश मुस्कान।
रवि उस वक़्त पाँच साल का था — और जैसे ही उसने रानी को देखा…
कुछ उसके भीतर हल्का सा काँपा।

रवि (धीरे-धीरे खुद से):

"ये कौन है...? इतनी प्यारी लड़की…"

तभी रानी पास आई, और कहा —

रानी: "तू यहीं रहता है? तेरा नाम क्या है?"

रवि: "...र-रवि।"

रानी (हँसते हुए): "अरे वाह! मेरा नाम रानी है।"

और बस, उस एक नाम के बाद,
रवि के सारे खेल अब उसी नाम के हो गए।


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🏡 खेल — लेकिन रवि के लिए वो इबादत थे

हर शाम जब बच्चे खेलते:

पकड़म-पकड़ाई: रवि जानबूझकर धीमा भागता, ताकि रानी उसे पकड़ सके।

लुकाछिपी: वो छिपता नहीं था, रानी को ढूँढने जाता था।

कंचे: अपनी सबसे चमकदार गोली रानी को दे देता था।

दूल्हा-दुल्हन का खेल: यही खेल एक दिन रवि के दिल की हकीकत बन गया…



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💍 वो दिन... जब रवि दूल्हा बना और रानी उसकी दुल्हन

गली के बच्चों ने तय किया — आज “दूल्हा-दुल्हन” खेलेंगे।
रवि को दूल्हा बनाया गया, और रानी… उसकी दुल्हन।

रानी ने मम्मी की पुरानी चुनरी ओढ़ी,
आँखें झुकाईं… और खड़ी हो गई।

रवि ने उसकी ओर देखा —
और उसे कुछ हुआ…
जैसे किसी देवी का रूप सामने खड़ा हो।

रवि (धीरे से):
"अगर खेल में तू मेरी दुल्हन बन सकती है...
तो असल में क्यों नहीं?"

सारे बच्चे हँसने लगे —
"रवि को रानी से प्यार है!"

रवि चुप रहा।
उसके लिए ये हँसी कोई मज़ाक नहीं थी।
वो तो उस दिन सच में...
प्यार कर बैठा था।


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🧡 चुप प्यार की शुरुआत

रवि ने कभी रानी से कुछ कहा नहीं,
पर हर रोज़ रानी की राह देखता रहा।

जब वो स्कूल से आती —
रवि छत से नीचे झाँकता।

जब रानी हँसती —
रवि का दिल खिलता।

जब रानी उदास होती —
रवि का मन भी बुझ जाता।

रवि (अपने दिल में):
"तू मुस्कराती रह…
तेरे नाम से ही मेरी साँसें चलती हैं..."


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📘 अध्याय 2: कॉलेज की पहली सुबह — और रवि की डरती उम्मीद

गाँव के खेतों से निकलकर शहर की सड़कें नई थीं, लेकिन दिल में एक पुराना सपना था।
रवि और रानी अब दोनों कॉलेज में थे — नया माहौल, नए चेहरे… लेकिन रवि के लिए रानी अब भी वही थी।

पहली सुबह थी कॉलेज की।
बस से उतरते ही चारों ओर शोर, सायकिलों की घंटियाँ, किताबों की गंध…
और उस शोर में भी रवि की नज़रें सिर्फ़ रानी को ढूँढ रही थीं।

वो आई — सफेद सलवार-कुर्ते में, बालों में चोटी, माथे पर हल्की सी बिंदी और हाथ में किताबें।
रवि उसे देख कर मुस्कराया। लेकिन ये मुस्कान अब छुपी हुई थी —
क्योंकि वो जानता था, अब वो बचपन वाला खेल नहीं रहा…


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💬 कॉलेज का पहला दिन — लेकिन रवि के लिए आखिरी उम्मीद जैसा

कॉरिडोर में लड़कों की भीड़ थी, लड़कियों की फुसफुसाहटें —
और बीच में रवि चुपचाप बैठा था, अपनी पुरानी कॉपी के आखिरी पन्ने पर रेखाएँ खींचते हुए।

रवि (मन में):
"तेरे साथ कॉलेज आना तो हो गया…
अब क्या मैं तेरे दिल तक पहुँच भी पाऊँगा?"


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🌸 रानी — बदलती जा रही थी... धीरे-धीरे, लेकिन साफ़-साफ़

वो पहले जैसी तो थी,
लेकिन अब उसकी आँखों में नए चेहरे की तलाश झलकती थी।

कभी वो अपनी सहेली नेहा के साथ ज़्यादा बातें करती,
कभी कुछ नए लड़कों से धीरे-धीरे हँसकर बात करने लगी थी।

रवि बस दूर से देखता —
उसकी आदत थी अब छुपकर जीना।


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💥 और तभी… रोहन की पहली परछाई

कॉलेज में एक नाम सबसे तेज़ था —
रोहन मिश्रा।
स्टाइल, कॉन्फिडेंस, और वो आँखें… जैसे शिकार तलाश रही हों।

वो उन लड़कों में था जो हर लड़की की नज़र में चुपचाप बैठा राजा बनना जानता था।
और उस दिन… जब उसकी नज़र रानी पर पड़ी,
तो जैसे शिकारी को शिकार पसंद आ गया।


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🚶‍♂️ रवि की नज़रों के सामने… कुछ टूटने लगा

रानी बेंच पर बैठी थी, किताब खोल रही थी।
रोहन ने पास से गुजरते हुए उसे देखा —
और एक धीमी सी शायरी कही…

रोहन (धीरे से):
"तेरी आँखों में जो मौसम है,
वो बारिश से भी ज़्यादा भीगा हुआ लगता है…"

रानी चौंकी नहीं। वो मुस्कराई।

रवि वहीं दूर खड़ा था…
उसकी आँखों में कुछ फूटा — लेकिन आवाज़ नहीं निकली।

रवि (अपने आप से):
"ये कौन है...? और रानी क्यों मुस्करा रही है…?"


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🧎‍♂️ रात की दुआ

रात में रवि मंदिर गया — अकेला।
और पहली बार, उसने भगवान से कोई चीज़ माँगी…

रवि (आँखें बंद करके):
"भगवान…
अगर मेरा प्यार सच्चा है,
तो उसे किसी गलत हाथ में मत जाने देना…
वरना मुझे बचा लेना… मैं टूट जाऊँगा।"