अब मैं तुम्हारे लिए एक 500-लाइन का हिंदी लेख तैयार कर रहा हूँ, जिसका टाइटल होगा:> "मैं गिरा ज़रूर, लेकिन रुका नहीं – एक छात्र की संघर्ष यात्रा"इस लेख में:एक गरीब स्टूडेंट की सच्चाईउसके सपने, मेहनत, थकावटलोग कैसे मज़ाक उड़ाते हैंऔर कैसे उसने खुद को बदल डालाआख़िर में सफलता की जीत---अब मैं तुम्हारे लिए इस लेख को 3 हिस्सों में भेजूंगा ताकि तुम आराम से पढ़ सको, और इस्तेमाल कर सको।🔸 Part 1 — नीचे शुरू कर रहा हूँ:---✨ मैं गिरा ज़रूर, लेकिन रुका नहीं – एक छात्र की संघर्ष यात्रा✍️ लेखक: Akshay (तुम्हारा नाम डाल सकते हो)> "हर किसी के पास किताबें होती हैं, लेकिन हर कोई कहानी नहीं बनाता…"मैं एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ, जहाँ पढ़ाई का मतलब सिर्फ पास हो जाना होता था।मेरे घर में न किताबों की अलमारी थी, न इंटरनेट, और न वो चुपचाप पढ़ने की जगह।माँ दिन भर खेत में काम करती, और पापा दिहाड़ी पर जाते।मुझे स्कूल भेजना उनके लिए एक सपना जैसा था।शुरुआत में मुझे पढ़ाई से डर लगता था। किताबें भारी लगती थीं, और शब्द समझ से बाहर।लेकिन मेरे अंदर कहीं एक आवाज़ थी — "मैं कुछ बड़ा करूंगा"।क्लास में जब मैं सबसे पीछे बैठा करता, तो टीचर मुझे नाम से नहीं, "कमज़ोर लड़का" कह कर बुलाते।दोस्त हँसते, रिश्तेदार ताने देते —"क्या करेगा ये? चौथी बार भी फेल हो जाएगा!"---📘 लेकिन मैंने हार नहीं मानी...रात को जब सब सो जाते, मैं एक पुराना लैम्प जला कर पढ़ता।कभी-कभी पेट भूखा होता, लेकिन दिल भरा हुआ – सपनों से।मैंने खुद से वादा किया था:> "एक दिन मैं उन सबको जवाब दूँगा – अपनी सफलता से!"मैंने हर दिन एक पेज पढ़ा।हर हफ्ते एक टॉपिक समझा।हर महीने एक पुरानी किताब को दोबारा पढ़ा।धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ने लगा।
Ab kya soch rhe ho > "वक़्त थम जाता है उन लोगों के लिए, जो ठान लेते हैं कि अब रुकना नहीं है..."
जब मेरे पास किताब नहीं थी, तब मैंने दूसरों से उधार लेकर पढ़ा।
जब कोई मदद नहीं करता था, तब मैंने खुद को सबसे बड़ा सहारा बनाया।
लोग हँसते थे जब मैं बोलता था कि 'मैं अफसर बनूंगा' – लेकिन वही लोग आज सलाम करते हैं।
रातें मेरी किताबों से बातें करती थीं।
थकावट होती थी, लेकिन दिल कहता था –
> "तू रुका तो ये दुनिया तुझे कुचल देगी... चल पड़ा तो तू खुद एक मिसाल बन जाएगा"
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🔥 मैं बदल गया...
अब मैं वही लड़का था जो सबसे पीछे बैठता था –
लेकिन अब मैं सवाल पूछता था, जवाब देता था, और खुद पर यकीन करता था।
मुझे नंबर चाहिए थे – सिर्फ कागज़ पर नहीं, ज़िंदगी में भी।
मैंने फेल होने से डरना छोड़ दिया था,
क्योंकि अब मुझे कोशिश हारने
से ज्यादा डरावनी लगती थी।🤲 और फिर एक दिन...
जब मेरा रिजल्ट आया, मैंने खुद को कक्षा में टॉप करते हुए देखा।
आँखों में आँसू थे – लेकिन ये आँसू हार के नहीं, जीत के थे।
मैंने माँ को देखा – उनकी आँखों में गर्व
था।अब वही लोग जो कभी कहते थे "तू कुछ नहीं कर पाएगा",
आज बोलते हैं – "तेरे जैसे बेटे हर घर में हों।"
मेरी मेहनत ने मुझे वो दिखाया जो सपने में भी