दिल्ली के पुराने इलाके में एक भुतहा हवेली खड़ी थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि वहाँ एक जिन्न का वास है। अरमान नाम का एक युवा पुरातत्वविद् इस हवेली की खोज में आया था। उसे पुराने अवशेषों और रहस्यमय कहानियों से गहरा लगाव था।
रात के अंधेरे में जब अरमान ने हवेली में कदम रखा, तो एक अजीब सी ठंडक उसकी रीढ़ से होकर गुजरी। दीवारों पर लगे पुराने चित्र मानो उसे देख रहे थे। हवा में एक मीठी सुगंध तैर रही थी - गुलाब और केसर की।
"कौन है वहाँ?" अरमान ने कांपती आवाज में पूछा।
अचानक एक मधुर हँसी गूंजी। हवा में एक आकृति प्रकट हुई - एक अप्रतिम सुंदर स्त्री, जिसकी आँखें आग की भांति चमक रही थीं। उसके बाल हवा में लहरा रहे थे और उसके शरीर से एक अलौकिक तेज निकल रहा था।
"मैं हूँ यासमीन," उसने कहा, उसकी आवाज में जादू था। "इस हवेली की रानी... और तुम हो?"
अरमान का गला सूख गया। "मैं... मैं अरमान हूँ। एक पुरातत्वविद्। मैं यहाँ अनुसंधान के लिए आया हूँ।"
यासमीन ने उसके चारों ओर वृत्त बनाते हुए कहा, "अनुसंधान? किस चीज का अनुसंधान, मेरे प्यारे इंसान?"
"इस हवेली के इतिहास का," अरमान ने हिम्मत जुटाते हुए कहा। "यहाँ कौन रहता था? क्या वाकई यहाँ कोई जिन्न..."
"जिन्न?" यासमीन की हँसी हवेली की दीवारों से टकराकर वापस आई। "हाँ, मैं हूँ जिन्न। अग्नि से उत्पन्न, हवा में विचरण करने वाली। लेकिन मैं कोई डरावनी भूतनी नहीं हूँ, अरमान।"
उसने अरमान का चेहरा अपने हाथों में लिया। उसकी स्पर्श बर्फ की तरह ठंडा था, फिर भी उसमें एक अजीब गर्मी थी।
"सदियों से मैं इस हवेली में अकेली हूँ," यासमीन ने कहा। "तुम पहले इंसान हो जो मुझसे डरा नहीं।"
अगले दिन से अरमान रोज हवेली में आने लगा। दिन में वह हवेली के कमरों की तस्वीरें खींचता, पुराने दस्तावेज पढ़ता। लेकिन रात होते ही यासमीन प्रकट होती।
"तुम्हारी दुनिया कैसी है?" अरमान ने एक रात पूछा।
यासमीन ने अपना हाथ हवा में लहराया और कमरा अचानक बदल गया। दीवारें गायब हो गईं और वे दोनों एक रेगिस्तान में खड़े थे, जहाँ सुनहरे महल चाँदनी में चमक रहे थे।
"यह है मेरी दुनिया," यासमीन ने कहा। "जहाँ समय का कोई अर्थ नहीं, जहाँ इच्छाएँ तुरंत पूरी होती हैं। लेकिन यहाँ प्रेम नहीं है, अरमान। वह केवल इंसानों के पास है।"
अरमान ने उसकी आँखों में देखा। उन अग्नि-नेत्रों में उसे एक गहरी उदासी दिखी।
"क्या तुम मुझसे प्रेम कर सकते हो?" यासमीन ने धीरे से पूछा। "एक जिन्न से?"
अरमान का दिल तेजी से धड़कने लगा। इस अलौकिक सुंदरता के सामने वह बेबस था।
"मैं... मैं नहीं जानता," उसने कहा। "तुम इतनी रहस्यमय हो। कभी-कभी मुझे लगता है कि यह सब एक सपना है।"
यासमीन ने उसके होंठों पर उंगली रखी। "तो फिर इस सपने को सच बना दो।"
उसने अरमान को चूमा। उसके होंठ आग की तरह जल रहे थे, फिर भी अरमान उससे दूर नहीं हो सका। उस चुंबन में जादू था, नशा था, और एक अजीब खतरा भी।
दिन बीतते गए और अरमान पूरी तरह यासमीन के प्रेम में डूब गया। लेकिन धीरे-धीरे उसे अजीब चीजें दिखने लगीं। कभी यासमीन की आँखें पूरी तरह काली हो जातीं, कभी उसके हाथ पंजों में बदल जाते।
एक रात अरमान ने देखा कि यासमीन हवेली के तहखाने में किसी अजीब रीति-रिवाज में लगी है। वह एक पुराने शीशे के सामने खड़ी होकर कोई मंत्र पढ़ रही थी।
"यासमीन?" अरमान ने आवाज दी।
वह घूमी और अरमान को उसका चेहरा दिखा - वह पूरी तरह बदल गया था। उसकी आँखें लाल आग की भांति जल रही थीं और उसके मुंह से नुकीले दांत दिख रहे थे।
"तुम यहाँ क्यों आए?" उसकी आवाज में गुस्सा था।
अरमान पीछे हटा। "तुम... तुम कौन हो वास्तव में?"
यासमीन ने अपना असली रूप छुपाया और फिर से सुंदर दिखने लगी।
"मैं वही हूँ जो तुम चाहते हो कि मैं होऊं," उसने कहा। "प्रेम में सब कुछ माफ है, अरमान।"
लेकिन अरमान का मन संदेह से भर गया था।
अगले दिन उसने हवेली के इतिहास की और गहरी खोजबीन की। पुराने कागजातों में उसे एक डरावनी कहानी मिली।
वर्षों पहले इस हवेली में मुग़ल काल में एक सुंदर नर्तकी रहती थी जिसका नाम यासमीन था। वह एक शक्तिशाली जादूगर से प्रेम करती थी। लेकिन उस जादूगर ने उसे धोखा दिया और दूसरी औरत से शादी कर ली।
बदले की आग में जलकर यासमीन ने काले जादू का सहारा लिया। उसने एक शैतानी रीति की, जिससे वह एक जिन्न बन गई - लेकिन इस शक्ति की कीमत थी। हर पूर्णिमा की रात को उसे एक इंसान की जान लेनी पड़ती थी।
अरमान के हाथ काँप रहे थे जब उसने यह पढ़ा। कल पूर्णिमा थी।
रात हुई और अरमान हवेली गया, लेकिन इस बार वह तैयार था। उसके पास पवित्र अक्षर लिखा एक ताबीज था और उसने अपनी जेब में लहसुन और कुछ विशेष जड़ी-बूटियाँ रखी थीं।
यासमीन प्रकट हुई, पहले से कहीं ज्यादा सुंदर दिख रही थी।
"आज कुछ खास है," उसने कहा। "आज पूर्णिमा है। आज मैं तुम्हें अपनी पूरी शक्ति दिखा सकती हूँ।"
"मैं जानता हूँ तुम कौन हो," अरमान ने कहा। "तुम वह यासमीन हो जो सदियों पहले मरी थी। तुमने अपने प्रेम के धोखे के बाद खुद को जिन्न बनाया।"
यासमीन की हँसी अचानक रुक गई। उसकी आँखें तेजी से बदलने लगीं।
"तो तुमने सच्चाई जान ली," उसने कहा। "हाँ, मैं वही यासमीन हूँ। और हाँ, मुझे हर पूर्णिमा को एक जान चाहिए। लेकिन मैं तुमसे सच्चा प्रेम करती हूँ, अरमान।"
"प्रेम?" अरमान चिल्लाया। "तुम मुझे मारने के लिए यहाँ लाई हो!"
यासमीन का चेहरा दुःख से भर गया। "नहीं! शुरू में हाँ, लेकिन अब... अब मैं तुमसे सच्चा प्रेम करती हूँ। पहली बार सदियों में मेरे दिल में कुछ इंसानी भावना जगी है।"
वह रोने लगी। उसके आँसू आग की बूंदों की तरह फर्श पर गिर रहे थे।
"लेकिन मैं अभिशप्त हूँ," उसने कहा। "अगर मैं आज किसी की जान नहीं लूंगी, तो मैं खुद मर जाऊंगी। और अगर मैं मर गई, तो हमारा प्रेम भी मर जाएगा।"
अरमान ने यासमीन के पास जाकर उसका हाथ पकड़ा।
"तो फिर मेरी जान ले लो," उसने कहा।
यासमीन चौंक गई। "क्या कह रहे हो तुम?"
"अगर यही एकमात्र तरीका है तुम्हें बचाने का, तो मैं तैयार हूँ," अरमान ने कहा। "लेकिन एक शर्त है।"
"कौन सी शर्त?"
"मेरी मृत्यु के बाद तुम किसी और इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाओगी। तुम अपना यह अभिशाप खत्म करने का रास्ता ढूंढोगी।"
यासमीन के आँसू और तेजी से बहने लगे। "मैं तुम्हें नहीं मार सकती, अरमान। मैं तुमसे प्रेम करती हूँ।"
"तो फिर एक और रास्ता है," अरमान ने कहा। उसने अपनी जेब से वह ताबीज निकाला जिस पर पवित्र अक्षर लिखे थे।
"यह क्या है?" यासमीन ने पूछा।
"एक संत ने मुझे यह दिया था। कहा था कि यह किसी भी बुरी आत्मा को शुद्ध कर सकता है, लेकिन इसकी कीमत है।"
"कौन सी कीमत?"
"जो इंसान इसका प्रयोग करेगा, वह अपनी आधी उम्र खो देगा। और वह जिस आत्मा को शुद्ध करेगा, वह फिर से इंसान बन जाएगी, लेकिन उसकी सारी यादें और शक्तियाँ चली जाएंगी।"
यासमीन ने सोचा। "मतलब मैं एक साधारण इंसान बन जाऊंगी? मुझे कुछ याद नहीं रहेगा?"
"हाँ। तुम एक नई जिंदगी शुरू कर सकोगी। पाप-मुक्त।"
"लेकिन मैं तुम्हें भूल जाऊंगी।"
अरमान मुस्कराया। "तो मैं तुम्हें फिर से अपने प्रेम में डालूंगा। इस बार सच्चे प्रेम में, बिना किसी डर के।"
चाँद आसमान के बीच में था। यासमीन ने अरमान की आँखों में देखा।
"क्या तुम वाकई मेरे लिए अपनी आधी उम्र देने को तैयार हो?"
"प्रेम में सब कुछ न्यौछावर करना पड़ता है," अरमान ने कहा।
यासमीन ने उसे कसकर गले लगाया। "मैं तुमसे अपने इस जन्म में जितना प्रेम कर सकती थी, उससे कहीं ज्यादा प्रेम अगले जन्म में करूंगी।"
अरमान ने ताबीज यासमीन के माथे पर लगाया और एक मंत्र पढ़ना शुरू किया जो संत ने सिखाया था।
तुरंत हवेली में तेज रोशनी फैल गई। यासमीन चीखी, लेकिन यह पीड़ा की चीख नहीं थी - यह मुक्ति की चीख थी। उसके शरीर से काले धुएं के गुबार निकलने लगे।
अरमान को लगा जैसे उसकी जान निकल रही हो। उसके बाल तेजी से सफेद होने लगे और चेहरे पर झुर्रियाँ दिखने लगीं।
अचानक सब कुछ शांत हो गया।
जमीन पर एक युवा लड़की बेहोश पड़ी थी - यासमीन, लेकिन अब वह एक साधारण इंसान थी।
यासमीन की आँखें खुलीं। वह भ्रम में थी।
"मैं कहाँ हूँ?" उसने पूछा।
अरमान, जो अब बूढ़ा दिख रहा था, उसके पास बैठा।
"तुम सुरक्षित हो," उसने कहा। "तुम्हारा नाम यासमीन है और तुम्हें एक दुर्घटना हुई थी। मैंने तुम्हें बचाया।"
यासमीन ने उसकी आँखों में देखा। कुछ तो जाना-पहचाना लगा, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या।
"आप कौन हैं?" उसने पूछा।
"मैं अरमान हूँ। और मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।"
यासमीन हँसी। "लेकिन हम अभी-अभी मिले हैं।"
"कभी-कभी प्रेम पहली नजर में हो जाता है," अरमान ने कहा।
अगले महीनों में अरमान ने यासमीन की देखभाल की। धीरे-धीरे वह उससे प्रेम करने लगी। उसे नहीं पता था कि यह प्रेम कितना पुराना और गहरा था।
एक साल बाद अरमान और यासमीन की शादी हुई। यासमीन को अभी भी अपना पुराना जीवन याद नहीं था, लेकिन कभी-कभी उसे अजीब सपने आते थे - एक पुरानी हवेली के, आग के, और एक गहरे प्रेम के।
"मुझे लगता है कि मैं आपको पहले से जानती हूँ," एक दिन यासमीन ने अरमान से कहा।
अरमान मुस्कराया। "शायद पिछले जन्म में।"
"क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं?"
"हाँ। और मैं यह भी मानता हूँ कि सच्चा प्रेम जन्म-जन्मांतर तक चलता है।"
यासमीन ने उसका हाथ पकड़ा। "तो हम हर जन्म में मिलेंगे?"
"हर जन्म में," अरमान ने वादा किया।
उस रात यासमीन ने एक सपना देखा। सपने में वह एक जिन्न थी, शक्तिशाली और रहस्यमय। और अरमान... अरमान एक युवा पुरातत्वविद् था जिसने उसे बचाया था। जब वह जागी, तो उसकी आँखों में आँसू थे।
"क्या हुआ?" अरमान ने पूछा।
"कुछ नहीं," यासमीन ने कहा। "बस... आपका धन्यवाद।"
"किस बात के लिए?"
"मुझे बचाने के लिए।"
अरमान ने उसे गले लगाया। वह जानता था कि यासमीन को कुछ याद आ रहा था। लेकिन यह अच्छी बात थी। सच्चा प्रेम कभी पूरी तरह भुलाया नहीं जा सकता।
वर्षों बाद, जब अरमान और यासमीन बूढ़े हो गए, तो यासमीन को सब कुछ याद आ गया। वह अरमान के पास आई।
"मुझे सब याद आ गया," उसने कहा। "आपने मेरे लिए क्या किया। अपनी आधी उम्र दे दी।"
अरमान ने उसका हाथ चूमा। "और मैं फिर से करूंगा।"
"क्यों?"
"क्योंकि प्रेम में कोई हिसाब-किताब नहीं होता। प्रेम सिर्फ देना जानता है।"
यासमीन रो पड़ी। "मैंने आपको इतना कष्ट दिया।"
"नहीं," अरमान ने कहा। "तुमने मुझे सबसे बड़ा उपहार दिया - सच्चे प्रेम का अहसास।"
उस रात वे दोनों चाँदनी में बैठे अपनी प्रेम कहानी को याद कर रहे थे। यासमीन अब एक साधारण इंसान थी, लेकिन उसका प्रेम अभी भी अलौकिक था।
"अगले जन्म में भी आप मुझसे प्रेम करेंगे?" यासमीन ने पूछा।
"हर जन्म में," अरमान ने वादा किया। "चाहे तुम इंसान बनो, जिन्न बनो, या कुछ और। मेरा प्रेम तुम्हारे लिए हमेशा रहेगा।"
और इस तरह एक डरावनी प्रेम कहानी एक सुंदर अंत तक पहुँची। यासमीन को मुक्ति मिली, अरमान को सच्चा प्रेम मिला, और उन दोनों को एक-दूसरे का साथ मिला।
प्रेम की शक्ति से सबसे बड़े अभिशाप भी टूट जाते हैं। और सच्चा प्रेम मृत्यु से भी मजबूत होता है।