जीना इसीका नाम हैं
जीना इसीका नाम हैं ये मशवरा भी लिखा है l
किस तरह जीना है वो रास्ता भी लिखा है ll
अपनी समझ के हिसाब से काम करना की l
अच्छे ओ बुरे के साथ वास्ता भी लिखा है ll
ग़म की अंधेरी रात के बाद सूरज निकलता l
शक्ति का अह्सास दे हौसला भी लिखा है ll
आत्मविश्वास पर भरोसा पूरा रखना सखी l
मोहब्बत में होता वो फासला भी लिखा है ll
१६-६-२०२५
जीवन के सभी रंग लगते है बहार के l
खुशियां मनाओं आए है दिन प्यार के ll
जैसे भी जो भी हो आ जाओ मिलने l
काटे नहीं कटते है पल इंतजार के ll
आवाज़ सुनते ही दोड़े चले आएंगे l
एक बार देख लो फिर से पुकार के ll
यूँ ना उखड़े उखड़े फिरा करो जानेजाँ l
हल्के हो जाओ बोझ दिल से उतार के ll
एसे मुफ़्त में नहीं होते दीदार ए यार l
हुस्न की गली में ना फिरो बेकार के ll
१७-६-२०२५
जीने के रंग बदलने का इरादा है l
अपने आप से भी किया वादा है ll
मौत के बाद इंसान अकेले में भटक जाता हैं l
जिन्दगी की राह में चलते हुए अटक जाता हैं ll
साँस रूकते ही जाने एक पल सब कुछ खत्म l
अपने अपनों के साथ रिश्ता चटक जाता हैं ll
आजतक ये गुत्थी कोई ना सुलझा पाया कि l
शरीर से निकल आत्मा कहां छटक जाता हैं ll
गिले शिकवे छोड़कर आँसूं के उफान में l
पीछे रह जाने वाला प्यारा बहक जाता हैं ll
कहना सुनना सब छूट जाता है और फिर l
चाहनेवाला एक नज़र देखने तड़प जाता हैं ll
१८-६-२०२५
जिंदगी खुशहाल मिली हैं l
दिल की बगिया खिली हैं ll
कुछ ज्यादा ही नशे में है l
निगाहों से जो पिली हैं ll
आओ हुजूर मिल बैठे की l
शाम खूबसूरत निली हैं ll
महफिल में पर्दा उठाया ये l
हुस्न की दरिया दिली हैं ll
आँखों से बात करते है l
तब से ज़बान सिली हैं ll
१९-६-२०२५
जब से जिंदगी में खुशहाली आई हैं l
तब से चैन ओ सुकून की साँस पाई हैं ll
हुस्न की मुनव्वर महफिल में सरे आम l
आज दिल ने खुशनुमा गज़लें गाई हैं ll
चांद सितारों से आसमान में नूर सजा l
शब उसके मिलन की तमन्ना लाई हैं ll
बरखा भी बरसने लगी रिमझिम से l
गुलों से गुलशन में खुशहाली छाई हैं ll
बात बात पर गुस्सा होके रूठ जाना l
उनकी हर एक अदा दिल को भाई हैं ll
१९-६-२०२५
इश्क के कदमों की आहट आ रहीं हैं ll
दिल की हरकतें बेकाबू हुईं जा रहीं हैं l
सीने में दोड़ रहे हैं चाहत के घोडापुर l
साथ मिलन की आरज़ू ला रहीं हैं ll
दो लम्हों की मुलाकात का वादों से l
धड़कनें अजीब सा सुकून पा रहीं हैं ll
फिझाओ में खुशनुमा रंगत छाई कि l
बहकती महकती शाम भा रहीं हैं ll
दो घड़ी पास बैठने की फुर्सत मिली तो l
रगरग में सुकुनियत सी छा रहीं हैं ll
२०-६-२०२५
गर शांति चाहिए तो जिन्दगी खुशी से बिताये जाओ l
सबके साथ रिश्तों को मुस्कराते हुए निभाये जाओ ll
जीवन है कभी खुशी कभी ग़म का मौसम तो रहेगा l
दर्दों ग़म के आलम में भी खुशी के गीत गाये जाओ ll
शांति जैसी संपदा दुसरी कोई भी नहीं ये जान लो l
शांत मन से किये कार्य उत्तम परिनाम पाये जाओ ll
क्या लेकर आये हो क्या लेकर जाओगे बस यहीं सत्य l
स्वर्ग सी दुनिया बनाने दिलों से रंजिशें मिटाये जाओ ll
क़ायनात में शांति, चैन, सुख, सुकून, अमन चाहिये तो l
नफ़रत को मिटाकर प्यार ही प्यार बढ़ाये जाओ ll
२१-६-२०२५
आज हौसलों की दीवानगी देख लो l
मोहब्बत में होती आवारगी देख लो ll
बाँकपन अभी तक गया नहीं है यारो l
छोटी सी बात पर नाराजगी देख लो ll
ख्वाइशों को अपनी हद में रखकर l
नादान दिल की शरारती देख लो ll
इश्क़ में दिवाना हुआ है आशिक ओ l
बज रहा है राग आसावरी देख लो ll
कुछ ज्यादा ही सर चढ़ा रखा है कि l
हुस्न की मुकम्मल बेगानगी देख लो ll
२३-६-२०२५
बर्बादियों का दौर कब होगा ख़तम l
आतंकियों का शौर कब होगा ख़तम ll
सूरज खुशी का जाने कब तक आएगा l
अंधेरों का ये भौर कब होगा ख़तम ll
जैसे खुशीयों पर किसीकी है नज़र l
यूहीं रहेगा और कब होगा ख़तम ll
फ़ैली मकोड़ी जाल जैसी हर कही l
आबादियों का तौर कब होगा ख़तम ll
दर्दों ने घेरा जिन्दगी आ गई कहां l
चारो तरफ से छौर कब होगा ख़तम ll
२४-६-२०२५
रोज सुबह का सूरज नया नया लगता हैं l
नया सवेरा तन मन में ताजगी भरता हैं ll
जीना वो जीना है जो औरों के लिए जिए l
दिनभर ख़ुद को जलाके रोशनी करता हैं ll
वो अपना नित्य क्रम खूब निभाता है कि l
पुरब का दरवाजा खोलकर आगे बहता हैं ll
सुबह जगाकर शाम की लालिमा में सुलाता l
पूर्व से लेकर पश्चिम की और जा सरता हैं ll
रोज ही तेज रोशनी से प्रकाशित हो उठती l
क़ायनात में सभी जिव उस पर पलता हैं ll
२५-६-२०२५
फ़टे लिबास वालों के होसलें बुलंद हो सकते हैं l
ख्वाबों और ख्यालों में अरमान को बो सकते हैं ll
जो है वहीं बहतर बस यहीं सोच के साथ वो l
दिल से खुशियों के आँचल में समो सकते हैं ll
जिंदगी की सच्चाई को स्वीकार करके सखी l
खुद के छुपाकर दूसरों के अश्क़ धों सकते हैं ll
सब को जहाँ में सबकुछ नहीं मिलता है तो फिर l
जितना मिलता है वहीं दामन में सँजो सकते हैं ll
अपनी हद में रहकर तमन्नाओं को पूरा करके l
फ़िर चैन और सुकून की नींद भी सो सकते हैं ll
२६-६-२०२५
अंजुमन में सुना ग़ज़ल जब आगोश में दिलबर हैं l
निगाहें नशें में छलकती, आज ये क्या चक्कर हैं ll
देखो तो लम्बी सेर पर निकली है जल परियां l
चाँदनी शीत रात में हुस्न से चमकता समंदर हैं ll
जीभर के जी लेना चाहते हैं ये प्यारे रसीले l
खूबसूरत हमनवाज़ के साथ सुहाना सफ़र हैं ll
बज्म में खिला खिला हुस्न ओ हाथों में जाम ये l
खुशनुमा महकते बहकते मिलते लम्हें दूभर हैं ll
ना जाने फ़िर कब मुलाकात होगी चलो आज l
महफिल में दोस्तों के साथ झूमना बेहतर हैं ll
२७-६-२०२५
नाम क्या है सनम बता मेरा दिल से एक आवाज़ आई ll
आज ख़ुद से रूबरू होकर ख़ुद की ही पहचान करवाई ll
पहली बार ख़ुद को जानकर ख़ुद का अह्सास हुआ हैं l
तसल्ली से दिल ने चैन और सुकून की साँस है पाई ll
हौसला बनाये रखा तो देखो दिन भी खुशी के आऐ l
अच्छी तरह से जान लेने के बाद जिंदगी में बहार लाई ll
मिरे जीवन की बगिया में महकते गुल खिले है और l
रिमझिम बारिस आने से धड़कनों ने मेध मल्हार गाई ll
अपनी दुनिया में मस्त रहना सीख लिया है यारों की l
कुदरत के सुख दुःख के चक्र की निराली रित खूब भाई ll
२८-६-२०२५
दिल पे तिरे आहट के निशान आज भी मौजूद हैं l
मिरे बेइन्तहा चाहत के निशान आज भी मौजूद हैं ll
ताउम्र हर लम्हा साथ गुजारे घर के दरवाजे और l
दीवारों पे तिरे हाथ के निशान आज भी मौजूद हैं ll
मिरे आगोश में बिताई हुई सितारों से छलकती महकती l
शरारती नशीली रात के निशान आज भी मौजूद हैं ll
निगाहों से पिया था शबाब पूनम की चाँदनी में l
बेपनाह प्यारी याद के निशान आज भी मौजूद हैं ll
बिना किसीकी झिझक या मतलब के निभाया हुआ l
वो मुकम्मल साथ के निशान आज भी मौजूद हैं ll
२९-६-२०२५
हुस्न के आने से सुहानी शाम का मंज़र ख़ुशनुमा हो रहा हैं l
आज जीभर के बातें करेंगे दिल ने दिल से खुशी से कहा हैं ll
बड़ी बेताबी से इंतजार कर रहे हैं एक प्यारी मुलाकात का l
अब तो चैन ओ सुकून मिले बरसों जुदाई का बहुत दर्द सहा हैं ll
ना जाने कौन सी बातों ने रोके रखा था आज तक इश्क़ को l
एक पल के दीदार के लिए कई बरस लहू अश्क बनकर बहा हैं ll
बेइंतिहा बेपन्हा प्यार की गिरफ़्त में हो चुके हैं गिरफ्तार l
दिल को आराम और ठंडक वहा मिलेगी मोहब्बत जहा हैं ll
जिंदगी के सुबह की खूबसूरत शुरुआत हो गई है कि सखी l
जहा इश्क़ ने महफिल सज़ाई हुई है हुस्न की क़ायनात वहा हैं ll
३०-६-२०२५