Naya Ghar... Aur Ek Puraani Aatma - 1 in Hindi Horror Stories by Sakshi Devkule books and stories PDF | नया घर… और एक पुरानी आत्मा - 1

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नया घर… और एक पुरानी आत्मा - 1

🖤 अध्याय 1 – “पहला दरवाज़ा”(New Home... A Soul Not Gone)"नई ज़िंदगी, नया शहर, नया घर… और शायद कुछ नया डर भी।"शिवानी ने खिड़की से बाहर देखा। पहाड़ियों के पीछे सूरज ढल रहा था, और हवाओं में किसी अजनबी की खुशबू घुली हुई थी।"Finally, हमारी जिंदगी की नई शुरुआत!" समर ने मुस्कुराकर कहा, जब उन्होंने फ्लैट का दरवाज़ा खोला।यह बिल्डिंग शहर से थोड़ी दूर थी। नई बनी थी, लेकिन पूरे फ्लोर पर सिर्फ़ 2 परिवार रहते थे।"Shivani, unpacking शुरू करो। मैं नीचे से सामान ले आता हूँ," समर ने कहा और बाहर चला गया।

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📦 शाम 6:30 बजेशिवानी ने जैसे ही बेडरूम की पुरानी अलमारी का दरवाज़ा खोला, धूल का एक गुबार उड़ गया।लकड़ी की दराज़ें चरमराईं, जैसे कोई बहुत पुराने ज़माने की चीख बाहर निकलने को बेताब हो।वो धीरे-धीरे कपड़े सजाने लगी, तभी उसका हाथ एक कोने से टकराया।“ठक… ठक…”दीवार के उस हिस्से में कुछ अजीब सा था — जैसे अंदर खोखलापन हो।"ये... ये आवाज़ कैसी थी?"उसने उँगलियों से उस जगह को दबाया — दीवार की लकड़ी की पट्टी थोड़ा हिली।कौतूहल में उसने पट्टी को धीरे से उखाड़ा —अंदर एक पुराना लकड़ी का बक्सा छिपा हुआ था, जो धूल और जाले से पूरी तरह ढंका हुआ था।उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।"ये बॉक्स यहाँ क्यों रखा है? किसी ने बताया क्यों नहीं?"उसने धीरे-धीरे बक्से को निकाला और ज़मीन पर रखा।बॉक्स का ढक्कन पुराने ज़माने की चटखनी से बंद था, जो हल्के से दबाते ही खुल गई — "टक्क..."


📓 बॉक्स के अंदर रखी थीं तीन चीज़ें:एक काली, पुरानी डायरी — जिसके पन्ने पीले पड़ चुके थे, लेकिन उस पर किसी का नाम नहीं था।एक टूटा हुआ चांदी जैसा कंगन, जिस पर काले निशान थे, जैसे जलने का कोई निशान हो।और एक जली हुई फोटो — जो आधी राख बन चुकी थी, लेकिन बाकी हिस्से में एक लड़की का चेहरा साफ दिख रहा था।उस लड़की के खुले बाल कंधों पर बिखरे थे, उसकी आँखें सीधी कैमरे की ओर… नहीं — ऐसा लग रहा था जैसे शिवानी की आँखों में झाँक रही हों।चेहरे का दायां हिस्सा पूरी तरह जला हुआ था — जैसे किसी ने जानबूझकर उसकी पहचान मिटाने की कोशिश की हो।

😨 शिवानी की उंगलियाँ कांप गईं…"ये कौन है…? और इस तस्वीर को किसी ने यहाँ क्यों छुपाया?"उसके मन में सवालों की बाढ़ आ गई। लेकिन कोई जवाब नहीं था —सिर्फ़ तस्वीर की सिहरन, डायरी की ख़ामोशी, और कंगन का अधूरा सच…

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🌃 रात 11:45शिवानी बिस्तर पर लेटी थी, लेकिन नींद दूर थी।तभी — “Click…”Bathroom की light अपने आप जल गई।उसने करवट ली — दरवाज़ा आधा खुला था।वो चुपचाप उठी…धीरे-धीरे बाथरूम के पास गई। अंदर कोई नहीं था।पर शीशे पर लाल रंग से लिखा था:

🩸 "Why did you take my home?"शिवानी का दिल धड़कने लगा। उसने झट से समर को उठाया —"Sam… उठो… शीशे पे कुछ लिखा है!"समर भागकर अंदर गया —"Shivani… यहाँ कुछ भी नहीं है।"वो शीशा साफ था। लिखा मिट चुका था।"तुम overthink कर रही हो। कल बहुत थक गई हो न?"शिवानी चुप रह गई, लेकिन उसका मन कह रहा था — "ये सब कुछ असली था।"

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📖 रात का आख़िरी सीनबेड के पास रखी ब्लैक डायरी अपने आप खुलती है…पहला पन्ना खाली था, लेकिन कुछ ही सेकंड में उस पर शब्द उभरते हैं —> “मैं मर चुकी हूँ… लेकिन मेरा घर अभी ज़िंदा है।”“अब तुम यहाँ अकेली नहीं हो…”शिवानी की आंखें फटी रह जाती हैं…

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🔚 अध्याय 1 समाप्त…


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🔮 क्या शिवानी ने जो देखा, वो सपना था या सच?

🧣 वो पुराना कंगन… क्या उसकी आत्मा अब भी इसी घर में है?

👻 और ब्लैक डायरी… क्या हर रात एक नया राज़ खोलेगी?

📖 जानने के लिए पढ़ते रहिए — "नया घर… और एक पुरानी आत्मा"