इतिहास के पन्नों से
भाग -4
नोट - ‘ वैसे तो इतिहास अनंत है ‘ लेख में इतिहास की कुछ घटनाओं के बारे में पहले प्रकाशित भागों में उल्लेख है, अब आगे पढ़ें कुछ अमेरिकी घोटाले …
व्हिस्की रिंग कांड ( Whisky Ring स्कैंडल ) - अमेरिका में इस कांड की शुरुआत 1871 में हुई थी . व्हिस्की रिंग एक संगठित आपराधिक नेटवर्क था जिसमें शराब निर्माता , व्यापारी और प्रशासन के अधिकारी सभी संलग्न थे . व्हिस्की रिंग नेटवर्क ने सरकारी राजस्व को चूना लगाया था . इस मिलीभगत से सरकार को मिलने वाले उत्पाद शुल्क की बड़ी हानि हुई थी .
यह नेटवर्क प्रशासनिक अधिकारियों को घूस देकर सरकार को मिलने वाला उत्पाद शुल्क बचा लेता था . उस समय राष्ट्रपति ग्रांट थे . राष्ट्रपति के पुनर्निर्वाचन अभियान के लिए फण्ड जमा करने के बहाने यह घोटाला शुरू किया गया . राष्ट्रपति के सचिव पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप था जबकि राष्ट्रपति ने उन्हें बचाने का प्रयास किया था .हालांकि स्वयं राष्ट्रपति ग्रांट पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप नहीं था फिर भी इसके चलते जनता की नजरों में सरकार की ईमानदारी , निष्ठा और पारदर्शिता गिरी थी .
टीपॉट डोम घोटाला ( Teapot Dome Scandal ) - अमेरिका में 1920 के दशक के आरंभ में एक बड़ा राज नीतिक घोटाला हुआ था . उस समय वारेन हार्डिंग अमेरिका के राष्ट्रपति थे . इस दौरान प्रशासन द्वारा फेडरल ( संघीय ) तेल भंडारों को गुप्त रूप से पट्टे पर दिया गया था . तेल कंपनियों के साथ गुप्त समझौता किया गया था जिसके बदले में उच्च अधिकारियों को मोटी रकम रिश्वत में मिली थी . तत्कालीन आंतरिक सचिव और बड़े तेल व्यापारी के बीच सांठगांठ के चलते यह कांड हुआ था . अमेरिकी सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार और अविश्वास की जानकारी सार्वजनिक हुई थी और सरकार की प्रतिष्ठा गिरी थी . तब विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र में सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी को गहरी ठेस पहुंची थी .
इस घोटाले का नामकरण ‘ टीपॉट डोम ‘ रखने के पीछे भी एक कारण था . अमेरिका के व्योमिंग प्रान्त में नौसेना का तेल भंडार एक पहाड़ी इलाके में था जो देखने में टीपॉट डोम ( चायदानी गुंबद ) की शक्ल का लगता था . इसके साथ कैलिफ़ोर्निया प्रान्त के तेल भंडार को भी पट्टे पर बिना ओपन टेंडर दे दिया गया था .
अमेरिका का वाटरगेट घोटाला ( Watergate Scandal ) - 1972 का वाटरगेट स्कैंडल एक ऐसा स्कैंडल या घोटाला था जिसके चलते तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को त्यागपत्र देने के लिए मजबूर होना पड़ा था . निक्सन अमेरिका के 37 वें और आजतक एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति थे जिन्हें महाभियोग से बचने के लिए त्यागपत्र देना पड़ा था .
राष्ट्रपति निक्सन अमेरिका के रिपब्लिकन पार्टी से थे . 17 जून 1972 की रात को अमेरिका के डेमोक्रेटिक नेशनल कमिटी ऑफिस में चोरी हुई थी . यह ऑफिस वाटरगेट होटल में था और यहाँ तत्कालीन विपक्षी दल अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी का मुख्यालय था . इस घटना में पुलिस ने पांच चोरों को पकड़ा था . कहा जाता है कि इनमें चार क्यूबा के लोग थे जो अमेरिका के CIA ( सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी ) में क्यूबा के तत्कालीन राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के विरुद्ध जासूसी में सक्रिय रह चुके थे . पांचवां व्यक्ति जेम्स मेकार्ड जूनियर था जो राष्ट्रपति का सुरक्षा प्रमुख था . ये लोग निक्सन के पुनर्निर्वाचन के लिए बनी कमिटी के लिए काम कर रहे थे . इसी कारण विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के ऑफिस में चोरी करने गए थे .
वाटरगेट दफ्तर में विपक्षी पार्टी की जासूसी के लिए कुछ दस्तावेजों की चोरी हुई और साथ में ऐसे उपकरण लगाये जिनसे वहां की बातचीत वे सुन सकते थे (phone tapping ) . जांच कमिटी ने राष्ट्रपति निक्सन को दोषी पाया था . राष्ट्रपति निक्सन इन्हें छुपाने और बचाने का विफल प्रयास कर रहे थे . बात बढ़ते बढ़ते मिडिया , कांग्रेस और कोर्ट तक पहुंची और उन पर महाभियोग लगने जा रहा था . महाभियोग का सामना करने से बचने के लिए 19 अगस्त 1974 को राष्ट्रपति निक्सन ने त्यागपत्र दे दिया था . बाद में 8 सितंबर 1974 को नए राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड ने निक्सन को राष्ट्रपति रहते हुए उनके द्वारा किये गए अपराध के लिए बिना शर्त पूर्ण रूप से क्षमा कर दिया था .
क्लिंटन-लेविंस्की कांड - बिल क्लिंटन अमेरिका के 42 वें राष्ट्रपति थे , वे डेमोक्रेटिक पार्टी के एक युवा राष्ट्रपति थे . उनका कार्यकाल 1993 - 2001 तक रहा था . उनके कार्यकाल के अंतिम वर्षों में USA में एक बड़ा यौन कांड हुआ था . इस यौन कांड में स्वयं राष्ट्रपति क्लिंटन वाइट हाउस की एक इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ संलग्न थे .
मोनिका लेविंस्की की एक सहेली ने मोनिका और क्लिंटन के बीच हुए फोन पर बातचीत को गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया था . उसने इस रिकॉर्डिंग को एक स्वतंत्र वकील केन स्टार को दे दिया . इसका खुलासा होने के बाद अमेरिका की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया था . बात इतनी आगे बढ़ गयी कि राष्ट्रपति क्लिंटन पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई . अमेरिका के नियम के अनुसार राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव पहले हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव ( House ) द्वारा पास करना होता है . उसके बाद सीनेट द्वारा दो तिहाई मत से पास होने पर ही महाभियोग लगाया जा सकता है . उनके काल में हाउस में विपक्षी दल रिपब्लिकन को बढ़त थी इसलिए हाउस द्वारा क्लिंटन पर महाभियोग का प्रस्ताव तो पास हो गया . पर सीनेट द्वारा ट्रायल और वोट के दौरान यह प्रस्ताव गिर गया और उन्हें अपराध से मुक्त कर दिया गया था . क्लिंटन ने अपने पद पर बने रह कर अपना कार्यकाल पूरा किया .
ईरान कॉण्ट्रा कांड ( Iran Contra Scandal ) - ईरान कॉण्ट्रा कांड 1980 के दशक के मध्य का एक मामला है . इस कांड में अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने गुप्त रूप से ईरान को हथियारों की बिक्री थी . ईरान एक शत्रु राष्ट्र था इसलिए हथियारों की बिक्री अवैध थी . इसके अतिरिक्त इस धन को निकारागुआ में कॉण्ट्रा विद्रोहियों ( जो तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध थे ) को गैर कानूनी रूप से दिया गया था . उस समय 1985 में अमेरिका की सर्कार आधिकारिक रूप से ईरान के साथ बात करने या कॉण्ट्रा को समर्थन देने से मना कर रही थी , विशेष कर अमेरिकी बंधकों को छुड़ाने के लिए . अमेरिका इजरायल के माध्यम से ईरान को हथियार बेच रहा था . तब ईरान और इराक में संघर्ष चल रहा था और इन हथियारों से ईरान को मदद मिलती . खुलासे के बाद सरकारी अधिकारियों पर मुकदमा चला और उन्हें दोषी पाया गया था . कुछ को अपील के बाद रिहा कर दिया गया था और शेष सभी को राष्ट्रपति बुश के कार्यकाल में माफ़ कर दिया गया था . उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन थे हालांकि उनके इस बिक्री में किसी तरह शामिल होने का कोई प्रमाण नहीं मिला था .
क्रमशः