आदित्य ने समझी माँ की चिंता.....
अब आगे...........
विवेक इशान से कहता है......" भाई आप इनके पास रहना मैं घर जा रहा हूं.......
इशान उसे रोकता हुआ कहता है....." विवू आदित्य को भी हाॅस्पिटल से डिस्चार्ज कर रहे हैं इसलिए आदित्य को पहले घर छोड़ दें....."
विवेक इशान की बात से सहमत जताता हुआ कहता है....." ठीक है भाई...और हां भाई आप दोनों प्लीज़ नार्मल बिहेव करना,,,उसे ये नहीं लगना चाहिए कि हमें उसके बारे में पता चल गया है....."
इशान और आदित्य दोनों अपनी सहमति देते हैं और विवेक काॅल लगाकर बाहर आ जाता है और इशान आदित्य के डिस्चार्ज पेपर बनवाने के लिए चला जाता है.....
आदित्य लेटा हुआ बस अदिति के बारे में ही सोच रहा था....." क्यूं ऐसा किया मैंने...?.... मुझे अदि की बात नहीं माननी चाहिए थी , मैं अदि को कुछ नहीं होने दे सकता .... मुझे जल्दी से ये सब मां को बताना चाहिए..... नहीं ...लेकिन इन सबसे मां ही हमें बचा सकती है जिन्होंने इतने सालों तक हमे इन सबसे दूर रखा शायद वो जानती थी कि हमारी जान को खतरा है लेकिन मां ने हमें खुलकर सारी बातें क्यूं नहीं बताई......?....."
आदित्य ये सब सोच कर परेशान हो रहा था उधर विवेक हितेन से बात करने की कोशिश कर रहा था लेकिन तीन चार बार काॅल करने के बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आता,,,, विवेक कंचन को काॅल लगाता है.... उसके एक बार काॅल से ही कंचन काॅल रिसीव करती है....." हेलो विवेक...."
" कंचन तुम कहां हो...?..." विवेक जल्दबाजी में पूछता है
" विवेक मैं घर पर ही हूं अभी... पता चला था कि भाई की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं और श्रुति हाॅस्पिटल आ रहे थे...."
" उसकी जरूरत नहीं कंचन भाई आज घर चले जाएंगे वहीं मिल लेना,,,तुम ये बताओ हितेन कैसा है....?...."
" वो तो अब ठीक है, तुमने बात नहीं की उससे...."
" वहीं तो कंचन मैंने चार पांच बार काॅल किया लेकिन उसने कोई रिप्लाई नहीं दिया....."
" तुम चिंता मत करो हम वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात करते हैं...."
" ठीक है तुम करो...."
कंचन वीडियो कांफ्रेंसिंग करती है लेकिन हितेन इसमें भी ज्वाइन नहीं होता......
कंचन विवेक से कहती हैं......" एम सॉरी विवेक शायद हितेन हो रहा होगा......?...."
विवेक कंचन से कहता है....." इट्स ओके कंचन इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नही है शायद हितेन का मन नहीं है बात करने का...."
कंचन परेशान सी कहती हैं......" पता नहीं विवेक हितेन को क्या हुआ है जबसे हाॅस्पिटल से आया बहुत रुडली बात कर रहा है,,,की बार मेरा काॅल भी कट कर देता है....
विवेक कंचन को शांत करने के लिए कहता है...." कंचन मुझे लगता है मुझे हितेन की गलतफहमी दूर करनी होगी...."
कंचन हैरानी से पूछती है....." कैसी गलतफहमी...?..."
" वो जब तुम मिलने आओगी तब सब कुछ बता दूंगा...."
कंचन ओके कहकर काॅल कट कर देती है.... विवेक अभी भी हितेन के बिहेवियर के लिए परेशान लग रहा था तभी इशान उसके पास आता है.......
" विवू मां और पापा चले गए क्या...?....."
" हां भाई वो अभी थोड़ी देर पहले ही गये इस... क्या अदिति मतलब वो वहां है....?..."
" नहीं विवू वो तो वहां नहीं है...?.."
विवेक तक्ष के वहां न होने से शाक्ड हो गया था...." वो जरूर अपने कीड़े को ढूंढ रहा होगा.... मुझे उसे वहां से छुपाना होगा नहीं तो वो उसे ढूंढ़ लेगा ...."
इशान कन्फ्यूजन दूर करने के लिए पूछता है....." कौन सा कीड़ा विवू....?..."
विवेक : भाई वो मैं बाद में बताता हूं,, मैं घर जा रहा हूं आप भाई के पास ही रूकना.....(विवेक जाते जाते रूक जाता है)...और हां भाई ये सुरक्षा लाकेट अब सिर्फ तीन ही है इसे एक को आप बांध लो और एक आदित्य भाई को दे दो...."
इशान लाकेट लेते हुए कहता है......" ये क्या हैं विवू...?..."
" ये जो भी है आपकी प्रोटेक्शन के लिए जरूरी है...."
" ठीक है...."
विवेक वहां से सीधा घर के लिए निकलता है....उधर तक्ष घर पर पहुंचता है..... बबिता घर की साफ सफाई कर रही थी अचानक अदिति को देखकर समझ जाती है ये तक्ष है इसलिए उसे अनदेखा कर देती है....तक्ष सीधा अदिति के रूम में जाकर इधर उधर कुछ ढूंढने लगता है....सामान गिरने से बबिता का ध्यान उस ओर जाता है
बबिता : ये अदिति के कमरे में क्या ढूंढ रहा है...?...
तभी तक्ष गुस्से में बाहर आकर सीधा अपने कमरे की तरफ बढ़ता है वहां भी वैसे ही ढूंढ़ने में लग जाता है..... बबिता जल्दी से विवेक को काॅल लगाती है लेकिन कार ड्राइव करने की वजह से विवेक काॅल रिसीव नहीं कर पाता इसलिए बबिता चुपचाप फोन साइड में रखकर अपना काम करने लगती है....तक्ष तिलमिलाते हुए नीचे आकर बबिता से पूछता है....." तूने मेरे पीछे कमरे में जाकर छानबीन की थी...."
बबिता सहमी सी जाती है लेकिन तुरंत न में सिर हिलाते हुए कहती हैं....." मैं तो अभी सुबह ही आई हूं जबसे साहब अस्पताल में भर्ती है तबसे मैं घर पर ही थी...."
तक्ष उसके पास जाकर उसे घूरता हुआ कहता है...." सच कह रही है तू ..."
बबिता उसके इस तरह घूरने से डरती हुई कहती हैं....." न नहीं मैं स सच कह...र..रही .... हूं..." तक्ष कुछ सोचकर दोबारा कमरे की तरफ बढ़ता है...
तभी बबिता का फोन रिंग होता है जिसे सुनकर तक्ष वापस नीचे आता है और बबिता तुरंत काॅल रिसीव करके फोन नीचे छुपा लेती है ताकि विवेक उसकी बातों को सुन ले ......तक्ष उसके पास आकर उसे घूरता हुआ कहता है..."...तक्ष मेरे उबांक को देखा तूने....." विवेक तक्ष की आवाज सुनकर कार को साइड में स्टॉप करके उसकी बातें सुनने लगता है...
" न नहीं....म ..मैंने न. नहीं द.. देखा..."
" ठीक है...तूने ही उस विवेक को बुलाया था....."
" न ह ह.." बबिता हकलाते हुए कहती हैं
तक्ष चिल्लाते हुए कहता है....." क्या हकला रही जानवर की तरह तूने ही बुलाया था उसे ...मेरी चेतावनी देने के बाद भी तुझे तेरी बेटी की चिंता नहीं है...."
बबिता उससे रिक्वेस्ट करती है...." ऐसा मत करना.. मैं साहब को ऐसे मरते हुए नहीं देख सकती थी इसलिए मैंने उन्हें बुलाया था....."
तक्ष ज़ोर ज़ोर से हंसने लगता है....." वैसे ठीक ही किया तूने इतनी आसान मौत नहीं होनी चाहिए थी उसकी, इससे भी ज्यादा तड़पना है उसे और उसकी बहन को....."
....................to be continued..........
विवेक दोनों को बचाने के लिए क्या करेगा....?
जानने के लिए जुड़े रहिए