Demon The Risky Love - 83 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 83

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दानव द रिस्की लव - 83

जहर अदिति ने दिया....

अब आगे...................

औषधि वाले पानी को पिलाने के बाद भी आदित्य के शरीर में कोई हरकत नहीं होती , जिससे परेशान हो निराश हो जाता है.... आदित्य के हाथ को पकड़ते हुए कहता है...." इससे कुछ क्यूं नहीं हो रहा है...?...ये जहर इतना पावरफुल तो नहीं हो सकता.....अगर भाई ठीक नहीं हुए तो मैं अदिति को क्या कहूंगा ... प्लीज़ शिवजी हेल्प भी...." 
थोड़ी ही देर बाद विवेक ने जिस हाथ को पकड़ रखा था अचानक उसमें मूवमेंट होती महसूस हुई जिससे विवेक तुंरत बड़े ध्यान से आदित्य को देखता है और आदित्य की बाॅडी में मूवमेंट शुरू हो जाती है... उसकी आंखें हिलने लगती है जैसे बस कुछ ही मिनटों में उसे होश आ जाएगा.... ।
विवेक इशान को बुलाता है......" भाई जल्दी अंदर आयो ... आदित्य भाई की बाॅडी में मूवमेंट हो रही है....."
उसकी आवाज से इशान डाक्टर को लेकर अंदर पहुंचता है... डाक्टर तुरंत आदित्य की प्लस चैक करते हुए कहते हैं......" Impossible रुकी हुई सांसे फिर से चलने लगी...."
विवेक तुरंत कहता....." मैंने पहले ही कहा था शायद मैं भाई को ठीक कर सकता हूं....."
इशान उससे पूछता है...." ये सब कैसे किया तूने..?.."
विवेक : भाई ये बहुत लम्बी कहानी है जिससे सुनाने और समझाने में बहुत टाइम लग जाएगा...."
डाक्टर : मिस्टर इशान ये एक मिरेकल केस हो गया, आपके भाई ने हमारी टीम को भी चक्कर में डाल दिया है..."
इशान मुस्कुराते हुए कहता है...." ये हैं ही ऐसा जब सब फेल हो जाते हैं तो ये पता नहीं कौन सा चक्कर चलाता है कि हमें चक्कर में डाल देता है......"
डाक्टर : ये अब पूरी तरह नार्मल है शायद इन्हें होश भी आ रहा है....."
विवेक तुरंत आदित्य को देखता हुआ कहता है...." हां भाई को होश आने लगा है...."
इशान : विवेक अदिति और मां को भी बता दो आदित्य अब खतरे से बाहर है.....
विवेक बेमन से बाहर जाता है...... विवेक देखता है अदिति (तक्ष) बाहर अकेली बैठी है और सुविता जी वहां नहीं थी, विवेक उसके पास जाकर बैठता हुआ धीरे  कहता है....." तुम्हारा प्लेन फेल हो गया आदित्य भाई जिंदा बच गए...शायद मेरे होते हुए तो तुम किसी को नुकसान पहुंचा नहीं सकते तक्ष..." अपना नाम सुनते ही तक्ष हैरानी से उसे देखता हुआ नासमझते हुए कहता है..." क्या बोल रहे हो तुम...?.."
विवेक : तुम अच्छे से जानते हो मैं क्या कह रहा हूं....
तभी सुविता जी आती है, उन्हें देखकर विवेक कहता है..." बड़ी मां आप कहां चली गईं थीं । आदित्य भाई को होश आ गया है..." विवेक के मुंह से आदित्य को होश में आने की बात सुनकर तक्ष के चेहरे पर हैरानी साफ दिख रही थी जिसे विवेक बखुबी समझता हुआ अपने आप से कहता है...." ये हैरानी की तो शुरुआत है आगे देख...."
तक्ष विवेक को देखता हुआ अपने आप से कहता है..." ये ऐसा कौन सा मंत्र जान गया है जो बार मेरे रास्ते में आने के लिए तैयार रहता है और इसे कैसे लगा मैं अदिति नहीं तक्ष हूं...ये उबांक भी पता नहीं कर से कहां चला गया है... कुछ करना होगा इसे रास्ते से हटाया नहीं गया तो मेरा अवरोधक बन जाएगा ये...."
विवेक अदिति (तक्ष) के सामने चुटकी बजाता हुआ कहता है..." कहां खो गई...?.. चलना नहीं है अंदर ...."
अदिति (तक्ष) : हां....
अदिति (तक्ष ) अंदर पहुंच जाती है और विवेक फिर सोच में पड़ जाता है..." अघोरी बाबा ने कहा था तक्ष के खून की बूंदें चाहिए उन्हें मुझे जल्दी ही इसे बिना ये जताए अदिति मेरे पास है इसके खून की बूंदें को इस डब्बी में लेना होगा..."
विवेक भी अंदर पहुंचता है.... आदित्य अदिति (तक्ष) को देखकर खुश होने की बजाय माथे पर गुस्से की लकीरें उभर आती है जिसे देखकर विवेक कहता है...." भाई क्या हुआ आप अदिति को देखकर खुश नहीं लग रहे हैं...." 
इशान विवेक को चुप करता हुआ कहता है...." अभी आदित्य को होश आया है तो इसलिए परेशान होगा अदिति को देखकर..."
विवेक इशाउकी बात को नहीं समझ पाते हुए कहता है...." आप क्या कह रहे हो भाई...?..."
इशान हल्के से डांटते हुए कहता है...." चुपचाप खड़ा रहा अदिति तुम दूर क्यूं खड़ी हो पास आओ..."
विवेक अपने आप से कहता है...." भाई इसे देखकर गुस्से में क्यूं लग रहे थे...?..कहीं भाई को ये तो नहीं लग रहा है कि अदिति ने उन्हें जहर दिया है.... नहीं मुझे इनकी गलतफहमी दूर करनी होगी...."
इशान विवेक से कहता है....." विवू तू यहीं रहना मैं इसके लिए कुछ खाने के लिए लेकर आता हूं...."
विवेक : ठीक है भाई.......
अदिति (तक्ष) आदित्य के पास जाती है लेकिन आदित्य विवेक से कहता है....." विवेक अदिति को बाहर ले जाओ मैं ठीक हूं..." आदित्य ने ये बात बहुत रूडली कहीं थी जिससे अगर सच में अदिति होती तो वो हर्ट हो जाती लेकिन तक्ष तो आदित्य से मिलना नहीं चाहता था बस उसे तो अपने आगे के काम को अंजाम देना था.... इसलिए चुपचाप बाहर चला गया......
विवेक आदित्य के पास आकर कहता है....."भाई आपको पता है आपको किसने पोइजन दिया है...."
आदित्य हैरानी से विवेक को देखते हुए पूछता है...." पोइजन मुझे....?.."
विवेक फिर से कहता है...." हां भाई डाक्टर कह रहे थे आपको पोइजन दिया है....."
आदित्य को रात की बात याद आती है जिसमे केवल अदिति के  दिये कसर्टड फ्रूट से ही उसकी तबीयत बिगड़नी शुरू हुई थी इतना सोचकर अपने आप से कहता है....." नहीं अदिति मुझे पोइजन नहीं दे सकती ,,वो ऐसा क्यूं करेगी...."
आदित्य को इस तरह परेशान देख विवेक उसकी परेशानी को समझते हुए कहता है......" आपको लग रहा है जहर अदिति ने दिया है...."
आदित्य उसकी तरफ हैरानी से देखता है मानो पूछ रहा हो तुझे कैसे पता...?..... विवेक आगे कहता है....." हां भाई आपको जहर अदिति ने ही दिया है और वो भी अननैचुरल....." 
 
..................to be continued....................
 
विवेक ने झुठ क्यूं बोला ....?.. जबकि वो जानता है पोइजन अदिति ने नहीं तक्ष ने दिया है......
जानने के लिए जुड़े रहिए.......