तु ही मेरी मोहब्बत - ७
(अब तक अपने पढ़ा की रिया को उसके सवालों का जवाब तो मिला मगर अधूरा क्यों की अराध्या आगे और कुछ बता पाती इसे पहले ही गरिमा उन्हें बुलाने कमरे में आ जाती है,,,,,,!! अराध्या अपने दिल में चल रही बातों को रिया के साथ शेयर करती है। जिससे अराध्या का मन भी हल्का हो जाता है!, और वो रिया से वादा लेती है की इसका जिक्र किसी से ना करे,,,,,,,,, अब आगे :-)
अराध्या और रिया अपनी बातें खत्म कर के नीचे खाना खाने आ गए। इधर कृत्विक एक बड़े से घर के सामने आकर रुका घर के आगे एक नेम प्लेट था जिसमे एक बड़ा “C” लिखा था और “C” के दोनो तरफ शेर का पिक्चर बना हुआ था और उसके नीचे बड़े बड़े अक्षरों में (CHAUHAN'S) लिखा हुआ था। कृत्विक को देखते ही वॉचमैन ने झट आकर मैन गेट खोला,,,,,,,,!!
-“सलाम कृत्विक बाबा,,,!!” वॉचमैन ने अपने माथे से अपना हाथ लगा कर बोला।
-“अरे मोहन चाचा आपको कितनी बार कहा है ऐसे सलाम मत किया कीजिए हम तो आपके बच्चे जैसे है,,,, और बड़ों का हाथ बस आशीर्वाद देने के लिए उठे तो अच्छा लगता है,,,,,, ऐसे सलाम करने के लिए नहीं!!” कृथ्विक ने अपनी बाइक थोड़ी स्लो की और अपने नजर का चश्मा नीचे उतार कर कहा।
-“हां हां सॉरी बाबा मैं भूल गया था।” वॉचमैन मुस्कुरा कर कहा तो कृत्विक भी मुस्कुराया और अपना नजर का चश्मा वापस पहन लिया और अपनी बाइक स्पीड से पार्किंग की तरफ ले गया। गाड़ी पार्क की और अंदर चला आया। उसका घर काफी अंदर से बहुत बड़ा और आलीशान था।
“माँ माँ माँ,,,,कहा हो आप,,,,,?” कहते हुए कृत्विक हॉल में पड़े बड़े से सोफे पर आ बैठा। कृत्विक की मां (“साधना चौहान”) टॉवल से अपने हात पोंछते हुए किचन से बाहर आई और कृत्विक के पास आकर कहा “क्या बात है कृत्विक,,,? आते ही चिल्लाना शुरू कर दिया तुमने!, काम भी करने नही देगा क्या??” कहते हुए वो कृत्विक का कान पकड़ लेती है। “आ,,,,, मां छोड़िए दर्द हो रहा है,,,,,, अच्छा अच्छा सॉरी और नही चिल्लाऊंगा अब तो छोड़ दीजिए!” कृत्विक बच्चों की तरह नौटंकी करते हुए कहता है तो साधना उसका कान छोड़ देती है। “अब बताएगा भी की क्या हुआ,,,,,,,,,,?” साधना ने थोड़ा आवाज ऊंचा कर के पूछा। “अरे मां एक स्ट्रॉन्ग कॉफी बना दीजिए ना,,,,,,!” कृत्विक ने मासूम सा चहरा बना कर कहा तो साधना मुस्कुरा पड़ी और कहा:- “हम्म्म अभी बना देती हूं।” इतना कह कर साधना किचन की और बढ़ गई !! तभी दादी मां (“कल्याणीदेवी चौहान”) पूजा घर से बाहर हॉल में आ गई। “आरे साधना बहु इसका बचपना तो अभी भी खत्म नहीं हुआ”। दादी मां सोफे पे बैठते हुए कहती है। “अरे मेरी प्यारी दादी कहां थी आप?, दिखी नहीं!!” कहते हुए कृत्विक उठ कर दादी मां के पास आकर बैठ गया। “क्या बात है आज तो बड़ी प्यारी प्यारी बातें कर रहा है दादी से।” कृत्विक के गाल को खींचते हुए कहती है। “अरे मेरी स्वीट दादी में तो रोज ही प्यारी बातें करता हूं आप ही नही सुनती।” कृत्विक ने पहले अपने हाथ दादी के कंधे पर रखा और फीर शान से अपने बालों पे हात फेरते हुए कहा। “हां हां सब समझती हूं मैं,,,,,,चल जा अब ज्यादा मस्का मत लगा दादी को।” दादी मां ने कृत्विक से कहा तो कृत्विक वहां से उठ कर कीचन में आ गया और कीचन के रैक पर बैठ गया,,,,!!, साधना कॉफी बना कर कृत्विक और बढ़ा दी,,,,,,: thank you मां कृत्विक ने कॉफी का मग साधना के हाथों से लेकर कहा। “अच्छा,,,,,,,,, शैतान तो ये बात तो तू कीचन में भी आ कर बोल सकता था,,,,तु भी ना दिन ब दिन बच्चा बनता जा रहा है।” साधना ने कृत्विक को मीठी डांट लगा कर कहा। “वैसे मां में कितना भी बड़ा हो जाऊं रहूंगा तो आपका छोटा सा प्यारा सा कृत्विक ही ना।” कहते हुए कृत्विक, साधना की नकल उतरने लगता है। “बदमाश नकल उतार रहा है मेरी!” कृत्विक का एक कान पकड़ कर झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए कहती है। “ओके ओके मां sorry ना दर्द कर रहा है। कृत्विक थोड़ा दर्द से कराह कर बोलता है,,,, क्यूं की इस बार साधना ने थोड़ा कस कर कृत्विक का कान पकड़ा हुआ था। बिचारा कृत्विक दर्द के मारे “सॉरी सॉरी” किए जा रहा था आखिर में साधना ने उसका कान छोड़ दिया और कहा “अच्छा अच्छा चल जा अब यहां से मुझे परेशान मत कर काम करने दे!, “और जाते जाते मालती को थोड़ा बुला दे मेरी हेल्प करवा देगी थोड़ा किचन में!!” (मालती उनके घर की नौकरानी थी जो उनके यहां काम करती थी)
कृत्विक अपना कॉफ़ी का मग लेकर कुछ कदम आगे बढ़ा और फिर से पीछे आकर - “ओह माई स्वीट मां,,,,,,,!!” कृत्विक ने साधना को साइड हग करते हुए प्यार से भर कर कहा और वहां से चला गया। किचन से बाहर आकर उसने देखा की मालती दादी के पैरों में तेल लगा कर मालिश कर रही है,,,,! वो उनके पास आया और कहा -“मालती,,,,,,,,!!”
-“जी कृत्विक भैया!” मालती ने सिर उठा कर कृत्विक तरफ देख कर कहा।
-“मां तुम्हे किचन में बुला रहीं हैं।” इतना कह कर कृत्विक सोफे पर पड़े अपने शॉपिंग के बैग्स उठता है और सीढ़िया चढ़ कर सीधा अपने कमरे में जा ही रहा था की सामने से आते हुए किसीसे टकरा गया,,,,,, - “देख कर नही चला जाता तुझसे,,,?? कृत्विक ने मुंह बना कर कहा।
-“भाई आप ही पता नहीं किस धुनकी में चले आ रहे हो।” लड़की ने जवाब दिया।
-“अच्छा बेटा मुझसे होशियारी ज्यादा बोला ना तो पापा से कह दूंगा की ये कल फिर से शॉपिंग पे फालतू खर्चे कर के आई है।” कृत्विक ने स्टाइल से अपने कॉफ़ी का एक घूंट पीते हुए कहा। -“भाई आप मेरी जासूसी कर रहे हो!, this is not done भाई !!” लड़की ने अपनी रोनी सी शकल बना कर कहा और पैर पटकते हुए जाने लगी तो कृत्विक ने पीछे से कहा
-“वैसे मैंने सुना था आज तो तेरे कॉलेज का पहला दिन था,,,,,,!!
-“हां,,,, और पहले ही दिन लेट पहुंची, स्कूटी पंचर हो जाने की वजह से,,,, और क्लास भी मिस कर दिया!!” लड़की ने उसी रोनी आवाज में ही कहा।
-“तब तो ये बात पापा से कहना बनता है।” कृत्विक ने फिर से उससे चिढ़ाते हुए कहा।
-“भाईईईईईईईईईई,,,,,,,,,,,,,!!” चिला कर लड़की पैर पटकती हुई नीचे चली गई। तो कृत्विक हंसते हुए अपने कमरे में चला गया,,,,। तो यह थी चौहान परिवार की सबसे छोटी बेटी (सिया चौहान) घर में सबकी प्यारी और लाडली थी,,,,, थोड़ी सी शैतान थी लेकिन दिल की बहुत साफ़,,,!! शोपिंग से उससे बहुत प्यार था। सिया का अभी अभी मुंबई यूनिवर्सिटी में एडमिशन हुआ था और आज कॉलेज का पहला दिन था लेकिन बिचारी पहले दिन बस कॉलेज घूम कर ही आ गई,,,,, क्योंकि उसके स्कूटी का टायर जो पंचर हो गया था।
कृत्विक अपने कमरे में आया,,,, कमरा काफी बड़ा था एक एक चीज अपनी अपनी जगह पर सलीके से जमा कर रखा हुआ था।, एक बड़ा सा बेड था जिससे थोड़ा लग कर टेबल लैंप रखा हुआ था और लैंप के ठीक ऊपर तीन फ्लोटिंग शेल्फ डिजाइन से बनाए हुए थे जिसमे कुछ शो पीसेस सजा कर रखे हुए थे।, सबसे ऊपर वाले शेल्फ पर एक बड़ी सी पेंटिंग रखी हुई थी। बेड से लगे वॉल पर ऊपर डिजाइन से तीन लाइट लगे हुए थे। कमरा काफी खूबसूरत था। अपने हाथ में पकड़े बैग्स साइड में रखे टेबल पर रखा और अपना कॉफ़ी लेकर बालकनी में आकर खड़ा हो गया!, बालकनी भी काफी बड़ा था नीचे ग्रास वाला कार्पेट बिछा हुआ था, एक तरफ एक हैंगिग चेयर रखा हुआ था और छोटे छोटे लाइट्स वॉल पर डिजाइन किए गए थे,,,,,,, घर में ये उसका फेवरेट जगह था। बाहर का मौसम बड़ा ही सुहाना था ठंडी हवाएं उसको छू कर गुजर रही थी। कृत्विक ने अपनी आंखे बंद कर ली उन हवाओं में वो कुछ महसूस करने की कोशिश कर रहा था। उसके कानो में पायल की आवाज़ और एक प्यारी सी हंसी गूंजने लगीं,,,,,,। उसने एक गहरी सांस ली और मुस्कुरा कर अपनी आंखे खोली,,,,, वो अंदर चला आया कॉफी का मग रखा और म्यूजिक सिस्टम ऑन किया और एक गाना प्ले किया,,,, और बिस्तर पर लेट गया अपने दोनो हाथ सिर के पीछे लगा लिया और अपने ख्यालों में खो गया,,,,,,मीडियम साउंड में गाना बजने लगा,,,,,,,,
तुम हो पास मेरे,,,, साथ मेरे हो
तुम यूं,,,,,
जितना महसूस करूं तुमको
उतना ही पा भी लूं,,,
तुम हो,,,
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“है,,,, प्रिंसेस यह तुम्हारे लिए!” एक छोटा सा लड़का प्यारी सी स्माइल के साथ कहता है।
“वाओ इतने सारे कलर्स वो भी मेरे लिए,,!!” चोटी सी लड़की जो दिखने में बहुत क्यूट थी अपने आंखो को बड़ी कर के,,, और अपने छोटे छोटे हाथों को अपने गालों से लगा कर कहती है।
हां,,, प्रिंसेस!! लड़का कहता है।
थैंक यू प्रिंस,,,!! बची उसके हाथ से कलर्स ले कर खिलखिला कर हंस कर कहती है।
अच्छा प्रिंसेस में एक बात पूछूं,,,? लड़का कहता है।
हां,,,, पूछो! लड़की कहती है।
तुम मुझसे कभी फ्रेंडशिप नहीं तोड़ोगी ना?? लड़का फिर से सवाल करता है।
अरे बुधु तुम एक ही तो अच्छे फ्रेंड हो मेरे,,,!! लड़की अपनी बड़ी बड़ी पलकों को झपका कर बोलती है।
प्रोमिस प्रिंसेस!! लड़का अपना हाथ आगे कर के कहता है।
पिंकी प्रोमिस!! लड़की मुस्कुरा कर अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर रख कर कहती है।
और दोनो ही खिलखिला कर हंस पड़ते हैं। तभी कोई दरवाज़ा नॉक करता है। दरवाजा खटखटाने की आवाज से कृत्विक तंद्रा टूटती है वो अपने ख्यालों से बाहर आकर कहेता है
-“अंदर आजाओ!!”
“भैया ये आपके कपड़े मालकिन ने आपको देने के लिए कहा,,,!”, चेतन कहता है। (चेतन उनका नौकर था उनके घर में दो नौकर थे। वे दोनो पति पत्नी थे।) -“हां यहा बेड पर रख दो।” कृत्विक ने कहा तो चेतन ने उसके कपड़े बेड पर रख कर चला गया। कृत्विक उठा और अपने अलमारी के पास आया और अंदर से एक फाइल निकली,,,,,,, फाइल खोल कर उसमे से उसने एक लिफाफे से किसी की तस्वीर निकली,,,,,,, और उससे देख कर प्यार से मुस्कुराते हुए कहा :-
“तुम कहां हो,,,,,,क्या मैं तुम्हें अभी भी याद हूं प्रिंसेस,,,,,??”
( कहानी का ये भाग पढ़ कर आप सबको ये तो पता चल ही गया होगा की बचपन में तकदीर ने जिनको अलग कर दिया था,,!!, आज तकदीर ने उन्हें फिर से एक दूसरे के सामने ले आया है,,,,,,,, क्या बचपन की मोहब्बत होगी मुक्कमल या रह जायेगी अधूरी,,?? जानने के लिए पढ़ते रहिए “तू ही मेरी मोहब्बत” सिर्फ मेरे साथ)
कर्मश:
आरती गोछायत