चाय! सिर्फ एक पेय पदार्थ नहीं बल्कि सुकून का नाम है। दिन भर की थकान, उदासी, टेंशन को दूर करना हो तो बस एक कप चाय और सब कुछ शांत। ये चाय न सिर्फ हमारे रोज की टेंशन दूर करती है बल्कि बहुत से लोगो के मोहब्बत की दास्तान बन जाती है, ऐसे ही एक दास्तान आज आपको बताती हु, एक सच्ची चाय से शुरू हुई मोहब्बत की दास्तान!!!
मॉडल टाउन, दिल्ली।
अन्वी 23 साल की मस्तमौला लड़की, इसे किसी से कोई मतलब नहीं सिवाय चाय के। अन्वी पूरा दिन बिना खाने के गुजार सकती थी लेकिन चाय के बिना बिल्कुल नहीं।
अपने घर में सबसे छोटी ओर सबकी लाडली, जिस का बस एक ही पसंदीदा काम था.. बालकनी में बैठ कर शाम की चाय पीना!! वैसे तो ये पूरे दिन में 10 बार आराम से चाय पी ले मगर शाम की चाय ज्यादा जरूरी रहती थी।
कॉलोनी की आवाजें, बच्चों की हँसी और उसके अकेलेपन की खामोशी — सब कुछ उसकी उस एक कप चाय में मिल जाते थे।
दिल्ली में बरसात बहुत कमी से होती थी, और उस बरसात का असली लुफ्त था, चाय के साथ पकोड़े खाने में।
हर बार की तरह आज अन्वी बालकनी में बैठी चाय पी रही थी साथ ही बरसात का मजा भी ले रही थी, अब दिल्ली में बरसात कुछ ही दिनों की तो रहती है इसका मजा कैसे न उठाया जाए। तभी उसकी बिल्डिंग के सामने वाली बिल्डिंग के बाहर एक बड़ा टेम्पो आकर रुका, जिसमें से कुछ लोग सामान निकाल रहे थे।
" अंकल! नए लोग आए ही क्या?" अन्वी ने बालकनी से नीचे की ओर देखते हुए वहां खड़े एक 50 साल के आदमी।से पूछा।
" हा! बेटा... मेरा भतीजा है। ये अब से यही रहेगा!" उस आदमी ने जवाब दिया और सामान निकलवाने लगा।
अन्वी को उस नए लड़के को देखने की इच्छा हुई, वो जरा इधर उधर होकर उस लड़के को देखने की कोशिश कर रही थी जो टेम्पो की ओट में छुपा हुआ था। मगर मानो वो लड़का शायद अन्वी के संघर्ष को जान गया था इसलिए तो टेम्पो के साइड से निकल कर खड़ा हो गया और सीधा अन्वी की नजरों के सामने, उसकी उमर करीब 25 साल होगी।
हल्की रिमझिम बारिश में भीगता उस लड़के का मस्क्युलर शरीर, हवा से माथे पर बिखरे बाल चेहरा नीचे होने की वजह से अन्वी उसका चेहरा तो नहीं देख पाई मगर जितना उसे देखा अन्वी को अपने अंदर अजीब हलचल महसूस हुई।
"अन्वी..." अंदर से उसकी मां ने आवाज लगाई तो
" आई मां!" कहती हुई वो वह से हट गई, लेकिन उस लड़के को देखने का अरमान अब भी दिल में था। लेकिन जैसे ही वो हटी उतने में उस लड़के ने अपना चेहरा ऊपर कर दिया, फ़ॉक्सी ग्रे eye's वाला ये लड़का लड़कियों के दिल की धड़कन बनने वाला था।
" विवान अंदर चलो!" वहां मौजूद आदमी ने लड़के से कहा। वो लकड़ा यानि विवान हा में सिर हिला कर वहां से अंदर की ओर चला गया मगर अंदर जाते हुए उसने मूड कर अन्वी की बालकनी की तरफ जरूर देखा।
" कौन होगा वो लड़का? कैसा दिखता होगा?" रात में बालकनी में खड़ी अन्वी खुद से सवाल कर रही थी, जिस की नज़रे बराबर सामने विवान की बिल्डिंग पर बनी हुई थी।
" धत्त! मैं क्यों उसके बारे में सोच रही हु? एक लड़का ही तो आया ही सामने!" उसने खुद को डपटते हुए कहा। " लेकिन एक बार दिख जाता तो!" लेकिन अब भी विवान को देखने की लालसा अन्वी में से खत्म नहीं हुई थी।
अन्वी जो विवान को देखने के लिए इतना उत्सुक थी, उसपर रोक लगाने के लिए अपने हाथ में कप पकड़े विवान भी अपनी बालकनी में आ गया। विवान की नज़रे सीधा अन्वी के चमकते चेहरे पर गई लेकिन अन्वी अब भी अपने ख्यालों में ये सोच रही थी की विवान कौन और कैसा होगा?
कुछ पल अन्वी को देखने के बाद विवान ने अपनी आंखे उससे हटा ली थी मगर अब अन्वी को एहसास हुआ कि शायद वहां कोई ओर भी। उसने जैसे ही नज़रे घुमाई सीधा सामने विवान.......!!!!!
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✍🏻रूह....!!!!