अब आगे...............
अपने सामने सबकुछ धुंधला होने की वजह से एकांक्षी उस शख्स को देखते हुए कहती हैं....." अधिराज , तुम ...आ गये.." इतना कहते ही एकांक्षी पूरी तरह उसकी बांहों में गिर जाती है...
वो शख्स एकांक्षी की बात सुनकर गुस्से में कहता है..." आखिर तुम अधिराज को दोबारा कैसे याद करने लग गई , वैदेही.... मैं ऐसा हरगिज नहीं होने दूंगा, ये अधिराज काॅलेज में आकर एकांक्षी के करीब आना चाहता है लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा , , वैदेही को तुमने मुझे से छीन लिया लेकिन एकांक्षी को मैं कभी तुम्हारे करीब नहीं आने दूंगा , , तुम दोनों पक्षि मेरी एकांक्षी करीब भी नहीं आ सकते , , मैं एकांक्षी को उसका पूर्वजन्म याद नहीं आने दूंगा , ,!... तभी वो शख्स आंखें बंद करके किसी को बुलाता है...." स्मृतिका..."
उसके इतना कहते ही उसके शरीर में से एक छोटी सी परी जैसी लड़की बाहर आकर कहती हैं..." युवराज माणीक को स्मृतिका का प्रणाम...आज कैसे बुलाया आपने हमें...."
उस शख्स माणीक ने कड़े शब्दों में कहा...." स्मृतिका , मैं चाहता हूं तुम एकांक्षी के यादे मिटाती रहो , , वो अधिराज अपनी सारंगी से इसे वापस पूर्वजन्म याद करवाने की कोशिश कर रहा है , मैं नहीं चाहता ये दोबारा अधिराज के प्यार में फंसे , , इसके दिल अधिराज के नाम से केवल नफ़रत होनी चाहिए , , बाकी मैं संभाल लूंगा बस तुम इसके दिमाग से सबकुछ मिटा दो ...."
स्मृतिका पोलाइटलि कहती हैं....." युवराज ..! आप जानते हैं हम महाराज की शक्ति के सामने अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकते...."
" स्मृतिका तुम भूल रही हो इस समय एकांक्षी को कुछ भी याद नहीं है और इसलिए जीवंतमणि की शक्तियां अभी जागृत नहीं है और जबतक एकांक्षी को सबकुछ याद नहीं आ जाता मणि जागृत नहीं होगी , तो फिर तुम सोचो बिना मणि के जागृत के प्रेषक महाराज कैसे तुम्हें हानि पहुंचा सकते हैं , , इसलिए जितना कहा है उतना करो नहीं तो तुम जानती हो, , मैं क्या कर सकता हूं....."
स्मृतिका उसकी बात सुनकर काफी डर जाती है इसलिए बिना देर किए अपनी विस्मृति मणि के रुप में आ जाती है, जिसके अंदर से एक सफेद रंग की रोशनी निकलने लगती है , , माणीक उसे लेकर एकांक्षी के ठुड्ढी से लेकर माथे तक उस मणि को फिरा देता है , ,
कुछ ही सेकंड के बाद एकांक्षी को होश आ जाता है और खुद को स्टेयर्स के पास बैठा देख हड़बड़ाते हुए उठती हुई कहती हैं......" मैं यहां क्या कर रही हूं... मुझे तो क्लास रूम में होना चाहिए था न..."
तभी उसके सामने कोई हाथ बढ़ाते हुए कहता है....." यू आर ओके..."
" या , थैंक्स , ..."
एकांक्षी उसे देखते हुए कहती हैं....." तुम , , तुम्हें मेरी केयर करने की जरूरत नहीं , मेरे पास आने की जरूरत नहीं है विक्रम...."
विक्रम हंसते हुए कहता है....." Nowadays is not the time for goodness , , , कोई इतने प्यार से पूछ रहा है और मेडम गुस्सा दिखा रही हैं...."
एकांक्षी चुपचाप उठकर उसे घूरती हुई सीधा क्लास रूम में पहुंचती है....
एकांक्षी के क्लास में पहुंचती है और उसके चेहरे पर अभी भी विक्रम नाम का गुस्सा आ रखा था , , उसके चेहरे को देखते हुए किरन पूछती है....." क्या हुआ तुझे ..?.. इतनी गुस्से में क्यूं लग रही है...?..." एकांक्षी उसके सवाल का जबाव देती उससे पहले ही , विक्रम मल्होत्रा के क्लास रूम में एंटर होने से उसे समझ आ जाता है कि एकांक्षी इसकी वजह से गुस्से में है लेकिन फिर एक बार उसकी तरफ देखते हुए पूछती है...." तूझे हुआ क्या था अचानक म्यूजिक सुनकर....?..."
एकांक्षी हैरानी से पूछती है....." कौन सा म्यूजिक...?... मैं तो अभी आई हूं न...."
एकांक्षी की बात सुनकर किरन उसे गौर से देखते हुए कहती हैं...." तेरी तबियत तो ठीक है न ...अभी अभी तो आद्रिक ने गिटार प्ले किया था जिसे सुनकर तू बाहर चली गई थी...."
एकांक्षी उसे गुस्से में घूरती हुई कहती हैं....." तेरा दिमाग ठिकाने पर है या नहीं , , कौन सा गिटार और कौन आद्रिक...?.."
किरन उसे अपने थर्ड लाइन में बैठे आद्रिक को दिखाते हुए कहती हैं ......" वो रहा...आद्रिक...."
" न्यू है न वो...."
" हां एकांक्षी , तुझे पता तो है...."
" नहीं यार अभी देखा है मैंने उसे..."
किरन उसकी बातों से लगभग काफी ज्यादा परेशान हो चुकी थी लेकिन वो कुछ बोलती या समझाती प्रोफेसर आकर लेक्चर शुरू कर देते हैं , जिससे किरन चुपचाप हो जाती है लेकिन वो एकांक्षी को ही देखे जा रही थी.....
कुछ देर क्लास खत्म हो जाती है....
किरन अपने बैग लेते हुए कहती हैं..." कैंटीन चले , , तेरा कोई वैट कर रहा है..."
एकांक्षी एक्साइटेड होकर पूछती है....." कौन ...?..."
" चल दिखाती हूं...."
किरन चलते चलते भी एकांक्षी की बात को याद करते हुए परेशान हो रही थी और खुद से कहती हैं....." एकांक्षी गिटार वाली बात कैसे भूल गई...."
एकांक्षी किरन को खुद को देखते हुए इशारे से पूछती है..." क्या हुआ , तेरी शकल पर बारह क्यूं बज रहे हैं...?...."
" कुछ नहीं , ,."
दोनों बातें करते हुए कैंटीन में पहुंच जाते हैं , किरन उसे बैठने की कहकर आॅडर देने के लिए चली जाती हैं ... एकांक्षी बैठे अपने फोंट्स को दे रही थी तभी किसी ने उसकी आंखों को हाथ रखते हुए बंद करके कहा ...." बताओ कौन..?..."
एकांक्षी उसके हाथों को छूकर जानने की कोशिश करती है और शायद वो समझ जाती है इसलिए तुरंत कहती...." तान्या..."
वो तुरंत उसकी आंखों पर से हाथ हटा लेती है और एकांक्षी जल्दी से खड़ी होकर उसे कसकर गले लगाते हुए कहती हैं...." कहां चली गईं थीं इतने दिनों..?.."
" कूल डाउन बेस्टी , , मैं आ तो गई...."
" कैसा लगा सर्प्राइज एकांक्षी...?.." किरन ने आते हुए कहा..
एकांक्षी ड्रामा करते हुए कहती हैं....." तो तुम दोनों मिलकर मुझे यूं शाॅक दिलवाना चाहते थे..."
किरन और तान्या दोनों एकांक्षी के साइड से पकड़ते हुए कहते हैं...." तो तुझे सर्प्राइज अच्छा नहीं लगा....?..."
" बहुत अच्छा लगा...."
" वैसे तान्या तुषार नहीं आया...."
" नहीं यार उसे पापा ने बिजनेस के लिए फ्रांस भेज दिया..."
किरन रोतू सा मुंह बनाते हुए कहती हैं....." ये तो अच्छा नहीं हुआ....."
" डेड का डीशिजन था , वैसे छोड़ बैठो आज की ट्रीट मेरी तरफ से...."
तीनों आपस में बातें करते हुए काफी खुश हो रही थी तभी तान्या की नजर सामने से आ रहे विक्रम की तरफ पड़ती है जिसे देखकर वो काफी शाक्ड थी और खुद से कहती हैं...." ये यहां कैसे , ये तो मर चुका था..?.."
..................to be continued..............
आखिर तान्या विक्रम को देखकर इतना शाक्ड क्यूं थी...?...
और अगर विक्रम मर चुका है तो फिर ये कौन है....?
और किसने एकांक्षी की यादों को खत्म किया..?..
जानने के लिए जुड़े रहिए......
आपको कहानी कैसी लगी रही है मुझे जरूर बताएं....