palpitations in Hindi Love Stories by Vartikareena books and stories PDF | धड़कन

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धड़कन








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" नील...नील कहा खोए हो ? " प्रिशा नील को आवाज देते हुए बोली जो कहीं खोया हुआ था ।


प्रिशा के हिलाने से नील जैसे नींद से जागा हो । वो हड़बड़ाकर बोला ,," कही.. क.. ही नहीं खोया मैं ..! "


प्रिशा उसे घूर कर देखती है तो नील अपनी नजरें चुराने लगता है । 


" तुम एक बार फिर सर्जरी के बारे में सोच रहे ना । नील....!!! कितनी बार कहा है सब सही होगा क्यो इतना परेशान होते हो । "


" तुम नहीं समझती और ना ही समझ सकती हो क्योंकि तुम्हें अपनी मौत का इंतजार जो नहीं करना पड़ रहा है ना ! "


" नील...! " प्रिशा ने आहत भाव से नील को पुकारा 


नील ने कसकर आंखें बंद करते हुए कहा " सॉरी ..पर मैं ..मैं बस .. "


इसके आगे नील कुछ नहीं कह पाया । उसने अपने चेहरे पर बड़े करीब से प्रिशा कि गर्म सांसों को महसूस किया !


थोड़ी देर बाद प्रिशा उस से अलग हुई और बोली , " चिंता मत करो मैं हूं ना ! मिल जाएगा डोनर । "


" हम्म "

" नील .. "

" यार क्या करूं..!  मैं परसों सर्जरी है और अब तक कोई डोनर नहीं मिला । बहुत घबराहट हो रही है प्रिशा ।। " नील ने विचलित होकर कहा 


" सब सही होगा ... देखना कल तक डोनर मिल जाएगा घबराओ नही ! ",, प्रिशा नील के बालों में हाथ फेरती हुई बोली 


नील ने प्रिशा का हाथ पकड़ा और उन्हें चुमते हुए बोला " तुम हमेशा मुझे हिम्मत देती हो तुम ना होती तो पता नहीं मेरा क्या होता ..! "


" कुछ नहीं होता तुम्हारा " प्रिशा इतराते हुए बोली 

प्रिशा को देख नील के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई 



वो‌ दोनों नील के कमरे में बैठे बात कर रहे थे । दोनों ने कुछ वक्त ओर बात करी फिर नील प्रिशा को उसके घर छोड़ आया । 

नील एक एडवोकेट था और वो दिल्ली का रहने वाला था पैसे से और परिवार से कोई परेशानी नहीं थी उसे । बड़ा हसंता खेलता परिवार था उसका जिसमें उसकी तीन बड़ी बहनें और माता-पिता थे । उसका एक प्रथम नाम का जिग्गरी यार भी था । दोनों ही एक दूसरे पर जान छिडकते थे । 

अब तो नील कि जिंदगी में प्रिशा भी थी उसका प्यार जो उसकी हिम्मत , साहस उसका सब कुछ थी । प्रिशा एक गंभीर और बेहद  समझदार और जिंदादिल लड़की है । दोनों को ही एक दुसरे को डेट करते हुए पांच साल हो गए हैं ।

नील प्रिशा से तब मिला था जब प्रिशा अपना पीजी कर रही थी और नील ने बस प्रेक्टिस करना शुरू किया था । प्रिशा ने नील को ग्रो करते हुए और कामयाबी को छुते हुए देखा है वहीं प्रिशा खुद एक मल्टी नेशनल कंपनी में अच्छी पोजिशन पर काम कर रही थी । 


नील कार ड्राइव करते हुए एक पुरानी याद में खो गया । 


आज उसका छब्बीस वा जन्मदिन था । वो बहुत एक्साइटेड था क्योंकि आज वो प्रिशा को अपनी फैमली से मिलाने वाला था । 

शाम का समय था उसका पुरा घर जगमगा रहा था । मेहमानों का आना शूरू हो गया था । 

नील प्रथम के साथ एक कोने में खड़ा था । प्रथम उस से कुछ बोल रहा था पर नील का तो उसकी बातों पर ध्यान ही नहीं था वो तो बस एकटक दरवाजे कि ओर देख रहा था । किसी का इंतजार था उसे । 


प्रथम ने एक नजर उसे देखा फिर दरवाजे को । उसने नील के पेट में जोर से कोहनी मारी । नील के मुंह से आह निकल आई ।


" तेरा दिमाग तो ठीक है ! ",, नील ने दर्द में कहा 


" साले... जो यहां है उस पर तू ध्यान नहीं दे रहा और जो नहीं है उसके लिए पलकें बिछाए इंतजार कर रहा है । ",, प्रथम ने उसे घूरते हुए कहा 


" कहा पलकें बिछाई है ... ये देख मेरी पलकें मेरी आंखों पर ही तो है ! " नील ने प्रथम को चिढ़ाते हुए कहा 


प्रथम मुंह बनाते हुए बोला ,, " ज्यादा ना बन मत तू .. "


" मजाक कर रहा हूं मेरे यार .. "

" मेरी ही टांग मिलती है तुझे खिंचने को " 

" अब तेरी नहीं खिचुगा तो क्या प्रिशु कि खिचुंगा ..! "


" क्य खींचोगे मेरी ? " किसी कि आवाज़ आई 

दोनों ने चिहुंक कर सामने देखा । सामने प्रिशा खड़ी थी ।

दोनों उल्लुओं कि तरह उसकी तरफ देख रहे थे ।


" तुम दोनों ऐसे क्या देख रहे हो ? ",, प्रिशा ने थोड़ा असहज होते हुए कहा । उसे नील और प्रथम का उसे यूं देखना कुछ असहज कर रहा था । 


" कुछ नहीं " 

" कुछ नहीं देखा रहे हम । " 


वो तीनों थोड़ी देर यूं ही खड़े होकर बातें करने लगे फिर थोड़ी देर बाद नील ने केक काटा और सबसे पहले अपने मम्मी - पापा को खिलाया फिर अपनी बहनों को फिर प्रथम और सबसे अंत में प्रिशा को । 


अब वो टाईम भी आ गया जब नील सबको प्रिशा के बारे में बताने वाला था । सारे मेहमान जा चुके थे अब बस हॉल में नील , प्रथम , प्रिशा और नील कि फैमली ही। बची थी । 


नील ने एक गिलास उठाया और उसपर चम्मच बजाते हुए बोला " यात्री गण कृप्या ध्यान दें ! सभी अपनी कुर्सी की पेंटी बांध लें और अपने दिल , दिमाग , कान , फेफड़े सब खोल कर सुने मेरी ये अत्यधिक महत्वपूर्ण सूचना ..! "


नील ये बात भारी उत्साह से कहता है ।


नील कि बहने , मम्मी पापा हंसने लगते हैं और प्रथम , प्रिशा अपना सर पीट लेते हैं । 


" साला नौटंकी!! "

" ये इतना माहौल क्यो बना रहे हैं ? "


इधर नील अपना गला खंखरता है और बोलना शुरू करता है,, " मैं आप लोगों से एक बहुत जरूरी बात कहना चाहता हूं " 


" क्या आप लोगो को नहीं लगता कि अब मेरी शादी कर देनी चाहिए ...! "


" पर क्यूं ? " नील कि मम्मी कहती हैं । 

" क्यूं! क्या क्यूं अरे मेरी शादी कि उम्र हो गई है अब नहीं कराओगी शादी तो कब कराओगी ...!! " नील चिढ़ कर बोलता है । 


" पर हम एक मासूम लड़की कि जिंदगी क्यो खराब करे ! " नील के पापा शालिनता से कहते हैं । 


नील के पापा कि  बात सुन कर जहां प्रिशा मुंह दबा कर हंसने लगती है वही प्रथम और नील कि तीनों बहनें जोर जोर से हंसने लगते हैं । 


नील मुंह बना कर बोला ,," पापा ...! मेरे से शादी कर प्रिशा कि जिंदगी खराब हो जाएगी क्या । "


" हां बिल्कुल हो जाएगी । कितनी ...  क्या ..... " नील कि मंजली दीदी सीया दीदी हैरानी से लगभग चीख ही देती है । 


नील अपने कान में उंगली डाल बोली ,," इसमें इतना चिल्लाने कि क्या बात है । " 


नील कि बात सुन प्रथम जो पानी पी रहा था उसे जोर का ठसका लगता है और प्रिशा कि आंखें हैरानी से फैल जाती है । 


नील के पापा गंभीर होते हुए बोले,,,"" तुम आखिर कहना क्या चाहते हो साफ साफ बताओ । ""


अब नील को भी ये एहसास होता है कि उसने क्या बोल दिया आखिर पर उसे तो आज अपने और प्रिशा के बारे में बताना ही था तो वो गहरी सांस भरता है और बोलना शुरू करता है 


" पापा मैं प्रिशा से बहुत प्यार करता हूं और शादी भी करना चाहता हूं ! "


प्रिशा के चेहरे पर घबराहट साफ देखी जा सकती थी । नील ने उसकी तरफ देखकर अपनी पलकें झपका दी मानो कह रहा हो परेशान मत हो मैं हूं ना ! 


सभी ने इस चीज पर ध्यान दिया । दो मिनट के लंबे सन्नाटे के बाद नील कि बहने खुशी से चीख दी! वहीं उसकी मम्मी ने आगे बढ़कर प्रिशा को गले लगा लिया । 

नील के पापा मुस्करा दिए । 


प्रिशा और नील तो भोच्चके से खड़े थे । प्रथम दोनों कि हालत देख मुंह दबाकर हंस रहा था । 


"हमें तो पता था । " सभी ने एक साथ कहा 

ये सुनकर तो नील और प्रिशा को तो जैसे सदमा ही लग गया ।


प्रिशा ने अटकते हुए बोला ,," आप .. लो..गो क..को कैसे पता ? "

प्रिशा शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी । 


नील कि बड़ी बहन उसके पास आई और उसके सर पर हाथ फेर कर बोली ,," इतना घबराओ मत ! और हमें प्रथम पहले ही तुम दोनों के बारे में बता चुका था । "


नील ने प्रथम को घूर कर देखा तो प्रथम ने अपने कंधे चुका दिए ।

फिर नील ने अपनी फैमली को देखते हुए कहा ,," जब आप लोग जानते थे तो ये अंजान बनने का नाटक क्यों किया ? " 


" क्योंकि प्रथम ने कहा था । " नील कि तीसरे नंबर कि बहन बोली । वो उसकी हम उम्र ही थी । 


प्रथम ने उसे घूर कर देखा मतलब ये बताना था क्या !!

फिर उसने महसूस किया कि  दो जोड़ी आंखें उसे ही घूर क्या आंखों से ही भस्म करने के इरादे से उस पर टिकी हुई है ...! और ये नील और प्रिशा ही है ये बात भी प्रथम जानता था इसलिए उसने दोनों कि तरफ देखा ही नहीं । 


वहां थोड़ी देर शांती ही रही फिर नील प्रथम को दौड़ा लिया और घर में हंसी के गुब्बारे फुट गए ।


तभी एक झटका लगा और नील ने कार रोक दी । वो अपनी यादों से बाहर आया उसके चेहरे पर इस समय एक प्यारी सी मुस्कान थी । तभी उसे याद आया कि शायद अब वो कभी ना मुस्कुराएं ! 

दो महीने पहले नील को पता चला था कि उसके दिल में छेद है और आज दो महीने बाद भी उसे एक भी डोनर नहीं मिला ..! 


खैर अब वो अपने घर आ गया था । वो कार से उतरा और घर कि तरफ बढ़ गया । 

अपने कमरे में पहुंच कर वो सीधा बाथरूम में घुस गया और थोड़ी देर बाद  वो एक काला लोअर पहने बाहर आया उसने अपने ऊपरी शरीर पर कुछ नहीं डाला था । 

उसके कमरे में एक सेक्शन था जहां उसके पुरे परिवार कि तस्वीर थी । वो वहां चला गया और उसकी नजर एक तस्वीर पर अटक गई ..! 

ये तस्वीर प्रथम कि थी ...! 

उसे देखते-देखते नील कि आंखों से आंसू बहने लगे ! 


" कहा है तू ? क्यो चला गया मुझे छोड़ ..! देख तेरे बिना क्या हो गया है मुझे ..! "


नील थोड़ी देर ऐसे ही उस तस्वीर से बातें करता रहा उसे नहीं पता था कि उसके पापा बाहर दरवाजे से उसे देख रहे थे । उन्होंने भी दुख से अपनी आंखें बंद कर ली । 




*******

अगले दिन 

दिल्ली 

नील का कमरा 


सूरज आसमान में विराजमान हो चुका था और उसने अपना प्रकाश चारों ओर फैलाना शुरू कर दिया था । सूरज कि रोशनी लोगों में नई उमंग और उम्मीदों का संचार कर रही थी कुछ ऐसा ही आज हुआ था नील के साथ । 

नील आराम से सो रहा था उसे देर रात नींद आई थी । वो सो ही रहा था कि किसी ने जोर से उसका दरवाजा खटखटाया ..! 

नील एकदम से जग गया । उसने आंख मलते हुए दरवाजा खोला तो पाया उसके मम्मी पापा दोनों सामने खड़े थे और उन्हे देख कर ही लग रहा था कि वो काफी खुश हैं । 

नील ने उन दोनों को सवालिया निगाहों से देखा । 



कुछ देर बाद 


नील प्रिशा के साथ बैठा था और वो खुश होकर उसे कुछ बता रहा था । 


" यार प्रिशा मैं बहुत खुश हूं ....! " वो प्रिशा को अचानक से अपनी गोद में उठाकर गोल गोल घुमाते हुए बोला ।


प्रिशा उसकी गोद में ही रहते हुए उस से पुछती है ,," ऐसा भी क्या ओ गया जो वकील साहब इतना खुश हैं ! " ,,,


नील उसे नीचे उतार खुशी से बोला ,,"" डोनर मिल गया है ...! "


" क्या !!! सच बोल रहे हो ? ",, प्रिशा अविश्वास से चीखी 

" हां सच बोल रहा हूं ! " 


प्रिशा खुशी से उसके गले लग गई । वो उसके लिए बहोत खुश थी उसकी आंखें नम हो चली थी । वो नील से अलग हुई और उसने नील का माथा चुम लिया ...!!! 


नील ने प्रिशा के आंसू देख परेशान होते हुए बोला ,," क्या हुआ! तुम रो क्यो रही हो ? " 

" मैं रो नहीं रही पागल ! बल्कि खुश हो रही हूं । " प्रिशा अपने आंसू पोंछते हुए बोली । 


नील प्रिशा को अपने सीने से लगा लेता है । उसे बहुत सुकुन मिल रहा था । वहीं प्रिशा वो भी बहुत खुश थी पर कुछ सोचकर उसकी आंखें नम होए जा रही थी । वो नील से अलग हुई और अपनी एडी पर खड़ी हो गई । 

नील ने जल्दी से उसकी कमर पकड़ ली ताकि वो गिरे ना । प्रिशा ने एक बार फिर उसका माथा चूम लिया । 



वो दोनों कुछ पल यूं ही खड़े रहते हैं और एक दूसरे का साथ महसूस कर रहे होते हैं । 





*******

अगले सुबह 


आज नील कि सर्जरी होनी थी उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी । उसे एक रूम में रखा हुआ था । वहां उसका पूरा परिवार था सिवाए प्रिशा के ..! 

नील ने अपने पापा से पुछा कि प्रिशा कहा है तो वो थोड़ा हड़बड़ा गए ..! फिर संभलकर बोल कि उसे थोड़ा टाइम लगेगा आने में । 

नील ने हां में गर्दन हिला दी । आज उसे प्रथम कि बहुत याद आ रही थी । उसका दोस्त , भाई सब कुछ था वो । 

प्रथम हर परिस्थिति में उसके साथ रहा था पर आज उसकी जिंदगी के सबसे बड़े दिन में वो उसके पास नहीं था ..! 

बहुत दुखी हो रहा था उसका मन ..! 


थोड़ी देर बाद उसे ओ टि में शिफ्ट कर दिया गया । प्रिशा अब तक भी नहीं आई थी।  


नील का आपरेशन चार घंटों तक चला । चार घंटे बाद ओटी के ऊपर जल रही लाल बत्ती बुझ गई और डॉक्टर बाहर आई । 


नील के पापा चहल कदमी कर रहे थे उसकी मम्मी और बहनें मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी नील कि सलामती कि ...! 


जब डॉक्टर बाहर आई तब सब उन्हें घेर कर खड़े हो गए ! 

डॉक्टर ,,"" नील अब ठीक है आपरेशन बहुत अच्छे से हुआ ! " 


नील के पापा,,"" क्या हम नील से मिल सकते हैं ? ""


" अभी तो नहीं ..! अभी उन्हें आराम कि जरूरत है और हम उन्हें अभी के लिए अपनी ओबजरवेशन में रखेंगे । ""


डॉक्टर ने कहा तो सब बहुत परेशान हो गए लेकिन डॉक्टर ने उन्हें शांत कराया और चली गई । 

अगले दिन सब नील से मिले । 

एक हफ्ते बाद उसे घर लाया गया । 

आपरेशन के दिन से नील प्रिशा से नहीं मिला था ।  



नील अपने बिस्तर पर बैठा था और कुछ सोच रहा था । आज एक महिना हो गया था और प्रिशा एक बार भी उस से मिलने नहीं आई । मिलना तो दूर उसका एक मेसिज तक नहीं आया । नील उसके लिए परेशान हो रहा था कहीं वो किसी मुसिबत में तो नहीं ..! 

नील ये सब सोच ही रहा था जब उसके पापा अंदर कमरे में आकर उसके सामने बैठ गए । नील अपनी सोच में इतना गुम था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके पापा आ गए और उसे पिछले पांच मिनट से देख रहे हैं । 


" नील.....!!!! " 


अपने पापा के जोर से बोलने पर वो अपनी सोच से बाहर आया । 


" जी ...जी पापा !! आप कब आए मुझे तो पता ही नहीं चला ..! "

" तुम्हे पता भी कैसे चलेगा अपनी सोच में इतना गुम जो हो ..! " 

" सॉरी पापा ! " 

" क्या हुआ ..क्या सोच रहे थे ? ",,,,नील के पापा उसका सर सहलाते हुए पुछे 


" पापा प्रिशा ... एक महीने से उसे देखा तक नहीं है मैंने .. कहा है वो ? ",,, नील परेशान होते हुए बोला 


नील के पापा का उसका सर सहलाता हुए हाथ  रूक गया । 

" नील वो ...!!! "

" नील तुम्हें दिल किसी और ने नहीं बल्कि प्रिशा ने ही दिया है ..! ",, इतना बोलकर नील के पापा ने अपनी आंखें बंद कर ली । प्रिशा उनके लिए उनकी बेटी जैसी थी जो अब नहीं थी उनके साथ । 


नील तो ये शब्द सुनते ही सन्न रह गया । वो बिना भाव के अपने पापा को देखता रहा । उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसे दिल प्रिशा ने ही दिया था ।

नहीं ये नहीं हो सकता ! प्रिशा ...प्रिशा नहीं ..! 


नील जोर से चीखा ,,, """ नहीं ....!!!!!!! """"


नील कि चीख सुन कर उसके पापा ने अपनी आंखें खोली तो उनके सामने नील का आंसूओं से भरा चेहरा था वो तडपता हुआ सा दिख रहा था । 

उसकी चीख सुन पूरा परिवार उसके कमरे में आ गया था । सब नील कि हालत देख हैरान हो गए । उन्होंने एक बार पापा कि तरफ देखा और सब समझ गई उन सभी कि आंखों से आंसू बह चले ..! 


वहीं नील ये सुन पागल सा हो गया था वो एक दम से खड़ा होकर अपना फोन ढुंढने लगा । उसने फोन हाथ लगते ही प्रिशा को कई कॉल्स लगा दि पर कोई फायदा नहीं ..! उठाने वाली तो कब की जा चुकी थी । 

नील रोते रोते जमीन पर बैठ गया । 


" ये नहीं हो सकता .!! नहीं हो सकता ..प्रिशा....!!!!!! " नील चीखा ।


मम्मी ने आकर नील को पकड़ा तो नील ने उनका हाथ झटक दिया । उसने पापा कि तरफ देखा और लगभग चिल्लाते हुए बोला ,,,,,""" क्यो ...क्यो नही बताया आपने मुझे? क्यो एक महीने तक धोखे में रखा !! """


नील के पापा ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया अपने बच्चे को  ऐसे देख उनकी आंखें नम हो गई थी । 


" पापा मेरी प्रिशा ...!! क्यो नही बताया आपने मुझे ? "


नील के पापा उसकी पीठ सहलाते हुए बोले ,,," उसने कुछ भी बताने से मना किया था और कहा था कि अगर वो कुछ पुछे तो ये चिट्ठी दे देना ..! "


चिट्ठी कि बात सुन‌ नील एक दम से उन से अलग हुआ और चिट्ठी के बारे में पुछने लगा । उसके पापा अपने कमरे में गए और एक बाक्स लेकर आए। 


" उसने तुम्हें ये देने को कहा था ..! "

इतना बोलकर उन्होंने वो बॉक्स नील को थमा दिया और सब को लेकर उसके कमरे से निकल गए । 


नील वो बॉक्स लेकर नीचे ही बैठ गया । उसने बॉक्स खोला तो उसे एक चिट्ठी और एक पैंडेंट मिला । 



डियर नील 

तुम ये चिट्ठी पढ़ रहे हो तो मतलब मैं जा चुकी हूं ! ( नील कि आंखें ये पढ़ते ही डबडबा गई ) ना .. ना रोना नहीं !! मैं जानती हूं आंख से गंगा जमुना बहा रहे होंगे पर रोना नहीं ..! ( ये सुन नील ने रोना बंद कर दिया । ) 

मैंने तुम्हे नहीं बताया था कि तुम्हें दिल मै ही दे रही हूं क्योंकि तुम ऐसा कभी नहीं होने देते ये जानती हूं मैं ! 

अब ये जो अपनी बत्तक जैसी गर्दन हिला रहे हो ना वो हिलाना बंद कर दो ! ( नील‌ जो सच में अपनी गर्दन हिला रहा था वो रूक जाता है और हल्का सा हंस देता है । ) 


आ हा !!! इस हंसी के लिए तो में एक बार क्या सौ बार अपना दिल तुम्हें दे दूं ..! 

नील ... मैं कहीं नहीं गईं हूं इसलिए मेरे लिए रोना नहीं । मैं पहले तुम्हें देखती थी तुम मेरा शरीर ही तो महसूस कर पाते थे । हां.. हां जानती हूं तुमने मेरे शरीर से नहीं मेरे दिल से मेरी आत्मा से प्यार किया है पर पगले ..! अब देखो ना मैं तो तुम्हारे अंदर ही बस गई । तुम्हे जिंदा रखती हर धड़कन बन गई ! जो सांस ले रहे वो हर एक सांस बन गई हूं । अब तो तुम्हारी हर एक धड़कन में हूं मै ! मैं तुम में ही हूं ! मुझे याद कर रोना नहीं ...! 


जब भी याद आए तब बस अपने सीने पर हाथ रखना और महसूस करना उन धड़कनों को ; वो मेरी सांसें है मेरी आवाज़ है वो मैं हूं !! 

मै तुम में ही हूं अब मैं तुम्हारी अंतर आत्मा हूं ! 

आई लव यू नील ❤️


प्रिशा 


आखिर कि लाईनें कुछ धुंधली थी ऐसा लग रहा था पानी कि बुंदे गिरी हो । ये बुंदे प्रिशा के आंसू कि थी और अब इनमें नील के आंसू भी मिल गए थे । वो उस चिट्ठी और पेंडैट को सीने से लगा कर रोने लगा । 


तभी उसके दिल से एक आवाज आई ,," नहीं .. नहीं नील रोते नहीं मैं तो तुम में ही हूं ना ...! मेरी जान मैं कहीं नहीं गईं हूं यही हूं ! "


नील रोता रह गया । 

उसके मुंह से कुछ बोल निकल गए ! 


कुछ ना होकर भी सब कुछ था मेरे पास,

क्योंकि तम मेरे साथ थी ।

जिंदगी कि दौड़ में कभी अकेला ना था मैं ,

क्योंकि तुम मेरे साथ थी ।

कहा था एक दिन तुम्हारे सामने,

कि दिल में बसती हो तुम ।

आज भी तुम मेरे दिल में बसती है ,

पर ना तो आज तुम मेरे साथ हो ना ही सामने । 




समाप्त