शीर्षक: पतझड़ के बाद
एक छोटा-सा शहर, जो खूबसूरत पहाड़ों पर बसा था। वहाँ का मौसम कुछ ऐसा था, जैसे मन को सुकून देने वाली कोई पुरानी धुन — चिड़ियों की चहचहाहट, ठंडी हवा की सरसराहट और आसमान में तैरते बादल। इसी शहर में आती है एक छोटे से गाँव की लड़की — आरवी।
आरवी सुंदर थी, पर उससे भी अधिक सुंदर था उसका मन। गाँव की सादगी उसमें बसती थी लेकिन सपने ऊँचे थे। उसे लिखने का शौक था। इसीलिए उसने इस पहाड़ी शहर में एक दफ्तर में लेखन का काम पकड़ लिया। धीरे-धीरे उसके शब्द लोगों के दिलों को छूने लगे। उसकी कहानियाँ पढ़कर लोग भावुक हो जाते, सोच में डूब जाते।
इसी दफ्तर में उसे पहली बार देखता है रित्विक — एक अमीर लड़का जो विदेश से भारत आया था। उसने आरवी का नाम सुना था लेकिन चेहरा पहली बार देखा। पहली नजर में ही वो जैसे थम गया। उसे लगा, जैसे कोई अप्सरा उसके सामने खड़ी हो। तब से वो रोज़ दफ्तर आता, सिर्फ़ उसे देखने के लिए। लेकिन आरवी को इसका कोई अंदाज़ा नहीं था। वो अपने सपनों में मग्न थी।
फिर एक दिन, दफ्तर में काम करने वाले एक व्यक्ति ने रित्विक से पूछ ही लिया — "तुम रोज आते हो और बस उसे देखते हो। अगर पसंद करते हो तो बता दो।" रित्विक बस मुस्कुराया और चला गया। लेकिन उस रात, खिड़की के पास बैठा रित्विक उसी बात को सोचता रहा और अगले दिन अपने मन की बात कहने का निश्चय कर लिया।
सुबह होते ही वह खुशी-खुशी तैयार होता है। दफ्तर पहुँचता है और आरवी को देखता है, जो हल्के गुलाबी कपड़े में और भी सुंदर लग रही थी। थोड़ी हिम्मत जुटाकर वह उसके पास जाता है — "आप बहुत अच्छा लिखती हैं।"
आरवी मुस्कुराकर धन्यवाद कहती है। तभी रित्विक बिना रुके अपने दिल की बात कह देता है — कि वह उससे प्यार करता है, रोज उसे देखने आता है और शादी करना चाहता है। आरवी आश्चर्यचकित रह जाती है। वह गाँव की मासूम लड़की थी, उसे समझ नहीं आता क्या कहे।
रित्विक कहता है — "अगर तुम्हें सोचने का समय चाहिए तो ले लो। मैं इंतज़ार करूँगा।" और वह चला जाता है।
आरवी सारा दिन उसी बात को सोचती रहती है। उस रात वह अपनी सबसे अच्छी दोस्त से बात करती है और फिर अपनी माँ को सब बता देती है। माँ कहती है — "अगर तुम्हें लगता है कि वह लड़का सच्चा है तो शादी कर लो। अब समय है कि तुम भी अपना जीवन साथी चुनो।"
सुबह होते ही वह तैयार होकर दफ्तर जाती है। रित्विक पहले से वहाँ होता है। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। उसके मन में बहुत से सवाल थे। कहीं आरवी उसे माना तो नहीं करेगी।फिर आरवी उसके पास जाकर सिर्फ़ एक सवाल करती है — "क्या तुम मुझे कभी छोड़ोगे नहीं?"
रित्विक मुस्कुरा कर कहता है — "कभी नहीं।"
आरवी मुस्कुरा देती है और "हाँ" कहती है। रित्विक खुशी से उसे गोद में उठा लेता है और घूमने लगता है। दो दिन बाद, दोनों की शादी हो जाती है। एक प्यारी सी ज़िंदगी शुरू होती है। कुछ समय बाद आरवी उसे खुशखबरी देती है कि वह माँ बनने वाली है।
सब कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन एक रात, जब दोनों सो रहे थे, रित्विक के फोन की घंटी बजती है। वह फोन उठाता है और चुपचाप बात सुनता रहता है। सुबह वह आरवी से कहता है कि उसे कुछ काम से बाहर जाना होगा। आरवी भोली थी, उसने कहा — "ठीक है, जल्दी लौट आना।"
रित्विक उसे गले लगाता है और चला जाता है।
लेकिन...
वह फोन किसका था? रित्विक कहाँ जा रहा है? क्या वह लौटेगा? या फिर पतझड़ के बाद कोई तूफ़ान आने वाला है?
(जारी...)