छाया आज बहुत खुश थी। वैलेंटाइन डे जो था। सुबह से ही उसने इस दिन के लिए खुद को तैयार किया था। लाल शर्ट, जींस और खुले बालों में वह आईने में खुद को देखकर मुस्कुरा रही थी। एक हाथ में गुलाब था, और दिल में एक सपना — शायद आज वो पल आ ही जाए, जिसका बरसों से इंतज़ार था।कॉलेज की दहलीज़ पार करते हुए उसकी आंखें किसी को तलाश रही थीं। तभी पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई — "भौं!"छाया पलटी तो सामने काशी थी, उसकी सबसे प्यारी दोस्त। काशी आंख मारते हुए बोली, “किस ढूंढ रही हो, मैडम?”छाया थोड़ी घबरा गई, “क..किसी को नहीं! तू भी न।”काशी ने तुनक कर कहा, “हां-हां, रोज़ जिसके लिए मेकअप करती है, आज तो स्पेशल डे है। कुछ न कुछ तो सोच ही रखा होगा।”इसी बीच एक सख्त आवाज़ ने माहौल को ठंडा कर दिया — “आज प्यार का नहीं, परीक्षा का दिन है।”चिराग सर थे। पूरी क्लास में उनका रौब चलता था। छाया और काशी की हंसी उड़ गई।“जी सर,” दोनों ने एक साथ कहा और अपनी-अपनी सीट पर चली गईं।क्लास में टेस्ट चल रहा था, पर किसी का भी मन नहीं लग रहा था। छाया का ध्यान बार-बार दरवाज़े की ओर जा रहा था। टेस्ट खत्म हुआ तो काशी ने सिर डेस्क पर रख दिया, “यार, कुछ नहीं लिखा।”छाया मुस्कुरा दी, “वैलेंटाइन डे पर टेस्ट... उफ्फ!”तभी पीछे से किसी लड़के की आवाज़ आई — “जैसे बाकी दिन तो तुम दोनों बड़ी पढ़ाई करती हो।”पूरी क्लास ठहाकों से गूंज उठी।पर छाया की आंखें किसी और ही तलाश में थीं। टेस्ट के बाद वह बास्केटबॉल ग्राउंड की तरफ भागी। वहां भीड़ थी, पर वो नहीं था जिसे वो देखना चाहती थी।तभी उसकी नजर आग्रह पर पड़ी, जो विशाल के साथ एक खाली क्लासरूम की तरफ जा रहा था। छाया चुपचाप उनके पीछे चली गई।अंदर विशाल बैठा था — शांत, गंभीर, और उतना ही आकर्षक जितना छाया ने हर बार अपने ख्वाबों में देखा था।आग्रह ने कहा, “चलो आज डिस्को चलते हैं।”विशाल हल्की मुस्कान के साथ बोला, “पहले क्लास तो ले लो, मोहतरमा।”उसी वक्त छाया ने धीमे कदमों से कमरे में प्रवेश किया। उसके हाथ में गुलाब था। वह थोड़ी कांप रही थी, लेकिन फिर भी अपनी हिम्मत जुटाकर बोली —“विल यू बी माय बॉयफ्रेंड?”कुछ पल सन्नाटा रहा। फिर विशाल ने उसकी तरफ देखा, और आंखों में गुस्सा लाते हुए बोला —“छाया… मैंने पहले भी कहा है, आई डोंट लाइक यू। प्लीज़, इस हद तक मत जाओ।”उसका चेहरा लाल हो चुका था। वह वहां से निकल गया। आग्रह भी चुपचाप चला गया।छाया वहीं खड़ी रही — गुलाब हाथ में, और दिल में हज़ार सवाल।अगले दिन कॉलेज का माहौल अजीब था। सबकी नजरें छाया पर थीं। काशी के साथ चलते हुए उसकी नजर एक बोर्ड पर पड़ी।बोर्ड पर उसकी और विशाल की तस्वीरें लगी थीं, और बीच में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था — "I LOVE YOU VISHAL"।छाया को समझ ही नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। इससे पहले कि वो कुछ कहती, विशाल सामने आ गया।उसके चेहरे पर गुस्सा साफ था। उसने बिना कुछ सोचे कहा —“तुम्हें शर्म नहीं आती? इस हद तक गिर जाओगी, सोचा नहीं था। तुम्हारी इतनी औकात नहीं कि मैं तुमसे बात करूं। प्यार तो बहुत दूर की बात है।”छाया की आंखों से आंसू बह निकले। वह बस धीरे से बोली, “मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। ऐसा दोबारा नहीं होगा।”काशी ने कुछ कहना चाहा, लेकिन छाया ने आंखों से उसे रोक दिया।वह वॉशरूम में चली गई। खुद को शीशे में देखा। आंखें सूजी हुई थीं, लेकिन चेहरे पर वही नकली मुस्कान थी।काशी दरवाज़े के बाहर खड़ी पूछ रही थी, “तू चुप क्यों रही? बता देती न कि ये सब तूने नहीं किया।”छाया बाहर आई, मुस्कराई और बोली — “जो हुआ, अच्छा हुआ। चल, क्लास चलते हैं।”उस दिन क्लास में भी और घर लौटते वक़्त भी दोनों ने एक-दूसरे से कुछ नहीं कहा।शाम को जब छाया घर पहुंची, तो मां ने आवाज़ दी — “आ गई? मुंह-हाथ धो ले।”छाया ने थका सा जवाब दिया, “मां, बस पांच मिनट…” और अपने कमरे में चली गई।रात के खाने पर पापा बोले — “एक हफ्ते की छुट्टी के लिए कॉलेज में बता देना, कल नित्या की शादी में निकलना है।”छाया ने बस सिर हिला दिया। अंदर ही अंदर वो टूट चुकी थी, पर किसी को पता नहीं चला।अब उसकी दुनिया बदलने वाली थी — लेकिन कैसे? क्या वो फिर से हँस पाएगी? क्या वो अपने दिल को माफ कर पाएगी? या फिर जिंदगी उसे कोई और इम्तिहान देने वाली थी?