यह दिसंबर का समय है जब बर्फबारी अपने चरम पर होती है। शिमला के पास धारानगर नामक बर्फीले कस्बे में हर जगह सफेद बर्फ की चादर बिछी हुई है। घरों की छतों और सड़कों पर बर्फ की मोटी परतें जमी हैं। दूर-दूर तक बर्फ के पहाड़ नजर आते हैं, और हवा में ठंडक घुली हुई है। लोग गर्म कपड़े पहने हुए हैं और किसी ने आग जला रखी है। यह कस्बा शांति और ठंडक से भरपूर लगता है।
लेकिन अब ऐसा नहीं था क्योंकि आजकल वहां रहने वाले लोगों में भय फैल रहा था। यह एक भेड़िया-मानव के हमले का डर था। इस जीव ने पिछले दिनों तीन लोगों पर हमला किया था, और उनमें से अब कोई भी जीवित नहीं था। ये हमले मुख्यतः अंधेरे के बाद होते थे, इसलिए धारानगर में रहने वाले लोग शाम को जल्दी ही अपने घरों के दरवाजे बंद कर लेते थे।
इस कस्बे में एक छोटा सा पुलिस स्टेशन था जहाँ एक इंस्पेक्टर और तीन सिपाही तैनात थे। इन लोगों ने इस जीव को खोजने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसलिए अब डर के साये में जीने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
***
स्थान : वडोदरा
रुद्र एक 18 वर्षीय लड़का है जो अपने माता-पिता के साथ एक कॉलोनी में रहता है। उसने अभी-अभी अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है और कॉलेज में दाखिला लिया है। अपने मिलनसार व्यवहार के कारण उसने कई दोस्त बनाए हैं। वह पढ़ाई और खेल में बहुत अच्छा है और उसकी तार्किक क्षमता बहुत अच्छी है।
रुद्र को जासूसी उपन्यासों और फिल्मों का बहुत शौक है और वह तेज दिमाग का मालिक भी है। जब उसके परिवार या दोस्त किसी विपरीत परिस्थिति में फंस जाते हैं तो वे उससे मदद लेते हैं।
कॉलेज में आंतरिक परीक्षाओं के बाद कुछ दिनों की छुट्टियाँ शुरू हो रही थीं। सभी लोग इस छोटी सी छुट्टी को बिताने के लिए कहीं घूमने जाने की योजना बना रहे थे।रूद्र भी कहीं घूमने की योजना बना रहा था लेकिन वह अभी भी जगह का चयन करने में उलझन में था।
लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके शहर से बहुत दूर एक रहस्य उसका इंतज़ार कर रहा था,और वह इसे बहुत जल्द हल करने वाला था।
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कॉलेज से घर पहुँचते समय रुद्र सोच रहा था कि घूमने के लिए कहाँ जाना है। पर अभी तक तय नहीं हुआ था। उसने देखा कि उसकी माँ किसी से फ़ोन पर बात कर रही है।ये उसके मामाजी थे जो शिमला के पास धारानगर में रहते हैं जहाँ भेड़िया मानव से जुड़ी
अजीबोगरीब घटनाएँ घट रही हैं। उसके मामाजी उसकी माँ को सारी बात बता रहे थे।
फोन कटने के बाद उसने अपनी मां से पूछा कि उसके मामाजी के शहर में क्या हुआ। तब उसकी मां ने उसे भेड़िया मानव के हमलों के बारे में बताया।
यह सुनकर रुद्र ने अपने मामाजी को फोन किया और पूरी घटना के बारे में पूछा। तब उसके मामाजी ने उसे सारी बात बता दी।
फोन कटने के साथ ही रुद्र ने तय कर लिया कि अब उसकी यात्रा का स्थान निश्चित हो गया है और वह शिमला के पास उनके मामाजी का कस्बा होगा।
रुद्र की मां और मामाजी ने उसे वहां जाने से मना कर दिया लेकिन रुद्र जिद्दी था और वो अपनी बात पर कायम था। अंततः मां और मामाजी ने उसको अनुमति दे दी और सलाह दी कि वो अपना ध्यान रखे।
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रुद्र ने अपने मामाजी के घर जाने की पूरी तैयारी कर ली और दो दिन बाद वह वहाँ पहुँच गया। उसके मामाजी का नाम रमेश था और उनका किराना का व्यवसाय था। उसकी मामीजी सरला एक गृहिणी थीं। उसके ममेरे भाई का नाम राहुल था और वह रुद्र से एक साल छोटा था। राहुल और रुद्र में बहुत अच्छी बनती थी।
वे सभी उसे देखकर बहुत खुश थे लेकिन उसकी सुरक्षा को लेकर उनके दिल में डर भी था। वे जानते थे कि रुद्र बहुत जिद्दी है और वह अपने स्वभाव के अनुसार इन विचित्र घटनाओं के रहस्य को सुलझाने का भी प्रयास करेगा।
रुद्र यहाँ आकर बहुत खुश था क्योंकि यहाँ का मौसम वडोदरा के मुकाबले बहुत सुहाना था और शहरों के मुकाबले यह इलाका शांत भी था। यह अलग बात थी कि आजकल यहा अशांति का माहौल था।
वहां आने के बाद दो दिन शांतिपूर्वक गुजरे और उसने वह समय उस खूबसूरत शहर को देखने में बिताया।लेकिन जल्द ही वह रहस्य उसके सामने आने वाला था जिसे वह सुलझाने वाला था।
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रात का अंधेरा कस्बा को ढक रहा था और हवाएँ ठंडी हो चुकी थीं। लोग अपने घरों में बंद हो गए थे। लेकिन दिनेश नाम का एक ग्रामीण शिमला से घर लौट रहा था। वह किसी निजी काम से वहाँ गया था। रास्ता सुनसान था और उसे डर लग रहा था,वह यह महसूस कर रहा था कि कोई उसकी ओर देख रहा था।
उसकी निगाहें जंगल की ओर गईं, और अचानक उसे एक खौ़फनाक आवाज सुनाई दी। वो आवाज़ तेज़ और डरावनी थी, जैसे किसी जानवर की गरज। दिनेश ने घबराते हुए अपनी आँखों को ज़ोर से झपकाया, लेकिन जब उसने फिर से देखा, तो उसकी नज़रें एक भयानक प्राणी पर पड़ीं। एक विशाल, मांसल भेड़िया, जो सिर्फ उसकी ओर बढ़ रहा था।
वह भागना चाहता था लेकिन डर के कारण उसकी नसें जम गई थीं और उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह क्या देख रहा है और फिर अगले ही पल भेड़िया मानव ने उस पर हमला कर दिया और उसे बेरहमी से मार डाला।
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अगले दिन दिनेश का क्षत-विक्षत शव कस्बे और जंगल की सीमा के पास मिला। उसकी बहुत ही बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह देखकर गांव वाले डर गए।
कस्बे में एक पुलिस स्टेशन था। इंस्पेक्टर अरुण तीन सिपाहियों के साथ वहां तैनात थे जिनके नाम महेश, सुरेन्द्र और गजेन्द्र थे।
इंस्पेक्टर अरुण, महेश और सुरेन्द्र को साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंचे और जांच शुरू की। वे सभी जानते थे कि यह काम किसका है, लेकिन वे अपराधी तक नहीं पहुंच पा रहे थे।
रुद्र भी राहुल के साथ वहां पहुंचा था और वह भी शव देखकर चौंक गया क्योंकि वह सोच रहा था कि भेड़िया मानव एक अफवाह है और कोई व्यक्ति भेड़िये के भेष में लोगों की हत्या कर रहा है लेकिन शव की हालत देखकर उसे अपनी सोच पर यकीन नहीं हुआ। वह समझ गया था कि उसे इस रहस्य की गहराई में जाना होगा और यह आसान नहीं होगा।
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इंस्पेक्टर अरुण जांच कर रहे थे और गांव वालों से घटना के बारे में पूछ रहे थे लेकिन कोई कुछ बता नहीं पा रहा था। रूद्र के मामाजी भी वहां थे।इंस्पेक्टर अरुण की नजर रुद्र पर गई और वह बात करने लगे।
अरुण: तुम यहाँ के नहीं दिख रहे हो क्योंकि मैं तुम्हें पहली बार देख रहा हूँ।
रुद्र: हाँ सर, मैं यहाँ दो दिन पहले ही पहुंचा हूँ और मैं रमेश जी का भांजा हूँ।
अरुण: अच्छा अच्छा रमेश जी को तो यहाँ सब अच्छे से जानते हैं। तुम एक बुद्धिमान लड़के लगते हो। आजकल तुम क्या कर रहे हो?
रूद्र: सर, मैं शिमला में एक कॉलेज में इंजीनियरिंग का छात्र हूँ।
अरुण: मिलकर अच्छा लगा लेकिन तुमको यहां सावधान रहना होगा क्योंकि आजकल यहां खतरा है।
रुद्र: जी सर मैं ध्यान रखूंगा।
उसके बाद इंस्पेक्टर अपने काम में व्यस्त हो गए और रुद्र, राहुल और मामाजी के साथ अपने मामाजी के घर लौट आया लेकिन उसका मन आज की घटना में अटका हुआ था।
***
रुद्र और राहुल घर पर एक दूसरे से भेड़िया मानव के हमले की घटना के बारे में बात कर रहे थे।
रूद्र: राहुल, तुम्हारा क्या विचार है? यह वास्तव में एक भेड़िया मानव है या भेड़िया के भेष में एक आदमी है?
राहुल: मैंने इस बारे में कई बार सोचा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
रुद्र: यह सब कितने दिनों से हो रहा है?
राहुल: यह चौथा मामला था। इससे पहले तीन लोगों की भी इसी तरह हत्या कर दी गई थी जब वे देर शाम घर से बाहर थे।
रूद्र: तुम बहुत समय से यहाँ रह रहे हो किसी पर तो शक हुआ होगा।
राहुल: नहीं, बस यहीं समझ आया कि वह गाँव में से ही कोई होगा।
रुद्र: हां, यह तो पक्का है, लेकिन हमें असली अपराधी का पता लगाना होगा ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।
राहुल: हाँ, आप सही हैं और मैं इस मिशन में आपके साथ हूँ।
दोनों ने मामले को सुलझाने का निर्णय लिया।
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रुद्र और राहुल ने सच्चाई जानने के लिए अपनी जांच शुरू कर दी थी। वे उन संदिग्धों की तलाश कर रहे थे जिन्हें वास्तविक अपराधी के रूप में देखा जा सके। लेकिन अभी तक ऐसा कोई सामने नहीं आया था।
रुद्र: राहुल, क्या यहाँ कोई है जो इस शहर के इतिहास के बारे में जानता हो?
राहुल: मुझे ठीक से नहीं पता लेकिन हम कुछ बुज़ुर्ग लोगों से पूछ सकते हैं, हो सकता है उन्हें इसकी जानकारी हो।
रूद्र: हाँ, यह अच्छा रहेगा,हो सकता है उनमें से कोई कुछ बता पाए।
फिर उन्होंने कई बुजुर्गों से पूछा लेकिन कोई भी उन्हें इसके बारे में ठीक से नहीं बता पाया। सबके पास बताने को थोड़ा बहुत था लेकिन ये काफ़ी नहीं था l
फिर उन्होंने इंस्पेक्टर अरुण से मिलने का फैसला किया ताकि मामले में अब तक की उनकी जांच के बारे में पता चल सके ताकि वे रहस्य को सुलझाने के लिए कुछ उपयोगी जानकारी निकाल सकें।
उस दिन शाम हो चुकी थी इसलिए उन्होंने अगले दिन अरुण से मिलने का फैसला किया और वे घर लौट आए क्योंकि मामाजी मामीजी ने उन्हें अंधेरा होने से पहले घर लौटने की सख्त हिदायत दी थी।
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अगले दिन शाम को रुद्र और राहुल इंस्पेक्टर अरुण से मिलने पुलिस स्टेशन पहुंचे। वह उन्हें वहाँ देखकर आश्चर्यचकित हुआ।
अरुण: क्या हुआ? तुम दोनों यहाँ क्यों आए हो? और देर शाम को यहां घूमना जोखिम भरा है।
रूद्र: सर हम भी इस केस में आपकी मदद करना चाहते हैं इसलिए हम अब तक की गई जांच के बारे में जानना चाहते हैं अगर आपको कोई परेशानी न हो।
अरुण: मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन तुम्हें इस सब में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है।
रूद्र: कोई बात नहीं सर, हम अपना ख्याल रखेंगे।
इंस्पेक्टर अरुण को रुद्र की बुद्धिमत्ता का पता था क्योंकि वह रमेश मामाजी को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और मामाजी हमेशा रुद्र की प्रशंसा करते थे। उन्होंने कोई आपत्ति नहीं ली, फिर भी उन्हें उनकी चिंता थी।
अरुण: ठीक है, मैं बताऊंगा। लेकिन सच तो यह है कि इस मामले में हमारे पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं है। हमें नहीं पता कि वह कहां से आया है या वह हम में से ही एक है। यहां तक कि बुजुर्ग गांव वालों को भी उस जीव के बारे में पता नहीं है।
इंस्पेक्टर अरुण दोनों से बात कर ही रहे थे कि सिपाही महेश भागा भागा आया और बोला कि जल्दी चलो सर फिर से हमला हुआ है। भेड़िया मानव ने एक और व्यक्ति को मार दिया है।यह सब धारानगर के पास जंगल की सीमा पर हुआ है।
इंस्पेक्टर अरुण तेजी से भागे और उनके पीछे रुद्र और राहुल भी भागे।
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वे सभी जंगल की सीमा पर पहुँचे जहाँ घटना घटी थी। शव बहुत बुरी हालत में था। अरुण ने जांच शुरू कर दी थी और वहां एकत्र लोगों से पूछा कि क्या किसी ने कुछ देखा है?
लेकिन कोई कुछ नहीं बोल पाया। तभी एक आदमी आगे आया और इंस्पेक्टर अरुण ने उसे पहचान लिया। वह उमाकांत नाम का एक इतिहास शिक्षक था। वह शिमला और इस कस्बे के बीच स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल में कार्यरत था। राहुल भी उसी स्कूल में पढ़ता था।
अरुण : नमस्ते सर, क्या आप कुछ कहना चाहते हैं?
उमाकांत: हां सर, दरअसल मैंने यह हत्या अपने सामने होते हुए देखी है। आज मुझे स्कूल से लौटने में देर हो गई थी, तभी मैंने उस प्राणी को देखा जिसने इस आदमी पर बेरहमी से हमला किया और उसकी हत्या कर दी।
अरुण: कोई बात नहीं सर, लेकिन अगली बार शाम को देर से आने से बचें।
अरुण को उमाकांत पर शक हो रहा था लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं था इसलिए उसने उस पर नजर रखने का फैसला किया।
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रूद्र को भी इस उमाकांत शिक्षक पर शक था लेकिन वह निश्चित नहीं था इसलिए उसने राहुल से पूछने का फैसला किया।
रुद्र: राहुल, यह आदमी ठीक नहीं लग रहा।
राहुल: कौन? उमाकांत सर?
रुद्र: हाँ, क्या तुम उसे जानते हो?
राहुल: हाँ, उसने मुझे दो साल पहले इतिहास पढ़ाया था और वह बहुत ही प्रतिभाशाली और अच्छा व्यवहार करने वाला है। मुझे नहीं लगता कि वह इन घटनाओं में शामिल है।
रुद्र: लेकिन लगता है वह कुछ छुपा रहा है और मुझे लगता है हमें उससे मिलना चाहिए।
राहुल: वैसे तो निश्चित ही ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन अगर तुम्हें कोई संदेह है तो हम उससे मिल सकते हैं। हम एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं।
रूद्र: ठीक है। तो जल्दी ही हम उनसे मिलेंगे।
***
अगले दिन रुद्र और राहुल उमाकांत के घर गए। उमाकांत सर ने राहुल को पहचान लिया था और वे बातचीत करने लगे।
उमाकांत: कैसे हो राहुल, बहुत दिनों बाद दिखे?
राहुल: हाँ सर मैं ठीक हूँ, आप बताइये आप कैसे हैं?
उमाकांत: मैं भी ठीक हूं। यह आपके साथ कौन है?
राहुल ने उसे रुद्र के बारे में सब कुछ बताया और यह भी बताया कि वे इस भेड़िया मानव के मामले में सच्चाई की तलाश कर रहे हैं।
रूद्र: सर क्या आपको इस जीव के बारे में कुछ जानकारी है?
उमाकांत: इतना तो नहीं, लेकिन मुझे इस बारे में कुछ जानकारी है क्योंकि मैंने इस विषय पर कई किताबें पढ़ी हैं और कई शो देखे हैं। मैं इसे आपके साथ साझा करना चाहूँगा।
रुद्र: ज़रूर सर और बहुत बहुत धन्यवाद।
उमाकांत: भेड़िया मानव के बारे में कई मान्यताएँ हैं, लेकिन सबसे सामान्य मान्यता यह है कि जब कोई इंसान पूर्णिमा की रात को एक खास तरीके से शापित या प्रभावित हो जाता है, तो वह मनुष्य से भेड़िये में रूपांतरित हो जाता है। भेड़िया मानव की शारीरिक विशेषताएँ आमतौर पर बड़ी और मांसल होती हैं, साथ ही उसके शरीर पर बाल होते हैं, चेहरे पर तीखे दांत और पंजे होते हैं। यह प्राणी बहुत तेज़ और ताकतवर होता है, जिससे यह अपनी शिकार की खोज में अधिक सक्षम हो जाता है।
रूद्र: हाँ सर मैंने भी इसे पढ़ा है। भेड़िया मानव को चांदी से बहुत नुकसान होता है। अगर उन्हें चांदी से बनाया गया कोई हथियार, जैसे चांदी की गोली या चांदी की छुरी, मारा जाता है तो यह उनके लिए घातक हो सकता है।
उमाकांत: हाँ यह सही है। मुझे लगता है कि आप भी इसके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। अगर हमें इसके बारे में ज़्यादा जानना है तो हमें शिमला की पब्लिक लाइब्रेरी में जाना होगा। हो सकता है कि वहाँ से हमें कुछ उपयोगी जानकारी मिल जाए। मैं अगले दिन वहाँ जाने की योजना बना रहा हूँ।
रूद्र: ठीक है सर, हम भी आपके साथ आने की कोशिश करेंगे।
इसके बाद वे घर लौट आए और अपने अगले कदम की योजना बनाने लगे।लेकिन रुद्र अभी भी यह समझने में असमर्थ था कि उमाकांत दोषी है या नहीं।
***
वर्ष :1945
स्थान : कलकत्ता के पास एक जंगल
वह तेजी से भाग रहा था। कुछ अंग्रेज उसका पीछा कर रहे थे। उसने उनमें से एक को मार डाला और अब अन्य लोग बदला लेने के लिए उसके पीछे थे।
वह जंगल के बहुत अन्दर तक पहुंच गया था। वह एक जगह रुक गया क्योंकि उसने कुछ अजीब देखा था।
वहां एक तांत्रिक था, जो कुछ तंत्र-मंत्र कर रहा था। वहाँ एक भेड़िया था जिसे लोहे की जंजीरों से कस दिया गया था। रात पूर्णिमा की थी।
आगन्तुक समझ गया कि तांत्रिक भेड़िये की शक्ति पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा था। उसने पलक झपकते ही कुछ निर्णय ले लिया।
जब भेड़िये की आत्मा तांत्रिक के शरीर में प्रवेश करने वाली थी तो उसने तांत्रिक को पीछे से मार दिया और भेड़िया की आत्मा के सामने आ गया।
अगले ही क्षण तेज रोशनी हुई।
वह बदल गया था।
अब वह वो था।
वह अब भेड़िया मानव था।
***
वर्ष : 1945 और उसके बाद
स्थान : भारत में कई स्थान
उस घटना के बाद भेड़िया मानव से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं अलग-अलग जगहों पर होती रहीं। जांच-पड़ताल की गई, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
सभी जानते थे कि इसके पीछे कोई रहस्यमय प्राणी है, लेकिन उसका पता नहीं चल पाया था।
शुरुआत में उसने इस पर नियंत्रण खो दिया था लेकिन वक्त के साथ उसने अपनी शक्ति पर नियंत्रण हासिल कर लिया और अब वह अपनी इच्छा शक्ति का मालिक था।
अब तक उसका पता नहीं चल पाया और उसके हमले जारी रहे।
अब वह शिमला और आस-पास के स्थानों में था।
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वर्तमान समय :
अगले दिन उमाकांत सर शिमला में पब्लिक लाइब्रेरी जा रहे थे। रुद्र और राहुल रमेश मामाजी द्वारा दिए गए किसी काम में व्यस्त थे इसलिए वे उमाकांत के साथ नहीं जा सके।
उमाकांत लाइब्रेरी पहुंच चुके थे और वहां रिकॉर्ड देख रहे थे लेकिन आधे दिन से ज्यादा समय बीत चुका था और उन्हें कुछ नहीं मिला।
शाम होने जा रही थी और उमाकांत को अंधेरा होने से पहले घर भी जाना था। वह इसी बारे में सोच रहा था तभी अचानक उसे एक किताब मिली जिसमें शिमला के आसपास घटी रहस्यमयी घटनाओं का जिक्र था।
उमाकांत उत्साह से भर गए और उन्होंने पुस्तक का विश्लेषण करना शुरू किया और फिर उन्हें आवश्यक जानकारी मिल गई। वह इसे तुरंत रुद्र और राहुल के साथ साझा करना चाहता था। इसलिए उसने उन्हें फोन किया और एक घंटे बाद अपने घर आने को कहा।
उमाकांत जल्दी से घर पहुंचना चाहता था लेकिन अंधेरा होने लगा था। बस उसे कस्बे की जंगल सीमा के पास छोड़ गई।
अंधेरे में उसे घर जाने में डर लग रहा था लेकिन वह सुरक्षित घर पहुंच चुका था इसलिए उसने राहत की सांस ली।
लेकिन अगले ही पल उमाकांत डर से कांप उठा।
क्योंकि वह वहां था।
भेड़िया मानव उसके घर में था।
ऐसा लग रहा था जैसे वह उसका इंतजार कर रहा था।
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राहुल और रूद्र जल्दी से पुलिस स्टेशन पहुंचे। रमेश मामाजी जेल में थे। इंस्पेक्टर अरुण वहीं बैठे थे।
राहुल: सर, पिताजी यहां क्यों हैं और उन्हें इस तरह जेल में क्यों रखा गया है?
अरुण: वह उमाकांत के घर पर पाया गया था जब उसकी निर्मम हत्या कर दी गई थी।मुझे संदेह है कि रमेश भेड़िया मानव है।
राहुल और रूद्र सदमे में थे।वे इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे।
रूद्र: सर कृपया पूरा मामला बताएं ताकि हम पूरा मामला समझ सकें।
अरुण: तुम्हारा फ़ोन आने के बाद जब हम उसके घर पहुंचे तो उमाकांत की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी और तुम्हारे मामाजी वहां खून से लथपथ पाए गए थे, उनके शरीर पर विशेष रूप से उनके नाखूनों और दांतों पर खून लगा हुआ था। इसलिए मुझे संदेह है कि वह तथाकथित भेड़िया मानव है।
रुद्र और राहुल अत्यंत सदमे की स्थिति में थे।
उन्हें देखकर अरुण ने सारी बात बतानी शुरू की।
***
उमाकांत के घर के अंदर:
अपने घर में भेड़िया मानव को देखकर उमाकांत राहुल और रुद्र को बुलाना चाहता था लेकिन जब उसने जेब में हाथ डाला तो मोबाइल वहाँ नहीं था।
उमाकांत ने थोड़ा बहुत संघर्ष किया लेकिन भेड़िया मानव अधिक तेज़ था। उसने उमाकांत पर बेरहमी से हमला कर मार डाला।
राहुल और रुद्र काम में इतने व्यस्त थे कि वे समय पर उमाकांत के घर नहीं पहुंच सके इसलिए उन्होंने देरी के बारे में बताने के लिए उसे फोन किया लेकिन उमाकांत ने फोन नहीं उठाया। उसके बाद उन्होंने उमाकांत को कई बार फ़ोन किया लेकिन वह उठा नहीं रहा था। तो रुद्र ने इंस्पेक्टर अरुण को फ़ोन किया और उसे पूरी बात बताकर उमाकांत को देखने का अनुरोध किया।
रुद्र का फोन आने पर इंस्पेक्टर अरुण उमाकांत के घर पहुंचे। उसने देखा कि उमाकांत की हत्या हो गई है और रमेश मामाजी वहां खून से सरोबार खड़े थे, खासकर उनके नाखूनों और दांतों में बहुत ज्यादा खून लगा हुआ था।
अरुण ने अनुमान लगाया कि रमेश भेड़िया मानव है और उसने उसे गिरफ्तार कर लिया और कड़ी जंजीरों से बांध के जेल में डाल दिया।
***
इस खुलासे के बाद रूद्र हैरान रह गया। वह इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि उसके मामाजी ही असली अपराधी हैं।
रूद्र: सर, क्या मैं अपने मामाजी से बात कर सकता हूँ?
अरुण: बिल्कुल कर सकते हो लेकिन कोई फ़ायदा नहीं लग रहा है।
फिर अरुण ने उन दोनों को एक सिपाही के साथ रमेश से मिलने भेज दिया।
राहुल: ये क्या हुआ पापा? आप इसमें कैसे फंस गए?
रमेश: तुम दोनों मुझ पर विश्वास करो। मैं इस सबके पीछे नहीं हूँ।
रूद्र: हम आपकी बात पर विश्वास करते हैं मामाजी। लेकिन हमें सब कुछ बताओ।
रमेश: मैं घर लौट रहा था और उमाकांत का घर मेरे रास्ते में था। मैं उसके घर के पास से गुजर रहा था तभी मुझे चीखने की आवाज सुनाई दी तो मैं भागकर उसके घर पहुंचा तो दरवाजा खुला था। मैंने देखा कि भेड़िया मानव ने उसे मार डाला और उसने मुझे भी देखा। मैं वहीं जम गया।वह मेरी ओर दौड़ा और मैं बेहोश हो गया।
उसके बाद जब मैं होश में आया तो उमाकांत का शव वहां पड़ा था और मेरे पूरे शरीर पर खून ही खून था। यहां तक कि मेरे दांत और नाखून भी खून से सने हुए थे। मुझे कुछ समझ नहीं आया और अगले ही पल इंस्पेक्टर वहां आ पहुंचा और उसने मेरी एक न सुनी और मुझे इस तरह जेल में डाल दिया।
रूद्र: ऐसा लगता है कि कोई आप पर अपना दोष मढ़ना चाहता है। लेकिन एक भेड़िया मानव ऐसा क्यों करेगा?
कुछ समझ नहीं आ रहा।
लेकिन आप चिंता मत करो, मैं जल्दी से सच्चाई का पता लगाऊंगा।
रुद्र और राहुल ने रमेश को आश्वासन दिया और वापस लौट गए क्योंकि अभी बहुत काम करना था।
***
रुद्र और राहुल घर पहुँचे। उसकी मामीजी बहुत दुखी थीं। उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि वे सच्चाई का पता लगा लेंगे।
रुद्र और राहुल शांत मन से सब कुछ सोचने लगे। अचानक रुद्र को कुछ याद आया।
रुद्र: राहुल, उमाकांत सर का फोन। उसके बारे में तो हम सोचना ही भूल गए।
राहुल: सही कहा। इंस्पेक्टर ने भी कोई जिक्र नहीं किया।
रूद्र ने इंस्पेक्टर को फोन करके उमाकांत के फोन के बारे में पूछा लेकिन जवाब नकारात्मक मिला।
रूद्र: इसका मतलब है कि उसका मोबाइल रास्ते में गिर गया था।राहुल, शिमला से कस्बे में आने के लिए क्या रास्ता है?
राहुल: सबसे सही तो बस से ही है तो उमाकांत सर भी बस से ही आये होंगे। बस आमतौर पर यात्रियों को जंगल की सीमा के पास उतार देती है।
रूद्र: हमें जंगल की सीमा के पास तथा वहां से सर के घर के रास्ते पर एक बार देखना चाहिए।
राहुल: ठीक है, सर का घर पहले पड़ेगा तो उनके घर से जंगल सीमा के रास्ते पर चलते हैं।
यह विचार आते ही दोनों जल्दी घर से निकल गए।
***
रुद्र और राहुल को जंगल सीमा के पास उमाकांत का मोबाइल मिला और अब वह बंद था। वे जल्दी से घर पहुंचे और मोबाइल चार्ज किया।मोबाइल पासवर्ड से सुरक्षित था लेकिन रुद्र इस क्षेत्र में विशेषज्ञ था क्योंकि वह एक इंजीनियरिंग छात्र था और इससे भी अधिक उसे जासूसी में रुचि थी और इस वजह से उसने ये कला भी सीखी थी।
उसने कुछ देर बाद फोन अनलॉक किया और उसमें देखने लगा। उनका मानना था कि उमाकांत सर ने लाइब्रेरी में जो कुछ पाया होगा, उसकी तस्वीरें जरूर ली होंगी।
वह सही था और उसने जो पाया उससे उसका दिमाग हिल गया। उसने यह बात राहुल को बताई और उसकी भी हालत वैसी ही थी।
अब उन्हें जल्दी से इंस्पेक्टर अरुण को यह बात बतानी थी। क्योंकि समय निकलता जा रहा था।
***
रूद्र ने राहुल से कुछ जरूरी चीज़ों का इंतज़ाम करने को कहा और वह पुलिस स्टेशन पहुंच गया। बहुत देर हो चुकी थी और इंस्पेक्टर अरुण वहाँ अकेले थे।उसने रुद्र को देखा और आश्चर्यचकित हुआ।
अरुण: इस समय तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
रुद्र: सर, मामाजी निर्दोष हैं। मेरे पास सबूत हैं।
अरुण: मैं जानता हूं रुद्र। तुम्हारे मामाजी भेड़िया मानव नहीं हैं।
क्योंकि वह.......... मैं हूं.............
रूद्र को आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि वह यह पहले से ही जानता था।
अरुण: जब तुमने उमाकांत के मोबाइल के बारे में पूछा तो मैं समझ गया था कि तुम मुझे पहचान जाओगे।लेकिन इतनी जल्दी का मैंने नहीं सोचा था।
रुद्र: जल्दी ही बाकी सब भी जान जायेंगे।
अरुण: मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है, लेकिन ऐसा नहीं होगा। मैं सबके सामने साबित कर दूंगा कि रमेश ही भेड़िया मानव है और तुम उसे निर्दोष साबित करने के लिए कहानियाँ बना रहे हो ।मैं साबित कर दूंगा कि जब ये हमले हुए तो मैं पुलिस स्टेशन में था।
रुद्र: बिलकुल कर दोगे। आख़िर तुम्हारे घर के बेसमेंट में बैठा जुड़वा भाई कब काम आएगा।
यह सुनकर अरुण सन्न रह गया।
***
वर्ष :1945
अरुण भेड़िया मानव में बदल गया था और वह अलग-अलग जगहों पर लोगों पर हमला कर रहा था और उन्हें मार रहा था क्योंकि यह शक्ति नियंत्रण से बाहर थी।
इस कारण वह एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रुक पाता था।
वह हिमाचल प्रदेश का मूल निवासी था इसलिए एक दिन वह हिमाचल प्रदेश में अपने घर गया जहाँ उसका भाई रहता था जो कि जुड़वा था।
इस रात भी पूर्णिमा की चांदनी थी और अपनी अनियंत्रित शक्ति के कारण उसने अपने भाई प्रताप पर आक्रमण कर दिया और उसे काट लिया।
जैसे तैसे प्रताप ने अपनी जान तो बचा ली लेकिन अब वह भी बदल गया था।शुरू में उसको अच्छा नहीं लगता था लेकिन बाद में उसको भी अरुण की तरह मजा आने लगा।
दोनों भाई कभी भी एक साथ हमला नहीं करते थे इसलीये दुनिया की नजरों में बस एक ही भेड़िया मानव का वजूद था।
वे आज तक वही काम कर रहे थे, यानी उन्होंने लोगों पर हमला किया और उन्हें मार डाला और उन्होंने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि दूसरों पर दोष मढ़ दिया, जैसा उन्होंने रमेश के साथ किया।
लेकिन अब बात बदल चुकी थी।
***
वर्तमान समय :
अरुण: तुम उसके बारे में कैसे जानते हो?
रुद्र: उमाकांत सर ने लाइब्रेरी में तुम्हारी तस्वीर लगा हुआ जो न्यूज पेपर देखा था उसकी तस्वीरें अपने मोबाइल में उतारी थी। उनको देख के ही मुझे ये समझ आया।
जिस तस्वीर में गर्दन पर काटे हुए के निशान हैं वो तुम्हारा भाई है,और दूसरी में तुम हो। ये तो याद है ना कि तुम्हारी गर्दन पर ऐसा कोई निशान नहीं है।
मैं तुम्हें एक बात और बताता हूं कि मुझे कैसे पता कि वह तुम्हारे बेसमेंट में है।मैंने गांव वालो से थोड़ा पूछताछ की तो उन्होंने मुझे बताया कि तुम्हारा घर बहुत पुराना है और उसमें बेसमेंट है।
अब वहा तलाश करने की कोई कैसे सोच सकता था क्योंकि अपराधी और जांचकर्ता एक ही थे।
कहते हुए रुद्र हसने लगा।
अरुण को गुस्सा आने लगा और वह भेड़िये में बदलने लगा लेकिन रुद्र सावधान था और उसने भेड़िये के दिल में चांदी का चाकू घुसा दिया।जब उमाकांत लाइब्रेरी में थे तो रुद्र और राहुल ने चांदी के चाकू की व्यवस्था में पूरा दिन बिताया था क्योंकि वे जानते थे कि इसकी जरूरत कभी भी पड़ सकती है।
रुद्र के मोबाइल पर राहुल ने तभी एक फोटो भेजा जो अरुण के मृत भाई प्रताप का था।
रुद्र: राहुल भी दूसरे कई गांव वालों के साथ तुम्हारे घर में घुस कर तुम्हारे भाई के साथ भी यही कर चुका है।
रूद्र ने उसे प्रताप की फोटो दिखाई।
भेड़िया मानव का आतंक अब खत्म हो चुका था।
***
पुलिस के उच्च अधिकारियों को सबूतों के साथ पूरी सच्चाई से अवगत करा दिया गया था।मामाजी अब स्वतंत्र थे और गांव वाले खुश थे क्योंकि अब उन्हें डर के साथ जीने की जरूरत नहीं थी।
रुद्र इस केस को सुलझाकर बेहद खुश था। वह आज वडोदरा में अपने घर लौट रहा था।उसके मामाजी के परिवार और गांव वालों ने उसको धन्यवाद दिया और बहुत प्यार से विदा किया।
समाप्त
डिस्क्लेमर : इस कहानी में दर्शाए गए पात्र और घटनाएँ काल्पनिक हैं। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इनकी समानता केवल एक संयोग है और लेखक का ऐसा कोई इरादा नहीं है।
Written By :
Anand Kumar Sharma
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