A new dawn rising in the shadow of struggles in Hindi Motivational Stories by Brajesh ji books and stories PDF | संघर्षों की छाया में उगता एक नया सवेरा

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संघर्षों की छाया में उगता एक नया सवेरा

मैं कौन हूँ? और इस जीवन से क्या चाहता हूँ? यही प्रश्न मेरे मन में लंबे समय से गूंज रहे हैं। इस लेख के माध्यम से मैं न केवल अपने जीवन के अनुभव साझा करना चाहता हूँ, बल्कि उन सभी को प्रेरित करना चाहता हूँ जो कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।
मेरा नाम ब्रजेश पासवान है। मेरा जन्म 26 सितंबर 1995 को झारखण्ड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। मेरे परिवार में माता-पिता के अलावा एक बड़ा भाई और पत्नी भी हैं। गांव के माहौल में पला-बढ़ा और वहीं से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में रुचि थी, पर आर्थिक स्थितियाँ कभी अनुकूल नहीं रहीं। 10वीं के बाद कंप्यूटर कोर्स किया—DCA, ADCA, TALLY, HARDWARE & SOFTWARE INSTALLATION, DTP, PHOTOSHOP, CORAL DRAW इत्यादि। इसके बावजूद, कभी किसी एक क्षेत्र में नौकरी नहीं टिकी। कभी फाइनेंसियल समस्या, तो कभी परिवारिक। मैंने ITI (FITTER) ट्रेड में भी कोर्स किया। हरियाणा जाकर 2 साल तक काम किया, लेकिन वहाँ भी स्थायित्व नहीं मिला। कई जगह 8000/- से 8500/- रुपये प्रति माह की नौकरी मिली, लेकिन घर चलाने में वह राशि नाकाफी थी।
समय बीतता गया, और संघर्ष मेरी पहचान बनता गया। पत्नी ने साथ छोड़ दिया, माता-पिता ने ताने देने शुरू कर दिए। उस समय मुझे केवल यही लगता रहा कि शायद मेरा जीवन अब अंधकार की ओर बढ़ रहा है। लेकिन मेरे भीतर कहीं न कहीं एक आशा की लौ अब भी जल रही थी।
एक समय ऐसा आया जब जीवन से पूरी तरह निराश हो गया। काम की तलाश में दर-दर भटका। कुछ कंपनियों ने कम वेतन पर काम करवाया और बाद में निकाल दिया। पैसों की तंगी ने जीवन की गाड़ी को जैसे रोक ही दिया था। उसी बीच मेरी पत्नी की तबीयत खराब हो गई और ऑपरेशन कराना पड़ा। घर की जिम्मेदारी और कर्ज ने मुझे मानसिक रूप से तोड़ दिया।
लेकिन फिर भी मैंने हार नहीं मानी। मैंने सोचा—अगर जीवन ने मुझे बार-बार गिराया है, तो इसका मतलब है कि मुझे बार-बार उठने की ताकत भी दी है। मैंने खुद से वादा किया कि अब चाहे जो हो जाए, मैं लिखूंगा—अपनी कहानी, अपने अनुभव, अपने विचार। शायद मेरी कहानी किसी और को जीने की वजह दे दे।
आज मैं मांसाहार छोड़ चुका हूँ क्योंकि मुझे किसी भी जीव की हत्या केवल स्वाद के लिए स्वीकार नहीं। मेरा मानना है कि हम सबको मिलकर इस संसार को करुणा, सहयोग और मानवता से भर देना चाहिए। मैं चाहता हूँ कि लोग एक-दूसरे की मदद करें, एक-दूसरे की भावनाओं को समझें।
लेखन मेरे लिए अब केवल एक कार्य नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज़ बन गया है। चाहे मुझे प्रसिद्धि मिले या न मिले, पैसे आएं या नहीं, अब मैं हर हाल में Lलिखता रहूँगा। यह मेरी यात्रा की शुरुआत है, और आप सबका साथ मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अगर मेरी कहानी आपको छू पाई हो, तो कृपया मुझे आशीर्वाद दें, और अगर कोई सुझाव हो, तो अवश्य साझा करें। संघर्षों से शुरू हुई मेरी यात्रा अब लेखन के प्रकाश की ओर बढ़ रही है।
आशा करता हूँ ये लेख आपको अच्छा लगा होगा।
आपका अपना, ब्रजेश पासवान