गाजर के हलवे की कटोरी हाथ में लिए वो सिर झुकाए खड़ी थी कि सामने जो हस्ती थी उससे नजरे मिलाने से वो कतराती थी, कुछ डर की वजह से तो कुछ उन आँखों की कशिश ही ऐसी थी। अभी वो सोच ही रही थी कि क्या बोले उससे पहले सामने से एक दमदार मगर तहजीब से भरी आवाज आयी थी जो यकीनन सोफ़े पर बैठे उस शख़्स की ही थी।
" क्या है यह ? " काँच की कटोरी में हलवा साफ दिख रहा था उसने फिर भी यह सवाल किया।
" जी...जी खी..खीर है। " उसने डरते डरते जवाब दिया। और उसके इस जवाब से वो सक्त आँखे मुस्कुराई थी।
" अच्छा ! वैसे कैसे बनाई आपने ये खीररर " उसने खीर शब्द में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ली थी इसलिए उसपर जोर दिया था। और उसके इस सवाल पर वो कुछ चौकी थी।
" जी... " उसने हैरत से आँखे कुछ बड़ी करकर पुछा था।
" जी नही रेसिपी " उसने जैसे उसे याद दिलाया।
" हाँ...वो दुध को मंदी आँच पर रखा था और चावल को अध- कच्चे पकाए थे, फिर उन चावल को दुध में छोड़ दिया और ड्राय फ्रूट्स उसमे डाल दिए फिर लो फ्लेम पर आधे घंटे तक रखा था " रेसिपी बताते हुए भी उसे घबराहट हो रही थी कि कही कुछ गलत ना बोल दे।
" अच्छा...नाईस गुड ! वैसे मुझे हलवे और खीर में फर्क नही पता था " वो हलवा खाते हुए अपनी बात रख गया था, जब वो रेसिपी बता रही थी तब वो हलवे के साथ इंसाफ कर रहा था। उसने बात ही बात में उसके हाथ से कटोरी ली थी । वो जानता था कि यह हलवा उसने ख़ास कर उसके लिए ही बनाया हैं, सुबह से किचन में लगी हुई थी, वो उसकी मेहनत पर पानी नही फेरना चाहता था।
और उसकी बात पर उसने नासमझी से उसे देखा था, लेकिन जल्द ही उसे एहसास हुआ कि उसने जल्दबाजी और घबराहट में कुछ भी बोल दिया था।
अब वो चुप- चाप सोफ़े के पास खड़ी थी, वो हलवा खाते हुए रुक- रूककर उसे ही देख रहा था। पीले पटियाले सूट से मैच करता दुपट्टा जिसे उसने सिर पर ओढ़ा हुआ था। माथे पर छोटी सी बिंदी, कान में सोने की छोटी- छोटी बालियां, नाक में छोटी सी नथनी, बालों की लंबी सी चोटी जिसे उसने बड़े सलीके से बनाई थी, आँखों में काजल और होठों पर लिप ग्लॉस, दोनों हाथों को आपस में उलझाए हुए खड़ी थी जिसमे छह-छह पीली चूडिय़ां पहनी हुई थी उसने। और यकीनन यह सब काफ़ी था " अयान " के दिल को चुराने के लिए।
" सुनो " खाली कटोरी को सोफ़े के सामने रखी हुई टेबल पर रख कर उसने कहा था।
" जी " उसने उसके सामने देख कर पुछा था।
"अगर हलवा बच गया हो तो क्या मुझे और मिल सकता हैं ? " उसने इस बार कुछ नर्मी से पुछा था।
" जी हाँ और हैं...मैं अभी लेकर आती हु। "
" नही अभी नही चाहिए, रात में डिनर के बाद। वैसे इतनी देर से खड़ी हुई क्यों है आप...मैंने कोई पनिशमैंट दी हैं ? "
" जी...जी नही नही " वो फिर अपनी हकलाहट पर आयी थी।
" पर अब मिलेगी "
" क्या ? " उसने सवालिया नजरो से पूछा था।
" पनिशमैंट " उसने भी उसी लय में उसकी तरह जवाब दिया था।
" आपको हलवा अच्छा नही लगा ? " उसे लगा शायद इसलिए वो उससे ऐसा सवाल कर रहा हैं।
" नहीं... किसने कहा ऐसा ? "
" तो फि...फिर आ...आप मुझे पनिश...पनिशमैंट क्यों देना देना चाहते है ? "
" हम्म... तीन दिन पहले आपका रिजल्ट आया था जिसका जिक्र आपने ना घरवालों से करा ना ही मुझसे। बोलिए क्यों किया ऐसा ? " उसने बिना किसी भाव के सक्त आँखों से उससे यह सवाल करा जिसे सुनकर डर से उसका गला सुख आया था, उसने कसकर अपनी आँखे भीची थी।
" कुछ पुछा है मैंने। " इस बार आवाज में कुछ सक्ती थी।
" वो... वो मैं... मैं आप...आपको बताने वाली थी पर " डर इस तरह हावी हुआ था उसपर कि वो आगे कुछ बोल ही नही पायी।
" क्या पर... कल शाम आ चुका था ना मैं, कल से लेकर अभी तक कितनी बार आपके सामने आ चुका हूँ, पर एक भी बार आपने मुझसे इस बारे में बात नही करी। "
" सॉरी...सॉरी मैं भूल गई थी "
" इतनी बड़ी बात बताना भूल गई आप मुझे, इतनी केयअरलेस कबसे हो गई आप... या फिर बात कुछ और है। कही सच बताने से तो नही डर रही थी आप। "
" नही... वो "
" सब में अच्छे मार्क्स हैं, इन्फेक्ट डिस्टिंक्शन आए है, फिर इस सब्जेक्ट में क्या हुआ ? पासिंग मार्क्स भी नही आये। "
" वो..."
" बंद कीजिए अपनी हकलाहट और साफ़- साफ़ मेरे सवालों का जवाब दीजिए। इस सब्जेक्ट में इतनी वीक तो नही है आप ? "
" पेपर से एक दिन पहले ईद थी...बाबा सरकार, ताया अब्बु, और अब्बु ने अपने कुछ ख़ास लोगों को दावत पर बुलाया था। बहुत सारी तैयारी करनी थी इस वजह से में पढ़ नही पायी थी "
" हम्म...तो यह वजह हैं। " कहते हुए अयान उसके करीब आकर खड़ा हुआ था और उसकी इस हरकत पर उसकी साँसे रुकी थी।
" कितनी बार आपको समझाना पड़ेगा " नूर बीवी " की मैं आपको पढ़ाई में कोई भी रियायत नहीं दूंगा। आपने सोच भी कैसे लिया कि शाहीन का साथ देकर आप बच जाएगी। "
नूर ने चौक कर अयान कि तरफ देखा था।
" चौकिए मत आपसे जुड़ी हर बात आपसे पहले मुझे पता होती हैं। "
" उस शैतान लड़की के साथ रहकर आप भी शैतान होती जा रही हैं "
अयान की इस बात पर नूर ने नफी में गर्दन हिलायी थी।
" अच्छा तो फिर सच क्या है। "
" शाहीन आपी ने कहा था अगर हम घर पर सबको बतायेंगे तो फँस जायेगे। मेरे तो सिर्फ एक ही सब्जेक्ट में हैं उनके तो तीन सब्जेक्टस में कम्पार्टमेंट आयी है। सब बहुत डाँटते इसलिए उन्होंने घर पर सबको बताने से मना किया था। सच्ची कसम से मैंने उन्हें कहा था आपको बताने के लिए पर उन्होंने कहा कि जब वो कहेगी मैं तभी आपको बताऊ " उसने बिना साँस लिए एक ही बार में अपनी बात मासूमियत से पूरी की थी, कि अयान की घूरती नजरे उसे अपने ऊपर महसूस हो रही थी।
तभी नीचे से आवाज आयी थी शायद कोई उसे बुला रहा था, और उसने चैन की साँस ली थी। वो जैसे ही जाने को मुड़ी अयान ने उसकी कलाई थाम ली थी, वो जहां की तहा रह गई।
" बैठिए " एक बार फिर उसकी आवाज में नर्मी थी।
" वो...वो अम्मी बुला रही है " उसने आँखे दिखाई थी और वो बुलेट की स्पीड से सोफ़े पर जाके बैठी थी। अयान अलमारी की तरफ बढ़ा था। चंद पलों के बाद वो वापस उसके पास आया।
और जब वो उसके पैरों के पास ज़मीन पर बीछी कालीन पर बैठा तो।
" साहेब... साहेब यह आप क्या कर रहे हैं। प्लीज खुदा के वास्ते ऐसा ना कीजिए " उसने रूआँसी आवाज में कहा था।
" स्स्स्स... ख़ामोश रहिए " उसने अपने हाथ उसके होठों पर रख उसे चुप कराया था। फिर अपने दूसरे हाथ में रखे नीले बॉक्स को खोला जिसमें पजेब थी, उसमे से एक पजेब निकाल कर उसके पैरों को अपने घुटने पर रख कर उसे पहनाई। वो बुरी तरह कसमसाकर रह गई थी कि वो उसकी कोई भी बात टालती नहीं थी, और नाफ़रमानी तो कभी अयान ने भी नही करी थी।
" साहेब मैं खुद पहन लूँगी आप रहने दे " बोलते हुए उसका गला भर आया था। अयान ने एक बार फिर उसे घूरा था। और इस बार वो चुप हो गई थी लेकिन आँखों में नमी बराबर थी।
पायल पहनाने के बाद एक भरपूर नजर उसने उसके पैरों को देखा फिर उसके पास सोफ़े पर बैठ कर उसने सवाल किया।
" पहले वाली पजेब कहां है ? "
" वो टूट गई "
" कब टूटी "
" जी परसों "
" तो बताया क्यों नही ? "
" मैंने सोचा था बाद में सही करवा लूँगी "
" खुदसे जाती सही करवाने ? "
" नही शाहीन आपी के साथ या फिर भाई को दे देती। "
"मुझे नही कह सकती थी ? "
" नही... नही आपको ही देती पर आप यहाँ थे ही नही " वो जल्दी से बोली।
" हम्म... आइंदा अपने पैरों को सुना मत छोड़ना। और आगे से कोई बात मत छुपाना। जाइए अब अम्मी बुला रही है आपको "
फिर क्या था खाली कटोरी ट्रे सहित लेकर वो ऐसे भागी जैसे उसके पीछे शेर लगा हो। उसकी इस बचकानी हरकत पर अयान खुल कर मुस्कुराया था, दिल में एक सुकून उतरा था उसकी पायल की खनक पूरे घर मै फैली थी कि उसके आने से पहले वो पहचान जाता था कि वो आ रही है पर कल से ये आवाज उसको सुनने को नही मिली थी और वो रात में जाकर और वो रात में जाकर उसके लिए पायल ले आया था।
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