अध्याय 1: पहली मुलाकात
दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली बारिश हो रही थी। आसमान से गिरती बूंदें ज़मीन पर संगीत की तरह बज रही थीं। इसी बारिश में, आरव अपनी किताबों को भीगने से बचाने की कोशिश कर रहा था जब उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी — पायल।
पायल अपनी छतरी के नीचे खड़ी थी, उसकी आंखों में मासूमियत और होंठों पर हल्की-सी मुस्कान थी। पहली ही नजर में कुछ तो था जो आरव को खींच लाया।
"छतरी में जगह है?" — आरव ने हिम्मत कर पूछा।
"अगर इरादे साफ़ हों, तो हमेशा होती है।" — पायल ने मुस्कराकर जवाब दिया।
वहीं से शुरू हुआ एक नया सफर, जो दोस्ती से प्यार की ओर बढ़ने वाला था।
---
अध्याय 2: दोस्ती से मोहब्बत तक
कॉलेज की लाइब्रेरी, कैंटीन की चाय, और गार्डन में बिताए हुए शाम के पल — ये सब पायल और आरव की कहानी के हिस्से बन गए। पढ़ाई के बहाने मिलने वाले दो लोग अब एक-दूसरे की आदत बन चुके थे।
एक शाम, पायल ने अचानक पूछा, "अगर मैं कल इस शहर से चली जाऊं, तो क्या करोगे?"
आरव ने गंभीर होकर कहा, "शहर में रहने की वजह ही खो दूँगा।"
उसी पल, दोनों की आँखों में वो अनकहा प्यार साफ दिख रहा था — जिसे शब्दों की ज़रूरत नहीं थी।
---
अध्याय 3: इम्तिहान
प्यार आसान नहीं होता। पायल के पापा की सरकारी पोस्टिंग भोपाल हो गई। और पायल को भी मजबूरी में जाना पड़ा।
"क्या हमारा प्यार दूरियों में भी ज़िंदा रहेगा?" — पायल ने विदा के वक्त पूछा।
आरव ने बस इतना कहा, "अगर ये सच्चा है, तो दुनिया की कोई दूरी इसे मिटा नहीं सकती।"
दोनो अलग हो गए, पर दिलों की दूरी कभी नहीं बढ़ी। चिट्ठियाँ, कॉल्स, और वीडियो चैट — यही थे अब रिश्ते के पुल।
---
अध्याय 4: वापसी
दो साल बाद, पायल ने दिल्ली वापस आकर आरव को बिना बताए मिलने का फैसला किया। वो उसे उसी लाइब्रेरी में मिली जहां पहली बार साथ पढ़े थे।
आरव ने उसे देखकर कहा, "तुम अब भी वैसी ही लगती हो, जैसी उस पहली बारिश में थी।"
पायल की आंखें भर आईं — "और तुम अब भी वही हो जिसने मुझे 'प्यार ही सब कुछ है' सिखाया।"
---
अध्याय 5: हमेशा के लिए
आरव और पायल ने अपने रिश्ते को एक नाम दिया — शादी। दोनों ने मिलकर साबित कर दिया कि सच्चा प्यार न समय देखता है, न दूरी। वो बस होता है — बिना शर्तों के।
दिल्ली की हल्की-सी ठंडी शाम थी। नवंबर की हवा में गुलाब की महक थी, और आरव का दिल धड़क रहा था — आज वो दिन था जिसका उसने बरसों से सपना देखा था।
पायल एक गुलाबी साड़ी में, सजे हुए बालों और हल्की मुस्कान के साथ मंदिर की सीढ़ियों पर खड़ी थी। उसके चेहरे पर मिलन की खुशी, आँखों में नमी, और होठों पर स्नेह साफ झलक रहा था।
आरव ने जैसे ही उसे देखा, उसके कदम रुक गए। वो सोच रहा था — क्या यही वो पल है, जिसके लिए उसने समय और दूरी की हर कसौटी पार की थी?
पायल ने मुस्कराते हुए कहा,
"याद है जब मैंने पूछा था — अगर मैं शहर छोड़ दूं तो क्या करोगे?"
आरव ने मुस्कराकर जवाब दिया,
"मैंने कहा था — 'शहर में रहने की वजह खो दूँगा'। लेकिन आज, वजह वापस आ गई है।"
वो दोनों मंदिर के अंदर गए, हाथों में हाथ डाले। पुरोहित मंत्र पढ़ रहा था, और पायल की माँ की आँखों में आँसू थे — खुशी के आँसू। आरव के पिता, जो कभी इस रिश्ते से सहमत नहीं थे, आज गर्व से बेटे को देख रहे थे।
मंगलसूत्र पहनाते वक्त आरव ने पायल से धीरे से कहा,
"तू ही मेरी कहानी है, तू ही मेरा अंत।"
पायल ने आँखों में आँसू और दिल में मुस्कान के साथ जवाब दिया,
"और तू मेरा हर वो जवाब है, जिसे मैंने बरसों ढूंढा है।"
बाँध दिए गए थे दो दिल, सात फेरे लेकर। संगीत और फूलों के बीच, एक नई शुरुआत हो रही थी — एक ऐसा प्यार जो समय की परछाइयों से निकलकर, रोशनी बन चुका था।
शादी के बाद जब वो दोनों छत पर अकेले खड़े हुए, चाँदनी में भीगते हुए, पायल ने कहा,
"प्यार सब कुछ नहीं होता आरव
उपसंहार:
इस कहानी ने हमें सिखाया कि प्यार ही सब कुछ है — अगर दिल सच्चा हो, तो रिश्ते वक़्त की कसौटी पर भी खरे उतरते हैं।