The Wedding Ring in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | सगाई की अंगूठी

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सगाई की अंगूठी

                                                                    सगाई की अंगूठी 


     The Wedding Ring 


यह कहानी दो जुड़वां  बहनों के बारे में है जो एक ही लड़के से प्यार कर बैठती हैं  .. 


रामनगर , नदी के किनारे बसा एक छोटा सा शहर था  . श्याम नगर नदी के दूसरे किनारे पर बसा एक दूसरा  शहर था  . सुनील का रामनगर में अपना बिजनेस था  . नैना  सुनील की पत्नी थी  . दोनों ने लव मैरेज किया था  . शुरू में दोनों में बहुत प्यार था  . नैना ने  एक बेटी को जन्म दिया  .  दोनों पति पत्नी ने बेटी का नाम मोना रखा  . मोना बहुत सुंदर थी और उसका चेहरा अपने पिता से हूबहू मिलता था  . मोना जब दो साल की हुई तब सुनील और नैना में रोज लड़ाई होने लगी  .


 रामनगर और श्याम नगर को ट्विन सिटी भी कहा जाता था  . अक्सर लोग नदी को बोट से पार करते थे क्योंकि सड़क पुल वहां से काफी दूर था  .    सुनील अपने बिजनेस के सिलसिले में अक्सर नदी के दूसरे किनारे बसे शहर श्याम नगर जाया करता था  .सुनील का चक्कर श्याम नगर की किसी लड़की से चल रहा था  .  इसकी भनक नैना को जब  लगी तब शुरू में तो सुनील इस बात से इंकार करता रहा  . रोज रोज के झगड़े से तंग आकर नैना ने एक दिन कहा “ तुमको फैसला करना होगा कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या उस बेहया लड़की के साथ  . “ 


“ उसे बेहया नहीं कहो , मैं उस से बहुत प्यार करता हूँ  . “ 


“ एक शादी शुदा मर्द जो एक बेटी का बाप है , उससे जो लड़की प्यार करे उसे बेहया नहीं तो क्या कहें ? ठीक है अगर तुम्हें उसी से प्यार है तो तुम्हें आज ही यह फैसला लेना होगा कि तुम किसके साथ रहोगे  .  “


“ कान खोल के सुन लो , मैं उसे नहीं छोड़ सकता हूँ  . “  सुनील ने कहा 


“ इसका मतलब तुम मुझे छोड़ सकते हो , यही न ? “  नैना ने गुस्से में पूछा 


“ तुम जो भी मतलब लगा लो , मैं उसे नहीं छोड़ सकता हूँ  . “ 


कुछ दिनों बाद नैना और सुनील आपसी सहमति से अलग हो गए  . सुनील ने नैना के लिए अपनी संपत्ति का आधा भाग दे दिया और वह नदी के उस पार अपनी प्रेमिका के साथ रहने लगा जो पहले से ही प्रेग्नेंट थी  . उसकी कोख में  सुनील का बच्चा पल रहा था  . वहां भी उन्हें एक बेटी हुई सोनिया  . इत्तफ़ाक़ से सोनिया का चेहरा भी अपने पिता से हूबहू मिलता था  . 


सुनील की दोनों बेटियां बड़ी होने लगीं  . हालांकि दोनों का कभी आमना सामना नहीं हुआ था फिर भी दोनों तरफ के आने जाने वाले कहा करते कि दोनों जुड़वाँ बहनें लगती हैं  . रामनगर की अपेक्षा श्याम नगर ज्यादा बड़ा और विकसित शहर था  . राम नगर में कोई कॉलेज नहीं था इसलिए मोना को आगे पढ़ने के लिए श्याम नगर जाना पड़ा  . मोना सुबह मोटर बोट से जाती और दोपहर बाद लौट आती थी  . रामनगर से एक और लड़का उसके कॉलेज जाता था  . वह नकुल था और वह उसी के क्लास में था  . नकुल अक्सर उस से  बोट में मिलता हालांकि दोनों में कोई बात नहीं होती थी  . मोना के कॉलेज ज्वाइन करने के कुछ माह बाद से नैना की तबीयत ख़राब रहने लगी  . उसे दिल की बीमारी थी , हार्ट अटैक हुआ  . डॉक्टर ने कुछ टेस्ट कर उसे दवा दी और कहा “ दवा से फिलहाल तुम्हें आराम मिलेगा पर  तुम्हें  जल्द से जल्द किसी बड़े शहर में जा कर  इलाज कराना होगा  . तुम्हारे हार्ट का ऑपरेशन करना होगा  . “ 


वैसे मोना ने  दूसरों के मुंह से अपने पिता के बारे में कुछ सुना था  . नैना ने अपनी बेटी से सुनील के बारे में विस्तार से बता कर कहा “ पता नहीं अब मैं बचूं  या न बचूं  . मैं न रही तब तुम यहाँ अकेले कैसे रहोगी  . वैसे भी  रोज रोज नदी पार कर कॉलेज जाना भी बहुत कठिन है  . आखिर सुनील तेरे पिता हैं  . तुम उन्हीं के पास चली जाना  . “ 

“ मैं  वहां नहीं जाऊंगी माँ  . जरूरत पड़ने पर  मैं अकेले किसी लॉज या पेइंग गेस्ट में रह लूंगी  .  “ 


इसके कुछ सप्ताह के बाद नैना चल बसी  . नकुल को जब पता चला तब वह मोना की हर तरह से मदद की . माँ की अंतिम क्रिया संपन्न होने के  बाद उसने मोना से कहा “ तुम्हें अब श्याम नगर में रह कर पढ़ाई करनी चाहिए  . वैसे भी बरसात के दो महीनों में मैं भी वहीँ पेइंग गेस्ट की तरह  ही रहता हूँ  . तुम अपने घर के एक हिस्से को किराए पर दे सकती हो  . भरोसे का टेनेंट की गारंटी मैं लेता हूँ  . श्याम नगर में एक अच्छा गर्ल पी जी मेरी नजर में है , तुम वहां शिफ्ट हो जाओ  .   “ 


कुछ दिनों के बाद मोना श्याम नगर चली गयी  . वहां नकुल उसके साथ हर समय खड़ा रहता था  . इस दौरान दोनों एक दूसरे के नजदीक आये  .  उसी के कॉलेज में उसके पापा सुनील की बेटी सोनिया भी पढ़ती थी  . सोनिया मोना से दो  साल जूनियर थी  . जब दोनों का आमना सामना होता दोनों एक दूसरे को आश्चर्य से देर तक देखते रहतीं   . जब सुनील को मोना के बारे में पता चला तो वह मोना से मिलने उसके पी जी में  गया  और  बोला “ आखिर मैं तुम्हारा पिता हूँ  . मैं मानता हूँ मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है पर मैं तुम्हें अकेले नहीं छोड़ना चाहता  . तुम मेरे साथ मेरे घर पर चल कर रहो  . “ 


मोना ने कहा “ अभी तो मैं वैसे भी नहीं जा सकती हूँ  . मैंने  तीन महीने का एडवांस जमा किया है  जो रिफंड नहीं हो सकता है  . इस बारे में बाद में देखा जायेगा  . “ 


इधर नकुल और मोना दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे  . नकुल का फाइनल ईयर था  . वह बैंक आदि में नौकरी के लिए कम्पीटिशन टेस्ट के लिए श्याम नगर में रुक गया .  नकुल पढ़ने लिखने में बहुत तेज था  . उसकी सफलता की पूरी उम्मीद थी  . मोना अपने एग्जाम के बाद रामनगर चली गयी  . नकुल बोला  “ जल्दी आने की कोशिश करना  . “ 


इधर जब सोनिया की माँ को नकुल और मोना के रिश्ते के बारे में पता चला तब उसने एक षडयंत्र रचा   . वह अपनी बेटी की शादी नकुल से करना चाहती थी  . उसने सुनील   से कहा “ मेरी बेटी नकुल से प्यार करती है और नकुल भी सोनिया से  प्यार करता है . “ 


“ यह तो अच्छी बात है , क्यों न उसे घर बुला कर बात की जाए . “


सुनील ने पत्नी को  नकुल को बुलाने के लिए कहा  . उन दिनों मोबाइल का ज़माना नहीं था  . नकुल को खबर भेजी गयी  .

 

नकुल जब आया तब सुनील और  उसकी पत्नी दोनों ने कहा “ हम जानते हैं तुम हमारी बेटी से प्यार करते हो . माना हम से पहले भूल हुई है . हमें  उसका बहुत पछतावा है . अब हम तुम दोनों की शादी कर निश्चिन्त होना चाहते हैं . “


नकुल  ने सोचा कि वे मोना की बात कर रहे हैं . वह बोला “ अंकल अभी हमारे बैंक के टेस्ट का रिजल्ट आने वाला है . उसके बाद ही शादी करेंगे . “ 


“ पर हम जल्द से जल्द शादी कर देना चाहते हैं  क्योंकि हमलोग यह शहर छोड़ कर जा रहे हैं . मैंने बेटी को भी खबर भेज कर बुला लिया है . वह एक दो दिन में आ जाएगी . “   सुनील की पत्नी ने कहा  . अपनी पत्नी की  झूठ सुनकर सुनील उसकी ओर आश्चर्य से देखने लगा तब उसने पति को आँख मार कर चुप रहने को कहा . 


फिर आगे वह बोली “ ऐसा करो , हम तुम दोनों की सगाई कर देते हैं . शादी तुम बैंक का ऑफर मिलने के बाद ही करना . 


नकुल बोला “ यह ठीक रहेगा . सोनिया नहीं दिख रही है . “ सोनिया छुट्टी में कुछ दिनों के लिए ननिहाल गयी है  . “   सोनिया की माँ ने फिर झूठ बोला 


अगले ही दिन उसने  मोना की तरफ से  नकुल को एक मेसेज भेजा “ मैं वापस आ गयी हूँ और अब अपने पापा के साथ हूँ  . पापा ने तुम्हें सगाई  के लिए बुलाया है  . कल  शाम को सगाई का मुहूर्त भी है .  पापा  को बिजनेस के सिलसिले में जल्द ही बाहर जाना है .  “ 


अगले दिन शाम  साधारण तरीके से नकुल और सोनिया की सगाई हुई . सुनील ने कुछ गिने चुने लोगों को बुलाया था . उसमें एक आदमी रामनगर का था जो मोना और नकुल के बारे में जानता था और उसे यह भी पता था कि मोना अभी रामनगर में है . . अगले दिन सुबह उसे रामनगर लौटना था . वहां लौटने पर उसने मोना को पूरी कहानी सुनाई . मोना को दुःख हुआ पर फिर वह बोली “  अंकल।  कोई बात नहीं है . आखिर सोनिया भी मेरी बहन ही ठहरी . अगर वह नकुल से शादी कर लेती है तो भी ठीक है  . “ 


 दो दिनों के बाद  जब मोना श्याम नगर आयी तब वह नकुल  से मिलने गयी पर नकुल इंटरव्यू के लिए मुंबई गया था . फिर वह सोनिया के घर गयी . सुनील उसे देख कर खुश हुआ और बोला “ अच्छा किया  जो तुम आ गयी . सोनिया भी तुम्हारी बहन है . दो दिन पहले ही उसकी और नकुल की सगाई हुई है . “


गम के आंसू को पीते हुए वह बोली “ यह सुन कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई . सोनिया कहाँ है ? “ 


तब तक सोनिया भी वहां आयी , मोना ने उसे गले लगा कर कहा “ सगाई मुबारक हो . “  और उसने सोनिया की अंगुली में सगाई की अंगूठी देखी


कुछ देर बाद मोना बोली “ आज मुझे अपने घर रामनगर लौटना है . “ 


सोनिया बोली “ दीदी , मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ ? “ 


“ हाँ , क्यों नहीं ? “ 


कुछ देर बाद मोना और सोनिया दोनों नाव से नदी पार कर रही थीं . नाव ओवरलोड होने के चलते कुछ दूर जाने पर गहरे पानी में डूब गयी . मोना को तैरने आता था पर सोनिया को नहीं . मोना ने उसे बचाने का प्रयास किया पर वह उसे नहीं बचा पायी . इस दौरान सोनिया की अंगुली से  सगाई वाली अंगूठी मोना के हाथ में आ गयी . 


मोना तैर कर वापस श्याम नगर आयी .  वह सुनील के घर गई और वहां नाव दुर्घटना की पूरी बात बताई जिसे सुनकर सुनील और उसकी पत्नी बहुत दुखी हुए . उसकी पत्नी ने अपनी गलती मानते हुए कहा “ ठीक ही कहा गया है - जैसी करनी वैसी भरनी . “ 


सुनील ने मोना से कहा “ तुम अब यहीं रहोगी . नकुल कल आ रहा है . उसका बैंक में सेलेक्शन हो गया है . “ 


“ अभी मुझे पी जी जाना होगा . नकुल के आने से उसे वहीँ भेज देंगे आपलोग . “  बोल कर मोना चली गयी 


नकुल के आने पर सुनील ने कहा “ मोना पी जी गयी है . तुम्हें वहीँ बुलाया है . “ 


नकुल पी जी में मोना से मिलने गया . मोना के हाथ में सगाई वाली अंगूठी न देख कर कहा “ तुमने सगाई वाली अंगूठी क्यों उतार दी  है ? “ 


“ तुमने मुझे  अंगूठी पहनाया ही कब था ? “ 


“ क्या बात करती हो ? “ 


तब मोना ने अपनी मुठ्ठी से वो अंगूठी निकाल कर दिखाया और  उसे देते हुए  कहा “ तुमने जिसे अंगूठी पहनाई थी वह मैं नहीं सोनिया थी .  यह सब मेरी सौतेली माँ की चाल थी  . “  बोल कर मोना ने उसे सारी बात बताई . 


“ तो लो अब ये अंगूठी तुम्हें पहना देता हूँ  . मैंने तो सोनिया को मोना समझ कर उसे अंगूठी पहनाई थी .   तुम्हीं इसकी असली हक़दार हो . कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये . “ 


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नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है