इसमें धुम्रपान और शराब का सेवन है। लेखक इसे प्रोत्साहित नहीं करता।
साथ ही, इसमें हिंसा, खून-खराबा और कुछ जबरन संबंध भी शामिल हैं। पाठकगण कृपया विवेक से पढ़ें।
वृषा और वृषाली का बेटा
इससे पहले कि उसकी छुट्टी की प्रक्रिया शुरू होती, बिनॉय तीन प्रमुख अधिकारियों के एक समूह के साथ कमरे में दाखिल हुआ। राहुल मीरा को पानी पिला रहा था। राहुल और मीरा उन्हें देखकर दंग रह गए। वे आए और मीरा से बात करने को कहा लेकिन मीरा ने राहुल को अपने साथ रखने पर ज़ोर दिया। उसकी हालत देखकर डॉक्टर बिनॉय ने अधिकारी से उसके साथ रहने की अनुमति माँगी। वे सहमत हो गए। उन्होंने उन्हें बैठाया और उससे कुछ प्रश्न पूछे, "मिस मीरा, क्या यह सही है कि आपके पास वृषा बिजलानी के साथ कोई स्मृति नहीं है? जैसे कि आप उनसे कैसे मिलीं या उन्होंने आपके साथ क्या किया?",
"नहीं, कुछ भी नहीं। मुझे वृषा बिजलानी के बारे में कुछ भी याद नहीं है। मैं सिर्फ समीर बिजलानी को जानती हूँ जिसने मेरी मदद की थी जब मेरे पास कोई नहीं था।",
"समीर बिजलानी कहाँ है?",
"नहीं पता।",
"अपने पिछले बयान में आपने कहा था कि वह आपका उद्धारकर्ता था? वो", पुलिसकर्मी ने पूछा,
"हाँ?",
"तो वह इस हालत में आपसे मिलने एक बार भी नहीं आए?",
"नहीं।",
"कबसे वो आपको टाल रहे है?"
उसे लगा कि कुछ गड़बड़ है, "आप क्या कहना चाह रहे हैं सर?", उसने पूछा,
अधिकारी ने अपने वरिष्ठ की ओर देखा और कहा, "हाँ... हमें एक बहुत महत्वपूर्ण बात पूछनी है?",
राहुल और मीरा ने अपनी साँस रोक ली।
"क्या आपको याद है कि आप कभी गर्भवती हुई थीं?", वह पूछने में झिझक रहा था,
"क्या बकवास कर रहे है आप ऑफिसर?!", वह झल्लाकर बोली,
अधिकारी चुप रहा तो दूसरे प्रमुख अधिकारी ने कहा, "शांत हो जाइए मैम, लेकिन सच्चाई कुछ समय के लिए तो छुप सकती है, लेकिन हमेशा के लिए नहीं।",
वह सहमत थी।
"कुछ सत्य इतने स्पष्ट रूप से छुपे होते हैं कि कोई भी उन्हें तब तक नहीं खोज सकता जब तक कि वे स्वयं प्रकाश में आने और दुनिया को उनके बारे में बताने का निर्णय नहीं ले लेते। यही वजह है कि समीर सर भी आपसे अपनी दूरी बना रहे थे।", बड़े अफसर ने कहा,
दोंनो ने एक दूसरे का हाथ थाम रखा था।
सबसे बड़े अफसर के इशारे पर छोटे ने उनके सामने एक बच्चे की फोटो रखी। दोंनो ने तस्वीर को बहुत ध्यान से देखा। मीरा ने चादर के नीचे मुठ्ठी बँद कर ली थी जैसे वो उसकी उम्मीद कर रही थी जबकि राहुल ने अपनी ज़बान। उसने ध्यान से उस तस्वीर को देखा, "आपका मतलब है...?", मीरा ने सहमकर पूछा,
"जो आप समझ रही है मिस मीरा।", बड़े अधिकारी ने कहा,
यह सुन मीरा की आँखे लाल हो गया। उसका गला भर आया।
"सबूत?", उसने माँग की,
छोटे अफसर ने राहुल के हाथ में एक लिफाफा पकड़ाया, "यह डी.एन.ए परीक्षण के नतीजे है। आप उसकी माँ और वृषा बिजलिनी उसके पिता।",
"मेरा बच्चा कैसे?... समीर ने कभी इसका ज़िक्र नहीं किया।", उसका दिमाग बँद हो गया।
"एक बार अपने बच्चे की तस्वीर देखे।",
उसने राहुल की मदद से लिफाफा खोला। काँपते हाथों से उसने पूरा डीएनए टेस्ट पढ़ा। उसकी आँखें भर आईं। उसने फोटो उठाया और प्यार से सहलाया।ङ
"क्या यह सच में... सच में मेरा बेटा है?", उसने भावुक होकर पूछा,
"ये देखो राहुल। मेरा बेटा। यह मेरा बेटा है।", उसने राहुल को खुश होकर तस्वीर दिखाई। राहुल भी उसे देख दंग रह गया था।
डॉक्टर बिनॉय और अधिकारी भी भावुक हो रहे थे।
उन्हें एक क्षण का समय देने के बाद उच्च अधिकारी ने कहा, "मुझे लगता है कि हमारा काम पूरा हो गया है। जल्दी से ठीक हो जाओ, हमारे पास और भी प्रश्न हैं।",
उसने अफसरों से पूछा, "मेरा बच्चा?",
"कुछ कागजी कार्रवाई के बाद वह आपका है।", उसने घोषणा की और उन्हें खुशी से रोने पर मजबूर कर दिया।
अधिकारी केवल डॉक्टर बिनॉय को उनके पास छोड़कर चले गए।
रोते हुए उसने पूछा, "कोई है?",
"कोई नहीं।", उसने जवाब दिया,
बाहर किसी का आदमी कोई नहीं था।
कुछ घंटों के बाद उन्हें कंबल में लिपटा हुआ एक नन्हा मानव मिला। वह आठ नहीं पाँच महीने का था। कुछ पेरेंटिंग गाइड और सलाह के साथ वे अस्पताल से निकल गए। कोई भी उसे लेने नहीं आया, राहुल अनिच्छा से उन्हें बिजलानी निवास ले गया। वहाँ उसका स्वागत करने या उसे बधाई देने के लिए कोई भी मौजूद नहीं था। ऐसा था जैसे उन्होंने उसकी उपस्थिति से फर्क ही नहीं पड़ा। उसकी नर्स भी वहाँ मौजूद नहीं थी। वे उसके कमरे में चले गए। उसने बच्चे को नीचे रख दिया। उसके घायल होने के बावजूद उसने पाउडर वाला दूध का फार्मूला पकड़ रखा था।
"राहुल क्या तुम बेबी के लिए दूध बनाकर ला सकते हो? उसके खाने का समय होने वाला है।", वृषाली ने अनुरोध किया,
वह तुरंत सहमत हो गया और शिशु फार्मूला और शिशु बोतल लेकर नीचे चला गया। जब उसने सहायकों को बुलाया तो किसी ने उसकी मदद नहीं की। वो रसोईघर में गया जहाँ पर वह शेफ जो पहले उनकी मदद कर चुका था, रसोईघर के पीछे से आया। उसने स्थिति बताई और शेफ ने तुरंत बोतल को साफ किया और दूध को एक बच्चे के लिए सहनीय तापमान पर लाया। उसने उसे धन्यवाद दिया और दूध लेकर ऊपर चला गया।
"वाह!", वह उसके साथ लुका-छिपी खेल रही थी। बच्चा हँस रहा था और उसके बाल के साथ खेल रहा था। वह रोने से बचने की बहुत कोशिश कर रहा था। उसने उसे बोतल थमा दी।
"धन्यवाद लेकिन क्या आप उसे दूध पिला सकते हैं?",
"मैं?", उसने हैरानी से देखा पर अंदर ही अंदर उछल रहा था।
"हाँ, मैं उसे ठीक से पकड़ नहीं सकती। क्या आप उसे खाना खिला सकते हैं?",
राहुल बिना बोले शिशु को अपनी गोद में लिया और दुलार के साथ दूध पिला रहा था।
"तुम स्वाभाविक दिखते हो।", उसने उसे चिढ़ाते हुए कहा,
झटके से खड़े होकर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा?",
वे दोनों बस हँसे लेकिन यह हँसी ज़्यादा देर तक नहीं चली। जब आधी रात बीत गई और कई बार पूछने के बाद भी कोई भी उसके लिए एक कप पानी नहीं लाया। उसकी नर्स उपलब्ध नहीं थी। राहुल को उसे दवा खिलाने के लिए डिलीवरी करवानी पड़ी, जो उसके लिए स्वीकार्य नहीं था। वह उनकी सेवाओं से नाराज़ था। बच्चा रो रहा था और वह उसे शांत करने की कोशिश कर रही थी। वे बच्चे को शांत करने के लिए बाहर गए जब उन्होंने दो सहायकों को यह कहते सुना, "क्या तुमने उसे देखा, सर की गैरहाज़िरी में वो एक बच्चे के साथ घर आई है?",
मीरा की पृष्ठभूमि को जानते हुए उसने उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर दिया। एक सहायक उसे अचानक पानी का गिलास दे रही थी।
फिर उसने दूसरे सहायक को यह कहते सुना, "सच में? पता नहीं किसका गँदा खून है।",
"जो भी हो अब ये अब बिजलानी का वारिस कहलाएगा।", यह सुन राहुल बेचैन हो गया,
तभी वो महिला बातचीत में शामिल हो गई।
"तुम उसे क्या दे रही थी?", पहली सहायक ने पूछा,
"तुम दोंनो यहाँ बाते करती रहो और मैंने सब निपटा दिया।", उसने चूहे मारने की दवा दिखाकर कहा, "सर के आने के पहले बड़ा कमरा साफ हो जाएगा।", उसने गर्व के साथ कहा,
वह घबराकर वृषाली की ओर झपटा और पानी का गिलास पटक दिया। वृषाली हिल गयी। उसने एक पल भी इंतजार नहीं किया। उसके हाथ पकड़ा और उसे दवाइयाँ लेने को कहा, "अपनी दवाइयाँ ले लो, हम जा रहे हैं.... अभी!",
वह उलझन में थी। उसने उसका हाथ पकड़ा और कमरे में खींचकर ले गया और उसकी दवाइयाँ ले लीं। उसने चुपके से अपनी किताबें बैग में डाल दीं। इस अफरा-तफरी के दौरान बच्चा सो गया था। वह उन्हें अपने घर ले गया। उसका घर कुछ खास नहीं था। वह बीस मंजिलों वाली एक ऊँची इमारत में रहता था। उसका घर पंद्रहवीं मंजिल पर था। उनके बगल में दो और अपार्टमेंट थे। राहुल के अनुसार उनके अपार्टमेंट के बगल वाला हिस्सा खाली था और उसके बाद वहाँ एक बुजुर्ग दंपति रहते थे।
उन्होंने अपना सामान नीचे रखा। घर साफ था। यह खुली रसोई अवधारणा और आधुनिक अवधारणा वाला एक ट्रिपल बेडरूम अपार्टमेंट था। यह आरामदायक था... घर जैसा महसूस हुआ। राहुल ने उसे बैठने का इशारा किया। उसने बच्चे को मास्टर बेडरूम के बिस्तर में रख दिया। वह घबराई हुई वहीं बैठी रही। थोड़ी देर बाद राहुल एक गिलास पानी लेकर उसके पास बैठ गया।
"धन्यवाद।", उसने कहा,
"ठीक है....", वह हकलाया,
फिर अचानक उसने खिड़की से बाहर झाँका। घर का हर कोना छान मारा। उसने हर दरवाज़े और खिड़कियों को दो बार देखा। फिर वो वापस शिशु के देखने गया। वह दरवाज़े के बाहर स्तब्ध खड़ा रहा।
वृषाली राहुल के बगल जाकर खड़ी हुई और उसे वही पानी का गिलास दिया। राहुल को ये अहसास हुआ कि उसने क्या किया, उसकी आँखे इधर-उधर हुई, "वो! उन लोंगो ने तुम्हें चूहे मारने की दवाई देने की-",
वृषाली ने उसका हाथ पकड़कर,
"मैं सब जानती हूँ मिस्टर कपाड़िया। अपने बेटे पर अपनी सारी खोई हुई प्यार की बारिश कर दीजिए, वह अब आपके पास ही रहेगा।",
शक्की, "वृषाली?",
हल्की मुस्कान के साथ, "यहाँ।",
दोंनो बाहर सोफे पर बैठ गए, "मुझे माफ करना वृषाली। मैं...",
"हम सब मज़बूरी के बँधन से बँधे हुए है मिस्टर कपाड़िया।",
उसे समझ नहीं आया का वो क्या बोले।
वृषाली ने आगे कहा, "यह रहा आपका बेटा जैसे वृषा ने वादा किया था। इस नन्ही जान को लेकर कही सुरक्षित चले जाइए।",
"और तुम?", उसने पूछा,
"मौका अच्छा है और आपकी बदौलत मैं कंपनी के अंदरूनी मामले में भी घुस सकती हूँ और समीर बिजलाऑई का हाथ जिसके ऊपर है, उसे कोई कैसे रोक सकता है?",
"और कैमरो का क्या? वो किसीके सगे नहीं है।
और तुम्हें क्या लगता है वो अपनी कमज़ोरी ऐसे ही परोसे रखेगा?
तुम अब भी कच्ची नींबू हो।",
"ये–",
'डिंग-डॉंग' दोंनो बाते कर ही रहे थे कि दरवाज़े में किसीने दस्तक दी। बच्चा रोने लगा। वृषाली उसे शांत करने गयी।
राहुल ने पीप होल से देखा। समीर वहाँ अधीर और ज़ंजीर के साथ खड़ा था।
राहुल ने उन्हें अंदर आने को कहा।
"मीरा कहाँ है?", अंदर घुसने साथ समीर ने पूछा,
"वो अंदर है-", राहुल के पसीने निकल रहे थे।
बच्चे की रोने की आवाज़ पूरे घर में गूँज रही थी।
उसे बगल कर तीनों अंदर आवाज़ की तरफ गए। मीरा जो बच्चे को थपथपाकर चुप कराने की कोशिश कर रही थी रुक गयी।
समीर के चेहरे में खुन्नस था।
राहुल भी अंदर आया।
"वो मैं-", वो हिचकिचाई,
राहुल को भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे?
समीर चलकर बच्चे के पास गया और उसे उठाया।
वृषाली के हाथ में बेबी बोटल थी।
ज़रूरत पड़ने पर राहुल लड़ने को तैयार था।
समीर बच्चे को ले खड़ा रहा। बिना अभिव्यक्ती के।