Nagvansh Khoya Itihaas - 1 in Hindi Mythological Stories by Dheeru Sukla books and stories PDF | नागवंश: खोया इतिहास - 1

Featured Books
Categories
Share

नागवंश: खोया इतिहास - 1

🎙️ एपिसोड 1: वारिस का पतन

सुबह के सात बजे थे। सूरज की किरणें महलनुमा हवेली की खिड़कियों से छनकर सोने के झूमरों पर पड़ रही थीं। हवेली के हर कोने में ऐशोआराम की महक थी — इटली से मंगाई गई टाइल्स, दीवारों पर करोड़ों के पेंटिंग्स, और लॉन में खड़ी वो लाल रंग की फेरारी, जो पूरे शहर की पहचान थी।

आर्यवीर सिंह, उर्फ़ "प्रिंस", इसी हवेली का वारिस था।

ऊँचा कद, संवरते बाल, आंखों में ग़ुरूर और चाल में ऐसा ठाठ — जैसे ज़िंदगी खुद उसके कदमों में बिछी हो। कॉलेज में उसका नाम ही काफी था, लड़कियाँ उसके पीछे दीवानी थीं, और लड़कों के लिए वो जलन की वजह।

लेकिन उस सुबह कुछ अलग था।

"आर्यवीर!"
राजवीर सिंह चौहान की भारी, गूंजती हुई आवाज़ ने हवेली के शांत वातावरण को चीर दिया।

आर्यवीर लापरवाह अंदाज़ में सीढ़ियाँ उतरते हुए हॉल में पहुँचा — लेकिन माहौल देखकर उसके चेहरे की मुस्कान जैसे कहीं गुम हो गई।

बड़े हॉल के बीचोंबीच उसके पिता खड़े थे — गुस्से से तमतमाते हुए। माँ एक कोने में खामोश खड़ी थी, आँखों में आँसू थमे हुए थे।

"ये क्या सुन रहा हूँ मैं? तूने कल कॉलेज में फिर लड़ाई की? और तू... तू उस अनाथालय में क्यों जा रहा है हर दूसरे दिन?"

"पापा..."
आर्यवीर की आवाज़ धीमी थी, लेकिन साफ़ — "वहाँ जाने से मुझे सुकून मिलता है। वहाँ के बच्चों के साथ वक्त बिताकर लगता है कि मैं कुछ असली कर रहा हूँ..."

"बकवास बंद कर!"
राजवीर सिंह ने मेज़ पर रखे ग्लास को ज़मीन पर फेंक दिया। काँच चटख गया, जैसे आर्यवीर का विश्वास चूर-चूर हो गया हो।

"हमने तुझे ताज पहनाया, और तू फकीरी की राह चल पड़ा? हम नहीं चाहते ऐसा बेटा। आज से... तू इस घर का हिस्सा नहीं है।"

सन्नाटा।

आर्यवीर को लगा जैसे उसके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक गई हो। उसकी माँ ने आगे बढ़ना चाहा, लेकिन राजवीर सिंह ने हाथ उठा कर रोक दिया।

"अगर ये गया, तो वापस इस घर की दहलीज़ पर भी नहीं आएगा।"

आर्यवीर कुछ नहीं बोला। उसकी आँखों में न ग़ुस्सा था, न ही डर... बस एक खालीपन था।

वो ऊपर गया, एक बैग उठाया। अलमारी से सिर्फ एक जोड़ी कपड़े, कुछ किताबें, और माँ की बचपन में दी हुई एक काली रुद्राक्ष की माला लेकर नीचे लौटा।

दरवाज़ा बंद हो गया।

अब वो ‘प्रिंस’ नहीं था... बस एक आम लड़का, जिसने आज ज़िंदगी को असली मायनों में जीना शुरू किया।

शाम को, बारिश ज़ोरों की हो रही थी।
सड़क किनारे एक पुराना बस स्टॉप — छत से पानी टपक रहा था। वहीँ बैठा था आर्यवीर, अकेला, भीगा हुआ, ठंड से कांपता हुआ।

तभी एक आवाज़ आई —

"छाता ले लो वरना बीमार पड़ जाओगे।"

सामने एक लड़की खड़ी थी। साधारण कपड़े, हल्की मुस्कान, लेकिन उसकी आंखों में ऐसी गहराई थी जो आर्यवीर की आत्मा को छू गई।

"मैं ठीक हूँ," आर्यवीर ने कहा।

"शायद नहीं," लड़की ने कहा। "कभी-कभी हमें भी किसी और की मदद की ज़रूरत होती है।"

उसका नाम था — अनाया।

और यहीं से कहानी ने करवट ली...
एक अमीर लड़के का गिरना शुरू हुआ, लेकिन साथ ही एक नए भाग्य का उदय भी।



🔚 एपिसोड 1 समाप्त
(To be continues) 

Like follow share 
Mene jaldi hi aur episode dal duga