ब्रह्मचर्य
मन, शरीर और जीवन पर संपूर्ण नियंत्रण पाने की सिद्ध शास्त्रिक विधि
इस पुस्तक का उद्देश्य आज के मॉडर्न युवाओं को ब्रह्मचर्य के महान प्राचीन विज्ञान से अवगत कराना है। जिस विज्ञान की सहायता से वैदिक भारत में छोटी से छोटी उम्र में भी महान कर्म कर जाने वाले वीर बनते थे।
इसी विज्ञान की सहायता से प्राचीन भारत में बड़े बड़े राजा, महाराजा, सम्राट, ऋषि, मुनि और वैज्ञानिक तत्त्वज्ञ बने थे। जो विज्ञान बच्चे-बच्चे को छोटी उम्र से सिखाया जाता था, परंतु आज दुर्भाग्यवश लुप्त हो गया है।
इस विज्ञान को समझकर और जीवन में उतारकर कोई भी युवा नशे, पोर्न, हस्तमैथुन और जुए जैसी अन्य समस्त विनाशकारी आदतों से छुटकारा पाकर अपने मन, शरीर और जीवन पर संपूर्ण नियंत्रण पा सकता है। जिससे वो अपने व अपनों के और अन्यों के जीवन में सुख, शान्ति व समृद्धि भरकर अंत में मनुष्य जीवन के उच्चतम ध्येय अर्थात भगवद् प्रेम को प्राप्त कर सकता है।
फिर ऐसे समृद्ध सनातनी मिलकर भारत में पुनः वैदिक संस्कृति को स्थापित कर उसे पुनः सोने की चिड़िया बनाए। जो की अंत में सम्पूर्ण विश्व को कल्याण की दिशा में ले जा सके।
क्यों पढ़ें ये पुस्तक ?
कलियुग के इस आरामदायक समय में विश्व के अधिकतर युवा नशा, पोर्न, हस्तमैथुन, जुआ आदि बुरी आदतों से अपने मन, शरीर और बुद्धि को निर्बल बनाते जा रहे हैं। ऐसे में जो कोई ब्रह्मचर्य की इस सरल विधि को अपने जीवन में अपना लेता हैं वो जीवन के समस्त क्षेत्रों में श्रेष्ठ उन्नति पा सकता है।
फिर वो शारीरिक हो, मानसिक हो, आर्थिक हो या आध्यात्मिक; एक ब्रह्मचारी अपनी अप्रतिम इच्छाशक्ति और एकाग्रता से उन ध्येयों को भी प्राप्त करने के लिए सक्षम बनता है जो कि एक भोगी के लिए हमेशा असंभव सा लगता है।
और इस पुस्तक से हम उस ब्रह्मचर्य के सनातन विज्ञान को समझेंगे और अपने जीवन में उतारेंगे तथा जीवन को उस दिशा में ऐसी गति से ले जाएँगे जिसके बारे में अधिकतर लोग सोच भी नहीं पाते।
क्या है इस पुस्तक में ?
इस पुस्तक में ब्रह्मचर्य के गूढ़ विज्ञान को अत्यंत ही विस्तार से और इतनी सरल भाषा में ऐसे समझाया गया है कि बच्चा, जवान या बूढ़ा हर कोई इसको न ही मात्र सरलता से समझ पाएगा अपितु अपने जीवन में भी उतारने के लिए निरंतर प्रेरित और प्रयासरत रहेगा।
तदुपरांत उस प्रेरणा का उपयोग सही तरीके से करने के लिए एक Ultimate Action Plan (उत्तम कार्य योजना) भी बताया गया है। जिससे यह ज्ञान न मात्र पाठक के मस्तिष्क में रह जाए अपितु जीवन में भी संपूर्ण रूप से उतरे।
किसके लिए है यह पुस्तक ?
सर्वप्रथम उन समस्त युवाओं के लिए जो अपने जीवन में किसी भी क्षेत्र में उन्नति की चाह रखते हैं और अपने संपूर्ण Potential (शक्य शक्ति) को प्राप्त करना चाहते हैं। फिर वो अपने लिए हो, अपनों के लिए, देश के लिए हो या फिर धर्म के लिए।
फिर वो युवा किसी भी उम्र का हो, विवाहित हो, अविवाहित हो, स्त्री हो, पुरुष हो, शिक्षक हो या शिष्य हो, सभी इस पुस्तक के ज्ञान से अपने जीवन में Guaranteed (प्रत्याभूत) बदलाव ला सकेंगे।
हालाँकि,
अविवाहित युवा पुरुषों के लिए तो यह non-negotiable (अपरक्राम्य) ज्ञान है। हर माता पिता और शिक्षक को चाहिए कि वे अपने बच्चे को यह ज्ञान शीघ्रातिशीघ्र अनिवार्य रूप से दें, इसका पालन करवाएँ और उसका जीवन प्रेरणा, ऊर्जा, बल, बुद्धि और अध्यात्म से भरा बनाएँ। और उसे मॉडर्न, रोगी और शक्तिहीन बनाने
वाली जीवनशैली से बचाएँ।
ब्रह्मचर्य कोई ध्येय नहीं है, परंतु परम ध्येय को प्राप्त करने का पथ है।
हर कोई जीवन में किसी न किसी चीज़ के पीछे पड़ा है। धन, संपत्ति, बल, सुंदरता, भोग, प्रसिद्धि या फिर वैराग्य और ब्रह्मचर्य इन सभी की प्राप्ति करा सकता है।
परंतु यह भी जान लेना चाहिए कि यह सभी भौतिक ऐश्वर्य हैं, जोकि हम इसी शरीर के साथ यहीं छोड़कर चले जाएँगे।
तो इन्हीं के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना अपने ट्रेन के डिब्बे को सजाने के बराबर है। समय आने पर आप उतर जाओगे और कोई और आपके सजाए हुए डिब्बे में आकर सो जाएगा।
तो ऐसे निकृष्ट ध्येय के लिए इतनी मेहनत क्यों करना? जबकि उतनी ही मेहनत से हम जीवन के परम आध्यात्मिक ध्येय की प्राप्ति कर सकते हैं। अतः सर्वोच्च ध्येय को ही मुख्य उद्देश्य बनाकर ब्रह्मचर्य के पथ पर चलना चाहिए, बाक़ी उसी रास्ते पर अन्य सारे ऐश्वर्य तो मिलेंगे ही।
परंतु बुद्धिमान मनुष्य रास्ते पर मिलने वाले उन ऐश्वर्यों से भी लुभाता नहीं है, और अपने परम लक्ष्य पर ही अपना ध्यान बनाए रखता है।