मै उसका चेहरा नही देख पायी.....
सावित्री जी एकांक्षी को देखकर परेशान हो जाती है और अधिराज से उसके इस हाल के बारे में पूछती है....
तब अधिराज उन्हें बताता है.....
अब आगे............
अधिराज उनसे कहता है....." आप घबराईए नहीं ये सिर्फ बेहोश है आप थोड़ा सा पानी और उसमें एक इलायची और थोड़ी सी चीनी डालकर इसे पिला देना,, ये ठीक हो जाएगी...."
सावित्री जी सवालिया नज़रों से उसे देखते हुए पूछती है...." तुम हो कौन बेटा...?...और मिकू को क्या हुआ जो तुम इसे ये पीलाने के लिए कह रहे हो..."
" आपके लिए क्या मैं , , इसके लिए भी अजनबी हूं ये मुझे रास्ते में मिली थी , , शायद तबियत ठीक नहीं है इनकी , , जाते हुए रास्ते में बेहोश हो गई थी....अब आप इनको वो चीनी पानी का घोल पीला देना , मैं चलता हूं..."
सावित्री जी अचानक आए इस लड़के को देखकर पूछती है..." तुम कौन हो...?.. अपने बारे में कुछ नहीं बताया, , !
" बस आपका हितेशी समझ लिजिए..."
सावित्री जी फिर से कहती हैं......" बेटा अगर तुम्हें बुरा न लगे तो , , कुछ चाय पानी पी जाओ...."
अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है....." पूछने के लिए धन्यवाद लेकिन मुझे जाना होगा...." इतना कहकर अधिराज वहां से चला जाता है.....
और सावित्री जी एकांक्षी को वो पानी पिलाती है , , थोड़ी देर बाद एकांक्षी को होश आता है और अचानक उठकर बैठते हुए सब तरफ देखती हुई कहती हैं...." मां मैं यहां कैसे आ गई...?..."
सावित्री जी उसके सिर को सहलाते हुए कहती हैं...." बेटा तेरी तबियत ठीक नहीं थी तो भाई को काॅल कर देती वो तूझे लेने आ जाता....वो भला हो उस लड़के का जो तुझे यहां पर छोड़ गया......"
एकांक्षी याद करते हुए अपने आप से कहती हैं....." तो तुम मुझे घर छोड़ गए...." तभी सावित्री जी से पूछती है...." मां क्या आपने उसका चेहरा देखा...कौन था वो...?..."
" हां , , देखा था , , क्यूं..?..."
" उसका चेहरा देखा आपने...?..." एकांक्षी हैरानी से दोबारा पूछती है
तो सावित्री इरिटेट होकर कहती हैं......" क्या चेहरा देखा चेहरा देखा कर रही है , , मैं क्या उसकी मुंह दिखाई कर रही थी , ,!..."
एकांक्षी कोल्ड वाॅइस में कहती हैं..." मां मैं बस पूछ रही थी, क्युकी मै उसका चेहरा नही देख पायी.., वैसे आपको मानवी की मेंहदी में नहीं जाना...."
सावित्री जी कहती हैं...." जाना तो तेरे साथ था मिकू , , लेकिन तेरी तबियत ठीक नहीं है इसलिए नहीं जाऊंगी , , तू डिनर कर ले और फिर जाकर सो जा...."
एकांक्षी सावित्री जी के कंधे को पकड़ते हुए कहती हैं..." मां आप टेंशन मत लो , , मैं बिल्कुल ठीक हूं आप चली जाओ...."
सावित्री जी मना करते हुए कहती हैं....." बिल्कुल नहीं मिकू तू जा आराम कर ले , तेरे से ज्यादा मेरे लिए कुछ भी नहीं है... इसलिए मैं यही हूं...."
" ठीक है मां...आप मत जाओ लेकिन मैं पहले नहा लूं उसके बाद डिनर करूंगी..."
सावित्री जी गंभीर होकर कहती हैं....." ये कोई टाइम है नहाने का , बीमार हो जाएगी...."
" मम्मा अभी छ: बजे हैं ...." एकांक्षी ने उन्हें घड़ी की तरफ दिखाते हुए कहा
सावित्री जी उसे तिरछी नजरों से देखते हुए कहती हैं..." ठीक है जा..."
एकांक्षी अपने रूम में पहुंचती है तो वहीं अधिराज भी उसका वही बहुत देर से वेट कर रहा था.....
एकांक्षी डोर को अंदर से लॉक करके अपनी नाइटी निकालकर वहीं बैठ पर रखकर हाथ में टाॅवल लेकर बाथरूम में चली जाती हैं......
अधिराज उसके जाने के बाद रुम में अपने असली रूप में आता है और वही बेड पर बैठ कर अपनी सारंगी को बजाने लगता है और अपने आप से कहता है..." तुम्हें आज पाना है वैदेही , , हम और इस तड़प को नहीं सह पा रहे हैं बस तुम्हें अपने आप सब स्मरण हो आए..." इतना कहकर अधिराज सारंगी को बजाने लगता है और वही शावर के नीचे खड़ी एकांक्षी अचानक कानों में सारंगी की धुन पड़ने से वही जम जाती है और उसे बड़े ध्यान से सुनने लगती है जो की उसके रुम से ही आ रही थी.......
धीरे धीरे सारंगी की धुन उसे अपनी तरफ खींचने लगती है। , एकांक्षी जल्दी से टाॅवल लपेटकर जल्दी से बाहर आती है..
उसके रूम की लाइटें आॅफ थी बस लैम्ब की दुधिया रोशनी ही फैली थी , उसकी हल्की रोशनी में नीचे सिर झुकाए किसी को सारंगी बजाते हुए देखकर , , एकांक्षी हैरानी से पूछती है...." क कौन हो तुम...?..और यहां मेरे कमरे में कैसे आ गए....?...."
अधिराज अपनी सारंगी की धुन को बजाते हुए कहता है..." वैदेही...ये संगीत हमारे प्रेम की निशानी है..."
एकांक्षी उसे गौर से देखने के लिए धीरे धीरे उसके पास पहुंचती है और अपने कानों पर हाथ रखते हुए कहती हैं...." प्लीज़ बंद करो ये म्यूजिक , , मैं इसे और नहीं सुन पा रही हूं..."
एकांक्षी की तकलीफ़ भरी आवाज सुनकर अधिराज सारंगी बजाना बंद कर देता है और खड़े होकर बिल्कुल उसके पास पहुंचता है , दोनों इतना करीब थे कि एक दूसरे की दिल की धड़कन को सुन सकते थे.....
अधिराज एकांक्षी के बालों को कान के पीछे करते हुए उसके कान के पास अपने होंठों को ले जाकर कहता है...." तुम सिर्फ अधिराज की अमानत हो , कोई तुम्हें छू भी नहीं सकता..."
एकांक्षी हैरानी भरी नजरों से उसे देखती है , वहीं अधिराज उसकी आंखों मे अपने प्यार को देखकर धीरे से उसके माथे पर किस करता है ,
उसके माथे पर किस करने से एकांक्षी सिहर उठती है , वो मदहोश सी बस उसे देखे ही जा रही थी.... अधिराज उसके गिले गालों को चुमता है...
एकांक्षी उसमें पूरी तरह खो चुकी थी और अपनी आंखें बंद कर लेती है , ,
अधिराज उसे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा देता है और
तभी उसे अचानक एक चेतावनी याद आती है और वो वापस अपने होश में आकर उससे दूर हट जाता है ,
" नहीं हम आपसे दूर नहीं रह पाए वैदेही... आपको कब स्मरण होगा...?.."
.................... to be continued............
ऐसी क्या चेतावनी अधिराज को ध्यान आई जिससे वो एकांक्षी से दूर हट जाता है.....?
जानने के लिए जुड़े रहिए