parivar ki khushiyan in Hindi Drama by Sonu Rj books and stories PDF | परिवार की खुशियाँ

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परिवार की खुशियाँ

(सुबह का समय, परिवार एक साथ नाश्ता कर रहा है)

कविता: (रोहन से) रोहन, तुम्हारा होमवर्क पूरा हो गया?

रोहन: (थोड़ा झिझकते हुए) हाँ माँ, पर गणित का एक सवाल समझ नहीं आया।

राजिव: (मुस्कुराते हुए) कौन सा सवाल है? बताओ, पिताजी मदद करेंगे।

रोहन: (कागज पर सवाल दिखाते हुए) ये ब्रह्मगणित का सवाल है, लॉगरिदम।

कविता: (प्रोत्साहित करते हुए) रोहन, मेहनत करो, मुश्किलें आसान हो जाएंगी।

नेहा: (अपने कमरे से बाहर आती है) मम्मी-पापा, मुझे कॉलेज की तैयारी करनी है, आप लोग क्या प्लान कर रहे हो आज?

राजिव: नेहा, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, हम लोग शाम को घूमने चलेंगे।

कविता: (नेहा की ओर देख कर) हाँ बेटी, थोडा आराम भी ज़रूरी है।

नेहा: (मुस्कुराते हुए) ठीक है माँ, मैं जल्दी से अपनी पढ़ाई निपटा लेती हूँ।


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(शाम का समय, परिवार पार्क में घूम रहा है)

राजिव: (रोहन से) बेटा, तुम्हें क्रिकेट खेलना पसंद है न? चलो थोड़ा खेलते हैं।

रोहन: (उत्साहित होकर) हाँ पापा, चलो!

कविता: (नेहा से) बेटी, तुम्हें कुछ चाहिए? कहीं कुछ खरीदना हो तो बताओ।

नेहा: नहीं माँ, बस इतना कि आप लोग हमेशा ऐसे साथ रहें।

राजिव: (गंभीर होकर) हाँ नेहा, परिवार की अहमियत कभी मत भूलना।

कविता: (स्नेह से) सही कहा राजिव, साथ रहना ही सबसे बड़ा सुख है।


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(घर लौटते हुए, राजिव और कविता आपस में बातचीत करते हैं)

राजिव: तुम्हें पता है, कविता, हमारे बच्चों के लिए ये समय बहुत महत्वपूर्ण है।

कविता: हाँ, मैं भी यही सोचती हूँ। हमें उनकी हर जरूरत का ध्यान रखना होगा।

राजिव: चलो, मिलकर हर मुश्किल का सामना करेंगे।

कविता: हाँ, साथ हैं तो सब कुछ संभव है।


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स्थान: नेहा का घर, नेहा अपने कमरे में मोबाइल देख रही है।
वंदना (फोन पर):
"नेहा, नमस्ते! कितने दिन हो गए तुमसे बात किए? मेरे घर कभी आओ ना, तुम्हारे पापा का काम भी ठीक चल रहा है, मिलकर कुछ नई योजना बनानी है।"

नेहा:
"वंदना आंटी, नमस्ते! सच में बहुत दिन हो गए बात किए। मैं जरूर आऊंगी, पर अभी कॉलेज और होमवर्क में थोड़ा व्यस्त हूँ।"

वंदना:
"कोई बात नहीं बेटी, जब फ्री हो जाओ तो आना। तुम्हारे पापा के साथ काम करते हुए मुझे अच्छा लगता है, और तुम्हारा मिलना भी अच्छा लगेगा।"

नेहा:
"आंटी, आप तो बहुत आत्मनिर्भर और कामयाब हैं। आपके साथ बात करके और सीखने को मिलता है।"

वंदना:
"शुक्रिया नेहा! मेहनत और इमानदारी से ही सफलता मिलती है। तुम्हें भी आगे बढ़ना है तो खुद पर भरोसा रखना होगा।"

नेहा:
"बिलकुल आंटी, आपसे मिलकर मैं कुछ नया सीखना चाहती हूँ।"

वंदना:
"तैयार रहो, जल्दी ही मिलते हैं। और हाँ, तुम्हारे पापा को मेरा सलाम कहना।"

नेहा:
"ज़रूर आंटी, आप चिंता मत करो। मैं जल्दी आकर आपकी बात करूंगी।"


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 वंदना का घर, वंदना नेहा का स्वागत कर रही है।


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(दरवाजा खुलता है, नेहा अंदर आती है)

वंदना: (मुस्कुराते हुए) नेहा, बेटी! स्वागत है तुम्हारा मेरे घर पर। आइए, आराम से बैठो।

नेहा: (मुस्कुराते हुए) धन्यवाद आंटी, आपका घर बहुत सुंदर है।

वंदना: (गर्व से) मैं खुद ही सब कुछ संभालती हूँ, थोड़ा सा मेहनत और लगन चाहिए।

नेहा: आंटी, आप जैसी आत्मनिर्भर महिला से मिलकर मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है।

वंदना: (स्नेह से) नेहा, जिंदगी में हमेशा खुद पर भरोसा रखना। चाहे काम हो या जिंदगी के फैसले, आत्मनिर्भर बनना सबसे जरूरी है।

नेहा: मैं भी यही चाहती हूँ, आंटी। आपकी मदद से मैं अपने पापा के बिजनेस में कुछ नया कर पाऊंगी।

वंदना: (हंसते हुए) यही तो मैं भी सोच रही थी! कल से कुछ आइडिया पर काम शुरू करते हैं।

नेहा: वाह! मैं तैयार हूँ आंटी, आप जैसा मार्गदर्शन मिले तो हर मुश्किल आसान लगती है।       
   वंदना का घर, बैठक में दोनों बैठी हैं।


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वंदना: (गंभीर होकर) नेहा, तुम्हारे पापा का बिजनेस छोटा जरूर है, लेकिन उसमें बहुत संभावनाएं हैं। सही दिशा मिले तो ये बड़ा हो सकता है।

नेहा: आंटी, मुझे भी यही लगता है। मैं आपके जैसे आत्मनिर्भर बनना चाहती हूँ, ताकि मैं पापा के बिजनेस को और आगे बढ़ा सकूँ।

वंदना: ये अच्छा विचार है। आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे जरूरी है समझदारी और मेहनत। बिजनेस में सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं, सही योजना बनाना, सही लोगों से जुड़ना और नए-नए तरीकों को अपनाना जरूरी है।

नेहा: हाँ आंटी, मैं अब तक सिर्फ पढ़ाई में लगी थी, लेकिन अब मैं पापा के काम में भी हाथ बटाना चाहती हूँ।

वंदना: सही सोच है, नेहा। चलो, मैं तुम्हें कुछ बेसिक मार्केटिंग और फाइनेंस के बारे में बताती हूँ, जिससे तुम्हें समझ आए कि बिजनेस कैसे चलता है।

नेहा: मैं बहुत उत्साहित हूँ आंटी, मैं सच में आपके जैसा बनना चाहती हूँ—एक आत्मनिर्भर, सफल और समझदार महिला।

वंदना: (मुस्कुराते हुए) नेहा, तुम्हारे अंदर वो क्षमता है। बस खुद पर भरोसा रखो, और मेहनत करते रहो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, मिलकर हम पापा के बिजनेस को नई ऊँचाइयों पर ले जाएंगे।

नेहा: धन्यवाद आंटी, आपकी बातों से मुझे बहुत हिम्मत मिली है।