भाग 2
अध्याय 10: रोमा का नया एहसास
करण के अमेरिका जाने के बाद, रोमा का ध्यान धीरे-धीरे उसकी ओर आकर्षित होने लगा। कश्मीर में आतंकवादियों के कैद में रहने के दौरान, रोमा ने करण के उदार और साहसी स्वभाव को करीब से देखा था। उसने महसूस किया था कि करण ने मुश्किल परिस्थितियों में भी सबका ध्यान रखा और कभी हार नहीं मानी।
अब, जब करण दूर था, रोमा को उसकी कमी महसूस होने लगी। उसे लगने लगा कि करण के बिना उसकी ज़िंदगी अधूरी है। उसे यह भी एहसास हुआ कि शायद उसने अनीता और सुनीता की तरह कभी खुलकर अपनी भावनाओं का इज़हार नहीं किया, लेकिन उसके दिल में करण के लिए एक गहरा सम्मान और स्नेह था जो धीरे-धीरे प्यार में बदल रहा था।
रोमा अक्सर सुनीता से करण के बारे में बातें करती, उसकी अच्छाइयों का ज़िक्र करती। सुनीता, जो अभी भी अनीता के खुलासे से उबर रही थी, रोमा की बातों को सुनकर थोड़ा असहज महसूस करती थी। उसे लगता था कि जैसे उसकी ज़िंदगी में शांति आने ही वाली थी कि अब एक और तूफान आने वाला है।
अध्याय 11: टकराव और अस्पताल
एक दिन, जब रोमा ने सुनीता से करण के बारे में अपनी भावनाओं का इज़हार किया, तो सुनीता का गुस्सा फूट पड़ा। वह पहले से ही अनीता के धोखे से आहत थी, और अब रोमा की यह बात सुनकर उसे लगा कि उसकी दोनों सबसे अच्छी दोस्तों ने उसे धोखा दिया है।
"तुम यह क्या कह रही हो, रोमा?" सुनीता चिल्लाई, "तुम जानती हो कि मैं करण से प्यार करती हूँ और हम जल्द ही शादी करने वाले हैं। तुम्हें अब यह सब कहने का क्या मतलब है?"
रोमा भी अपनी भावनाओं को काबू में नहीं रख पाई। "लेकिन क्या सिर्फ तुम ही उससे प्यार करती हो, सुनीता? मैंने भी उसे चाहा है, हमेशा चाहा है। और कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि वह मेरे लिए कितना मायने रखता है।"
उनकी बहस इतनी बढ़ गई कि हाथापाई की नौबत आ गई। गुस्से में दोनों ने एक-दूसरे को धक्का दिया और हाथापाई करने लगीं। झगड़ा इतना बढ़ गया कि दोनों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
अध्याय 12: करण की वापसी
जब करण को सुनीता और रोमा के झगड़े और उनके अस्पताल में भर्ती होने की खबर मिली, तो वह बुरी तरह से घबरा गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके जाने के बाद यहाँ क्या हो रहा है। उसने तुरंत अपने ऑफिस से छुट्टी ली और 15 दिनों के लिए मुंबई वापस आ गया।
मुंबई पहुँचकर करण सीधा अस्पताल गया। उसने सुनीता और रोमा को अलग-अलग कमरों में देखा, दोनों ही चोटिल और उदास थीं। उसे बहुत दुख हुआ कि उसकी वजह से उसकी दो अच्छी दोस्त इस तरह से लड़ पड़ी थीं।
अगले कुछ दिन करण ने दोनों का ख्याल रखने में बिताए। उसने सुनीता से बात की, उसे समझाया कि वह उससे प्यार करता है और हमेशा करेगा। उसने रोमा से भी बात की, उसकी भावनाओं को समझा और उसे সান্ত্বনা दी।
लेकिन अब करण खुद एक मुश्किल दुविधा में फँस गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किसे अपना जीवनसाथी चुने। एक तरफ सुनीता थी, जिसके साथ उसने एक नया रिश्ता शुरू किया था और जो हमेशा उसके साथ खड़ी रही थी। दूसरी तरफ रोमा थी, जिसने कश्मीर के मुश्किल वक़्त में अपनी भावनाओं का इज़हार किया था और जिसके दिल में उसके लिए गहरा प्यार था।
अध्याय 13: सागर का मज़ाक
एक शाम, जब करण सागर के साथ बैठा अपनी उलझनें साझा कर रहा था, तो सागर ने मज़ाक में कहा, "अरे यार, यह भी कोई मुश्किल है? तीनों से शादी कर ले! एक घर में तीन रानियाँ, क्या बुरा है?"
करण ने सागर को घूरकर देखा, लेकिन सागर हँसता रहा। उसे क्या पता था कि उसकी यह मज़ाक की बात तीनों लड़कियों ने गंभीरता से ले ली थी।
सुनीता और रोमा, जो अस्पताल से ठीक होकर घर लौट आई थीं, सागर की इस बात को सुनकर हैरान रह गईं। उन्हें लगा कि शायद करण सच में ऐसा सोच रहा है। अनीता, जो अभी भी करण को पाने की उम्मीद में थी, को भी यह विचार अजीब नहीं लगा।
अब स्थिति और भी जटिल हो गई थी। करण को न सिर्फ यह तय करना था कि वह सुनीता और रोमा में से किसे चुने, बल्कि उसे अनीता की भावनाओं का भी ध्यान रखना था। तीनों लड़कियाँ अब एक अजीब सी उम्मीद में थीं कि शायद करण सागर की मज़ाक वाली बात को सच कर देगा।
अध्याय 14: कानूनी अड़चन और करण की दुविधा
सागर के मज़ाक के बाद, करण और भी ज़्यादा उलझन में पड़ गया। उसे पता था कि भारतीय कानून के अनुसार एक पुरुष एक समय में एक ही पत्नी रख सकता है। "मैं कोई टार्ज़न थोड़ी हूँ कि तीन-तीन लड़कियों से शादी करूँ?" वह खुद से बड़बड़ाया। "यहाँ तो भाई-बहनों की आपस में बनती नहीं, तीन पत्नियाँ कैसे एक साथ रहेंगी?"
तीन पत्नियों के एक साथ रहने के दृश्य की कल्पना करके ही करण डर जाता था। उसे लगता था कि यह एक ऐसा उलझा हुआ जाल होगा जिससे वह कभी निकल नहीं पाएगा। घर में हमेशा कलह और मनमुटाव का माहौल रहेगा, और वह शांति से एक पल भी नहीं जी पाएगा।
हारकर, करण ने फैसला किया कि वह इस मुश्किल सवाल का जवाब अपनी माँ पर छोड़ देगा। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता था और उसकी राय पर पूरा भरोसा करता था। उसने सोचा कि माँ जिसे भी पसंद करेगी, वह उसे अपनी जीवनसाथी बना लेगा।
लेकिन यहाँ भी एक मुश्किल थी। अनीता, सुनीता और रोमा, तीनों ने ही बचपन से करण की माँ पर अपना-अपना प्रभाव डाला था। तीनों ही उनसे बहुत प्यार से पेश आती थीं, उनकी ज़रूरतों का ख्याल रखती थीं और हर तरह से उन्हें खुश रखने की कोशिश करती थीं। इस वजह से, करण की माँ भी तीनों को ही बहुत पसंद करती थीं और उनके लिए किसी एक को चुनना उनके लिए बेहद मुश्किल हो रहा था।
जब करण ने अपनी माँ से इस बारे में बात की, तो वह भी असमंजस में पड़ गईं। "बेटा, तुम तीनों ही मेरे लिए अपनी बेटियों जैसी हो। मैं कैसे किसी एक को चुन सकती हूँ? मेरा दिल तो तीनों के लिए ही धड़कता है," उन्होंने नम आँखों से कहा।
करण समझ गया कि उसकी माँ भी उसकी तरह ही फँसी हुई हैं। अब उसे खुद ही कोई फैसला लेना होगा, और यह फैसला उसकी पूरी ज़िंदगी को बदल कर रख देगा।
अध्याय 15: अंतिम निर्णय की ओर
करण कई दिनों तक इस बारे में सोचता रहा। वह तीनों लड़कियों के साथ बिताए हुए पलों को याद करता, उनकी अच्छाइयों और उनकी कमियों पर विचार करता। सुनीता का शांत और समर्पित प्यार, रोमा का उत्साही और निडर स्वभाव, और अनीता की बचपन की दोस्ती और गहरी चाहत – सब कुछ उसके दिमाग में घूमता रहता था।
उसे याद आया कि कैसे सुनीता ने हमेशा मुश्किल वक़्त में उसका साथ दिया था, कैसे रोमा ने कश्मीर में अपनी भावनाओं का इज़हार करके उसे चौंका दिया था, और कैसे अनीता ने हवाई अड्डे पर अपने प्यार का इज़हार करके सबको हैरान कर दिया था।
उसने अपने दिल से पूछा कि वह वास्तव में किसके साथ अपनी ज़िंदगी बिताना चाहता है। उसे एहसास हुआ कि सुनीता का प्यार उसके लिए एक शांत और स्थिर सहारा है, जबकि रोमा की ऊर्जा और उत्साह उसकी ज़िंदगी में रंग भर सकते हैं। अनीता के साथ उसकी एक लंबी दोस्ती है, और उसका प्यार सच्चा और गहरा है।
आखिरकार, एक रात, करण ने एक फैसला लिया। यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन उसे लगा कि यही सही है।
अगले दिन, उसने सुनीता और रोमा को एक साथ बुलाया। अनीता भी वहाँ मौजूद थी, उम्मीद और घबराहट से भरी हुई।
करण ने गहरी साँस ली और अपनी बात शुरू की। "मैंने बहुत सोचा और मुझे एहसास हुआ कि..."
अध्याय 16: वक़्त की माँग
करण ने तीनों लड़कियों की ओर देखा, उनके चेहरों पर उम्मीद और उत्सुकता के भाव स्पष्ट थे। उसने गहरी साँस ली और कहा, "मुझे हमारे इन रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ वक़्त चाहिए।"
उसने आगे कहा, "अभी फिलहाल तो मेरी छुट्टियाँ खत्म हो चुकी हैं, इसलिए मैं यूएसए वापस जा रहा हूँ। पर हम सब एक-दूसरे के साथ टच में रहेंगे।"
करण के इस जवाब से तीनों लड़कियाँ थोड़ी निराश हुईं, लेकिन उन्होंने उसकी बात को समझा। उन्हें एहसास हुआ कि करण पर इस वक़्त बहुत दबाव है और उसे सोचने के लिए समय चाहिए।
हालाँकि, कुछ दिनों बाद, एक अप्रत्याशित मोड़ आया। अनीता, सुनीता और रोमा ने आपस में बात की और एक चौंकाने वाला फैसला लिया। उन्होंने तय किया कि वे तीनों करण के साथ शादी करने के लिए तैयार हैं, अगर करण भी इसके लिए राज़ी हो। उनका मानना था कि उनका प्यार इतना मजबूत है कि वे इस अनोखे रिश्ते को निभा सकती हैं।
उन्होंने करण को अपने इस फैसले के बारे में बताया, लेकिन तब तक करण की छुट्टियाँ खत्म हो चुकी थीं और वह यूएसए वापस जा चुका था। करण उनके इस प्रस्ताव को सुनकर हैरान रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया दे।
अध्याय 17: दूरी और बेचैनी
यूएसए वापस जाने के बाद, करण का मन अशांत रहने लगा। वह लगातार सुनीता, रोमा और अनीता के बारे में सोचता रहता था। तीनों लड़कियों का एक साथ शादी के लिए तैयार होना उसके लिए एक बहुत बड़ा आश्चर्य था। वह जानता था कि कानूनी तौर पर यह संभव नहीं है, लेकिन उनके प्यार और समर्पण ने उसे अंदर तक हिला दिया था।
वह तीनों से फोन और वीडियो कॉल पर बात करता रहता था। तीनों लड़कियाँ उसे बताती थीं कि वे उसके फैसले का इंतजार कर रही हैं और वे तीनों उससे बहुत प्यार करती हैं। करण को उनकी बातों से और भी ज़्यादा उलझन होती थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किसे चुने और बाकी दो के साथ क्या करे।
उधर, मुंबई में भी तीनों लड़कियों के बीच एक अजीब सा समझौता बन गया था। वे जानती थीं कि यह स्थिति असामान्य है, लेकिन वे करण को खोना नहीं चाहती थीं। उन्होंने फैसला किया कि वे करण के फैसले का सम्मान करेंगी और जो भी होगा, उसे स्वीकार करेंगी।
समय बीतता गया, और करण पर अपने फैसले का दबाव बढ़ता गया। उसे पता था कि उसे जल्द ही कोई निर्णय लेना होगा, नहीं तो यह स्थिति सभी के लिए और भी ज़्यादा दर्दनाक हो जाएगी।
अध्याय 18: वापसी की तैयारी
कई महीनों की उधेड़बुन के बाद, करण ने आखिरकार एक फैसला लिया। उसने तय किया कि वह मुंबई वापस जाएगा और तीनों लड़कियों से मिलकर अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से बताएगा। उसने अपनी नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टी ली और भारत के लिए टिकट बुक करा लिया।
उसने सुनीता, रोमा और अनीता को अपनी वापसी के बारे में बताया। तीनों लड़कियाँ उसकी बात सुनकर उत्साहित हो गईं। उन्हें उम्मीद थी कि करण इस बार कोई निश्चित फैसला लेकर आएगा।
हवाई अड्डे पर करण का स्वागत करने के लिए तीनों लड़कियाँ एक साथ पहुँचीं। उनके चेहरों पर मिली-जुली भावनाएँ थीं – उम्मीद, घबराहट और प्यार। करण को उन्हें एक साथ देखकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने मुस्कुराकर उनका अभिवादन किया।
घर पहुँचने के बाद, करण ने तीनों लड़कियों से अलग-अलग बात करने का फैसला किया। वह चाहता था कि हर किसी को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का पूरा मौका मिले।