काजल एक 18 साल की लड़की थी, जो बहुत सुंदर और जवान थी। लेकिन किस्मत ने उससे उसका बचपन छीन लिया था, क्योंकि उसके माता-पिता उसे छोड़कर चले गए थे। शायद इसलिए क्योंकि वह एक लड़की थी, या शायद उसकी किस्मत में माँ-बाप का प्यार लिखा ही नहीं था।
गाँव के लोग उसे प्यार से "काजो" कहते थे। पहले तो पूरे गाँव वाले उसकी देखभाल करते थे, पर जब उन्हें उसकी असलियत पता चली, तो सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
दरअसल, काजो के माता-पिता ने उसे इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि वो उनकी अपनी औलाद नहीं थी। वह काले जादू का परिणाम थी — एक काली आत्मा से जन्मी लड़की। लेकिन इस सच से न तो गाँव वाले वाकिफ थे और न ही खुद काजो। उसके माता-पिता जानते थे कि भविष्य में काजो कोई आम लड़की नहीं रहेगी, बल्कि एक पिशाच बन जाएगी जो सबको मौत के घाट उतार देगी। इसी डर से उन्होंने उसे त्याग दिया।
जब काजो 18 साल की हुई, एक दिन स्कूल जाते वक्त वह बेहोश हो गई। जब उसकी आँख खुली तो वह किसी अस्पताल के कमरे में नहीं, बल्कि एक अंधेरी गुफा में थी। उसके सामने एक पंडित बैठा था। काजो को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी गाँव की सरपंच की पत्नी सीमा ने कहा, "तुझे आज खाने में बेहोशी की दवाई दी गई थी, इसीलिए तू स्कूल पहुँचने से पहले ही बेहोश हो गई।"
काजो कुछ कहती उससे पहले ही उसे सब समझ आ गया कि अब क्या होने वाला है और क्यों। काजो रोते हुए बोली, "मैंने तो कुछ नहीं किया चाची, मुझे छोड़ दो, मैं बहुत थक चुकी हूँ, मुझे भूख भी लग रही है।"
इतने में पंडित ने उसे एक जोरदार चाँटा मारा, और तभी काजो का शरीर जलने लगा, वह तड़पने लगी। यह देखकर गाँव की सारी औरतों का चेहरा सफेद पड़ गया। काजो चिल्लाई, "साले पंडित, तू मुझे नहीं, अपनी मौत को मार रहा है!"
पंडित बोला, "मैंने जो चाँटा मारा उसमें मेरे हाथ में काली माँ की धूप की राख थी।"
इसके बाद गाँव वालों ने काजो को एक कमरे में बंद कर दिया। पंडित बोला, "काजल कोई आम लड़की नहीं है। यह एक पिशाच है। गाँव के जो भी लोग और जानवर पहले मरे थे, उनकी कोई न कोई बॉडी का हिस्सा गायब मिलता था। वो हिस्सा काजल अपने कमरे के नीचे एक संदूक में छुपा देती थी और रोज़ उसे खाती थी। इस तरह उसका पिशाच और भी शक्तिशाली बनता गया। अब इसे ठीक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस पर अब इंसानी आत्मा से ज़्यादा उस काली आत्मा का असर है। अब आप ही जानो क्या करना है, मैं तो हाथ जोड़कर जा रहा हूँ।"
गाँव वालों को कुछ समझ नहीं आया, उन्होंने काजो को उसी कमरे में बंद कर दिया और पूरे घर को आग लगा दी। सब उसकी चीखें सुनते रहे। उसकी चीखें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं। आखिरी चीख में काजल बोली:
"मुझे जला दिया तुम गाँव वालों ने... हा हा हा... मैं अब मरी नहीं, अमर हो चुकी हूँ। जब तक तुम सबको मौत के घाट नहीं उतारूंगी, तब तक मेरा नाम भी काजल नहीं!"
बाकी की कहानी जानने के लिए पार्ट 2 का इंतज़ार करें।