haveli ka khajana in Hindi Horror Stories by Mamta Meena books and stories PDF | हवेली का खजाना

Featured Books
Categories
Share

हवेली का खजाना

आज जो सच्ची घटना में आप लोगों को सुनाने जा रही हूं बह मेरे ननिहाल से संबंधित है जो मेरी मम्मी ने हम भाई बहनों को बात ही बातों में एक बार सुनाई थी, इसलिए इस कहानी को मात्र एक काल्पनिक कहानी न समझकर एक सच्चाई समझे क्योंकि यह पूरी तरह सच है ।




मेरी मम्मी ने उन्होंने बताया कि उनके गांव में एक ठाकुरों की बहुत बड़ी और पुरानी हवेली है,यह उस समय की हवेली है जब ठाकुरों का राज होता था, ऐसे नहीं है हवेली एक पुरानी बड़ी हवेली है उस हवेली में एक कमरा है जिसमें एक बेशकीमती खजाना है ।



उस खजाने के पीछे भी एक कहानी है हुआ यह था कि बरसों पहले जब ठाकुरों का राज था तो उसी ठाकुर राजघराने की एक बाईसा यानी बेटी का ससुराल भी किसी दूसरे गांव के राजशाही ठाकुर अमीर घराने में था,,,,,,



उस बाईसा के कोई संतान नहीं थी कम उम्र में ही विधवा हो जाने की वजह से 1 दिन उसने सोचा कि मेरी खुद की तो कोई संतान नहीं है मेरे देवर जेठ काका ससुर सभी मेरे हिस्से के इस खजाने को हड़प ले लेंगे,,यह सोचकर उसने रात में कई ऊंटों पर अपना वह खजाना से लादा और एक ऊंट पर बैठकर रात में सफर करके और अपने हिस्से का सारा खजाना लेकर अपने मायके आ गई ।



तब अपने मायके आकर वह फिर हवेली में सबके साथ रहने लगी और अपने कमरे में अपना सारा खजाना रख लिया ।



वैसे मेरी मम्मी ने बताया कि उनके दादा ने एक बार बताया था जब उनके दादा छोटे छोटे थे तो ठाकुरों के बच्चों के साथ खेलने हवेली में जाया करते थे,बह खेल-खेल में बे कई बार उस बाईसा जो उस समय काफी बुजुर्ग हो चुकी थी उसके कमरे में चले जाते,बहा उन्होंने देखा था कि बाईसा जिस खाट पर सोती थी उस खाट के चारों पायों के नीचे एक एक सोने की ईंट रखी होती थी,मतलब यह कि उस बाईसा के पास काफी बड़ा और बेशकीमती खजाना था ।



फिर बाईसा की मौत के बाद उसके मायकेवलों ने उसे खजाने को लेना चाहा लेकिन जिसने भी उस खजाने को हाथ लगाया वह मौत के मुंह से बड़ी मुश्किल से बचकर आया ।



तब उन लोगों ने बहुत कशिश उसे खजाने को लेने की लेकिन ले नहीं पाए उसकी जाने की वजह से उनके घर परिवार में संकट दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जो भी उसे खजाने को छूने जाता वही बीमार हो जाता और उसकी हालत फिर सुधारने पर नहीं आती ।


तब उसे हवेली में रहने वाले पुरुषों ने आपस में बातें करके बाईसा के उसे कमरे के दरवाजा बंद करके उसके ताले लगा दिया गया ।



वही आज जब भी उस खजाने को लेने की नियत से जो भी उस कमरे का ताला खोलता है,वह कम से कम 6 महीने तो अपनी खाट में से उठ नहीं पाता अचानक बह इतना बीमार पड़ जाता है कि कोई इलाज करवाने का भी कोई फायदा नहीं होता ।



वही उस हवेली में आज भी काफी लोग रहते हैं लेकिन वे लोग अपनी भलाई के लिए उस खजाने को लेने की कमरे को कभी भी खोलने की नियत नहीं रखते ।



ऐसे में गांव के लोगों का तो यह कहना है कि बह खजाना उस बाईसा का है उसकी तो खुद की कोई संतान नहीं है इसलिए वह पितरों के खजाने के बराबर है,इसलिए जो भी उसे लेने के लिए नियत रखता है बह कभी अपने जीवन में सुखी नहीं रह पाता ।


ऐसे में आज भी वह खजाना उस हवेली के एक कमरे में कैद है लेकिन उस के पीछे क्या रहस्य है यह कोई नहीं जान पाया है,,,,,,,यह एक सच्ची घटना पर आधारित है,,,,,, आपको यह रचना कैसी लगी,,,,,, मुझे कमेंट करके जरूर बताएं,,,,,🙏🙏🙏🙏