नागेंद्र उन सांपों को आजाद करके वापस अपने घर की तरफ जा रहा था। वैसे तो उसे वहां लेकर यह जानना था कि इन सब के पीछे कौन है और इन सब के पीछे का कारण क्या है लेकिन वहां पर कोई ऐसा नहीं था जो उसके सवाल का जवाब दे। वापस जाते वक्त उसकी मुलाकात अवनी से हो गई और वह मुसीबत में पड़ गया लेकिन अचानक से एक लड़की आई जिसने कहा कि वह नागेंद्र की दोस्त है और उसका नाम माया था।
काला कोबरा अपने साथियों के साथ उसे जगह पर पहुंच गया जहां पर यह सब काम चालू था। अपने साथियों को बेहोश देख कर उसने उन्हें जगाने को कहा तब बुलेट ने सिर्फ पीली आंखों का जिक्र किया और वह बेहोश हो गया। पीली आंखों की बात आते ही दिलावर को नागेंद्र की आंखें याद आई।
" तू बता, तूने देखा था उसे आदमी का चेहरा?"
काला कोबरा की आवाज सुनकर दिलावर ने उसकी तरफ देखा। काला कोबरा उन तीन मजदूरों में से एक को गले से पकड़ कर पूछ रहा था। वह मजदूर काफी डरा हुआ था उसने डरी हुई आवाज में जवाब दिया।
" नहीं माय बाप हम सच कह रहे हैं हमने उसे नहीं देखा। उसने तो चेहरे पर गमछा बांधा हुआ था।"
उसे आदमी की आवाज से पता लग रहा था कि वह कितना डरा हुआ है। लेकिन काला कोबरा उसकी जवाब से बिल्कुल संतुष्ट नहीं दिख रहा था। हालांकि उसका चेहरा कहीं से भी नहीं दिख रहा था लेकिन उसकी आवाज से पता लग रहा था कि उसके अंदर कितना गुस्सा भरा हुआ है।
" तुझे नहीं पता? मेरे काम में अड़चन लाने वालों को यह काला कोबरा जिंदा नहीं छोड़ना।"
कहते हुए उसने एक ही हाथ से उसका गलाकिसी कपड़े की तरह निचोड़ दिया और उसे आदमी के गले की हड्डी टूटने की आवाज सबको सुनाई देने लगी। उसके गले की हड्डी टूटने की आवाज ऐसी थी जिसे सुनकर सबके चेहरे पर डर का पसीना दिखने लगा। दिलावर जो अपनी बात बताने जा रहा था वह डर के मारे वहीं रुक गया।
" अगर इसे मेरी बात पसंद नहीं आई तो यह मुझे भी मार देगा। दिलावर तेरी भलाई इसमें ही की अभी तु चुप रहे। अगर इसने तुझे यहां पर मार दिया तो तेरे घर वालों को तेरी लाश तक नहीं मिलेगी।"
काला कोबरा ने उसे आदमी की लाश कोदूर जातक कर फेंका और अपने आदमियों को हाथ से इशारा किया कि यह सब कुछ समेट लो। बुलेट को एक कर में हॉस्पिटल ले जाया गया था। काला कोबरा उसे खड़े के पास आया और उसने उसे सांप के खाली पिंजरे की तरफ देखा और तभी उसने उसे छोटे से सांप के मंदिर की तरफ देखा।
वह एक छोटा सा मंदिर था जिसमें एक सांप की छोटी सी मूर्ति थी जिसे देखते हुए काला कपड़ा कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा। फिर उसने एक गहरी सांस ली और वापस अपने कार में जाकर बैठ गया। देखते ही देखते वह कार वहां से रवाना हो गई। जैसे ही वह कार वहां से गई दिलावर ने एक लंबी सांस ली और फिर मार्को से पूछा।
" मार्को अब तो बता दे कि यहां क्या हो रहा है।"
मार्को ने अपने आसपास देखा और फिर उसे छोटे से मंदिर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
" मुझे ज्यादा कुछ नहीं पता बस इतना पता है कि वह मंदिर किसी नाग देवता का हैऔर यहां पर खुदाई करने से और सांपों की बलि देने से कुछ मिलता है। मेरा नाम मत लेना मैंने कुछ-कुछ बातें एक किताब में पढ़ ली थी जो हमेशा काला कोबरा के पास होती है।"
दिलावर ने उसे छोटे से मंदिर की तरफ देखा और फिर वापस मार्को की तरफ देखते हुए पूछा।
" यहां पर सांपों की बलि देने से क्या मिलेगा? मैंने इंसानों की बाली सुना था गाय की और कुछ जानवरों की भी सुना था लेकिन सांपों की बोली मैं आज तक नहीं सुना।"
मार्को ने दिलावर के थोड़ा करीब आते हुए कहा।
" पता नहीं मेरी तो कुछ समझ में नहीं आता। मुझे सिर्फ इतना पता है कि काला कोबरा सांपों की कुछ ज्यादा ही करीब है। उनका नाम ही देख लो काला कोबरा, वह हमेशा अलग-अलग सांपों के मंदिर में जाते हैं और वहां पर सांपों की बलि देते हैं। पता नहीं लेकिन ऐसा लगता है कि वह हर मंदिर में जाकर कुछ ना कुछ ढूंढते हैं जिसके लिए वह सांपों की बलि देते हैं। एक काले रंग की किताब है उनके पास जिनमें कुछ पन्ने मैंने पढ़ लिए थे जब वह खोलकर उसमें कुछ देख रहे थे। मुझसे ज्यादा ना पूछने की मेरी हिम्मत हुई और ना ही कभी होगी।"
उनके कुछ आदमियों ने तब तक उसे आदमी की लाश को इस गड्ढे में डाल दिया था और वहीं दफना दिया था। दिलावर ने उसके सामने वाली कॉलोनी की तरफ देखा और वहां पर सो रहे गार्ड को देखते हुए पूछा।
" इतना कुछ हो गया लेकिन यह लोग जागे क्यों नहीं? यह जगह इतनी भी दूर नहीं है कि इतना यहां कुछ हो जाए और गार्ड आगे तक नहीं।"
" अरे मैं तो भूल गया था।"
कहते हुए मार्को एक कोने में गया जहां पर एक लकड़ी को जलता हुआ छोड़ गया था। वैसे वह कोई लकड़ी नहीं थी कोई पेड़ की छाल जैसा लग रहा था। उसे जलाकर बुझाया गया था और उसमें से हल्का-हल्का धुआं निकल रहा था। उसे लेते वक्त मार्को ने अपने नाक को बंद किया और फिर उस लकड़ी के ऊपर पानी डाल दिया और आग बुझ गई।
इतना करने के बाद उसने तुरंत उसे लकड़ी को कपड़े के अंदर लपेटकर अच्छे से कार के अंदर रख दिया। दिलावर कब से यह सब कुछ देख रहा था उसने आखिरकार पूछ लिया।
" यह क्या था?"
मार्को ने नाक के ऊपर से उस कपड़े को हटाते हुए कहा।
" क्या है यह तो हमें भी नहीं पता बस इतना पता है कि इसका दुआ किसी भी इंसान को कुछ पल के लिए बेहोश कर देता है। जब तक इसका धुआंआ तुम्हारे नाक से तुम्हारे दिमाग में जाता रहेगा तब तक तुम सोते रहोगे। इसलिए तो मैं नाक बंद कर लिया था।"
कहते हुए मार्को ने सबको कार के अंदर बैठने का इशारा किया और कुछ ही देर में वह लोग वहां से रवाना हो गए। दिलावर पूरे रास्ते चुपचाप बैठकर यही सब कुछ सोच रहा था कि क्या आप इन सब के पीछे भी नागेंद्र का हाथ था? लेकिन जहां तक दिलावर नागेंद्र को जानता था वह तो काफी डरपोक किस्म का इंसान था तो वह इतने बड़े कल्ट में अपना हाथ क्यों डालेगा?
अवनी और नागेंद्र घर में पहुंच गए थे और अवनी ने डार्क लायन को तबले में अच्छे से बांध दिया था। नागेंद्र वहीं खड़े होकर होने की तरफ देख रहा था और उसे अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा था कि अवनी उसके पीछे वहां तक क्यों आ गई थी? जैसे ही अवनी वहां से घर की तरफ जाने लगी नगेंद्र ने उसको रोकते हुए पूछा।
" अवनी आपको हमारे पिछे आने की क्या जरूरत थी?"
अवनी ने नागेंद्र की तरफ देखा और कहा।
" मैं सिर्फ इसलिए तुम्हारे पीछे आई थी ताकि मैं यह देख सकूं कि तुम कहां जा रहे हो। लेकिन मैं यह देखकर हैरान हो गई कि तुम्हारे काफी अच्छे दोस्त हैं। लगता है तुम लड़कियों में कुछ ज्यादा ही फेमस हो।"
नागेंद्र समझ गया क्या होने का इशारा माया की तरफ था इसलिए उसने कहा।
" नहीं ऐसा कुछ नहीं है मैंने सिर्फ एक दो बार उसकी मदद की थी बस।"
अवनी ने एक नजर उसकी तरफ देखा और फिर वापस घर की तरफ जाते हुए कहा।
" अगर तुम दोस्त बनाते हो तो मुझे क्या परेशानी हो सकती है?"
इतना कहकर अवनी घर के अंदर चली गई। नागेंद्र अभी चुपचाप अपने कमरे में चला गया। जैसे ही उसने कमरे का दरवाजा खोला तो वह हैरान हो गया क्योंकि माया उसके बिस्तर पर आराम से पैर फैला कर बैठी हुई थी। नगेंद्र ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और अंदर आते हुए धीमी आवाज में पूछा।
" मायांद्री तुम यहां क्या कर रही हो? और तुम्हें कैसे पता कि मुझे किसी की मदद की जरूरत है?"
माया अपनी जगह से खड़ी हुई और नागेंद्र के पास आकर उसने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
" चक्र मुझे लगता है कि तुम अपनी बीवी से बहुत डरते हो। इतना तो हमने तुम्हें कभी युद्ध के मैदान में भी डरते हुए नहीं देखा था।"
नागेंद्र ने उसके हाथ को अपने कंधे से हटाते हुए कहा।
" पहले मुझे तुम यह बताओ कि तुम यहां क्या कर रही हो?"
मायांद्री ने नागेंद्र की तरफ हंसते हुए देखा और कहा।
" गुरु जी ने कहा था कि तुम्हें मेरी मदद की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि गुरुजी को पता चला है की कोई नागास्त्र की तलाश में है। अगर नागस्त्र उसके हाथ में आ गया तो हमारा सर्प लोग पूरी तरह से ध्वस्थ हो जाएगा। बस उसी के कुछ जानकारी लेकर मैं तुम्हारे पास आ रही थी कि मैं तुम्हें उस परेशानी में देख लिया।"
नगेंद्र ने उसकी पूरी बात सुनी और फिर माया से एक ताम्रपत्र को अपने हाथ में लिया जिसमें कुछ लिखा हुआ था। आखिर कौन है जो नागास्त्र के पीछे पड़ा है? क्या वह वही काला कोबरा है या फिर कोई और? कहीं उसी को हासिल करने के लिए तो काला कोबरा सांपों की बाली नहीं दे रहा?