समय सब पर भारी होता है। ताकत कभी हमेशा नहीं रहती. सम्मान, समझ और अनुभव भी शक्ति के बराबर होते हैं।
मुख्य पात्र:
शेर- रूद्र
एक समय का वीर और जंगल का राजा, लेकिन अब बुढ़ापे के कारण कमज़ोर हो चुका है।
सहायक पात्र:
• अग्नि - एक जवान शेर, जो रुद्र के राज को चुनौति देता है।
• मोरिनी - एक समझदार और पुरानी मित्र, जो रुद्र को संभालती है।
• लोमडी - चालक और राजनीतिक जानवर, जो नई जंगल की राजनीति चला
रुद्र जंगल के राजा के रूप में दिखाया जाता है - गर्व, शान और नियम का पालन करता है।
रुद्र - एक पुराणी दहद
जंगल के कोने में एक ऊंची पहाड़ी थी, जहां एक शेर बैठा था रुद्र, एक समय का राजा, एक शेर जिसका नाम ही जंगल में संकेत था - नियम, न्याय और निर्दोष की रक्षा का।
लेकिन समय ने उसके पंजे धीमे कर दिए थे। उसके दांत पीले हो गए थे, और दहाड़ में पहले जैसा ज़ोर नहीं था। हर शाम वह पहाड़ी पर बैठा, सूरज के साथ ढलता, और जंगल की बदलती तस्वीर देखता।
उसकी दोस्त मोरिनी, एक बूढ़ी मोरनी, अक्सर उसके पास आती और उसे कहती,
"रुद्र, जंगल बदल रहा है। जानवर तुम्हारे विरुद्ध हो रहे हैं। एक नया शेर - अग्नि - तुम्हारी जगह लेना चाहता है।"
रुद्र सिर्फ एक ठंडी सांस लेता, और आसमान की तरफ देख कर कहता,
"मैं जंगल को कभी दहाड़ से नहीं, समझ से चलता था, मोरिनी। देखते हैं, अग्नि क्या करता है।
अग्नि, एक जवान और तेज शेर, जंगल में उबर रहा था। उसका शरीर मजबूत, आवाज बिजली जैसी, और आंखों में अहंकार की चमक थी। उसने जनवारों से वादा किया -
"अब जंगल में सिर्फ डर नहीं, न्याय भी होगा!"
उसके साथ थी लोमडी, एक चालक प्राणि, जो जंगल की राजनीति चलाना चाहती थी। उसने सबको समझाया -
"बूढ़े शेर रुद्र का समय पूरा हो चुका है। जंगल को नये खून की ज़रूरत है!"
जंगल के छोटे जानवर - बंदर, गीदड़, हिरन - सब अग्नि के साथ हो गए। रुद्र अकेला पड़ गया, बस कुछ वफ़ादार साथ थे - मोरिनी, एक बूढ़ा हाथी, और कुछ पुराने मित्र।
टकराव - दो युग, एक मैदान
एक दिन अग्नि ने खुला चुनाती दी:
"रुद्र, अगर तुम में राजा बनने की शक्ति अब भी है, तो आओ - और सम्मान करो!"
रूद्र शान्त था। लेकिन जब जंगल के नियम तोड़े जाने लगे, कामज़ोर प्राणियों पर अत्याचार होने लगा, तो उसने फैसला किया -
"आखिरी बार, मैं अपनी दहाड़ सुनूंगा।"
मैदान में दोनो शेर आमने-सामने आये। अग्नि ने घूम के कहा:
"मैं तुम्हारा राज छीन लूंगा, बूढ़े शेर!"
रुद्र बोला:
"राज छीना नहीं जाता, अग्नि। कामया जाता है।"
लड़ाई शुरू हुई. अग्नि तेज था, रूद्र धीमा। अग्नि ने पंजा मारा,रुद्र गिरा - लेकिन तुरन्त उठा। अग्नि दहाड़ा, रुद्र ने आंखों से जवाब दिया।
आख़िर में, जब अग्नि रूद्र पर वार करने ही वाला था, एक बड़ी दहाड़ गूँजी। जंगल का एक बड़ा ख़तरा - शिकारी - जंगल में घुस आया था!
आखिरी दहाड़ - जंगल की रक्षा
शिकारी ने बंदर, मोर, हिरण को जाल में फंसा लिया था। जानवर घबरा गया. अग्नि एक पल के लिए रुका, उसकी आँखों में घबराहट थी। तभी रुद्र ने दहाड़ मारी - पुरानी दहाड़, जो जंगल में एक बार फिर गूंज उठी।
रुद्र ने शिकारी का सामना किया - चालकी, हिम्मत और बुद्धि से। उसने जाल तोड़ दिया, जानवरों को छुड़ाया। शिकारी भाग गया।
जंगल में सन्नाटा था. सब जानवर रुद्र को देख रहे थे - बूढ़ा, जख्मी, लेकिन अब भी शेर। अग्नि ने अपना सिर झुकाया।
अग्नि (नर्मि से):
"मैं शक्तिशाली हूं, लेकिन तुम राजा हो। तुमने हमेशा जंगल के लिए सोचा। आज मैंने सीखा - राजा बनने के लिए सिर्फ ताकत नहीं, समझ भी चाहिए।"
अन्त-एक नया सूर्योदय
रुद्र ने गद्दी अग्नि को सूप दी, लेकिन एक शर्त पर -
"हमेशा जंगल के मजदूरों को पहले देखना, तभी तुम सच्चा राजा बनोगे।"
अग्नि ने वादा किया.
रुद्र फिर से पहाड़ी पर चढ़ गया - लेकिन इस बार उसकी चाल हल्का था, मन शांत था। जंगल में एक नई दहाड़ थी - अग्नि की - लेकिन हमारे दहाड़ के पीछे अब रुद्र की सीख छुपी थी।
सूरज ढल रहा था, लेकिन इस बार अंधेरा भयानक नहीं था – बाल्की एक नये सवेरे का संकेत था।