An appeal to energetic and enthusiastic youth in Hindi Motivational Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | ऊर्जावान उत्साही युवाओं का आवाहन

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ऊर्जावान उत्साही युवाओं का आवाहन

Attracting millennials in agency profession the need of hour --लाखो व्यवसायिक अभिकर्ताओ का आकर्षण-- 1-शैक्षिक समाजिक स्तर----भारत की जनसंख्या 138 करोड़ है जिसमें और साक्षरता प्रतिशत 74.04% है कुल जनसंख्या का लग्भग 21 % नवजवानों की जन संख्या है जो लगभग 28 करोड़ है  जिसमे से लगभग तीन करोड़ ऐसे नवजवान है जो तकनीकी शिक्षा प्राप्त है बेरोजगार नौजवानों में 18 वर्ष से 25 वर्ष तक आयु के 25 प्रतिशत नौजवान है और 25 से 29  वर्ष आयु के मध्य लभगभ 24% नवजवान है स्प्ष्ट है कि भारत मे रोजगार की तलाश कर रहे नवजवानों  की अच्छी खासी जनसंख्या है भारत मे जनसंख्या के सापेक्ष रोजगार के सीमित संसाधन है रोजगार ही क्यो भारत मे जनसंख्या दबाव के परीपेक्षय में हर क्षेत्र में सीमित दायरे की बाध्यता है।भारत सरकार एव 29 राज्य सरकारों एव स्थानीय निकाय एव निगमो आदि कुल मिलाकर रोजगार की क्षमता 3 करोड़ है और लग्भग इतनी ही रोजगार की संभावना प्राइवेट सेक्टर में है स्पष्ठ है कि भारत मे रोजगार की समस्या को नवयुवकों में स्वरोजगार के प्रति जागरूक कर उनमे आत्म विश्वास का सांचार करके ही रोजगार जैसी समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।। 2-देश मे नौजवानों की स्थिति--भारत मे युवाओं को मुख्यतः निम्न श्रेणी में विभक्त किया जा सकता हैवह युवा जिनकी शिक्षा प्रतिस्पर्धा एव वर्तमान परिवेश के अनुरूप है ।।वह युवा जिनके पास शैक्षिक योग्यता की कमी नही है लेकिन प्रतिस्पर्धी सोच की कमी।।वह युवा जो प्रतिस्पर्धी और वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप  होते हुये भी योग्यता के अनुरूप रोजगार से वंचित।।ग्रामीण अंचल के युवा दोनों ही वर्ग के है उच्च शैक्षिक स्तर के प्रतिस्पर्धी औरउच्च शिक्षित एव प्रतिस्पर्धा से विमुख।।एक युवाओं का बड़ा वर्ग इनसे विल्कुल अलग है जो ना तो प्रतिस्पर्धी है ना ही उच्च शिक्षित है साक्षर है या तो शिक्षित है ।।देश के युवाओ का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसे क्षेत्रों में लगा है जहाँ ना तो उनकीसुरक्षा है ना ही संतुष्टि।।युवाओ में रोजगार के लिये जो होड़ और प्रतिस्पर्धा है उसमें बहुत कम युवा है जो स्वय को समायोजित करने में सक्षम पाते है।।ऐसे में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना अपने आप मे एक चुनौती से कम नही है।।सरकार द्वारा बहुत से रोजगार योजनाओं को लागू किया गया है लेकिन बहुत सीमित युवा वर्ग उससे लाभान्वित हो पाता है अधिकतर  सरकारी तंत्र को जिम्मेदार मानकर अधिकारो की दुहाई देता अन्तर्मन से नकारात्मक हो जाता है।।3-देश का सीमित संसाधन---देश के पास सीमित संसाधन और जनसंख्या का दबाव बहुत बड़ी समस्या है जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी चुनौती है जनसंख्या नियंत्रण समन्धित अनेको योजनाओं के बावजूद जनसंख्या पर कारगर काबू नही पाया जा सका है और सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन एव भारत की जनसंख्या का अंतर कम हुआ है जबकि चीन संसाधन और आर्थिक रूप से बहुत सक्षम सबल राष्ट्र हैऐसे में रोजगार का सृजन एव राष्ट्र के युवा वर्ग को यथोचित रोजगार उपलब्ध करा पाना राष्ट्र के समक्ष चुनौती एव बड़ी समस्या है।। एक मात्र विकल्प शेष बचता है कि युवाओं को स्वरोजगार के लिये प्रेरित किया जाय एव उन्हें मानसिक रूप से सक्षम एव सबल बनाया जाय सरकारोंद्वारा अनेक योजनाओं के बावजूद बेरोजगारी की समस्या का एक राष्ट्रव्यापी समस्या है जिसका समाधान सरकारों द्वारा खोजा जाता है मगर प्रभवी बहुत कम ही हो पाता है इसका एक प्रमुख कारण सरकार द्वारा बेरोजगार की परिभाषा अलग है तो राष्ट्र के जन मानस की अपनी परिभाषा है।।4-रोजगार की उपलब्धता----सरकार के पास कुल लगभग तीन करोड़ कर्मचारी सभी वर्गों को मिला कर है एव लग्भग इतने ही रोजगार प्राइवेट सेक्टर के पास जो भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश मे अपर्याप्त और ऊँट के मुंह मे जीरा के समान मुहावरे का याथार्त है स्किल्ड,सेमी स्किल्ड एव नॉन स्किल्ड सेक्टरों को भी यदि जोड़ लिया जाय तब भी रोजगार की समस्या ज्यो की त्यों बनीरहेगी नई आर्थिक नीति और उदारीकरण से रोजगार के सृजन तो हुए है लेकिन भारतीय  युवा उससे बहुत उत्साहित एव आकृष्ट नही हुआग्रामीण क्षेत्रो में साइज़ ऑफ होल्डिंग यानी जोत आकार बहुत कम है एव कृषि हेतु संसाधनों की पर्याप्त अनुपलब्धता एव वैज्ञानिक आधुनिक1 व्यवसायिक खेती का अभाव नवयुवकों को खेती के प्रति उदासीन करता है और युवाओं के मन मे यह विश्वाश घर कर चुका है कि खेती से रोजगार नही है और यह एक परंपरागत भरतीय ग्रामीण व्यवस्था है और खेती को बाज़ार तक जोड़ने की सारी कवायत बेकार हो चुकी है स्थिति यहॉ तक पहुंच गई है कि शहर या कस्बे में मजदूरी पसंद करता है मगर खेती करना नही जिसके कारण शहरी क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है और गांवों से पलायन हो रहा है और कृषि हेतु ही मजदूरों की कमी होने लगी है हालांकि सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में बहुत प्रोत्साहन दिये गए है और दिए जा रहे है मगर उसका बहुत लाभ नही दिखता ।।5-संमजिक असमानता---भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहाँ समाजिक असमानता बहुत है जिसका प्रभाव शिक्षा और अन्य क्षेत्रों पर स्पष्ठ दिखता है जो शिक्षा स्तर को प्रभावित तो करती है राष्ट्र के विकास संकल्प को भी धूल दुसित करती है देश मे चालीस करोड़ की जनसंख्या ऐसी है जिनके पास सिर्फ दो जून की रोटी ही जुटा पाना मुश्किल कार्य है जिसके कारण ऐसे परिवार अपने बच्चों को शिक्षा के समय ही छोटे छोटे रोजगार में लगा देता है जिसके कारण युवा सोच  विकसित होंने से पूर्व ही दम तोड़ देता है हालांकि स्कूलों में मध्यान्ह का भोजन ड्रेस किताब आदि सभी सुविधाएं देने के वावजूद शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है जिसके कारण यही युवा आगे चलकर रोजगार के लिये संघर्ष करता है मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजनाएं भी बहुत कारगर साबित नही हुआ ।प्रशानिक व्यवस्था उसके परंपरागत रवैये से भी बेरोजगारी अशिक्षा का कारण है ऐसी किसी तकनीकी या प्रक्रिया विकसित कर पाना असंभव है जिससे कि बेरोजगारी जैसे भयंकर समस्या का कारगर नियंत्रण किया जा सके।।6--बीमा उद्योग एव रोजगार के अवसर---बीमा उद्योग में प्रत्यक्ष रोजगार की असीमित सम्भावना है एक सौ अड़तीस करोड़ की आबादी के देश की लग्भग चालीस प्रतिशत जनसँख्या बीमा योग्य है यानी साठ करोड़ जन संख्या का बीमा बाज़ार है भारतीय जीवन बीमा निगम देश की सबसे बड़ी बीमा कम्पनी हैं एव तेईस प्राइवेट बीमा कम्पनियां है इसके अतिरिक्त स्वस्थ बीमा और सामान्य बीमा का बहुत बढ़ा बाज़ार मौजूद है जहां बेरोजगार नौजवानों के लिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का बहुत बड़ा और कारगर उद्योग एव क्षेत्र है।। भारतीय जीवन बीमा निगम के पास लग्भग बारह करोड़ अभिकर्ता है एव इतने ही प्राइवेट बीमा कम्पनियों के पास कुल लगभग पच्चीस लाख अभिकर्ता बीमा उद्योग में कार्यरत है जिसमें लग्भग पांच लाख अभिकर्ता प्रतिवर्ष बीमा उद्योग छोड़ते है एव लग्भग इतने ही नए जुड़ते है जबकिबीमा अभिकर्ता एक पूर्णकालिक रोजगार है।आर्थीक उदारीकरण के बाद प्राइवेट बीमा कम्पनियों को बीमा व्यवसाय के लिये अनुमति देने के बाद भी अपेक्षा के अनुरूप बीमा उद्योग में रोजगार के लिये युवाओं का आकर्षण नही बढ़ा।।7-बीमा बाज़ार की उपलब्धता----भारत मे उपलब्ध बीमा बाज़ार को वर्तमान स्थिति यह है कि पर बीमा योग्य जनसंख्या की लग्भग चालीस प्रतिशत आबादी ही बीमित है जबकि ऊँन्नीस सौ छप्पन से वर्ष दो हज़ार तक भारत मे बीमा व्यवसास पर भारतीय जीवन बीमा निगम का एकाधिपत्य रहा है और इक्कीसवीं सदी के साथ ही भारत मे पाइवेट कम्पनियों के लिये बीमा का बाज़ार खोला गया जिसकी शुरुआत बहुत जोरो से हुई मगर अपेक्षित परिणाम अभी भी अपेक्षित है अभी तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार प्रति एक  दो हज़ार चार सौ की आबादी पर एक बीमा अभिकर्ता है जबकि दूसरी तरफ देखा जाय तो दो हज़ार चार सौ बीमा ग्राहकों की संख्या रखने वाले अभिकर्ताओं की संख्या सीमित है जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है स्पष्ठ है कि अभी नौजवानों को पूर्ण रोजगार उपलब्ध करा सकने में बीमा उद्योग के पास असीमित सम्भावना है।।8-अभिकरण कार्य पूर्ण रोजगार---- भारतीय जीवन बीमा उद्योग में अभिकरण कार्य यानी अभिकर्ता पूर्ण रोजगगार का अवसर उपलब्ध कराता है जिसके लिये बिभिन्न प्रकार की आकर्षक योजनाओं को भी आमंत्रित करता है ग्रामीण एव शहरी दोनों  क्षेत्रो में भारतीय जीवन बीमा निगम में अभिकर्ताओं को एक सुरक्षित भविष्य  संबंधित सभी गारन्टी प्रदान की जाती है जैसे ग्रेजुएटी ,स्वास्थ्य सम्बंधित सुविधाएं एव समूह बीमा,पेंशन सम्बंधित प्राविधान जिसके लिये बिभिन्न स्तर के क्लब सदस्यता निर्धारित किये गए है जिसके आधार पर उन्हें सुविधाओं का परविधान है ग्रामीण क्षेत्र में अभिकरण कार्य को प्रोत्साहित करने के लिये ग्रामीण बृत्तिक अभिकर्ता ,शहरी क्षेत्र के लिये शहरी बृत्तिक अभिकर्ता कुछ नए परविधान के अंतर्गत चेन मार्केटिंग प्रक्रिया के अंतर्गत चीफ लाइफ इंसयोरेन्स एडवाजर योजना भी भारतीय जीवन बीमा निगम की अभिकरण कार्य प्रोत्साहन हेतु कारगर एव महत्वपूर्ण योजना हैमहत्वपूर्ण भविष्य के साथ बेहतर रोजगार और होते हुये भी नवजवान अभिकर्ता बनना पसंद नही करता है कारण निश्चय ही अन्वेषणीय है।।9-युवाओं की सीमित सोच भारत मे बेरोगार नवयुवक की पहलीपसंद नैकरी ही होती है क्योंकि वह एक निश्चित मासिक आय के साथ निश्चिन्त रहना चाहता है जबकि बीमा अभिकरण एक व्यवसास है और व्यवसास में जोखिमो का रहना लाज़िमी है और आज का नौजवान जोखिम के लिये साहस नही जुटाता चार से पांच हज़ार की मासिक आमदनी के लिये वह स्वयं की बंधक रख अपने मूल्य की अनदेखी करता है और आकर्षक और बेहतर होने के बावजूद वह ऐसे कार्यो को नही पसंद करता है जिसमें सर्वोत्तम अवसर उपलब्ध होते इसका मुख्य कारण इसमें आत्म विश्वास का अभाव और दूरदृष्टि का अभाव है जबकि बीमा व्यवसास के लिये असीमित सम्भावना एव बाज़ार होने के बावजूद बेरोजगार नौजवान को व्यवसास की संभावनाएं नही दिखती और वह संसय की स्थिति में अनिर्णय  की और नकारात्मकता का शिकार हो जाता है।।10-अभिकरण कार्य हेतु प्रशासनिक प्रायास---अभिकरण कार्य के लिये अकृष्य करने हेतु बीमा कंपनियों द्वारा तो बहुत सी योजनाओं का संचालन किया जाता है लेकिन सरकार द्वारा बीमा अभिकरण कार्य को रोजगार के रूप में प्रोत्साहित प्रशासकीय स्तर पर नही किया गया यदि यह कार्य सरकारी स्तर से बीमा कम्पनी के उत्तदायित्व के रूप में संचालित किया जाय तो इससे बेरोजगार नवयुवकों में आकर्षण बढेगा और भागीदारी बढ़ेगी और बहुत प्राभावी भी होगी ।।साथ ही साथ अभिकरण कार्य के लिये अत्यधुनिक तौर तरीकों तकनीक  माध्यमो के द्वारा सुसज्जित किया जाना चाहिये निश्चित रूप से बीमा व्यवसाय और उसकी तकनीकी स्थिति में बहुत विकास हुआ है फिर भी  अभी सम्भावना असीमित हैसाथ ही साथ अत्यधुनिक प्रशिक्षण की सुविधाएं जो उपलब्ध भी है को और शसक्त बनाने की आवश्यकता हैबीमा व्यवसास को गुणवत्तापूर्ण एव और प्रतिष्ठा परक बनाने हेतु अत्यधुनिक तरीको के अपनाए जाने की आवश्यकता है।।11-वतर्मान ग्राहकनिश्चिन्त तौर पर बीमा क्षेत्र में रोजगार की असीमित सम्भावना है जो  बेरोजगारी की समस्या हल समाधान में सहायक हो सकती है आवश्यकता है आज के नौजवान में विश्वास के जागरण की बीमा व्यवसास का बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध है आवश्यकता है बाज़ार को विकसित करने का विकसित तभी होगा जब प्रत्येक सक्षम व्यक्ति के पास उसकी अपनी बीमा पॉलिसी हो यह तभी सम्भव भी है जब ग्राहकों तक पहुँच होगी पहुंव तभी संभव होगी जब बीमा व्यवसास का नेट वर्क बढेगा बीमा बाजार में प्रतिदिन नए ग्राहक आते है आज के दौर में स्वस्थ और पेंशन बीमा का बाज़ार लग्भग अछूता है जी बहुत बड़ी सम्भावना है साथ ही साथ वित्तिय बाजारों से संबंधित बीमा सुरक्षा एव बचत को प्रोत्साहित करता हैं ये सभी बातें बीमा कम्पनी के पास उपलब्ध अभिकरण बल पर निर्भर करता है आवश्यकता के अनुसार ग्राहक को सुझाव और जोड़ने की जिम्मेदारी अभिकर्ता की ही होती है अतः आवश्यक है कि अभिकर्ता  अत्यधुनिक तकनीकी एव प्रक्रियात्मक दक्षता से परिपूर्ण हो क्योकि आज का ग्राहक अत्यधिक जागरूक और अपने अधिकारों के प्रति संवेदनशील है।।[12/15, 4:48 PM] Nandlal Mani Tripathi: 12--भारतीय जीवन बीमा का बदलता स्वरूप---वर्ष ऊँन्नीस सौ छप्पन से अब तक भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा स्वय  को संमजिक राष्ट्रीय परिदृश्य के मांग के अनुरूप परिवर्ती किया जाता रहा है संगठन सुधार इकाई( ओ ई सी) संगठन विकास (ओ डी) दो महत्त्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन से भारतीय  जीवन बीमा निगम ने कार्य प्रणाली में गुणात्मक सुधार एव ढांचागत सुधार के जरिये स्वय को व्यवसास एव ग्राहकों के अनुसार ढालने की सफलता पूर्वक कोशिश किया है  कर्मचारियों की क्षमता और कार्य गुणवत्ता के लिये मानव संसाधन विकास को बढ़ावा देकर संस्थागत ढांचे को ग्राहकों के प्रति जबाब देह बनाया तो त्वरित सेवा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिये कंप्यूटरिकृत किया और आज कही भी किसी कार्यालय में ग्राहक अपनी पालिसी की अद्यतन स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकता है तो कही  भी कही सी समय त्वरित सेवा प्रदान करने के लिये कृतसंकल्पित है 2048 शाखाएं 1300 संपर्क शाखाओं और हज़ारों प्रीमियम पॉइंट के द्वारा भारतीतय जीवन बीमा निगम ने अपने स्वरूप को अत्यधुनिक ग्राहकों के माँग के अनुरूप विकसित कर बीमा व्यवसाय के लिये एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण किया है जो निश्चय ही नौयुवको को अपनी तरफ आकर्षित करता है ।अत्यधुनिक  प्रशिक्षण सुविधाओं युक्त प्रशिक्षण केंद्र एव योग्यतम फैक्लटी निगम की गुणवत्तापूर्ण सेवा के सारथी का कार्य कर रहे है इक्कसवीं सदी बीमा उद्योग की सदी होगी संसय नही है आवश्यकता है नए युवाओं को तक इसकी वास्तविकता के प्रति आश्वस्त करने की उज्ज्वल भविष्य का उद्योग उनकी आकांक्षाओं का अविनि अम्बर है।।13- आई पी ओ---भारत सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम आई पी ओ लाने की तैयारी कर ली है कभी भी आई पी ओ बाज़ार में आ सकता है जो निश्चय ही भारतीय जीवन बीमा जैसे सबसे बड़े बीमा कम्पनी के लिये अति महत्त्वपूर्ण है आई पी ओ से  मिनट सेकेंड पॉलिसीधारक अपनी कम्पनी की वित्तीय स्थिति से अद्यतन रहेगा जिसके कारण गुणवत्तापूर्ण सेवा व्यवसायिक उत्तरदायित्व के निर्वहन की गमम्भीरता दक्षताओं का परीक्षण पालिसी धारकों द्वारा निरीक्षण एव निर्धारित किया जाएगा यह शुभ संकेत है जब सम्पूर्णता के साथ कार्य जिम्मेदारी के निर्वहन का भाव जागृत हो साथ  ही साथ सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसियों पर दी जाने वाली सोवेनियर गारंटी जारी रखी गयी है आई आर डी ए की जिम्मेदारी भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाली है जो संपूर्णता में नौयुवको को अभिकरण कार्य के लिये आकर्षक बनाने और इक्कसवीं सदी में अभिकरण कार्य को पूर्ण रोजगार के रूप में प्रतिष्ठित करने में सक्षम होगी।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश